Shri Hasan Abdulla filed a consumer case on 15 Feb 2018 against ICICI Lombard General Insurance Company Ltd. in the Muradabad-II Consumer Court. The case no is CC/179/2010 and the judgment uploaded on 17 Feb 2018.
Uttar Pradesh
Muradabad-II
CC/179/2010
Shri Hasan Abdulla - Complainant(s)
Versus
ICICI Lombard General Insurance Company Ltd. - Opp.Party(s)
15 Feb 2018
ORDER
परिवाद प्रस्तुतिकरण की तिथि: 03-11-2010
निर्णय की तिथि: 15.02.2018
कुल पृष्ठ-6(1ता6)
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद
उपस्थिति
श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष
श्री सत्यवीर सिंह, सदस्य
परिवाद संख्या- 179/2010
हसन अब्दुल्ला पुत्र मुशताक हुसैन निवासी मौहल्ला मुगलपुरा प्रथम शहर व जिला मुरादाबाद। …... परिवादी
बनाम
1-आई.सी.आई.सी.आई. लोमवार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि. पंजीकृत कार्यालय आई.सी.आई.सी.आई. बैंक टॉवर, बान्द्रा कुरला काम्पलेक्स, मुम्बई।
2- आई.सी.आई.सी.आई. लोमवार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि. जिसका शाखा कार्यालय हॉल नं.-2, 3 फ्लोर पार्श्वनाथ प्लाजा-2, प्लाट-3 नीलगिरी कामर्शियल सेंटर दिल्ली रोड, मानसरोवर स्कीम मुरादाबाद द्वारा उसके शाखा प्रबन्धक।
…...विपक्षीगण
(श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)
निर्णय
इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह अनुतोष मांगा है कि उसे विपक्षीगण से वाहन सं.-यू.पी.-21यू-8442 की बीमा राशि अंकन-5,75,000/-रूपये 15 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित दिलायी जाये। क्षतिपूर्ति की मद में अकन-5,00,000/-रूपये तथा परिवाद व्यय परिवादी ने अतिरिक्त मांगा है।
संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी वाहन सं.-यूपी-21यू-8442 का पंजीकृत स्वामी है। यह वाहन दिनांक 15-10-2009 से 14-10-2010 तक की अवधि हेतु विपक्षीगण से बीमित था। दिनांक 22/23-12-2009 की रात्रि में मुरादाबाद से किरतपुर जाते समय यह वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। परिवादी ने दुर्घटना की सूचना तत्काल पुलिस को दी और बीमा कंपनी को सूचित किया। दुर्घटना के समय वाहन में परिवादी की बहन, बहनोई, बहन का पुत्र और उसकी पत्नी यात्रा कर रहे थे। विपक्षीगण ने परिवादी का क्लेम दिनांक 12-3-2010 को दुर्भावनावश यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि वाहन को किराये पर चलाया जा रहा था। परिवादी ने यह कहते हुए कि उसका क्लेम विपक्षीगण ने गलत आधार पर अस्वीकृत किया है और ऐसा करके उन्होंने सेवा में कमी की है, परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की है।
परिवाद के साथ परिवादी द्वारा बीमा सर्टिफिकेट, दुर्घटना के संबंध में थाना कोतवाली, बिजनौर में दिनांक 22-12-2009 को दी गई तहरीरी रिपोर्ट तथा विपक्षी द्वारा क्लेम अस्वीकृत किये जाने संबंधी पत्र दिनांकित 12-3-2010 की छायाप्रतियों को दाखिल किया गया है। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-3/3 लगायत 3/5 हैं।
विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं.-10/1 लगायत 10/3 दाखिल हुआ, जिसमें परिवादी को प्रश्गनत कार का पंजीकृत स्वामी होना और दिनांक 15-10-2009 से 14-10-2010 तक की अवधि हेतु उसका बीमा विपक्षीगण से होना तथा इस कार का बीमा दावा दिनांक 12-3-2010 द्वारा अस्वीकृत किया जाना तो स्वीकार किया गया है किन्तु शेष परिवाद कथनों से इंकार किया गया। विशेष कथनों में कहा गया कि प्रश्गनत कार प्राईवेट कार पैकेज पालिसी के अधीन बीमित थी किन्तु अभिकथित दुर्घटना के समय इसे किराये पर चलाया जा रहा था। परिवादी का यह कृत्य बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन है। विपक्षीगण ने यह कहते हुए कि कार को चूंकि बीमा पालिसी की शर्तों के उल्लंघन में चलाया जा रहा था, अतएव परिवादी का बीमा दावा अस्वीकृत करके विपक्षीगण ने कोई त्रुटि नहीं की है, परिवाद को विशेष व्यय हेतु खारिज किये जाने की प्रार्थना की है।
परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-11/1 लगायत 11/3 दाखिल किया, जिसके साथ बीमा सर्टिफिकेट, थाने में दी गई दुर्घटना की तहरीरी रिपोर्ट तथा रेपुडिएशन लेटर की छायाप्रतियों को बतौर संलग्नक दाखिल किया गया, ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-11/4 लगायत 11/6 हैं।
विपक्षीगण की ओर से बीमा कंपनी के मैनेजर लीगल, श्री मनीष श्रीवास्तव ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-14/1 लगायत 14/3 दाखिल किया, जिसके साथ अभिकथित दुर्घटना में परिवादी की कार में हुए नुकसान के आंकलन हेतु नियुक्त अपने सर्वेयर श्री अमित कुमार पूथिया की सर्वे रिपोर्ट तथा परिवादी के बड़े भाई मुनईम अरशद द्वारा दिया जाना बताये गये शपथपत्र की छायाप्रतियों को बतौर संलग्नक दाखिल किया गया। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-14/4 लगायत 14/7 हैं।
परिवादी ने अपना रिज्वाइंडर शपथपत्र कागज सं.-16/1 लगायत 16/2 दाखिल किया, जिसके साथ उसने कर निर्धारण वर्ष 2010-2011, 2011-2012 तथा अपनी बहन सबामौहम्मदी की हाईस्कूल की सनद की छायाप्रतियों को दाखिल किया। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-16/3 लगायत 16/6 हैं। परिवादी ने अतिरिक्त रिज्वाइंडर शपथपत्र कागज सं.-18/1 लगायत 18/2 भी दाखिल किया, जिसके साथ उसने अपना पेन नम्बर, कर निर्धारण वर्ष 2011-2012 हेतु जमा किये गये एडवांस टैक्स, अपना पास्पोर्ट, कर निर्धारण वर्ष 2012-2013 तथा वर्ष 2013-2014 के इनकम टैक्स असिस्मेंट की छायाप्रतियों को बतौर संलग्नक दाखिल किया। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-18/3 लगायत 18/19 हैं।
परिवादी ने अपनी लिखित बहस दाखिल की। विपक्षीगण की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि उसने प्रश्गनत कार सं.-यूपी-21यू-8442 के संचालन में बीमा पालिसी की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया है। उन्होंने अग्रेत्तर कथन किया कि अभिकथित दुर्घटना के समय कार में परिवादी की सगी बहन, बहनोई, बहन का पुत्र और उसकी पत्नी मुरादाबाद से किरतपुर जा रहे थे। बीमा कंपनी का यह कथन सर्वथा मिथ्या है कि कार में किराये की सवारियों को ले जाया जा रहा था। परिवादी के अधिवक्ता ने विपक्षीगण की ओर से दाखिल शपथपत्र की नकल कागज सं.-14/7 अपने भाई मुनईम अरशद का शपथपत्र होने से भी इंकार किया और कहा कि कदाचित यह शपथपत्र बीमा कंपनी ने विधि विरूद्ध तरीके से परिवादी का क्लेम अस्वीकृत करने के उद्देश्य से फर्जी तैयार किया है। उन्होंने परिवाद में मांगा गया अनुतोष स्वीकार किये जाने की प्रार्थना की है।
बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्ता ने परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये तर्कों का प्रतिवाद किया और बीमा पालिसी में उल्लिखित शर्तों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुए तर्क दिया कि अभिकथित दुर्घटना के समय कार को ‘Hire and Reward’ हेतु चलाया जा रहा था, जबकि प्रश्गनत बीमा पालिसी ‘’प्राईवेट कार पैकेज’’ पालिसी थी। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने मुनईम अरशद की ओर से दिया जाना बताये गये शपथपत्र की नकल कागज सं.-14/7 की ओर भी हमारा ध्यान आकर्षित किया और तर्क दिया कि इस शपथपत्र में जो तथ्य उल्लिखित हैं, उनसे स्पष्ट है कि कार को परिवादी किराये पर चलाता था। उन्होंने यह कहते हुए कि रेपुडिएशन लेटर दिनांकित 12-3-2010 द्वारा क्लेम अस्वीकृत करके विपक्षीगण ने कोई त्रुटि नहीं की, परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की। हम विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत तर्कों से सहमत नहीं हैं।
