जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 318/2019 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-19.03.2019
परिवाद के निर्णय की तारीख:-19.04.2023
नलिनीकांत गुप्ता आयु लगभग 87 वर्ष पुत्र स्व0 श्री श्यामाकांत गुप्ता निवासी-250 चन्द्रलोक कालोनी अलीगंज, लखनऊ। ............परिवादी।
बनाम
1. आई.सी.आई.सी.आई. प्रूडेंसियल लाइफ इंश्योरेंश कम्पनी लि0 पंजीकृत कार्यालय आई.सी.आई.सी.आई.प्रू लाईफ टावर, 1089 आपासाहेब मैराथन मार्ग प्रभादेवी मुम्बई द्वारा महाप्रबन्धक।
2. आई.सी.आई.सी.आई. प्रूडेंसियल लाइफ इंश्योरेंश कम्पनी लि0 मेट्रो टावर बिल्डिंग शाहनजफ रोड लखनऊ, द्वारा मैनेजर।
3. श्रीमती प्रीती श्रीवास्तव निवासिनी-3/430 विरामखण्ड गोमती नगर, लखनऊ, द्वारा अभिकर्ता।
4. अजय कुमार जायसवाल एसोसिएट मैनेजर निवासी आई.सी.आई.सी.आई. प्रूडेंसियल लाइफ इंश्योरेंश कम्पनी लि0 मेट्रो टावर बिल्डिंग शाहनजफ रोड लखनऊ। ...........विपक्षीगण।
परिवादी के अधिवक्ता का नाम:-श्री राजीव कुमार श्रीवास्तव।
विपक्षी के अधिवक्ता का नाम:-श्री प्रतीक कास्लीवाल।
आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
निर्णय
1. परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत विपक्षीगण से दो पालिसियॉं 18496153 व 18496423 जो निहारिका गुप्ता व अर्चना गुप्ता के नाम से हैं व दो-दो लाख की हैं अर्थात 4,00,000.00 रूपये 18 प्रतिशत ब्याज के साथ, विपक्षीगण की दोषपूर्ण सेवाओं एवं अनुचित व्यापार प्रथा की वजह से परिवादी को हुई मानसिक एवं आर्थिक उत्पीड़न के लिये क्षतिपूर्ति 2,00,000.00 रूपये, अधिवक्ता शुल्क 21,000.00 रूपये एवं वाद व्यय 10,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि विपक्षी संख्या 03 द्वारा परिवादी को दिनॉंक 12.03.2014 को फोन किया और बताया कि आई0सी0आई0सी0आई0 का एक नया फिक्स डिपॉजिट प्लान आया है जिसमें धनराशि जमा करने पर पॉंच वर्ष हेतु 11.6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देय होगा और इनकम टैक्स की धारा-10-10डी के अनुसार पूरी तरह से टैक्स फ्री होगा। विपक्षी संख्या 03 के कहने पर परिवादी विपक्षी संख्या 02 के कार्यालय गया जहॉं पर कम्पनी के एसोसिएट मैनेजर अजय कुमार जायसवाल विपक्षी संख्या 04 से मिले और परिवादी को प्लान के बारे में बताया गया।
3. विपक्षी संख्या 04 ने अपने सहयोगियों व विपक्षी संख्या 03 के साथ परिवादी के घर जाकर बैंक की पासबुक की मॉंग की तथा परिवादी के तीन बैंक खाते की पासबुक विपक्षीगण ने ली व उसकी छायाप्रति देने को कहा। उक्त तीनों पासबुक की छायाप्रतियॉं स्वयं करवा कर वापस परिवादी को दे दिया।
