द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष
- इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने अनुरोध किया है कि विपक्षीगण से उसे 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित क्लेम राशि मुवलिंग 4,35,000/- रूपया (चार लाख पैंतीस हजार) दिलायी जाऐ। परिवाद व्यय भी दिलाऐ जाने की मॉंग परिवादी ने की है।
- परिवाद कथन संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी मुहम्मद फरमान फर्म मैसर्स एम0 एफ0 इण्डिया का स्वामी है, फर्म के नाम एक डी0सी0एम0 केन्टर सं0- यू0पी0-21 एन/ 4403 है। परिवादी ने दिनांक 23/4/2007 से 22/4/2008 तक की अवधि हेतु इस डी0सी0एम0 केन्टर की एक पालिसी संख्या- 3003/51665672/00/000 विपक्षीगण से ली थी जिसका प्रीमियम 20,092/- रूपया परिवादी ने अदा किया, बीमित राशि 6,84,000/- रूपया थी। दिनांक 01/4/2008 को जिला सीतापुर से थाना कमलापुर के क्षेत्रान्तर्गत एक ट्रक संख्या- यू0पी0-22 सी/ 9889 से उक्त डी0सी0एम0 केन्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गई उसी दिन परिवादी ने दुर्घटना की सूचना विपक्षीगण को लखनऊ में फोन पर दी। विपक्षीगण ने अगले दिन अर्थात् 02/4/2008 को अपने सर्वेयर से स्थल निरीक्षण करवाया। विपक्षीगण के कहे अनुसार दुर्घटनाग्रस्त डी0सी0एम0 को परिवादी मुरादाबाद ले आया। विपक्षीगण ने इसका फाइनल सर्वे दिनांक 07/4/2008 को कराया। डी0सी0एम0 ठीक कराने में परिवादी के 4,35,000/- रूपया खर्च हुऐ। डी0सी0एम0 ठीक कराने में हुऐ व्यय से सम्बन्धित बिल परिवादी ने विपक्षीगण को उपलब्ध करा दिऐ। परिवादी ने विपक्षीगण से क्लेम निस्तारण का निरन्तर अनुरोध किया। अन्तत: पत्र दिनांक 28-5-2008 द्वारा विपक्षीगण ने परिवादी का क्लेम अस्वीकृत कर दिया। आधार यह लिया गया कि डी0सी0एम0 में अभिकथित दुर्घटना के समय स्वीकृत संख्या से अधिक लोग बैठे थे। परिवादी के अनुसार दावा गलत तरीके से अस्वीकृत किया गया है उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवादी ने सूची कागज सं0- 3/8 द्वारा क्लेम अस्वीकृत किऐ जाने सम्बन्धी विपक्षीगण के पत्र दिनांकित 28/5/2008, डी0सी0एम0 केन्टर की आर0सी0, बीमा सार्टिफिेकेट और दुघर्टना के सम्बन्ध में थाना कमलापुर जिला सीतापुर में लिखाई गयी प्रथम सूचना रिपोर्ट की फोटो प्रतियों को दाखिल किया।
- विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0- 12/1 लगायत 12/3 दाखिल हुआ जिसमें परिवादी की डी0सी0एम0 केन्टर संख्या- यू0पी0-21 एन/ 4403 का बीमा विपक्षीगण द्वारा किया जाना और बीमित राशि 6,84,000/- रूपया होना तो स्वीकार किया गया है किन्तु परिवाद के शेष कथनों से इन्कार किया गया। विपक्षीगण के अनुसार अभिकथित दुर्घटना के मामले में विपक्षीगण ने अपने सर्वेयर श्री ए0के0 कपूर एण्ड एसोसिऐट से जॉंच करायी थी। जॉंच में पाया गया कि परिवादी की डी0सी0एम0 केन्टर में अभिकथित दुर्घटना के समय 5 व्यक्ति यात्रा कर रहे थे जबकि पालिसी के अनुसार उसकी सिटिंग कैपेसिटी 3 व्यक्तियों की थी। इस प्रकार परिवादी ने पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किया। पालिसी की उक्त शर्तों का उल्लंघन किऐ जाने की बजह से विपक्षीगण ने पत्र दिनांकित 28/5/2008 द्वारा परिवादी का क्लेम अस्वीकृत किया गया है और ऐसा करके विपक्षीगण ने न तो कोई कानूनी त्रुटि की और न ही परिवादी को सेवा प्रदान करने में कोई कमी की है। परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गयी।
- साक्ष्य में परिवादी फरमान ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं0- 15/1 लगायत 15/3 दाखिल किया। विपक्षीगण सं0- 1 व 2 की और से आई0सी0आई0सी0आई0 लोम्बार्ड जनरल इंश्योंरेंस कम्पनी लिमिटेड के मैनेजर लीगल श्री मनीष श्रीवास्तव ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं0- 23/1 लगायत 23/3 प्रस्तुत किया। इस शपथपत्र के साथ थाना कमलापुर जिला सीतापुर की दिनांक 01/4/2008 की जी0डी0, दुर्घटना में अन्तर्ग्रस्त परिवादी की डी0सी0एम0 के नेशनल परमिट, इंश्योरेंस पालिसी तथा फाइनल सर्वेयर श्री अमित पूठिया की सर्वे रिपोर्ट की फोटो प्रतियों को संलग्नक के रूप में दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र कागज सं0- 23/4 लगायत 23/12 हैं।
