IMRAN KHAN filed a consumer case on 27 Jun 2014 against HYPERCITY RETAIL INDIA LTD in the Jaipur-I Consumer Court. The case no is 1286/2013 and the judgment uploaded on 22 May 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर
समक्ष: श्री राकेश कुमार माथुर - अध्यक्ष
श्रीमती सीमा शर्मा - सदस्य
श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य
परिवाद सॅंख्या: 1286/2013
इमरान खान पुत्र हनीफ मोहम्मद खान, आयु 34 वर्ष, निवासी प्लाॅट नंबर 28, उदयनगर, गली नंबर 2, झोटवाड़ा, जयपुर Û
परिवादी
ं बनाम
हाईपर सिटी रिटेल इण्डिया लि0 जरिए मैनेजर/प्रबंधक, पता त्रिटोन माॅल, झोटवाडा पुलिया के पास, चैमू पुलिया, झोटवाड़ा, जयपुर Û
विपक्षी
अधिवक्तागण :-
श्री महेन्द्र कुमार शर्मा - परिवादी
श्री विजय मोहन शर्मा - विपक्षी
परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 31.10.13
आदेश दिनांक: 24.02.2015
परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने दिनांक 28.12.12 को एक तीन चम्मच का नाॅन स्टिक फ्राई सेट 79/- रूपए में खरीद किया जिस पर एक वर्ष की वांरटी दी गई थी । दिनांक 29.12.2012 को नाॅन स्टीक फ्राई चम्मच को फ्राई करने हेतु उपयोग किया तो वह उपयोग करते ही जल गया जबकि विपक्षी ने कितने भी टेम्प्रेचर पर रखने पर नहीं जलने का कहा था । दिनांक 29.12.2012 को विपक्षी के यहां सम्पर्क कर नाॅन स्टिक फ्राई के जल जाने बाबत कहा लेकिन विपक्षी ने बदलने से मना कर दिया और पैसे लौटाने से भी इंकार कर दिया । परिवादी का कथन है कि इस प्रकार विपक्षी ने सेवादोष किया है जिससे उसे मानसिक, आर्थिक व शारीरिक संताप हुआ है । परिवादी ने नाॅन स्टिक फ्राई चम्मच की राशि 79/- रूपए 18 प्रतिशत ब्याज सहित, मानसिक, शारीरिक व आर्थिक संताप की क्षतिपूर्ति के लिए 50,000/- रूपए , विपक्षीगण के यहां चक्कर लगाने में खर्च हुए 10,000/- रूपए, परिवाद व्यय, अधिवक्ता फीस व नोटिस खर्च के 11000/- रूपए दिलवाए जाने का निवेदन किया है ।
विपक्षी की ओर से परिवादी द्वारा नोन स्टिक तीन चम्मचों का सेट क्रय करना स्वीकार किया गया है । उक्त उत्पाद पर एक वर्ष की वांरटी दी गई हो इससे इंकार किया है । विपक्षी का कथन है कि परिवादी ने 28.12.2012 को एक नाइलोन स्पून सेट क्रय किया था जिस पर किसी प्रकार की कोई वांरटी कम्पनी अथवा निर्माता द्वारा नहीं दी गई थी । परिवादी ने यह भी नहीं बताया है कि प्रश्नगत उत्पाद को कौन से बर्तनों में काम में लिया गया था । परिवादी ने 29.12.2012 को विपक्षी के यहां सम्पर्क नहीं किया । विपक्षी का कथन है कि उसके द्वारा सेवादोष कारित नहीं किया गया है ना ही अनुचित व्यापार प्रथा काम में ली गई है अत: परिवाद पत्र खारिज किया जावे ।
मंच द्वारा दोनों पक्षों की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्को एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
विपक्षी द्वारा यह तथ्य स्वीकार किया गया है कि परिवादी ने दिनंाक 28.12.2012 को उसकी संस्थान से एक तीन चम्मच का नोन स्टिक फ्राई सेट क्रय किया था जिसका बिल जारी किया गया था तथा सेट की राशि 79/- रूपए थी । परिवादी का कथन है कि उक्त चम्मच सेट को खोलकर जब उपयोग में लिया गया तो नोन स्टिक फ्राई चम्मच जल गया और जब वह बदलवाने के लिए विपक्षी के यहां पहुॅंचा तो विपक्षी ने कहा कि नोन स्टिक फ्राई चम्मच सेट खोल लिया गया है इसलिए बदला नहीं जा सकता है । विपक्षी ने कहा है कि परिवादी कभी भी उसके पास नोट स्टिक फ्राई चम्मच सेट लेकर नहीं आया ।
परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का शपथ-पत्र दिया हेै तथा एक दिन में ही नोन स्टीक फ्राई चम्मच खराब हो जाना स्वयं में ही उत्पाद के निर्माण की कमी दर्शाता है तथा इसके लिए यदि कोई गांरटी या वांरटी नहीं दी गई है तब भी 24 घंटे में कोई उत्पाद खराब हो जाना उसकी गुणवत्ता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है । विपक्षी का यह कथन है कि परिवादी कभी भी उसके पास नहीं आया ना ही उसने कोई गांरटी या वांरटी दी थी प्रकरण की परिस्थितियों में बेमायने रह जाता है ।
अत: यही निष्कर्ष निकलता है कि परिवादी को विपक्षी ने बेकार गुणवत्ता का नोन स्टिक फ्राई चम्मच सेट दिया जो 24 घंटे में ही खराब हो गया और जिसे विपक्षी ने बदलकर नहीं दिया । इस प्रकार विपक्षी के सेवादोष के कारण परिवादी को आर्थिक हानि व मानसिक संताप झेलना पड़ा जिसके लिए वह मुआवजा प्राप्त करने का अधिकारी है ।
अत: इस समस्त विवेचन के आधार पर परिवादी का यह परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार कर आदेश दिया जाता है कि विपक्षी आज से एक माह की अवधि मंे परिवादी को 79/- रूपए अक्षरे उन्यासी रूपए अदा करेगा तथा इस राशि पर दिनांक 28.12.2012 से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी अदा करेगा। इसके अलावा परिवादी को कारित मानसिक संताप व आर्थिक हानि की क्षतिपूर्ति के लिए उसे 5,000/- रूपए अक्षरे पांच हजार रूपए एवं परिवाद व्यय 1500/- रूपए अक्षरे एक हजार पांच सौ रूपए अदा करेेेगा। आदेश की पालना आज से एक माह की अवधि में कर दी जावे अन्यथा परिवादी उक्त क्षतिपूर्ति एवं परिवाद व्यय की राशि पर भी आदेश दिनांक से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज पाने का अधिकारी होगा । परिवादी का अन्य अनुतोष अस्वीकार किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 24.02.2015 को लिखाकर सुनाया गया।
( ओ.पी.राजौरिया ) (श्रीमती सीमा शर्मा) (राकेश कुमार माथुर)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
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