4. विपक्षी संख्या 04 ने परिवादी को इस बात की जानकारी दी कि उक्त फिक्स डिपॉजिट से मिलने वाली धनराशि आप किसे देना चाहेगें तो परिवादी ने स्पष्ट करते हुए बताया कि चार लाख रूपये के डिपॉजिट से मिलने वाला पैसा अपनी पोती अनुभूति गुप्ता उम्र 11 वर्ष, तथा दो दो लाख के निवेश से मिलने वाली धनराशि को अपनी दूसरी पोती निहारिका गुप्ता तथा अपनी पुत्री प्रतिमा गुप्ता व अर्चना गुप्ता को देना चाहॅूंगा। इसके उपरान्त विपक्षी संख्या 04 ने परिवादी को चार फार्म दिये तथा प्रपोजल के स्थान पर हस्ताक्षर करा लियें तथा उक्त फार्म पर उपरोक्त नामिनी के हस्ताक्षर कराने हेतु विपक्षी संख्या 03 के साथ पुन: मेरे घर आये तथा मेरे बच्चों के फोटोग्राफ, पेन कार्ड, पहचान पत्र व अनुभूति के स्कूल का आयु प्रमाण पत्र मांगा व हस्ताक्षर कराने के बाद पुन: परिवादी को अपने कार्यालय ले गये।
5. कार्यालय पहुंचने के उपरान्त विपक्षीगण ने परिवादी से आई0सी0आई0सी0आई0 प्रूडेंसियल एल0आई0सी0 के नाम से एकाउन्टपेयी चेक पर परिवादी से हस्ताक्षर करवा लिये तथा बाण्ड की प्रति आठ से दस दिन में उपलब्ध करायने का वायदा किया जिनका चेक विवरण इस प्रकार से है:-
Name of Bank | Cheque No. | Issue Date | Ammount | Date of Withdraw from my account. |
S.B.I. | 199457 | 12.03.2014 | 4,00,000.00 | 13.03.2014 |
Syndicate Bank | 545310 | 12.03.2014 | 2,00,000.00 | 14.03.2014 |
State Bank of Travancore | 006494 | 12.03.2014 | 2,00,000.00 | 14.03.2014 |
State Bank of Travancore | 006496 | 17.03.2014 | 2,00,000.00 | 22.03.2014 |
विपक्षीगणों ने 15 दिनों तक बाण्ड उपलब्ध नहीं कराया तो परिवादी ने विपक्षी संख्या 03 से जानकारी चाही परन्तु उनके द्वारा तरह-तरह के बहाने बताये गये। परिवादी ने उक्त कम्पनी के भूतपूर्व ब्रांच मैनेजर को इसकी जानकारी दी व काफी प्रयास व दबाव के बाद विपक्षी संख्या 03 द्वारा परिवादी को 10 लाख रूपये की रसीद दी गचयी, जिसे दूसरे दिन परिवादी ने देखा तो उक्त रसीदें 12.03.2014 को प्रिंट हुई थी, इसमें एक रसीद पूर्णतया फर्जी थी जिस पर परिवादी का नाम सही था, लेकिन अन्य विवरण गलत थे। क्योंकि परिवादी का कोई बैंक एकाउन्ट इन्डसइन्ड बैंक में नहीं था।
6. परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या 03 को फोन के माध्यम से सूचित किया गया कि अविलम्ब मुझे आई0सी0आई0सी0आई0 कम्पनी द्वारा जारी बॉण्ड उपलब्ध कराया जाए अन्यथा परिवादी सभी के विरूद्ध पुलिस में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करा देगा। जिस पर विपक्षी संख्या 03 परिवादी के घर आकर दो बाण्ड दिया तथा आई0सी0आई0सी0आई0 बैंक का एक चेक 40,000.00 रूपये का अपने व्यक्तिगत खाते का परिवादी को उपलबध कराया तथा पुलिस में रिपोर्ट न दर्ज कराने की बिनती परिवादी से की। परिवादी ने जब उक्त बाण्ड देखा तो उसे ज्ञात हुआ कि उक्त बाण्ड फिक्स डिपॉजिट के हैं ही नहीं, पालिसी में परिवादी का मोबाइल नम्बर भिन्न था।
7. उक्त पालिसी निहारिका गुप्ता व अर्चना गुप्ता के नाम की है जिसमें दो लाख रूपये की धनराशि बीमा के प्रथम किश्त के रूप में जमा की गयी है तथा पालिसी 10 साल की है तथा 2,00,000.00 रूपये की दूसरी किश्त की तिथि 29.03.2015 अंकित है व इस पालिसी में कोई भी कालम ठीक से नहीं भरे गये हैं। विपक्षीगण ने उपरोक्त पालिसियों को जानबूझकर परिवादी के पास समय से नहीं पहॅुचने दिया क्योंकि कम्पनी द्वारा पालिसी धारक को पालिसी जांचने व परखने व लौटाने के लिये 15 दिनों का फ्रीलुक पीरियड उपलबध कराती है जो समय प्रीति श्रीवास्तव द्वारा योजना बद्ध तरीके से व्यतीत करके 15 दिनों की अवधि समाप्त होने के बाद परिवादी के पास भेजा ताकि वह उसे वापस न कर सके, इससे परिवादी का चार लाख रूपया फंस गया। 06 लाख रूपये उनके द्वारा वापस किया गया है।
