जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर
समक्ष: श्री कैलाश चन्द्र शर्मा - अध्यक्ष
श्रीमती सीमा शर्मा - सदस्य
श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य
परिवाद सॅंख्या: 296/2012
राम सिंह पुत्र स्व. श्री प्रभाती लाल, उम्र 44 वर्ष, जाति कुम्हार, निवासी ग्राम कुम्हारों का बास, वाया सूरजगढ़, तहसील-चिड़ावा, जिला-झुंझुनू Û
परिवादी
ं बनाम
होटल राज इन, पता मनोहरी पैलेस, दादी का फाटक, बेनाड़ रोड़, झोटवाड़ा, जयपुर जरिए मालिक/प्रोपराईटर/ मैनेजर/ अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता Û
विपक्षी
अधिवक्तागण :-
श्री संदीप सैनी - परिवादी
श्री देवेन्द्र मोहन माथुर - विपक्षी
परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 13.02.12
आदेश दिनांक: 16.01.2015
परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने दिनांक 06.02.2012 को विपक्षी से एक नोनवेज सब्जी स्पेशनल मीट करी एवं ठंपससमल ब्राण्ड की पानी की एक लीटर वाली बोतल क्रय कर पैक करवाए जिस पर विपक्षी ने 143/- रूपए का बिल जारी किया । परिवादी ने भुगतान करने के पश्चात बिल देखा तो पानी की बोतल के 20/- रूपए तथा उस मूल्य पर पन्द्रह प्रतिशत वैट के रूप में 3/- रूपए अतिरिक्त जोड़ते हुए कुल 23/- रूपए लिए गए जबकि पानी की बोतल 15/- रूपए की थी इस प्रकार 8/- रूपए अधिक वसूल किए गए हैं । विपक्षी ने बोतल पर अंकित रेट को मानने से इंकार कर दिया और कहा कि सभी से इसी रेट से भुगतान लेते हैं इसलिए इसी रेट से भुगतान करना पड़ेगा । बिल कट जाने के बाद सामान वापिस लेने से विपक्षी ने इंकार कर दिया ऐसी स्थिति में मजबूरन अधिक रेट पर पानी की बोतल विक्रय करनी पड़ी । परिवादी का कथन है कि इस प्रकार विपक्षी ने अधिकतम विक्रय मूल्य से अधिक राशि वसूल कर अनुचित व्यापार प्रथा एवं सेवादोष कारित किया है । परिवादी ने 8/- रूपए 06.02.2012 से अदायगी तक 24 प्रतिशत ब्याज सहित, प्रोपर बिल बनाकर देने, शारीरिक व मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति के 50,000/- रूपए, हर्जाना 25000/- रूपए, परिवाद व्यय एवं अधिवक्ता फीस 5500/- रूपए दिलवाए जाने का निवेदन किया गया है ।
विपक्षी की ओर से प्रारम्भिक आपत्तियां उठाते हुए इस आशय का जवाब प्रस्तुत किया गया है कि परिवादी ने मात्र बेली पानी की बोतल क्रय नहीं की है बल्कि अन्य सब्जी लेकर स्वयं के साथ लाई गई रोटी से होटल में बैठकर खना खाया है और होटल की अन्य सेवाएं लेते हुए विपक्षी की होटल में एयर कण्डीशन में बैठकर खना खाया है जिस कारण विपक्षी ने परिवादी से बिल के अनुसार राशियां ली हैं उसमें होटल में उपलब्ध करवाई गई अन्य सेवाओं के लिए राशियां ली गई है । विपक्षी से परिवादी द्वारा ली गई सुविधाओं में टेबिल कुर्सी पर बैठना, बैरे द्वारा ग्लास, सलाद , पापड, नमक, हाथ धोन के लिए साबुन, टिस्यू पेपर आदि की सेवाएं सम्म्लित है । विपक्षी का कथन है कि परिवादी से निर्धारित रेट के अनुसार ही पानी की बोतल के लिए राशि वसूल की है व उस पर एम आर पी से अधिक जो राशि ली गई है वह विपक्षी होटल को , होटल में बैठकर खाना खाने के लिए अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के कारण प्राप्त करने का अधिकार है । विपक्षी का कथन है कि परिवाद ने 20/- रूपए वाली पानी की बोतल ली है और उस के लिए ही राशि ली है तथा अन्य सुविधाओं का परिवादी द्वारा होटल में बैठकर उपयोग करने के कारण बिल के माध्यम से अन्य राशियां ली गई है जो किसी भी प्रकार से अनुचित नहीं है ना ही विपक्षी द्वारा कोई अनुचित व्यापार प्रक्रिया अपनाई गई है ना ही सेवादेाष कारित किया गया है अत: परिवाद पत्र खारिज किया जावे।
