राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-313/2021
(जिला उपभोक्ता फोरम, सुलतानपुर द्वारा परिवाद संख्या-146/2015 में पारित निर्णय दिनांक 15.03.2021 के विरूद्ध)
युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लि0। .........अपीलार्थी@विपक्षी
बनाम
हुसैनी फर्नीचर हाउस द्वारा मैनेजर अजादार हुसैन पुत्र नजफ अली
निवासी गोराबरिक तुराबखानी, सुलतानपुर। ....प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अंचल मिश्रा, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री अभिषेक सिंह, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 03.08.2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 146/2015 हुसैनी फर्नीचर बनाम युनाइटेड इंडिया इं0कं0लि0 में पारित निर्णय/आदेश दि. 15.03.2021 के विरूद्ध यह अपील इस आधार पर प्रस्तुत की गई है परिवादी को अंकन रू. 181872/- पूर्ण संतुष्टि के साथ प्राप्त कराया जा चुका है। चूंकि परिवादी ने पूर्ण संतुष्टि के साथ बीमा क्लेम प्राप्त किया है, इसलिए उसे परिवाद प्रस्तुत करने का कोई अधिकार नहीं था, परन्तु जिला उपभोक्ता मंच ने इस तथ्य/विधिक स्थिति पर कोई विचार नहीं किया और अवैध रूप से प्रश्नगत निर्णय/आदेश पारित किया है।
2. दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना। प्रश्नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली का अवलोकन किया गया।
-2-
3. दोनों पक्षकारों को यह तथ्य स्वीकार है कि परिवादी द्वारा अपने प्रतिष्ठान की सुरक्षा के लिए एक बीमा पालिसी दि. 12.02.14 से 11.02.15 की अवधि के लिए कराई गई थी। पालिसी अवधि के दौरान दि. 14.10.14 को प्रतिष्ठान में विद्युत शार्ट सर्किट से आग लग गई, जिसके कारण परिवादी का अंकन 7-8 लाख रूपये का नुकसान हुआ। यह तथ्य भी स्वीकार है कि बीमा कंपनी द्वारा बीमा क्लेम प्राप्त होने पर दि. 04.05.15 को अंकन रू. 181872/- परिवादी को प्राप्त कराया। यह राशि परिवादी के खाते में चेक द्वारा जमा हो चुकी है। परिवादी द्वारा अंकन रू. 328188/- अतिरिक्त क्षतिपूर्ति की मांग करते हुए परिवाद प्रस्तुत किया गया। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा अंकन रू. 318128/- का अतिरिक्त बीमा क्लेम देने का आदेश दिया गया है, अत: इस अपील के विनिश्चय के लिए एकमात्र विनिश्चयात्मक बिन्दु यह है कि क्या परिवादी द्वारा पूर्ण संतुष्टि तथा अंतिमता के साथ अंकन रू. 181872/- की राशि प्राप्त की गई है और इस राशि को प्राप्त करने के बाद परिवादी को उपभोक्ता परिवाद प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त है ?
4. उल्लेखनीय है कि बीमा पालिसी प्राप्त करना एक संविदा है, पर संविदा अधिनियम की धारा 62 में व्यवस्था दी गई है कि जब देय धनराशि से कम राशि स्वीकार कर ली जाती है तब देय पूरा करने वाले व्यक्ति/संस्था अपने दायित्व से मुक्त हो जाते हैं। इसी धारा के साथ एक दृष्टांत दिया गया है, जिसके अनुसार यदि ‘अ’ को ‘ब’ से अंकन रू. 10000/- प्राप्त करना है और वह केवल रू. 5000/- की राशि पूर्ण संतुष्टि के तहत प्राप्त कर लेता है तब ‘अ’ शेष दायित्व से उन्मोचित हो जाता है।
-3-
5. प्रस्तुत केस में परिवादी द्वारा बीमा क्लेम की राशि जिसका भुगतान चेक के माध्यम से किया गया है, प्राप्ति रसीद बीमा कंपनी के पक्ष में जारी की गई है, जिसकी प्रति पत्रावली पर दस्तावेज संख्या 26 के रूप में मौजूद है। इस दस्तावेज पर परिवादी के हस्ताक्षर हैं। इस दस्तावेज के अनुसार रू. 181224/- प्राप्त किए गए हैं और इस रसीद पर किसी प्रकार की आपत्ति नहीं की गई है। यदि इस रसीद पर आपत्ति की गई होती और यह राशि आपत्ति के तहत प्राप्त की गई होती तब परिवादी को उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत करने का अधिकार था, परन्तु चूंकि परिवादी द्वारा इस रसीद में वर्णित राशि प्राप्त करते समय कोई आपत्ति नहीं की गई, इसलिए धारा 62 संविदा अधिनियम के प्रावधान के अनुसार विपक्षी बीमा कंपनी अपने दायित्व से उन्मोचित हो चुका है। परिवादी को उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत करने का कोई अधिकार नहीं था। विद्वान जिला उपभोक्ता मंच ने विधि विरूद्ध निर्णय पारित किया है, जो अपास्त होने योग्य है, तदनुसार अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
6. अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्त किया जाता है।
अपीलार्थी द्वारा धारा-15 के अंतर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार) अध्यक्ष सदस्य
राकेश, पी0ए0-2 कोर्ट-1