Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/258/2011

UMA DEVI - Complainant(s)

Versus

I C I C I LOMBARD INSU. - Opp.Party(s)

27 Jul 2022

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/258/2011
( Date of Filing : 18 Mar 2011 )
 
1. UMA DEVI
.
...........Complainant(s)
Versus
1. I C I C I LOMBARD INSU.
.
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya PRESIDENT
 HON'BLE MS. sonia Singh MEMBER
  Ashok Kumar Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 27 Jul 2022
Final Order / Judgement

        जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।

            परिवाद संख्‍या:-   258/2011                                             उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

                    श्री अशोक कुमार सिंहसदस्‍य।

         श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्‍य।

        

परिवाद प्रस्‍तुत करने की तारीख:-18.03.2011

परिवाद के निर्णय की तारीख:-27.07.2022

 

श्रीमती उमा देवी देवी दीक्षित पत्‍नी श्री राज किशोक दीक्षित, निवासिनी ग्राम-लक्षमनपुर, सिमरिया, पोस्‍ट–तैरा पुवांयां,तहसील पुवांया, जिला शाहजहॉपुर। हाल निवासिनी मोहल्‍ला 338/क, गांधी कालोनी, निकट रोडवेज बस स्‍टाप, शाहजहॉंपुर।

                                                  ............परिवादिनी।                                                   

                        बनाम

आई0सी0आई0सी0आई0 लोम्‍बार्ड, जनरल इन्‍श्‍योरेंस कम्‍पनी लि0 एल्डिको चेम्‍बर चतुर्थ फ्लोर, विभूतिखण्‍ड, गोमती नगर, लखनऊ द्वारा लीगल मैनेजर।

                                                     ............विपक्षी।                                                  

आदेश द्वारा-श्री अशोक कुमार, सदस्‍य।

 

                               निर्णय

1.   परिवादिनी ने प्रस्‍तुत परिवाद अन्‍तर्गत धारा 13 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत विपक्षी से वाहन की बीमा धनराशि 5,32,000.00 रूपये मय 15 प्रतिशत ब्‍याज के साथ,  आर्थिक व मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु 1,00,000.00 रूपये, वाद व्‍यय तथा अधिवक्‍ता फीस 15,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत किया है।

2.   संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादिनी बुलेरो 7 एस टी0पी0 2 डब्‍लू डी मॉडल 2009 मेक महिन्‍द्रा एण्‍ड महिन्‍द्रा की वैद्य स्‍वामिनी है, जिसका चेचिस नम्‍बर 92ए 73943 इंजन नम्‍बर जी ए 94ए 31506 है तथा उपरोक्‍त बुलेरों का रजिस्‍ट्रेशन परिवादिनी के नाम है तथा पंजीकरण संख्‍या-यू0पी0 27 एल 5566 है।

3.   परिवादिनी ने उक्‍त वाहन अपने निजी प्रयोग के लिये लिया था तथा आवश्‍यकतानुसार परिवादिनी ने महिन्‍द्रा एण्‍ड महिन्‍द्रा फाइनेन्शियल सर्विस लि0 से वित्‍तीय सहायता प्राप्‍त की थी तथा परिवादिनी के उक्‍त वाहन पर ऋण 3,40,772.00 रूपये भी बकाया है। परिवादिनी ने वाहन का बीमा विपक्षी से प्राइवेट कार पैकेज के तहत 5,32,000.00 रूपये का नियमानुसार कराया तथा बीमा का प्रीमियम 15117.00 रूपये अदा किया था तथा विपक्षी ने परिवादिनी को पालिसी संख्‍या 3001/56073689/00/000 जारी किया था। उक्‍त बीमा दिनॉंक 03.02.2009 से 02.02.2010 तक के लिये प्रभावी था जिसमें गाड़ी चोरी आदि का रिस्‍क शामिल था।

