Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/156/2009

ANIL KUMAR YADAV - Complainant(s)

Versus

I-MASS COMPUTER EDUCATION - Opp.Party(s)

ASHOK SINGH

02 Apr 2019

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum
Azamgarh(U.P.)
 
Complaint Case No. CC/156/2009
( Date of Filing : 28 Aug 2009 )
 
1. ANIL KUMAR YADAV
PHOOLPUR AZAMGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. I-MASS COMPUTER EDUCATION
AZAMGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 02 Apr 2019
Final Order / Judgement

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 156 सन् 2009

   प्रस्तुति दिनांक 28.08.2009

                                     निर्णय दिनांक 02.03.2019

  1. अनिल कुमार यादव पुत्र राजधारी यादव ग्राम- शाहराजा, पोस्ट- माहुल, तहसील- फूलपुर, जिला- आजमगढ़।

 

बनाम

  1. आईमास कम्प्यूटर एजूकेशन एण्ड वेल फेयर सोसाइटी ग्राम मझियांव पोस्ट- भरवारी, जिला- कौशाम्बी बजरिए प्रबंधक श्री कलीमुद्दीन पुत्र शहाबुद्दीन ग्राम/निवासी 08बी एलगिन रोड सिविल लाइन्स इलाहाबाद।
  2. कलीमुद्दीन पुत्र शहाबुद्दीन निवासी 8बी एलगिन रोड सिविल लाइन्स इलाहाबाद।
  3. श्री हैदर रजा पुत्र मोo हमजा निवासी 25/25 सरदार पटेल मार्ग सिविल लाइन्स इलाहाबाद। सचिव आइमास कम्प्यूटर एजूकेशन एण्ड वेलफेयर सोसाइटी ग्राम मझियांव पोस्ट- भरवारी जिला- कौशाम्बी।

..................................................................................विपक्षीगण।

                                          उपस्थितिः- अध्यक्ष- कृष्ण कुमार सिंह, सदस्य- राम चन्द्र यादव

 

  •  

अध्यक्ष- “कृष्ण कुमार सिंह”-

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि विपक्षी संख्या 01 का पंजीकृत संस्था है और विपक्षी संख्या 02 के प्रेसीडेन्ट तथा विपक्षी संख्या 03 उसके सेक्रेटरी हैं। उक्त प्रेसीडेन्ट व सेक्रेटरी ने आइमास एजूकेशनल एण्ड वेलफेयर सोसाइटी का रजिस्ट्रेशन सोसाइटी रजिस्ट्रार उoप्रo के यहां कराया जिसका रजिस्ट्रेशन नम्बर 1591/2007-8 है और वह 08.02.2013 तक वैध है और दिनांक 19.02.2008 को जारी किया गया है। विपक्षी संख्या 01 के अध्यक्ष व सचिव प्रार्थी के यहां आए और अपने संस्था के बारे में विस्तृत जानकारी दिए और कहे कि आप अपने कम्प्यूटर प्रशिक्षण संस्था संचालित करिए। जिसमें हम लोग सहयोग करेंगि और सारी सुविधा

2

देंगे। इन बातों का विश्वास करके परिवादी ने अपना कम्प्यूटर संस्थान ग्राम शाहराजा, परगना- माहुल, तहसील- फूलपुर, जिला- आजमगढ़ में खोला। संस्थान खोलने के बाद में 50,000/- रुपये जमानत की राशि के रूप में 16,000/- रुपया प्रतिमाह प्रशिक्षण शुल्क तथा संस्था का नामांकन शुल्क रूपया 1600/- दिनांक 02.12.2008 को लिया गया। संस्था को चलाने के लिए 10,00/- रुपये माह पर दो अध्यापक, तीन कर्मचारियों का वेतन 10,000/- रुपये मासिक परिवादी ने अपने पास से खर्च किया। इस प्रकार परिवादी ने विपक्षीगण के संस्था में 87,600/- रुपया खर्च किया। इसके पश्चात् परिवादी ने संस्था के संचालन में हुए व्यय की मांग किया तो विपक्षी ने परिवादी को चेक नम्बर 684173 रुपया 50,000/- का चेक दिनांक 19.02.2009 को बैंक ऑफ बड़ौदा शाखा इलाहाबाद को दिया। परिवादी दिनांक 22.04.2009 को बैंक में जमा किया। जब चेक बैंक ऑफ बड़ौदा में भेजा गया तो वहां से इस आपत्ति के साथ चेक वापस आ गया कि उक्त खाते में अपर्याप्त धनराशि है। इसलिए उसका भुगतान नहीं किया जा सकता है। जिसकी सूचना एस.बी.आई. फूलपुर को दी गयी। सूचना के पश्चात विपक्षीगण से कई बार बात-चीत हुई तो उन्होंने कहा कि भुगतान अतिशीघ्र कर दिया जाएगा। विपक्षीगण ने परिवादी के साथ धोखा-धड़ी किया है और विपक्षी द्वारा भुगतान न करने के कारण परिवादी को काफी आर्थिक क्षति हुई है। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वे परिवादी को 87,600/- रुपये मय 18% वार्षिक ब्याज की दर से अदा करे और शारीरिक व मानसिक कष्ट के लिए 10,000/- रुपये तथा वाद व्यय अदा करें।

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कागज संख्या 6/1 सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण का प्रमाण-पत्र, कागज संख्या 6/2 चेक की छायाप्रति, कागज संख्या 6/3 बैंक ऑफ बड़ौदा में 50,000/- रुपये जमा होने की छायाप्रति, कागज संख्या 6/4 एस.बी.आई. इलाहाबाद के द्वारा जारी

3

पत्र, कागज संख्या 6/5 बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा जारी प्रमाण पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।

विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद एक पक्षीय रूप से चल रहा था। चूंकि सुनवाई के दौरान परिवादी अनुपस्थित था। अतः पत्रावली का अवलोकन किया। परिवाद पत्र के पैरा 08 के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि विपक्षीगण ने परिवादी के साथ धौखा-धड़ी किया है। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “देवराज किशोरदास बनाम लाइफ इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड III (2018) सी.पी.जे. (एन.सी.)” का अवलोकन करें तो इस न्याय निर्णय में माननीय राष्ट्रीय आयोग ने यह अभिधारित किया है कि यदि परिवाद के परिशीलन से स्पष्ट होता है कि परिवादी के विरूद्ध धोखा-धड़ी को सुनवाई का अधिकार फोरा को नहीं है चूंकि परिवाद के सुनवाई का अधिकार इस मंच का नहीं है। अतः यह परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।

आदेश

परिवादी निरस्त किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                                       (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

                        दिनांक 02.03.2019

यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                                       (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV]
MEMBER

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