6- प्रत्युत्तर में परिवादी मुहम्मद फरमान का रिज्वाइंडर शपथपत्र कागज सं0- 25/1 लगायत 25/3 प्रस्तुत किया गया जिसके साथ आई0सी0आई0सी0आई0 बैंक से केन्टर हेतु लिऐ गऐ ऋण की अदायगी का एन0ओ0सी0 और उससे सम्बन्धित बैंक के पत्र की फोटो प्रतियों को संलग्नक के रूप में दाखिल किया गया, यह प्रपत्र कागज सं0- 25/4 लगायत25/6 हैं।
7- दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी लिखित बहस दाखिल की।
8- हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
9- पक्षकारों के मध्य इस बिन्दु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवादी मुहम्मद फरमान ने विपक्षी सं0-2 से अपनी डी0सी0एम0 केन्टर गाड़ी सूख्या-यू0पी021 एन/4403 के लिए एक बीमा पालिसी ली थी जिसकी वैधता 23/4/2007 से 22/4/2008 तक के लिए थी। बीमित राशि 6,84,000/- रूपया होने पर भी विवाद नहीं है। परिवादी की डी0सी0एम0 और ट्रक के बीच दुर्घटना दिनांक 01/4/2008 को हुई जैसा कि प्रथम सूचना रिपोर्ट की नकल कागज सं0-3/12 से प्रकट है। दुर्घटना में डी0सी0एम0 में हुई क्षति का आंकलन विपक्षीगण के सर्वेयर श्री अमित कुमार पूठिया ने किया और अपनी आख्या कागज सं0-23/8 लगायत 23/12 में परिवादी को 3,72,654/- रूपये की धनराशि की देयता की संस्तुति की।
10- परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि डी0सी0एम0 केन्टर को ठीक कराने में 4,35,000/- रूपया खर्च आया था। परिवादी द्वारा बताऐ जा रहे इस खर्च का कोई बिल बाउचर परिवादी ने दाखिल नहीं किया है। इसके विपरीत विपक्षीगण के सर्वेयर ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में परिवादी को देय धनराशि का आंकलन विस्तार से और सकारण किया है जिस पर किसी खण्डनीय साक्ष्य के अभाव में विश्वास किऐ जाने का कोई कारण दिखाई नहीं देता।
11- विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने थाना कमलापुर जिला सीतापुर की दिनांक 01/4/2008 की जी0डी0 की नकल कागज सं0-23/4 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुऐ कथन किया कि अभिकथित दुर्घटना के समय परिवादी की डी0सी0एम0 में दुर्घटना के समय कुल 5 लोग यात्रा कर रहे थे जब कि बीमा पालिसी के अनुसार इस वाहन की सिटिंग कैपेसिटी 3 व्यक्तियों की थी। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने उक्त तथ्यों के आधार पर यह तर्क देते हुऐ कहा कि परिवादी ने सिटिंग कैपेसिटी से सम्बन्धित बीमा पालिसी की शर्त का चूँकि उल्लंघन किया अत: क्लेम अस्वीकृत किऐ जाने विषयक विपक्षीगण के पत्र दिनांकित 28/5/2008 (पत्रावली का कागज सं0-3/9) में कोई त्रुटि नहीं है। उन्होंने अतिरिक्त यह भी कहा कि डी0सी0एम0 केन्टर चूँकि परिवादी की फर्म मैसर्स एम0एफ0 इण्डिया के नाम है अत: यह माने जाने का कारण है कि यह डी0सी0एम0 वाणिज्यिक कार्यों हेतु प्रयोग की जा रही थी। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता के अनुसार परिवादी ‘’ उपभोक्ता की श्रेणी ’’ में नहीं आता अत: इस आधार पर भी परिवाद खारिज होने योग्य है। अपने तर्कों के समर्थन में विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने ए0आई0आर0 1995 सुप्रीम कोर्ट पृष्ठ-1428, लक्ष्मी इंजीनियरिंग वर्क्स बनाम पी0एस0जी0 इण्डस्ट्रीयल इंस्टीट्यूट के मामले में मा0 सर्वोच्च न्यायालय तथा 1(1999) सी0पी0जे0 पृष्ठ- 417, पाल पीगोट लिमिटेड बनाम मैसर्स अब्दुल माजिद आदि के मामले में मा0 राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ द्वारा दी गयी विधि व्यवस्थाओं का अवलम्ब लिया। इन निर्णयज विधियों में यह अवधारित हुआ है कि यदि किसी वस्तु का वाणिज्यिक उपयोग किया जा रहा है तो उससे सम्बन्धित सेवाओं में कमी का मामला उपभोक्ता फोरम में पोषणीय नहीं है। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने जिन निर्णयज विधियों का अवलम्ब लिया है वे वर्तमान मामले के तथ्यों पर लागू नहीं होतीं। मात्र इस आधार पर कि दुर्घटना में अन्तर्गरस्त परिवादी की डी0सी0एम0 परिवादी की प्रोपराइटर फर्म के नाम थी यह प्रकल्पित नहीं किया जा सकता कि डी0सी0एम0 का उपयोग वाणिज्यिक कार्यों में किया जा रहा था।
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12- 2012 (1) सी0पी00आर0 पृष्ठ-406, आशीष विश्वकर्मा बनाम ब्रांच मैनेजर नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड आदि के मामले में मा0 राष्ट्रीय प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा निम्न व्यवस्था दी गई :-
“ There is no Question of commercial purpose in obtaining
insurance coverage.”