4.   परिवादिनी के मकान में वाहन खड़ा करने की कोई व्‍यवस्‍था नहीं है। परिवादिनी अपने आवास से कुछ दूरी पर वाहन खड़ा करने के लिये व्‍यवस्‍था याहया खॉं वाहन स्‍टैण्‍ड निकट रेलवे स्‍टेशन, शाहजहॉंपुर पर कर ली थी तथा परिवादिनी वाहन खड़ा करने के एवज में 350.00 रूपये महीना स्‍टैण्‍ड को अदा करती थी।  परिवादिनी ने दिनॉंक 19.07.2009 से 18.08.2009 तक 350.00 रूपये याहया खॉं वाहन स्‍टैण्‍ड के प्रोपराइटर रहमान खॉं को अदा करके रसीद संख्‍या  549 प्राप्‍त कर ली।

5.   परिवादिनी ने दिनॉंक 19.07.2009 को उपरोक्‍त बुलेरो को रात्रि लगभग 10.00 बजे याहया खॉं वाहन स्‍टैण्‍ड पर गाड़ी खड़ी करने हेतु भेज दी तथा वाहन खड़ा करने के बाद ड्राइवर ने वाहन की चाबी व रजिस्‍ट्रेशन आदि परिवादिनी को दे गया। परिवादिनी का छोटा पुत्र रत्‍नाकार दीक्षित दिनॉंक 22.07.2009 को अपने कार्य से बाहर जाने हेतु वाहन स्‍टैण्‍ड से लेने गया तो वहॉं वाहन नहीं था, वाहन स्‍टैण्‍ड के स्‍वामी से पूछने पर पता चला कि उक्‍त वाहन दिनॉंक 19.07.2009 को स्‍टैण्‍ड पर खड़ा करने से दो घंटे बाद ही स्‍टार्ट होने की आवाज आयी थी। मैने सोचा ड्राइवर वाहन को ले गया होगा, अत्‍यधिक बारिश के कारण वह वाहन तक नहीं गया था। उसके बाद से वाहन स्‍टैण्‍ड पर नहीं आया। आस-पास मालूम करने पर वाहन का कोइ्र पता नहीं चला, वाहन चोरी हो गया।

6.   परिवादिनी ने वाहन चोरी की सूचना थाना सदर बाजार, शाहजहॉंपुर में दे दी। दिनॉंक 22.07.2009 को प्रथम सूचना रिपोर्ट अन्‍तर्गत धारा 379 भा0दं0सं0 में दर्ज हुई जिसका अपराध संख्‍या 638/2009 बनाम अज्ञात में दर्ज हुई। तफ्तीश के बाद पुलिस ने दिनॉंक 23.08.2009 को वाहन न मिलने व अपराधी न पकड़ पाने पर एफ0आर0 लगा दी। न्‍यायालय सी0जे0एम0 महोदय, शाहजहॉंपुर में मुकदमा संख्‍या   1274/2009 उमा देवी बनाम अज्ञात दिनॉंक 28.08.2010 को अंतिम आख्‍या स्‍वीकार कर ली गयी।

7.   परिवादिनी ने विपक्षी के यहॉं बीमा क्‍लेम हेतु आवेदन किया जिसका क्‍लेम नम्‍बर MOTO 1200178  था तथा परिवादिनी ने समस्‍त औपचारिकतॉंए पूरी की। विपक्षी ने परिवादिनी के पुत्र रत्‍नाकर दीक्षित व ड्राइवर मोहम्‍मद नईम के बयान लिये जिन्‍होंने घटना को साबित किया था। सभी औपचारिकताऍं पूर्ण होने के बावजूद दिनॉंक 23.12.2010 के पत्र रेफरेन्‍स नम्‍बर एम ओ टी/एस टी/2009/00 द्वारा सूचित किया कि उसका बीमा क्‍लेम निरस्‍त कर दिया गया तथा निरस्‍तीकरण में विपक्षी ने बिना किसी आधार के वाहन का कामर्शियल में प्रयोग होना व एफ0आई0आर0 में देरी होने का कारण बताया।

8.   परिवादिनी उक्‍त वाहन का न तो किराए में प्रयोग करती थी और न ही चोरी होने की जानकारी होने पर उक्‍त बिना किसी देरी के एफ0आई0आर0 दर्ज कराने में कोई देरी थी। विपक्षी ने केवल बीमा धनराशि से बचने हेतु परिवादिनी का बीमा दावा खारिज किया है।