8. परिवादी ने प्रीति श्रीवास्तव से अनुभूति गुप्ता का चार लाख रूपये के बाण्ड की मॉंग की गयी तो बड़ी मुश्किल से उपलब्ध कराया क्योंकि अब परिवादी के पास मात्र 30 मई व 31 मई ही दो दिन बचे थे तो परिवादी ने हेल्पलाईन की मदद से पालिसी सरेण्डर फार्म भी डाउनलोड कर लिया व आफिस जाकर प्रतिमा व अनुभूति के 06 लाख रूपये के सरेण्डर फार्म दिये जो काउन्टर क्लर्क ने वापस करने में आना-कानी की। काफी प्रयास के बाद करीब 03 घंटे बिताने के बाद दूसरा सरेण्डर फार्म भरवाकर सरेण्डर की रसीदें दी। परिवादी द्वारा विभिन्न स्तर पर शिकायत करने के बावजूद विपक्ष्ीगण ने परिवादी का चार लाख रूपया उसे वापस नहीं किया।
9. विपक्षी संख्या 01 व 02 द्वारा उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए यह कहा गया कि परिवाद पत्र खारिज किये जाने योग्य है। फ्रीलुक अवधि 15 दिवस के अन्दर पालिसी निरस्त किये जाने हेतु संपर्क नहीं किया गया। इस प्रकार कोविड पीरियड की समाप्ति के पश्चात दोनों पक्षों को बाध्यकारी हो जाता है। विवाद बीमा पालिसी के अन्तर्गत बीमा प्रपोजल रहा था, के द्वारा बीमा पालिसी प्लान IPRU Elite Life II हेतु दो अलग-अलग ऑनलाईन प्रपोजल फार्म संख्या 0500209463 व प्रपोजल संख्या 0500209737 दिनॉंक 12.03.2014 को प्रस्तुत किया था। उस प्रपोजल फार्म के तहत अपनी पौत्री निहारिका गुप्ता तथा प्रपोजल फार्म संख्या 0500209737 के अन्तर्गत अपनी पुत्री अर्चना गुप्ता को बीमाधारक नियुक्त किया गया था। उपरोक्त दोनों प्रपोजल फार्म के अर्न्तगत परिवादी स्वयं बीमा प्रजोजर रहा था। परिवादी द्वारा निम्न प्रकार से बीमा पालिसियॉं प्राप्त की गयी थी-
Appllcation No. | 0500209463 | 0500209737 |
Policy Nomber | 18496153 | 18496423 |
Policy Plan | IPRU Elite Life II (UA2) | IPRU Elite Life II (UA2) |
Life Assured | Niharika, Gupta | Archna Gupta |
Proposer | Nalini Kant Gupta | Nalini Kant Gupta |
Sum Assured | Rs. 20,00,000.00 | Rs. 14,00,000.00 |
Prop Recd Date | March 12, 2014 | March 12, 2014 |
Policy Terms (in yrs.) | 10 Years | 10Years |
Premium Payment Term | 5 Years | 5 Years |
Risk Commencement Date | March 29, 2014 | March 29, 2014 |
Paid To Date | March 29, 2014 | March 29, 2015 |
Premium Frequench | Annually | Annually |
Premium Amount | Rs. 2,00,000.00 | Rs. 2,00,000.00 |
Total Premium Peposite | Rs. 2,00,000.00 | Rs. 2,00,000.00 |
परिवादी द्वारा हस्ताक्षर कर सभी तथ्यों से अवगत होना बताया गया तथा प्रपोजल फार्म पर Declaration दिया गया। प्रपोजल फार्म के अन्तर्गत नियमित तौर पर प्रतिवर्ष 2,00,000.00 रूपये पॉंच वर्षों तक दिया गया, स्वीकार किया गया तथा बीमा धारक को प्राप्त बीमा पालिसी के टर्म 10 वर्ष की थी तथा इनको इन्श्योरेंस दिया गया था।
10. पैसा जमा किये जाने के सापेक्ष में पालिसी दिनॉंक 29.03.2014 को जारी की गयी थी। जब अभिलेखों को दिनॉंक 03.04.2014 को प्रेषित किया गया तो बीमा धारकों को Clause 6 (2) के अन्तर्गत समय प्रदान किया गया, उसका उसने कोई भी इस्तेमाल नहीं किया और न ही बदलाव किया। पालिसी नियमों के विपरीत जाकर परिवादी किसी प्रकार की राशि या पालिसी लाभ लिये जाने के अधिकारी नहीं रहे थे।
11. प्रथम प्रीमियम दिये जाने के उपरान्त एक वर्ष बाद द्वितीय प्रीमियम की अदायगी नहीं की गयी। उसके द्वितीय प्रीमियम की अदायगी निर्धारित तिथि के 30 दिन के बाद भी नहीं किया गया, जिसके चलते बीमा पालिसी लैप्स की अवस्था में आ गयी। परिवादी पढ़ा-लिखा व्यक्ति है। परिवादी लैप्स पालिसी की व्यवस्था प्राप्त कर कोई भी धनराशि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। विवादित पालिसियों के तहत परिवादी द्वारा 4,00,000.00 रूपये का भुगतान किया गया है और किसी अन्य धनराशि का भुगतान नहीं किया गया है। अगर परिवादी को पालिसी समय से प्राप्त नहीं हुई थी तो बीमा कम्पनी के समक्ष आकर उन्हें शिकायत करनी चाहिए थी जो उनके द्वारा नहीं की गयी, न ही पालिसी को रिवाइज कराया गया। बीमा पालिसी की शर्तों के अधीन कोई भी पैसा प्राप्त करने के अधिकारी नहीं हैं। अत: परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
12. प्रश्नगत परिवाद में उभयपक्षों द्वारा प्रस्तुत तथ्यों/कथनों व पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों/अभिलेखों का परिशीलन किया गया। परिवादी ने क्रमश: दो-दो लाख की दो जीवन बीमा पालिसियॉं आई0सी0आई0सी0आई0 कम्पनी से अपनी पोतियों निहारिका गुप्ता व अर्चना गुप्ता के नाम क्रय की थी, जिसकी प्रीमियम की देयता 05 वर्ष तक के लिये थी। प्रतिवर्ष दो-दो लाख रूपये दोनों पालिसी में 05 वर्ष तक जमा करने की शर्त थी, परन्तु परिवादी ने केवल एक वर्ष ही प्रीमियम का पैसा जमा किया है। एक वर्ष की अवधि के बाद 30 दिन का अतिरिक्त समय बीमा कंपनियॉं प्रीमियम जमा करने हेतु देती हैं। उस पीरियड में यदि बीमा धारक प्रीमियम की किश्त नहीं अदा करता है तो पालिसी समाप्त मानी जाती है।
13. प्रश्नगत परिवाद में परिवादिनी प्रारंभ से गलतफहमी में रही कि यह एफ0डी0 स्कीम है, उसने स्कीम की सेवा शर्तों या प्राप्त बाण्ड को सावधानी से नहीं पढ़ा व देखा, जिसकी वजह से उसकी पालिसी लैप्स हो गयी। ऐसी स्थिति में उसके द्वारा जमा धनराशि 4,00,000.00 (चार लाख रूपया मात्र) वापस प्राप्त करने की वह अधिकारी नहीं रही है। बीमा कम्पनी की निर्धारित शर्तों के अनुसार पालिसी रिन्यूवल न होने से पालिसी समाप्त हो गयी। अत: परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद खारिज किया जाता है।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रार्थना पत्रों का निस्तारण किया जाता है।
निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक:-19.04.2023