आशीष विश्वकर्मा की निर्णयज विधि में दी गई व्यवस्था के दृष्टिगत बीमा दावे के भुगतान के सन्दर्भ में वाहन वाणिज्यिक है अथवा नहीं ? यह तथ्य सुसंगत नहीं है। 2012 (2) सी0पी0आर0 पृष्ठ-84, न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम कोटलू ब्रहमन्ना एक्स सर्विसमैन ट्रांसपोर्ट कोआपरेटिव सोसाईटी लिमिटेड के मामले में मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा निम्न व्यवस्था दी गई है:-
“ If overloading is not prime cause of accident, Insurance
Company cannot repudiate claim. “
13- पत्रावली में ऐसा कोई साक्ष्य विपक्षीगण द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया जिसके आधार पर यह माना जाये कि अभिकथित दुर्घटना, डी0सी0एसम0 में 3 के स्थान पर 5 व्यक्तियों द्वारा यात्रा किऐ जाने की बजह से घटित हुई थी। इस निर्णयज विधि के दृष्टिगत विपक्षीगण द्वारा परिवादी का क्लेम अस्वीकृत किऐ जाने का जो कारण रिप्यूडिऐशन लेटर दिनांकित 28/5/2008 में दर्शाया गया है वह विधानत: स्वीकार किऐ जाने योग्य नहीं है और त्रुटिपूर्ण है। दुर्घटना में अन्तर्ग्रस्त परिवादी की डी0सी0एम0 वाणिज्यिक इस्तेमाल में लायी जा रही थी ऐसा प्रमाणित नहीं हुआ है अन्यथा भी आशीष विश्वकर्मा के उपरोक्त मामले में मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतिातोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा दी गयी विधि व्यवस्था के दृष्टिगत तत्सम्बन्धी विपक्षीगण के तर्क विपक्षीगण के लिए सहायक नहीं हैं।
14- उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवादी का क्लेम अस्वीकृत कर विपक्षीगण ने त्रुटि की है और अनुचित व्यापार प्रथा अपनायी है। परिवादी को विपक्षीगण के सर्वेयर द्वारा संस्तुत 3,72,654/- रूपये (तीन लाख बहत्तर हजार छ: सौ चब्बन) की धनराशि ब्याज सहित दिलाया जाना न्यायोचित दिखायी देता है।
15- परिवाद दिनांक 12/8/2009 को संस्थित हुआ था। पत्रावली की आर्डरशीट के अवलोकन से प्रकट है कि इसके निस्तारण में हुई देरी में लगभग 2 वर्ष की अवधि ऐसी है जिसकी देरी का उत्तरदायित्व परिवादी का है। हमारे अभिमत में देरी की इस 2 वर्ष की अवधि हेतु परिवादी को ब्याज नहीं दिलाया जाना चाहिऐ। परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से आज तक की शेष अवधि के लिए परिवादी को देय 3,72,654/- रूपये (तीन लाख बहत्तर हजार छ: सौ चब्बन) की धनराशि पर 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज दिलाया जाना हम न्यायोचित समझते हैं। परिवाद तदानुसार स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 3,72,654/- रूपये (तीन लाख बहत्तर हजार छ: सौ चब्बन) की वसूली हेतु परिवादी के पक्ष में, विपक्षीगण के विरूद्ध यह परिवाद स्वीकार किया जाता है। यह ब्याज परिवाद के निस्तारण में परिवादी के कारण हुई 2 वर्ष की देरी के अतिरिक्त परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वसूली की तिथि तक की शेष अवधि हेतु देय होगा। उक्त के अतिरिक्त परिवादी 2,500/- रूपया (दो हजार पॉंच सौ) परिवाद व्यय भी विपक्षीगण से पाऐगा।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
- 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
13.05.2015 13.05.2015 13.05.2015
हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 13.05.2015 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
- 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
13.05.2015 13.05.2015 13.05.2015