Uttar Pradesh

StateCommission

A/2003/318

Union Of India - Complainant(s)

Versus

Horilal - Opp.Party(s)

Mrs. Prem Lata Nigam

17 Mar 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2003/318
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Union Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Horilal
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Alok Kumar Bose PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-३१८/२००३

 

(जिला फोरम (प्रथम), मुरादाबाद द्वारा परिवाद सं0-१०/२००२ में पारित बहुमत के निर्णय/आदेश दिनांक ०३-०१-२००३ के विरूद्ध)

 

१. यूनियन आफ इण्डिया द्वारा सैक्रेटरी डिपार्टमेण्‍ट आफ टेलीकम्‍युनिकेशन्‍स, नई दिल्‍ली।

२. सब पोस्‍ट मास्‍टर, सब पोस्‍ट आफिस कचहरी, मुरादाबाद।

                                      .....................  अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।

बनाम्

होरी लाल पुत्र सावन्‍ती लाल, निवासी ग्राम लहरा काथंगर, तहसील सम्‍भल, जिला मुरादाबाद।                                                           

                                      ......................        प्रत्‍यर्थी/परिवादी।                                                              

समक्ष:-

१-  मा0 आलोक कुमार बोस, पीठासीन सदस्‍य।

२-  मा0 श्री संजय कुमार, सदस्‍य।

 

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित :- डॉ0 उदयवीर सिंह विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित      :- श्री टी0एच0 नकवी, विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक : २१-०५-२०१५

 

मा0 श्री आलोक कुमार बोस, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

 

अपीलार्थी डाक विभाग की ओर से यह अपील, जिला फोरम (प्रथम), मुरादाबाद द्वारा परिवाद सं0-१०/२००२ में पारित बहुमत के निर्णय/आदेश दिनांक ०३-०१-२००३ के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी होरी लाल का कहना है कि उसने एक पंजीकृत पत्र ए.डी. सहित, दिनांक ११-०७-२००१ को कचहरी डाकघर मुरादाबाद से बेसिक शिक्षा अधिकारी, मुरादाबाद को भेजा था परन्‍तु दिनांक ११-०८-२००१ तक ए.डी. वापस न आने पर उसने इसकी शिकायत वरिष्‍ठ डाक अधीक्षक मुरादाबाद से की। डाक विभाग द्वारा जब इस सम्‍बन्‍ध में कोई कार्यवाही नहीं की गयी तब अपीलार्थी डाक विभाग के इसी कृत्‍य को सेवा में कमी मानते हुए प्रत्‍यर्थी/परिवादी होरी लाल ने परिवाद

 

 

 

-२-

संख्‍या १०/२००२ अधीनस्‍थ फोरम में योजित किया। सभी पक्षों को सुनने के उपरान्‍त अधीनस्‍थ फोरम के विद्वान अध्‍यक्ष श्री सी0पी0 सिंह एवं विद्वान सदस्‍य सुश्री बबीता गोयल द्वारा बहुमत के आधार पर पारित अपने निर्णय एवं आदेश दिनांक ०३-०१-२००३ के अन्‍तर्गत विपक्षीगण को आदेश दिया गया कि आदेश की सूचना के एक माह में परिवादी को परिवाद व्‍यय, शारीरिक एवं मानसिक कष्‍ट की क्षतिपूर्ति के रूप में २०००/- (दो हजार रूपये) भुगतान करें। इस आदेश के अतिरिक्‍त इस मामले में विद्वान सदस्‍य श्री उमेश शंकर वर्मा द्वारा उपरोक्‍त बहुमत के निर्णय से असहमत होते हुए अपने आदेश दिनांक ०३-०१-२००३ के अन्‍तर्गत परिवादी के परिवाद को खारिज कर दिया गया। अधीनस्‍थ फोरम के बहुमत के उपरोक्‍त आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी डाक विभाग द्वारा प्रस्‍तुत अपील योजित की गयी है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का कहना है कि अधीनस्‍थ फोरम द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथ्‍यों एवं विधिक सिद्धान्‍तों के विपरीत होने के कारण अपास्‍त होने योग्‍य है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह कहना है कि अपीलार्थी डाक विभाग द्वारा प्रश्‍नगत पंजीकृत डाक ए.डी. सहित के माध्‍यम से भेजे गये पत्र को उसमें दिये गये पते पर समय से न पहुँचाकर सेवा में घोर कमी की है अत: विद्वान फोरम द्वारा बहुमत से पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश में कोई विधिक त्रुटि नहीं है। 

