(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1140/2008
(जिला आयोग, प्रथम बरेली द्वारा परिवाद संख्या-117/2007 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.05.2008 के विरूद्ध)
लियाकत उल्लाह खान पुत्र श्री महमूद खान, निवासी 124, घेर जाफर खान, ओल्ड सिटी, थना बारादरी, तहसील व जिला बरेली।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1. मैनेजर, इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बैंक आफ इंडिया (आई.डी.बी.आई.), आई.डी.बी.आई. टावर, डल्ब्यू.टी.सी. काम्पलेक्स, कफी परेड मुम्बई, वर्तमान पता यूनिट आई.डी.बी.आई. डाटामेटिक्स फाइनेन्सियल सर्विसेज लि0, प्लाट नं0-बी-5 एवं 6, पार्ट बी, क्रास लेन, मरोल, अंधेरी ईस्ट, मुम्बई 400093.
2. पंजाब नेशनल बैंक, सिविल लाइन्स, बरेली, थाना कोतवाली, जिला बरेली द्वारा ब्रांच मैनेजर।
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : श्री चेतन भार्गव।
प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित : श्री एस.एम. बाजपेयी।
दिनांक: 30.07.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-117/2007, लियायकत उल्लाह खान बनाम प्रबंधक इण्डस्ट्रियल डेवलपमेंट बैंक आफ इण्डिया तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, प्रथम बरेली द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.05.2008 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है।
2. विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि दिनांक 1.8.2000 के बाद परिवादी द्वारा क्रय किए गए बाण्ड पर कोई ब्याज देय नहीं है।
3. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी बैंक के पास अंकन 15,900/-रू0 तीन फोलियों के माध्यम से जमा किए थे, इस सावधि जमा योजना में यह प्रस्ताव था कि अंकन 5300/-रू0 जमा करने पर मार्च 2021 में अंकन 2,00,000/-रू0 अदा किए जाएंगे। जमाकर्ता इस अवधि के पहले भी अपनी धनराशि निकाल सकता है। विपक्षी द्वारा केवल दो फोलियों स्वीकार किए गए एक फोलियो स्वीकार नहीं किया गया, जो दो प्रमाण पत्र दिए गए, उनमें दर्शाया गया है कि दिनांक 1.8.2000, दिसम्बर 2006, 1 सितम्बर 2011 तथा 1 जून 2016 में क्रमश: अंकन 10,000/-रू0, 25,000/-रू0, 50,000/-रू0 तथा अंकन 1,00,000/-रू0 परिवादी को प्राप्त होंगे। परिवादी को धन की आवश्यकता थी, इसलिए दिनांक 13.7.2007 को पत्र भेजा गया, जिसका कोई जवाब नहीं दिया गया। दिनांक 1.8.2007 के नोटिस का भी कोई जवाब नही दिया गया। अत: फोलियों की फेस वैल्यू प्राप्त करने के लिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4. विपक्षीगण की ओर से अपने लिखित कथन में उल्लेख किया गया कि बॉण्ड प्रदान करते समय कॉल आप्शन का अधिकार दिया गया था। विपक्षी सं0-1 ने दिनांक 25.5.2000 को कॉल आप्शन का प्रयोग किया और दिनांक 25.5.2000 के पत्र द्वारा सभी बाण्डधारकों के साथ परिवादी को भी सूचित किया गया कि 15 जुलाई 2000 तक सभी बाण्ड प्रमाण पत्र सौंप दिए जाए ताकि बाण्डधारकों को दिनांक 1.8.2000 तक का धन भुगतान किए जा सके। यह भी स्पष्ट किया गय कि दिनांक 1.8.2000 के बाद कोई ब्याज देय नहीं होगा। इस पत्र का कोई जवाब नहीं दिया गया, बल्कि एक नोटिस प्रेषित किया गया, जिसका विधिवत जवाब दिया गया तथा कॉल आप्शन के प्रयोग के बारे में सूचित किया गया तथा उन्मोचित मूल बाण्ड प्रेषित करने और धनराशि प्राप्त करने का अनुरोध किया गया, परन्तु परिवादी ने मूल बाण्ड नहीं सौंपे, इसलिए यह प्रकरण कालबाधित है। विपक्षीगण की ओर से कोई त्रुटि नहीं की गई है, फिर भी विपक्षीगण विधिवत उन्मोचित मूल बाण्ड सौंपने के बाद प्रति बाण्ड अंकन 10,000/-रू0 परिवादी को अदा करने के लिए तत्पर है।
5. पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि विपक्षी सं0-1 ने दिनांक 25.5.2000 को पक्षकारों के मध्य निष्पादित करार के अनुसार कॉल आप्शन का प्रयोग किया है, जिसके अनुसार दिनांक 1.8.2000 के बाद कोई ब्याज देय नहीं है। विपक्षी सं0-1 द्वारा इस आप्शन का प्रकाशन भी कराया गया, इसलिए परिवादी को सूचना न होने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। तदनुसार परिवाद खारिज कर दिया गया।
6. उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
7. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी/अपीलार्थी को कोई नोटिस प्राप्त नहीं हुई। लिखित कथन के पैरा सं0-10 में स्वीकार किया गया है कि ब्याज दर आज भी 15 प्रतिशत है, इसलिए सम्पूर्ण प्रतिदान मूल्य दो बाण्ड के प्रदत्त कराए जाने चाहिए।
8. प्रस्तुत अपील के विनिश्चय के लिए एक मात्र विनिश्चायक बिन्दु यह उठता है कि क्या विपक्षी सं0-1 द्वारा करार के अनुसार कॉल आप्शन का विकल्प प्रयोग करने का नोटिस परिवादी को प्राप्त हुआ या नहीं ?
9. परिवादी द्वारा नोटिस प्राप्ति के तथ्य से इंकार किया गया है। नोटिस प्रेषित करने की रसीद भी पत्रावली पर मौजूद नहीं है। इस नोटिस का प्रकाशन विपक्षी सं0-1 द्वारा कराया गया है। प्रकाशन की प्रति विद्वान जिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई थी, जिस पर विद्वान जिला आयोग ने विचार किया है और प्रकाशन के माध्यम से नोटिस की तामीला पर्याप्त माना है। चूंकि प्रकाशन के माध्यम से नोटिस की तामील पर्याप्त होने की विधिक स्थिति स्थापित है, इसलिए माना जा सकता है कि परिवादी पर नोटिस की तामील हुई है, इसलिए दिनांक 1.8.2000 के पश्चात परिवादी द्वारा बाण्ड के माध्यम से जमा राशि पर ब्याज देय नहीं है।
10. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा लिखित कथन के पैरा संख्या-10 की ओर इस पीठ का ध्यान आकृष्ट किया गया है, जिसमें उल्लेख है कि विधिवत उन्मोचित बाण्ड सौंपने के बाद आईडीबीआई, उनके द्वारा धारित दो बाण्ड के लिए प्रति बाण्ड अंकन 10,000/-रू0 आज भी अदा करने के लिए तैयार है और 15 प्रतिशत की राशि आरओआई के संबंध में अंकित है। आरओआई का तात्पर्य Return on investment है। आरओआई 15 प्रतिशत का तात्पर्य अंकन 5300/-रू0 की राशि पर देय ब्याज 4700/-रू0 है न कि दिनांक 1.8.2000 के पश्चात ब्याज अदा करने के संबंध में, इसलिए दिनांक 1.8.2000 के पश्चात ब्याज अदा करने का कोई आदेश नहीं दिया जा सकता। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
11. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2