9.   विपक्षी के द्वारा अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया, तथा परिवाद पत्र के अधिकांश कथनों को इनकार करते हुए कथन किया गया कि परिवादिनी द्वारा आवश्‍यक पक्षों को पक्षकार नहीं बनाया गया, इसलिये परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है। परिवादिनी द्वारा परिवाद पत्र स्‍वयं पैरा 02 में कथन किया गया है कि वाहन महिन्‍द्रा एण्‍ड महिन्‍द्रा से वित्‍त पोषित है, पर उन्‍हें जानबूझकर आवश्‍यक पक्षकार नहीं बनाया गया है। विपक्षी द्वारा परिवाद के सभी कथनों को इनकार करते हुए गलत ठहराया है, तथा यह भी कहा गया कि परिवादिनी का परिवाद पोषणीय नहीं है। परिवादिनी द्वारा ठोस तथ्‍यों को छिपाया गया है। इसलिये परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है। परिवाद में कार्यवाही का कोई कारण नहीं है। इसलिये परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के सेक्‍शन 2 (सी) के अन्‍तर्गत वैध कारण की आवश्‍यकता पूर्ण न करने के कारण निरस्‍त होने योग्‍य है।

10.  विपक्षी का कथन है कि परिवादिनी सही उद्देश्‍य से इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं हुई है। उनका कहना है कि इस परिवाद में साक्ष्‍यों की Cross examination होना आवश्‍यक है जो उपभोक्‍ता आयोग में होना संभव नहीं है, क्‍योंकि उपभोक्‍ता आयोग में Summary Trial (सारांश परीक्षण) की कार्यवाही की प्रक्रिया होती है। विपक्षी का परिवादिनी पर आरोप है कि उन्‍होंने प्राइवेट कार पैकेज पालिसी का उल्‍लंघन कर व्‍यवसायिक प्रयोग में वाहन को चला रहे थे जो पालिसी की शर्तों के विपरीत है। इसके अतिरिक्‍त विपक्षी का कथन है कि चोरी की एफ0आई0आर0 भी कई दिनों के बाद दर्ज करायी, जो बीमा कम्‍पनी की शर्तों एवं नियमों के विपरीत है। एफ0आई0आर0 तत्‍काल दर्ज करायी जानी चाहिए थी।

11.  परिवादिनी को एफ0आई0आर0 दर्ज कराते हुए मुजरिम को पकड़वाने में मदद करनी चाहिए थी। इसके अतिक्ति वित्‍तीय कम्‍पनी जिससे वाहन वित्‍त पोषित था उस कम्‍पनी को पार्टी न बनाकर भी परिवादिनी द्वारा गलती की गयी क्‍योंकि बीमा कम्‍पनी से भुगतान की स्थिति में वित्‍तीय कम्‍पनी को ही भुगतान किया जाता। विपक्षी का दावा है कि उपरोक्‍त कारणों से ही परिवादिनी का बीमा दावा निरस्‍त (Repudiate) किया गया है, जिसमें कोई त्रुटि नहीं है, और परिवा‍दिनी का परिवाद गैर कानूनी और निराधार है तथा किसी क्षतिपूर्ति को दिये जाने के योग्‍य नहीं है और इसे निरस्‍त किया जाना न्‍यायोचित होगा।

12.  परिवादिनी ने अपने कथन की पुष्टि में शपथ तथा साक्ष्‍य प्रस्‍तुत किया है जिसमें छ: संलग्‍नक दाखिल किया है, जिसमें शपथपूर्वक उल्‍लेख किया है कि उसने उक्‍त वाहन अपने व्‍यक्तिगत इस्‍तेमाल के लिये लिया था जिसे महिन्‍द्रा एण्‍ड महिन्‍द्रा द्वारा वित्‍त पोषित किया गया है। परिवादिनी द्वारा शपथपूर्वक कथन किया गया है कि इस वाहन का विपक्षी से Private car package के अन्‍तर्गत बीमित था।

13.  विपक्षी के द्वारा भी प्रतिशपथ पत्र तथा साक्ष्‍य प्रस्‍तुत किया गया है जिसमें बीमा निरस्‍तीकरण आदेश की कापी पुलिस की नकल तहरीर तथा रिपोर्ट संलग्‍न किया है।