इस बिन्दु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित कार अभिकथित दुर्घटना के समय ‘’प्राईवेट कार पैकेज पालिसी’’ के अन्तर्गत विपक्षीगण से बीमित थी। बीमा सर्टिफिकेट की नकल कागज सं.-3/3 के अनुसार कार का बीमित राशि अंकन-4,71,990/-रूपये थी। स्पष्ट है कि किसी भी स्थिति में बीमा कंपनी पालिसी में उल्लिखित कार की बीमित राशि से अधिक अदा करने की उत्तरदायी नहीं ठहरायी जा सकती।
परिवादी की ओर से दाखिल नकल तहरीरी रिपोर्ट कागज सं.-11/5 के अवलोकन से प्रकट है कि दुर्घटना के तत्काल बाद परिवादी के भाई मुनईम अरशद ने प्रश्गनत दुर्घटना की सूचना कोतवाली, बिजनौर में दी थी। इस तहरीरी रिपोर्ट में यह स्पष्ट उल्लेख है कि अभिकथित दुर्घटना के समय कार में परिवादी के बहनोई, परिवादी की सगी बहन, उसका पुत्र और उसकी पत्नी किरतपुर से मुरादाबाद की ओर आ रहे थे। यह तथ्य परिवादी ने अपने साक्ष्य शपथपत्र के पैरा-3 में भी लिखा है। विपक्षीगण की ओर से साक्ष्य में दाखिल शपथपत्र कागज सं.-14 के पैरा-6 में विपक्षीगण के साक्षी ने यद्यपि परिवादी के साक्ष्य शपथपत्र के पैरा-3 के कथनों को स्वीकार नहीं किया है किन्तु वे यह स्पष्ट करने का साहस नहीं कर पाये कि अभिकथित दुर्घटना के समय प्रश्गनत कार में परिवादी के उक्त रिश्तेदार यात्रा नहीं कर रहे थे तो वे कौन लोग थे, जो कार में जा रहे थे। परिवादी द्वारा सशपथ यह कथन कर देने के उपरान्त कि दुर्घटना के समय कार में उसकी सगी बहन, बहनोई, उसका पुत्र और पुत्र की पत्नी जा रहे थे, यह विपक्षीगण का उत्तरदायित्व था कि वे अपने इस वर्डन को डिस्चार्ज करते कि कार में बैठे हुए व्यक्ति कौन थे किन्तु विपक्षीगण के साक्षी ऐसा नहीं कर पाये। ऐसी स्थिति में यह माने जाने का कारण है कि कार में अभिकथित दुर्घटना के समय परिवादी के सगे और नजदीकी रिश्तेदार जा रहे थे। यहां हम यह भी उल्लेख करना समीचीन समझते हैं कि प्राईवेट कार में यथावश्यक यदि Insured के रिश्तेदार कभी जा रहे हों तो उन्हें ‘किराये की सवारी’ नहीं माना जा सकता। जहां तक शपथपत्र की नकल कागज सं.-14/7 का प्रश्न है, उक्त शपथपत्र मुनईम अरशद द्वारा नहीं दिया गया था, ऐसा परिवादी ने अपने रिज्वाइंडर शपथपत्र कागज सं.-16/1 के पैरा-9 में स्पष्ट रूप से कहा है। इस दशा में शपथपत्र कागज सं.-14/7 और उसमें उल्लिखित तथ्यों को प्रमाणित माने जाने का कोई औचित्य दिखायी नहीं देता, अन्यथा भी परिवादी द्वारा दाखिल इनकम टैक्स रिटर्न वर्ष 2011-12, 2012-13 एवं 2013-14 के अनुसार परिवादी की वार्षिक आय वर्ष 2010-11 में लगभग 7 लाख रूपये, 2011-12 में लगभग 17 लाख रूपये, 2012-13 में लगभग 25 लाख रूपये और कर निर्धारण वर्ष 2013-14 में 31 लाख रूपये वार्षिक से अधिक थी। इनकम टैक्स विभाग में दाखिल इन प्रपत्रों के आधार पर यह माने जाने का कारण है कि परिवादी की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि उसे जीविकोपार्जन के लिए अपनी प्राईवेट कार किराये पर बतौर टैक्सी चलाने की आवश्यकता पड़ी होती। पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों और साक्ष्य सामग्री के आधार पर यह प्रमाणित नहीं होता कि अभिकथित दुर्घटना के समय कार ‘Hire and Reward’ हेतु चलायी जा रही थी।
2012(1) सीपीआर पृष्ठ-406, आशीष विश्वकर्मा बनाम शाखा प्रबन्धक, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लि. आदि के मामले में माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा निम्न व्यवस्था दी गई है “there is no question of commercial purpose in obtaining insurance coverage.”
