Rajasthan

Jaipur-IV

CC/146/2012

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23 Feb 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर

                      पीठासीन अधिकारी
          डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
                         डाॅ.अलका शर्मा, सदस्या
 श्री अनिल रूंगटा, सदस्य

परिवाद संख्या:-146/2012 (पुराना परिवाद संख्या 1025/2007)

मौहम्मद सरफराज नवाज पुत्र बाबूखान, जाति मुसलमान, निवासी- 313, जालुपुरा, जयपुर (राजस्थान) ।
परिवादी

बनाम

वोडाफोन एस्सार डिजिलिंक प्राईवेट लिमिटेड, क्रिस्टल माॅल-ाा, नियत खासा कोठी सर्किल, जयपुर एवं गौरव टावर, मालवीय नगर, जयपुर ।
     विपक्षी

उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री इमरान खान, एडवोकेट
विपक्षी की ओर से श्री आलोक जैन/श्री सुशील कुमार गोयल, एडवोकेट

निर्णय
               दिनांकः- 23.02.2015
यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षी के विरूद्ध दिनंाक 26.09.2007 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने दिनांक 05.09.2007 को निश्चित शुल्क जमा करवाकर विपक्षी से दूसरा प्री-पैड सिम कार्ड जारी करवाया था, जिसका नम्बर 9983333377      था । विपक्षी ने परिवादी को उक्त मोबाईल सेवा के प्री-पैड कनेक्शन के लिए 48 घंटे में एक्टीवेट करने के लिए आश्वस्त किया था । जबकि परिवादी के पोस्ट पैड कनेक्शन की पिछली जो भी राशि बकाया थी, उसका भुगतान परिवादी ने कर दिया । इसके बावजूद भी विपक्षी ने परिवादी को नवीन मोबाईल नम्बर 9983333377 बार-बार शिकायत करने के बावजूद भी चालू नहीं करके सेवादोष कारित किया हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षी से परिवाद के मद संख्या 07 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षी की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि परिवादी को प्री-पैड मोबाईल नम्बर 9983333377, जो गोल्डन वीआईपी नम्बर  है, जारी किया गया था । चूंकि परिवादी ने विपक्षी के कर्मचारियों से कहा था कि वह अन्य नम्बर 2-3 दिन में आकर बता देगा तब बताये गये नम्बर को एक्टीवेट करना । लेकिन परिवादी ने परिवाद प्रस्तुत करने तक कोई नया नम्बर नहीं बताया । इसलिए विपक्षी ने परिवादी को जारी मोबाईल नम्बर एक्टीवेट नहीं करके सेवादोष कारित नहीं किया हैं ।  अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी मौहम्मद सरफराज ने स्वयं का शपथ पत्र एवं कुल 05 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि विपक्षी की ओर से जवाब के तथ्यों की पुष्टि में श्री राजेश कुमार सिंह का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
विपक्षी की ओर से लिखित बहस प्रस्तुत की गई ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी से विपक्षी ने रसीद नम्बर 51084 दिनांकित     05.09.2007 प्रदर्श-3 के द्वारा आवश्यक फीस लेकर नया मोबाईल नम्बर 9983333377 जारी किया था, जो पोस्ट-पैड से प्री-पैड कनेक्शन में परिवर्तित करवाया गया था । लेकिन विपक्षी द्वारा उक्त नम्बर बाद में एक्टीवेट नहीं किया गया और एक्टीवेट नहीं करने का कारण विपक्षी के अनुसार परिवादी को गोल्डन         वी.आई.पी.नम्बर आवंटित करवाने और यह वी.आई.पी. नम्बर पोस्ट-पैड मोबाईल के लिए ही जारी जा सकता था । इसलिए परिवादी जो प्री-पैड मोबाईल नम्बर ले रहा था, उसके पक्ष में यह नम्बर आवंटित नहीं किया जा सकता था । इसलिए परिवादी ने कुछ दिनों में विपक्षी को अन्य नम्बर बताने का वायदा किया हो और इस आधार पर विपक्षी ने परिवादी को मोबाईल नम्बर 9983333377 एक्टीवेट नहीं करना बताया हैं । परन्तु हमारे विनम्र मत में विपक्षी का यह बचाव माने जाने योग्य नहीं हैं क्योंकि परिवादी को विपक्षी ने एक बार मोबाईल नम्बर 9983333377 जारी कर दिया था और इसके संबंध में आवश्यक रसीद संख्या 51084 दिनांकित 05.09.2007 प्रदर्श-3 जारी भी कर दी थी । इसलिए एक बार यदि त्रुटिपूर्ण तरीके से विपक्षी ने परिवादी को मोबाईल नम्बर आवंटित कर दिया है तो फिर उसे वापस लेना और उसको एक्टीवेट नहीं करना विपक्षी का सेवादोष हैं ।
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर विपक्षी ने निश्चित रूप से परिवादी द्वारा लिये गये मोबाईल नम्बर 9983333377 को समय पर एक्टीवेट नहीं करके सेवादोष कारित किया हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी को हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 2,500/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये अर्थात् कुल 5,000/-रूपये दिलाये जाने के आदेश दिये जाते हैं । 
                         आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी स्वीकार किया जाकर आदेश दिया जाता है कि परिवादी विपक्षी से उसे जारी किये गये मोबाईल नम्बर 9983333377 को समय पर एक्टीवेट नहीं करने से स्वयं को कारित आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 2,500/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये अर्थात् कुल 5,000/-रूपये प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह उक्त समस्त राशि परिवादी के रिहायशी पते पर जरिये डी.डी./रेखांकित चैक इस आदेश के एक माह की अवधि में उपलब्ध करवायेगा । 

अनिल रूंगटा           डाॅं0 अलका शर्मा         डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य     सदस्या                     अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 23.02.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।


अनिल रूंगटा           डाॅं0 अलका शर्मा         डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य     सदस्या                     अध्यक्ष

 

 

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