14.  सर्वप्रथम यह परीक्षण होना आवश्‍यक है कि परिवादिनी उपभोक्‍ता है अथवा नहीं क्‍योंकि इसे आधार बना कर विपक्षी द्वारा प्रतिरोध करते हुए परिवाद निरस्‍त करने योग्‍य बताया है। परिवादिनी द्वारा बीमा कम्‍पनी आई.सी.आई.सी.आई. लोम्‍बार्ड से अपने वाहन का बीमा कराकर प्रीमियम 151117 रूपये अदा किया है और यह पालिसी दिनॉंक 03.02.2009 से दिनॉंक 02.02.2010 तक प्रभावी था जिसमें गाड़ी की चोरी आदि का रिस्‍क शामिल था। परिवादिनी की गाड़ी की चोरी दिनॉंक 19.07.2009 से 22.07.2009 के बीच हुई है जो बीमा पालिसी की बैधता तिथि के अन्‍तर्गत है। इसके आधार पर परिवादिनी विपक्षी की उपभोक्‍ता की श्रेणी में आती है और विपक्षी का कथन इस परिप्रेक्ष्‍य में सही नहीं है। विपक्षी द्वारा इस आयोग के क्षेत्राधिकार को भी नकारते हुए उल्‍लेख किया है कि इस आयोग में केवल सारांश परीक्षण ही हो सकता है, जबकि इस मामले में जिरह क्रास एग्‍जामिनेशन की आवश्‍यकता है। यदि विपक्षी को जिरह करना था तो उसे इस आशय का अनुरोध कर बहस के दौरान परिवादिनी के अधिवक्‍ता से इस तथ्‍य के विषय में जिरह तथा पूछ-तॉछ करनी चाहिए थी जो उनके द्वारा नहीं की गयी। विपक्षी का यह कथन मात्र कागजों पर विरोध करने एवं गलत आधार बनाकर परिवाद को निरस्‍त कराने के उद्देश्‍य से किया जाना प्रतीत होता है जो उचित नहीं  है।

15.  पत्रावली पर उपलब्‍ध तथ्‍यों साक्ष्‍यों एवं दस्‍तावेजों के परिशीलन से प्रतीत होता है कि परिवादिनी द्वारा एक बोलेरो 7 एस0टी0पी02 डब्‍लू डी0 मॉडल 2009 में महिन्‍द्रा एण्‍ड महिन्‍द्रा से वित्‍त पोषित कराते हुए आई0सी0आई0सी0आई0 लोम्‍बार्ड जनरल इन्‍श्‍योरेंस कम्‍पनी, लखनऊ से 5,32,000.00 रूपये में बीमित कराते हुए खरीदा था। परिवादिनी ने इसे अपने निजी कार्यों के लिये क्रय किया था, परन्‍तु कुछ माह बाद दिनॉंक 19.07.2009 को जब गाड़ी ड्राइवर एक प्राइवेट स्‍टैण्‍ड पर खड़ी कर गया तो वापस गाड़ी लेने दिनॉंक 22.07.2009 को अपने पुत्र को स्‍टैण्‍ड पर भेजा तो ज्ञात हुआ कि गाड़ी वहॉं नहीं है और आस पास मालूम करने पर वाहन का कोई पता नहीं चला, जिससे लगा कि गाड़ी चोरी हो गयी है। उक्‍त वाहन की चोरी की सूचना थाना सदर में दी गयी और प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी गयी। पुलिस को वाहन न मिलने के कारण एवं अपराधी न पकड़े जाने की वजह से न्‍यायालय सी0जी0एम0 के यहॉं अंतिम आख्‍या प्रेषित की गयी जो स्‍वीकृत कर ली गयी।

16.  परिवादिनी की गाड़ी चोरी चले जाने के कारण बीमा कम्‍पनी में दावा पेश किया गया और समस्‍त औपचारितायें पूर्ण करने के बावजूद विपक्षी द्वारा बीमा दावा निरस्‍त कर दिया गया। परिवादिनी का बीमा दावा विपक्षी द्वारा मुख्‍यत: दो कारणों से निरस्‍त किया गया। प्रथम गाड़ी को व्‍यवसायिक प्रयोग करने के कारण जबकि प्राइवेट कार पैकेज प्राप्‍त किया गया था तथा द्वितीय परिवादिनी द्वारा वाहन चोरी के संबंध में एफ0आई0आर0 तीन दिन बाद विलम्‍ब से दर्ज करायी गयी थी। इन दो कारणों से विपक्षी ने परिवादिनी का बीमा दावा निरस्‍त कर दिया गया है।

