(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-426/2011
M/S Punjab Krishi Yantra Kendra, Karan Chauraha, Sarai
Versus
Hriday Narayan S/O Sri Ramnath R/O Bairgaon
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री आर0के0 गुप्ता, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :29.01.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-15/2009, हृदयनारायण बनाम पंजाब कृषि यंत्र केन्द्र में विद्वान जिला आयोग, कौशाम्बी द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 07.02.2011 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री आर0के0 गुप्ता के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोन किया गया।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा कृषि कार्य हेतु सिंचाई के लिए पम्पिंग सेट दिनांक 10.06.2008 को क्रय किया था। वारण्टी अवधि के दौरान यह पम्पिंग सेट खराब हो गया। इसी पम्पिंग सेट की मरम्मत कराने का आदेश जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित किया गया है, जिससे क्षुब्ध होकर यह अपील प्रस्तुत की गयी है।
3. अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि मशीन में निर्माण संबंधी दोष का कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है। जिला उपभोक्ता मंच ने निर्माण संबंधी दोष के बिन्दु पर कोई निष्कर्ष नहीं दिया है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा केवल वारण्टी अवधि में मशीन खराब होने के कारण मरम्मत करने का आदेश पारित किया है।
4. अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता की ओर से नजीर I (2002) CPJ 1 (NC) प्रस्तुत की गयी है। इस केस के तथ्यों के अनुसार परिवादी को एक औद्योगिक प्लॉट आवंटित किया गया था, वहां पर उद्योग इसलिए संचालित नहीं हो सका कि विद्युत आपूर्ति नहीं थी। इस केस में माना गया कि परिवादी द्वारा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया। इस केस के तथ्य प्रश्नगत केस के तथ्यों से पूर्णता भिन्न है। प्रश्नगत केस में वारण्टी अवधि के दौरान इंजन खराब होने में मरम्मत कराने का आदेश पारित किया गया है। इंजन खराब होने के तथ्य की पुष्टि शपथ पत्र से भी की जाती है, इसलिए अतिरिक्त साक्ष्य प्रस्तुत किये जाने की आवश्यकता नहीं है। यदि इंजन में यथार्थ में कोई खराबी नहीं है तब अपीलार्थी को दुरूस्त करने का भी कोई अवसर नहीं है, इसलिए प्रश्नगत केस में अतिरिक्त साक्ष्य की कोई आवश्यकता नहीं थी। स्पष्ट किया जाता है कि उपभोक्ता विवाद में किसी तथ्य को शपथ पत्र के माध्यम से भी साबित किया जा सकता है क्योंकि उपभोक्ता विवाद का निस्तारण करते समय भारतीय साक्ष्य अधिनियम के सिद्धांत दृढ़ता के साथ लागू नहीं होते।
5. अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता की ओर से आगे यह बहस की गयी है कि परिवादी तथा उनके मध्य अनेक प्रकार के विवाद हैं, जिसमें आपराधिक विवाद भी शामिल है। इससे संबंधित दस्तावेज भी एनेक्जर सं0 1 लगायत 5 के रूप में प्रस्तुत किया गया है, परंतु इन विवादों के रहते हुए भी परिवादी को जो इंजन विक्रय किया गया है। उसमें वारण्टी अवधि के दौरान खराबी हुए दुरूस्त करने का आदेश अवैधानिक नहीं कहा जा सकता। अत: इस निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3