पीठ द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को विस्‍तारपूर्वक सुना गया एवं उनके तर्कों के परिप्रेक्ष्‍य में पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेख/साक्ष्‍यों एवं प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश का गहनता से परिशीलन किया गया। अपीलार्थी का कहना है कि यह तथ्‍य निर्विवाद है कि प्रश्‍नगत पंजीकृत डाक दिये गये पते पर दिनांक १२-०७-२००१ को पहुँचा दी गयी थी। इस सम्‍बन्‍ध में प्राप्‍तकर्ता द्वारा कोई आपत्ति नहीं उठायी गयी है। चूँकि ए.डी. प्राप्‍त करने का अभिलेखीय साक्ष्‍य नहीं रखा जाता है एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपनी ओर से ए.डी. प्राप्‍त न होने की स्‍पष्‍ट सूचना नहीं दी अत: ए.डी. के वापस न पहुँचने के आरोप पर प्रतिकर स्‍वरूप आदेश पारित करना विधि विरूद्ध है। अपीलार्थीगण

 

 

 

 

-३-

के विद्वान अधिवक्‍ता ने अपने कथन के समर्थन में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा यूनियन आफ इण्डिया व अन्‍य बनाम एम0एल0 बोरा २०११(२) सीपीसी १७९ एवं पोस्‍ट मास्‍टर इम्‍फाल बनाम जामिनी देवी सगोलबन्‍द (२०००) एनसीजे १४२ तथा सुपरिण्‍टेण्‍डेण्‍ट आफ पोस्‍ट आफिसेज व अन्‍य बनाम उपभोक्‍ता सुरक्षा परिषद III(1996) CPJ 105 (NC) में दिये गये विधिक सिद्धान्‍त की ओर पीठ का ध्‍यान आकृष्‍ट कराया जिनमें यह विधि व्‍यवस्‍था दी गयी है कि इस प्रकार के परिवाद भारतीय डाक अधिनियम १८९८ की धारा-६ की बाधित हैं। प्रस्‍तुत मामले में विभाग के किसी अधिकारी या कर्मचारी पर कोई व्‍यक्तिगत द्वेष अथवा भ्रष्‍टाचार का आरोप नहीं है। अत: इस मामले में धारा-६ भारतीय डाक अधिनियम १८९८ में दिये गये प्राविधान लागू होते हैं। उल्‍लेखनीय है कि भारतीय डाक अधिनियम १८९८ (अधिनियम सं० ६ सन् १८९८) की धारा-६ में निम्‍नवत् प्राविधान है कि -

      Section 6 of the Indian Post Office Act. 1898 reads as under :

“6. Exemption from liability for loss, misdelivery, delay or damage - The Government shall not incur any liability by reason of the loss, misdelivery or delay of, or damage to, any postal article in course of transmission by post, except insofar as such liability may in express terms be undertaken by the Central Government as hereinafter provided and no officer of the Post Office shall incur any liability by reason of any such loss, misdelivery, delay or damage, unless he has caused the same fraudulently or by his willful act or default.”

उपरोक्‍त प्राविधान तथा मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा टीकाराम बनाम इण्डियन पोस्‍टल डिपार्टमेण्‍ट IV (2007) CPJ 123 (NC) के अतिरिक्‍त माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा यूनियन आफ इण्डिया व अन्‍य बनाम एम0एल0 बोरा २०११(२) सीपीसी १७९ एवं (२०००) एनसीजे १४२ पोस्‍ट मास्‍टर इम्‍फाल बनाम जामिनी देवी सगोलबन्‍द तथा सुपरिण्‍टेण्‍डेण्‍ट आफ पोस्‍ट आफिसेज व अन्‍य बनाम उपभोक्‍ता सुरक्षा परिषद III(1996) CPJ 105 (NC) में दिये गये विधिक सिद्धान्‍त को दृष्टिगत रखते हुए हमारे विचार से अधीनस्‍थ फोरम द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश विधि अनुरूप नहीं है। विद्वान

 

 

 

-४-

फोरम द्वारा तथ्‍यों एवं विधि के विरूद्ध आदेश पारित किया गया है जो किसी भी दृष्टिकोण से पोषणीय नहीं है। वर्णित परिस्थिति में अधीनस्‍थ फोरम द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथ्‍य एवं विधि के विपरीत होने के कारण अपास्‍त होने तथा अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है। 

                           आदेश

      प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला फोरम (प्रथम), मुरादाबाद द्वारा परिवाद सं0-१०/२००२ में पारित बहुमत का निर्णय/आदेश दिनांक ०३-०१-२००३ अपास्‍त किया जाता है। पक्षकार अपीलीय व्‍यय-भार अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे। उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

 

                                               (आलोक कुमार बोस)

                                                 पीठासीन सदस्‍य

 

 

                                                 (संजय कुमार)

                                                    सदस्‍य

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट-४.

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Alok Kumar Bose]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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