17.  पत्रावली पर उपलब्‍ध सभी तथ्‍यों एवं साक्ष्‍यों के परिशीलन से ज्ञात होता है कि विपक्षी द्वारा मुख्‍यत: दो कारणों से परिवादिनी का बीमा दावा निरस्‍त किया गया है। सर्वप्रथम विपक्षी ने अपने Repudiation Letter में प्रथम कारण जो दर्शाया है वह निम्‍न प्रकार उल्‍लेख किया है-Your vehicle found to be run on hire at the material time of theft. Private Car Package policy was issued to you and under which you were using the said vehicle for commercial usage; The vehicle was on commercial use at the time of vehicle theft. This is the violation of policy terms & condition. Violation to the Limitation as to Use as per policy terms & conditions. (Use for the conveyance of passengers for hire and reward by any person to whom the Motor Vehicle is hired)

उक्‍त निरस्‍तीकरण का तात्‍पर्य है कि परिवादिनी द्वारा वाहन Private car package के अन्‍तर्गत बीमित कराने के बावजूद व्‍यवसायिक प्रयोग किया जा रहा था जो बीमा पालिसी के नियमों एवं शर्तों का उल्‍लंघन था। पत्रावली के परिशीलन एवं विपक्षी द्वारा प्रस्‍तुत उत्‍तर पत्र तथा साक्ष्‍यों में कहीं भी इस निष्‍कर्ष को प्रमाणित करने का कोई भी दस्‍तावेज तथा साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। कदाचित विपक्षी द्वारा प्राइवेट स्‍टैण्‍ड पर वाहन खड़ा करने तथा कुछ दिनों के अंतराल पर वाहन मॅगाने का आधार बनाया होगा और इस निष्‍कर्ष को दर्शाकर Repudiation का आधार बना दिया गया। यदि किसी भी स्रोत से इस आशय की जानकारी प्राप्‍त हुई थी तो विपक्षी को इसे दशार्ते हुए साक्ष्‍य संलग्‍न कर अपने विद्वान अधिवक्‍ता के माध्‍यम से बहस के दौरान इंगित करते हुए साक्ष्‍य प्रस्‍तुत करना चाहिए था। विपक्षी द्वारा जो सर्वेयर रिपोर्ट दाखिल की गयी है उसमें भी इस आशय का उल्‍लेख तथा साक्ष्‍य संलग्‍न नहीं किया है कि परिवादिनी द्वारा वाहन व्‍यवसायिक रूप से चलाया जा रहा था।

18.  विपक्षी द्वारा दूसरा मुख्‍य कारण एफ0आई0आर0 तीन दिन बाद दर्ज कराना बताते हुए निम्‍न तथ्‍य का उल्‍लेख किया गया है-

The FIR for the stolen vehicle is lodged after 03 days of the theft of the Vehicle. This is violation of terms & conditions of Insurance Company. The FIR should have been immediatety lodged after the theft. The Motor Insurance Policy issued to you stated In case of theft or criminal act which may be the subject of a claim under the Policy the insured shall give immediate notice to the Police and cooperate with the company is securing the conviction of the offender.

विपक्षी द्वारा दूसरा मुख्‍य कारण जो Repudiation में आधार बनाया गया है उसके संबंध में भी गहनता से अध्‍ययन नहीं किया गया है। यह सामान्‍यतय: पाया जाता है कि जिनके पास अपने आवास में गाड़ी खड़ी करने का गैरेज/स्‍थान नहीं रहता वे प्राइवेट स्‍टैण्‍ड पर अपना वाहन खड़ा करते हैं तथा गाड़ी खड़ी करने के लिये शुल्‍क अदा करते हैं जो इस मामले में परिवादिनी 350.00 रूपये अदा करती थी। यह प्रचलन सामान्‍य रूप से जिनके पास अपना गैरेज/कार पार्किंग का स्‍थान नहीं होता उनके मध्‍य पाया जाता है। स्‍वाभाविक रूप में भी यदि वाहन व्‍यवसायिक रूप से चलाया जा रहा होता है तो उसे प्रतिदिन इस्‍तेमाल किया जाता तथा चोरी होने की स्थिति में तत्‍काल मालूम चल गया होता। गाड़ी खड़ी करने के तीन दिन बाद मंगाये जाने पर जब ज्ञात होता है कि गाड़ी स्‍टैण्‍ड पर नहीं है तो मालूमात कराया गया जिसके बाद छानबीन करने पर पता चला कि गाड़ी की चोरी हो गयी है, और जब चोरी की जानकारी हुई उसके तत्‍काल बाद दिनॉंक 22.07.2009 को एफ0आई0आर0 परिवादिनी द्वारा दर्ज करायी गयी।

19.  जब परिवादिनी को दिनॉंक 22.07.2009 को जानकारी प्राप्‍त हुई कि उनकी गाड़ी जिस स्‍टैण्‍ड पर खड़ी की गयी थी वहॉं नहीं है और जानकारी प्राप्‍त करने पर मालूम हुआ कि गाड़ी चोरी हो गयी तो तत्‍काल बाद एफ0आई0आर0 दर्ज करायी गयी। इसमें सामान्‍यतय: कोई विलम्‍ब परिलक्षित नहीं होता है क्‍योंकि चोरी की जानकारी प्राप्‍त होने के तत्‍काल बाद परिवादिनी द्वारा एफ0आई0आर0 की कार्यवाही की गयी है। पुलिस द्वारा फाइनल रिपोर्ट में एफ0आई0आर0 के मामले में कोई प्रश्‍नचिन्‍द नहीं लगाया गया है, और उल्‍लेख किया है कि-श्रीमानजी निवेदन है कि मुकदमा उपरोक्‍त दिनॉंक 22.07.2008 को हाजा पर पंजीकृत होकर विवेचना उपनिरीक्षक द्वारा की गयी। विवेचना के मध्‍य वाहन संख्‍या यू0पी0 27 एल 5566 एवं अज्ञात चोरों का पता लगाने के लिये विभिन्‍न लोगों से पूछतॉछ कर पता लगाने का भरसक प्रयास किया गया। परन्‍तु काफी प्रयासों के उपरान्‍त भी घटना का निराकरण नहीं हो सका है। अन्‍तत: घटना काफी क्षीण प्रतीत होती है। अत: माल मुर्तजा की सुरागरसी पता करने हेतु प्रयास जारी रखते हुए लिखित विवेचना द्वारा अन्तिम रिपोर्ट प्रस्‍तुत की जाती है। अत: जिला न्‍यायालय से अनुरोध है कि अभियोजन पक्ष की साक्ष्‍य परीक्षण कर अंतिम रिपोर्ट स्‍वीकृत करने की कृपा करें।

20.  माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा गाड़ी चोरी के मामले में बीमा कम्‍पनियों द्वारा बीमा निरस्‍त (Repudiate) करने के मामले में अवलोकन कर जो टिप्‍पणी किया है, वह निम्‍न प्रकार है-

1.   “ The hon. Supreme Court has ruled that even if there are certain breaches of conditions, the insurance Company was under obligation to indemnify the insurer for the theft of the vehicle”

2.      In the civil appeal no. 5705 of 2021 (special leave petition (c) No. 34619 of 2015) Dharmender Vs. United India Insurance, Order leave granted. The challenge in the present appeal is to an order passed by the NCDRC on 01.07.2015, where by Revision petition filed by the respondent Insurance company was allowed and the Claim of Compensation on account of theft of vehicle was set aside on the ground of 78 days delay in not informing the Insurance Company of the theft is fatal. In this case the Appellant had purchased Mahindra & Mahindra jeep CL-500 and was insured for Rs. 3,40,000.00 On 24-04-2010 the Vehicle was stolen outside the office of liquor shop in which the appellant was as partner .FIR was lodged on 01-05-2010 after 7 days of incident. According to Complainant, he informed the Insurance Company about the theft on phone, but the written complaint was made on 12-07-2010

          The complaint was allowed by the District Commission Redressal Forum and an award was passed to pay the insured amount i.e. Rs. 3,40,000.00 to the Complainant with 12% interest. The appeal filed by the insurance Company against the said order was dismissed by the State Consumer Disputes Redressal Commission vide order dated 04-12-2014, however, the NCDRRC set aside the order, relying upon the Judgement of this Court in Oriental Insurance Company Ltd. vs. Parvesh Chander Chadha reported on (2018) 9 scc798 and some other order of the NCDRC”

in this case Hon. Supreme Court passed the order which was as follows;

          “ In view of the said fact, we find that the order of the NCDRC cannot be sustained in law. The present appeal is allowed and the order passed by the District Forum, as Affirmed by the State Commission is restored. The amount of compensation as awarded by the District Forum and and Affirmed by the State Commission be paid to the Appellant within two months.

