Rajasthan

Nagaur

72/2014

Nafis Ahmed - Complainant(s)

Versus

Housing Board - Opp.Party(s)

Sh DR Kalla

05 Jul 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 72/2014
 
1. Nafis Ahmed
Nagaur
...........Complainant(s)
Versus
1. Housing Board
Nagaur
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Shri Ishwardas Jaipal PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya MEMBER
 
For the Complainant:Sh DR Kalla, Advocate
For the Opp. Party: Sh M.R.Soni, Advocate
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

 

परिवाद सं. 72/2014

 

नफीस अहमद पुत्र आलम अली खां, जाति-मुसलमान, निवासी- 1/417 हाउसिंग बोर्ड काॅलोनी, ताउसर रोड, नागौर, तहसील व जिला-नागौर (राज.)।                                                                                                                                                        -परिवादी     

बनाम

 

1.            परियोजना अभियंता (वरिश्ठ), राजस्थान आवासन मण्डल, नागौर।

2.            मुख्य आवासीय अभियंता, राजस्थान आवासन मण्डल, बीकानेर।

3.            आयुक्त, राजस्थान आवासन मण्डल, जयपुर।  

               

                                                              -अप्रार्थीगण   

 

समक्षः

1. श्री ईष्वर जयपाल, अध्यक्ष।

2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।

3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

 

उपस्थितः

1.            श्री देवेन्द्रराज कल्ला, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।

2.            श्री मेघराज सोनी, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थी।

 

    अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

 

                           आ  दे  ष                         दिनांक 05.07.2016

 

 

1.            परिवाद-पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी को अप्रार्थीगण की ई.डब्ल्यू.एस. आय वर्ग योजना के तहत दिनांक 23.06.1998 को आवास आवंटन हुआ। जिसका अलोटमेंट लेटर नं. 716, दिनांक 09.07.1998 को जारी किया गया। परिवादी सन् 2000 तक मासिक किष्तें जमा करवाता रहा। इसके बाद उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने से वो नियमित किष्तें जमा नहीं करवा सका। तत्पष्चात् सरकार की ओर से ई.डब्ल्यू.एस. मकानों की बकाया राषि व भविश्य की राषि एक मुष्त जमा करवाने पर ब्याज की विषेश छूट योजना आई। जिसके लिए उसे नोटिस क्रमांक- आवा/अभि/खण्ड/नागौर/210, दिनांक 28.03.2013 प्राप्त हुआ, जिसमें बताया गया कि परिवादी में 1,78,100/- रूपये बकाया है, जो एक मुष्त जमा करवाने पर परिवादी को आवंटित मकान की रजिस्ट्री करवा दी जावेगी। परिवादी ने अप्रार्थीगण के उक्त नोटिस के आधार पर योजना का लाभ प्राप्त करते हुए दिनांक 30.03.2013 को उक्त सम्पूर्ण राषि 1,78,100/- रूपये चालान के जरिये जमा करवा दी। परिवादी ने जब उक्त राषि की गणना की तो पता चला कि उसमें ब्याज की राषि 56,384/- रूपये व अन्य राषि 710/- रूपये कुल 57,094/- रूपये अप्रार्थीगण ने गलत ढंग से और अधिक प्राप्त कर लिये हैं, जबकि उक्त योजना के तहत आय वर्ग ई.डब्ल्यू.एस. को पूर्णरूप से ब्याज राषि की छूट थी, लेकिन अप्रार्थीगण ने मात्र 60 प्रतिषत ही ब्याज राषि की छूट देते हुए अधिक राषि वसूल कर ली। परिवादी ने उक्त अधिक वसूली गई राषि 57,094/- रूपये प्राप्त करने के लिए अप्रार्थीगण के कार्यालयों में लगातार चक्कर काटे, मगर उसे उक्त राषि का भुगतान नहीं किया गया। उसे कहा गया कि यदि पूर्ण ब्याज की राषि प्राप्त हो गई है तो गणना करके रिफण्ड कर दी जावेगी, लेकिन अब साफ कह दिया गया है कि परिवादी को अब कोई राषि देय नहीं है। अप्रार्थीगण का उक्त संपूर्ण कृत्य सेवा में कमी एवं अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस की तारीफ में आता है। अतः परिवादी को अप्रार्थीगण से अधिक वसूली गई राषि 57,094/- रूपये, दिनांक 30.03.2013 से मय ब्याज दिलाये जावे। साथ ही परिवाद में अंकितानुसार अन्य अनुतोश दिलाये जावे।