आशीष विश्वकर्मा की उपरोक्त निर्णयज विधि में में दी गई व्यवस्था के दृष्टिगत बीमा दावे के भुगतान के संदर्भ में यह तथ्य सुसंगत नहीं है कि ‘प्राईवेट कार पैकेज पालिसी’ के अधीन बीमित वाहन को वाणिज्यिक प्रयोग हेतु चलाया जा रहा था अथवा नहीं।
15-यदि तर्क के आधार पर यह मान भी लिया जा रहा था कि दुर्घटना के समय परिवादी की कार को ‘Hire and Reward’ हेतु चलाया जा रहा था तब भी उपरोक्त रूलिंग में दी गई व्यवस्था के दृष्टिगत विपक्षीगण द्वारा परिवादी का बीमा दावा अस्वीकृत नहीं किया जाना चाहिए था। बीमा दावा अस्वीकृत करके बीमा कंपनी ने त्रुटि की है।
16-बीमा कंपनी के सर्वेयर ने अपनी सर्वे रिपोर्ट कागज सं.-14/4 लगायत 14/6 में दुर्घटना के फलस्वरूप परिवादी की कार में हुए नुकसान का आंकलन अंकन-4,70,000/-रूपये किया है। उन्होंने साल्वेज वैल्यू अंकन-1,50,000/-रूपये लगायी है। परिवादी के अधिवक्ता का कथन है कि वे साल्वेज को रखने के लिए तैयार नहीं हैं। साल्वेज को रखने के लिए परिवादी को बाध्य नहीं किया जा सकता है। अंकन-1000/-रूपये सर्वेयर ने एक्सेज क्लॉज के अधीन काटे हैं। चूंकि परिवादी साल्वेज रखने के लिए तैयार नहीं है, इस स्थिति में सर्वे रिपोर्ट के अनुसार परिवादी अंकन-4,69,000/-रूपये मय 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज वाद दायरा तिथि ताअदायगी विपक्षीगण से पाने का अधिकारी है। परिवादी को परिवाद व्यय की मद में अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्त दिलाया जाना भी न्यायोचित दिखायी देता है। परिवादी प्रश्गनत कार का साल्वेज विपक्षीगण को देने के लिए उत्तरदायी होगा। परिवाद तद्नुसार स्वीकार होने योग्य है।
परिवादी का परिवाद विरूद्ध विपक्षीगण स्वीकृत किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि विपक्षीगण इस आदेश से एक माह के अंदर अंकन-4,69,000(चार लाख उनहत्तर हजार) रूपये मय 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज वाद दायरा तिथि तावसूली परिवादी को अदा करें।
विपक्षीगण अंकन-2500/-रूपये परिवाद व्यय भी परिवादी को अदा करें।
इस आदेशानुसार क्लेम राशि प्राप्त करने से पूर्व परिवादी को कार का साल्वेज विपक्षीगण को देना होगा।
(सत्यवीर सिंह) (पवन कुमार जैन)
सदस्य अध्यक्ष
आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(सत्यवीर सिंह) (पवन कुमार जैन)
सदस्य अध्यक्ष
दिनांक: 15-02-2018
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