21.  इस प्रकार उपरोक्‍त परीक्षण एवं माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय के निर्णय के दृष्टिगत यह प्रतीत होता है कि बीमा कम्‍पनी द्वारा छोटे-मोटे उल्‍लंघनों को आधार बनाकर चोरी के मामले में बीमा कम्‍पनी द्वारा बीमा निरस्‍त किया गया है, जबकि विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने अपने दावे के मामले में कोई ठोस आधार तथा साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया है। यदि बीमा कम्‍पनी को यह ठोस जानकारी थी कि परिवादिनी द्वारा “PRIVATE CAR PACKAGE पालिसी” के अधीन गाड़ी का बीमा कराने के बाद उसे व्‍यवसायिक प्रयोग किया जा रहा था तो उसके संदर्भ में साक्ष्‍य एवं दस्‍तावेज प्रस्‍तुत करना चाहिए था जो उनके द्वारा नहीं किया गया, और यदि यह आधार था तो सर्वेयर को अपनी रिपोर्ट में तथा बीमा कम्‍पनी को बहस के दौरान इस आधार को उजागर करते हुए ठोस सबूत प्रस्‍तुत करना चाहिए था जो विपक्षी द्वारा नहीं किया गया। इसी प्रकार एफ0आई0आर0 के विलम्‍ब के विषय में भी ठोस जानकारी न रखने “ Mere oppsosition for opposition” प्रतीत होता है क्‍योकि जब परिवादिनी को दिनॉंक 22.07.2009 को ही गाड़ी चोरी की जानकारी हुई तो वह उससे पहले कैसे एफ0आई0आर0 दर्ज करा सकती थी। इस संदर्भ में एफ0आई0आर0 के विलम्‍ब के बारे में पुलिस द्वारा कोई आपत्ति की टिप्‍पणी अपनी अंतिम रिपोर्ट में दर्ज नहीं करायी है।

22.  उपरोक्‍त विवेचना से प्रतीत होता है कि बिना कोई तथ्‍यात्‍मक आधार के विपक्षी के द्वारा परिवादिनी के बीमा दावे को निरस्‍त किया गया है तथा उसे बीमा पालिसी की सुविधा तथा फायदा जो सुरक्षा के दृष्टिगत बनाया जाता है, से वंचित किया है तथा नुकसान पहुँचाया गया है जो उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 एवं 2019 के उपबन्‍धों के विपरीत है। इस आधार पर परिवादिनी बीमा पालिसी की बीमित राशि तथा आर्थिक व मानसिक पीड़ा के कारण क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने की अधिकारी है।

                             आदेश

 

23.  परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि परिवादिनी को बीमित राशि मुबलिग 5,32,000.00 (पॉंच लाख बत्‍तीस हजार रूपया मात्र) वाद दायर करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ निर्णय के 45 दिन के अन्‍दर अदा करें। मानसिक, शारीरिक, आर्थिक कष्‍ट एवं वाद व्‍यय के लिये मुबलिग 25,000.00 (पच्‍चीस हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगे। यदि उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है तो उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण राशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भुगतेय होगा।

 

   (सोनिया सिंह)     (अशोक कुमार सिंह )            (नीलकंठ सहाय)

          सदस्‍य              सदस्‍य                  अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                             लखनऊ।   

आज यह आदेश/निर्णय हस्‍ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।

                                   

   (सोनिया सिंह)     (अशोक कुमार सिंह)               (नीलकंठ सहाय)

         सदस्‍य              सदस्‍य                   अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                               लखनऊ।          

दिनॉंक:-27.07.2022

 
 
[HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MS. sonia Singh]
MEMBER
 
 
[ Ashok Kumar Singh]
MEMBER
 

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