 

2.            अप्रार्थीगण की ओर से परिवादी को ई.डब्ल्यू.एस. आय वर्ग योजना के तहत दिनांक 23.06.1998 को एक आवास आवंटित करना स्वीकार करते हुए आगे बताया गया है कि परिवादी द्वारा मकान की किष्तें समय पर जमा नहीं करवाई गई, जिस पर अप्रार्थीगण के परिपत्र दिनांक 19.02.2010 द्वारा स्पश्ट किया गया कि जिन आवासों की किष्तों की भुगतान अवधि समाप्त हो चुकी है, उन्हें आज तक की बकाया राषि एक साथ जमा करवाने पर 40 प्रतिषत छूट दी जायेगी। परिवादी को आवंटित मकान की सभी किष्तें बकाया थी। ऐसी स्थिति में परिपत्र दिनांक 15.09.2010 अनुसार बकाया राषि की गणना कर समस्त छूट देने के बाद 1,78,700/- बकाया मानते हुए परिवादी को नोटिस प्रदर्ष 2 दिनांक 28.03.2013 को जारी किया गया था और उसके अनुसार ही परिवादी ने राषि जमा करवाई। यह भी बताया गया है कि परिवादी की समस्त किष्तें बकाया थी, इसलिए वह ब्याज में केवल 60 प्रतिषत छूट प्राप्त करने का ही अधिकारी थी जो उसे दी गई है। यह भी बताया गया है कि नियमानुसार सही गणना कर छूट देते हुए बकाया राषि निकाली गई थी। लेकिन परिवादी ने अप्रार्थीगण को अनावष्यक रूप से तंग परेषान करने के लिए झूंठा परिवाद पेष किया है जो मय खर्चा खारिज किया जावे।

 

3.            बहस सुनी गई। परिवादी की ओर से परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथ-पत्र प्रस्तुत करने के साथ ही आवंटन पत्र प्रदर्ष 1, अप्रार्थीगण द्वारा दिनांक 28.03.2013 को जारी बकाया राषि का मांग पत्र प्रदर्ष 2, राषि जमा कराने के चालान की प्रति प्रदर्ष 3 एवं राजस्थान आवासन मण्डल, जयपुर के कार्यालय आदेष दिनांक 13.05.2013 की प्रति प्रदर्ष 4 पेष करने के साथ ही बहस के समय राजस्थान सरकार के आदेष दिनांक 25.01.2010 की प्रति भी पेष की है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि अप्रार्थीगण ने विषेश छूट योजना के प्रावधान की पालना न कर परिवादी को 100 प्रतिषत छूट के स्थान पर मात्र 60 प्रतिषत ब्याज राषि की छूट देते हुए अधिक राषि वसूल की है जो मय ब्याज वापस दिलाई जावे।

 

4.            उक्त के विपरित अप्रार्थी पक्ष की ओर से भी अपने जवाब के समर्थन में षपथ-पत्र प्रस्तुत करने के साथ ही राजस्थान आवासन मंडल जयपुर के परिपत्र दिनांक 19.02.2010 प्रदर्ष ए 1 तथा मांग पत्र प्रदर्ष ए 2 पेष किये हैं। अप्रार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि परिवादी को आवंटित आवास की समस्त किष्तें बकाया हो चुकी थी, ऐसी स्थिति में राजस्थान सरकार के नगरीय विकास विभाग द्वारा जारी आदेष दिनांक 25.01.2010 एवं राजस्थान आवासन मंडल, जयपुर के परिपत्र प्रदर्ष ए 1 के अनुसार ही गणना कर परिवादी को विधि अनुसार ब्याज/षास्ति में 60 प्रतिषत छूट दी गई है। जो सही एवं विधि अनुसार रही है। ऐसी स्थिति में परिवाद खारिज किया जावे।

 

5.            पक्षकारान के विद्वान अधिवक्तागण द्वारा दिये तर्कों पर मनन कर पत्रावली पर उपलब्ध समस्त सामग्री का सावधानीपूर्वक अवलोकन किया गया। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का मुख्य तर्क यही रहा है कि अप्रार्थीगण ने राजस्थान सरकार के नगरीय विकास विभाग द्वारा जारी आदेष दिनांक 25.01.2010 अनुसार परिवादी को षत-प्रतिषत छूट न देकर मात्र 60 प्रतिषत छूट दी है। इस सम्बन्ध में उपर्युक्त आदेष दिनांक 25.01.2010 का अवलोकन करने के साथ ही इसी बाबत् राजस्थान आवासन मण्डल जयपुर के परिपत्र प्रदर्ष ए 1 का अवलोकन करें तो स्पश्ट है कि उपर्युक्त वर्णित आदेष/परिपत्र अनुसार जिन आवासों की किष्तों की भुगतान अवधि समाप्त हो चुकी थी, उन्हें बकाया समस्त राषि एक साथ जमा करवाने पर षास्ति में 60 प्रतिषत छूट दी जानी थी। नगरीय विकास विभाग के आदेष दिनांक 25.01.2010 के काॅलम 1 (1) के अनुसार भी, श्अब तक की बकाया राषि एक साथ जमा करवाने पर ब्याज/षास्ति में 60 प्रतिषत छूटश् बताया गया है। यह स्वीकृत स्थिति है कि परिवादी द्वारा उसे दिये गये मांग पत्र प्रदर्ष 2 अनुसार परिवादी ने दिनांक 30.03.2013 को बकाया संपूर्ण राषि 1,78,100/- जरिये चालान जमा करवाई थी तथा यह भी स्वीकृत स्थिति है कि परिवादी को आवंटित आवास की समस्त किष्तें पूर्व से ही बकाया चल रही थी। ऐसी स्थिति में यह नहीं माना जा सकता कि अप्रार्थीगण द्वारा नगरीय विकास विभाग, जयपुर के आदेष दिनांक 25.01.2010 अनुसार परिवादी को 60 प्रतिषत की छूट न दी हो। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने अपना मामला नगरीय विकास विभाग के आदेष दिनांक 25.01.2010 के काॅलम 1 (2) के अन्तर्गत आना बताया है, लेकिन इस सम्बन्ध में आदेष दिनांक 25.01.2010 का अवलोकन करें तो स्पश्ट है कि काॅलम 1 (2) अनुसार अब तक की बकाया किष्तों के साथ-साथ भविश्य की षेश किष्तों का भुगतान एक साथ करने पर ब्याज/षास्ति में संपूर्ण छूट दी जानी थी जबकि परिवादी को आवंटित आवास की समस्त किष्तें पूर्व से ही बकाया चल रही थी एवं भविश्य की षेश कोई किष्त बकाया नहीं थी। ऐसी स्थिति में स्पश्ट है कि अप्रार्थीगण द्वारा किसी प्रकार का कोई सेवा दोश नहीं किया गया है। परिणामतः परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।

 

 

 

 

 

आदेश

 

6.            परिणामतः परिवादी नफीस अहमद द्वारा प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 विरूद्ध अप्रार्थीगण खारिज किया जाता है। पक्षकारान खर्चा अपना-अपना वहन करेंगे।

 

7.            आदेश आज दिनांक 05.07.2016 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

         ।बलवीर खुडखुडिया।        ।ईष्वर जयपाल।            ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।

                                सदस्य                अध्यक्ष                            सदस्या

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Shri Ishwardas Jaipal]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya]
MEMBER

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