मंच द्वारा दोनों पक्षों की बहस सुनी गई एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी ने विपक्षी पर यह आक्षेप लगाया है कि उसने बोतल बंद पानी की कीमत जो कि बोतल पर अंकित थी उसकी एम आर पी 15/- रूपए के बजाए 5/- रूपए अधिक चार्ज करते हुए 20/- रूपए वसूल किए हैं जो सेवादोष की श्रेणी में आता है । परिवादी ने इस सम्बन्ध में विपक्षी का बिल दिनांक 06.02.2012 की प्रति पेश की है । साथ ही वेट चार्जेज 3/- रूपए लगाए जाने पर भी आपत्ति की है । विद्वान अधिवक्ता विपक्षी द्वारा इस सम्बन्ध में ए आई आर 2007 देहली 137 दी फेड्रेशन आॅफ होटल्स एण्ड रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन आॅफ इण्डिया एण्ड अदर्स बनाम यूनियन आॅफ इण्डिया एण्ड अदर्स , प्ट ;2012द्ध सी पी जे 224 (एन सी) नितिन मित्तल बनाम पिंड बलूची रेस्टोरेंट न्याय निर्णय व मिनिस्ट्री आॅफ कन्ज्यूमर अफेयर्स, फूड एण्ड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन के नोटिफिकेशन दिनांक 07 मार्च 2011 के चेप्टर ाा में त्महनसंजपवद वित चतम.चंबापदह ंदक ेंसम मबजण् व िबवउउवकपजपमे पद चंबांहमक तिवउ का हवाला दिया है । विपक्षी का कथन है कि बार में सर्विस की जाने वाली वस्तुओं पर अधिक चार्ज इसलिए लिया जाता है क्योंकि उसमें वेटर आदि की सर्विस तथा बैठने की सुख-सुविधा भी प्रदान की जाती है जिसके लिए विपक्षी द्वारा अपने कर्मचारियों को वेतन एवं अन्य सुविधाओं पर व्यय करना पड़ता है । विपक्षी का यह भी कथन है कि पानी की बोतल जो परिवादी को विक्रय की गई थी वह सीलबंद नहीं थी। इस सम्बन्ध में हमने विपक्षी द्वारा जारी किए गए बिल का अवलोकन किया । परिवादी द्वारा प्रस्तुत प्रदर्श-1 में मिनरल वाटर के 20/- रूपए चार्जेज दर्शाएं गए हैं । इसके अतिरिक्त स्पेशल मीट के 114/- रूपए 29 पैसे दर्शाएं गए हें । कोई भी व्यक्ति यदि होटल अथवा बार रूम में बैठकर खाना खाता है तो उसमें रोटी एवं सब्जी भी वह होटल से लेता है जबकि इस बिल से यह प्रतीत होता है कि परिवादी ने स्पेशल मीट पैकेज के रूप में पैंकिंग करवाया है तथा विपक्षी से बोतल बंद पानी प्राप्त किया है । यह सही है कि अलग-अलग स्तर की श्रेणी की होटलों में जब ड्रिंक्स सर्वे की जाती है तो उसकी ए आर पी के बजाए बोतल को खोलकर प्रति पेक के आधार पर ग्राहक को सर्वे किया जाता है और ऐसी स्थिति में होटलों द्वारा ग्राहक से अतिरिक्त राशि प्रति पेक के रूप में अलग-अलग रेट पर अलग-अलग स्तर की होटलों में चार्ज की जाती है लेकिन इस प्रकरण में जो पानी की बोतल विक्रय की गई है उसमें परिवादी द्वारा प्रस्तुत प्रदर्श-2 पर एम आर पी 15/- रूपए अंकित है । अत: पैकड पानी की बोतल किसी उपभोक्ता को एम आर पी रेट से अधिक रेट पर विक्रय किया जाना सेवादेाष की श्रेणी में आता है । विपक्षी ने हमारे समक्ष ऐसी कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की है कि उसने होटल या बार रूम में बैठ कर ग्राहक को मीट सर्व किया हो और पानी तो ऐसी वस्तुत है कि उसे बंद बोतल को खोलकर प्रति पेक के रूप में भी सर्व नहीं किया जाता है । अत: प्रस्तुत प्रकरण के सभी तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए हम विपक्षी को परिवादी से अधिक वसूल की गई राशि 5/- रूपए अक्षरे पांच रूपए वापिस दिलवाया जाना उचित समझते हैं ।
आदेश
अत: इस समस्त विवेचन के आधार पर परिवादी का यह परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार कर आदेश दिया जाता है कि विपक्षी परिवादी को अधिक वसूल की गई राशि 5/- रूपए अक्षरे पांच रूपए वापिस लौटाएगा । इसके अलावा परिवादी को कारित मानसिक संताप के लिए उसे 500/- रूपए अक्षरे पांच सौ रूपए एवं परिवाद व्यय 1500/- रूपए अक्षरे एक हजार पांच सौ रूपए अदा करेेेगा। उक्त समस्त राशि विपक्षी जरिए रेखांकित चैक परिवादी के निवास स्थान के पते पर जरिए रजिस्टर्ड डाक एक माह की अवधि में प्रेषित करे । परिवादी का अन्य अनुतोष अस्वीकार किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 16.01.2015 को लिखाकर सुनाया गया।
( ओ.पी.राजौरिया ) (श्रीमती सीमा शर्मा) (कैलाश चन्द्र शर्मा)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष