Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/2748

Central Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Hira Singh - Opp.Party(s)

Zafar Aziz

21 Dec 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/2748
( Date of Filing : 07 Dec 2012 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Central Bank Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Hira Singh
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 21 Dec 2021
Final Order / Judgement

(मौखिक)                                             

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                                               अपील संख्‍या- 2748/2012

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, देवरिया द्वारा परिवाद संख्‍या- 15/2007 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 08-11-2012 के विरूद्ध)

  

सेन्‍ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा शाखा प्रबन्‍धक सेन्‍ट्रल बैंक सलेमपुर, जिला देवरिया।

                                                                                 अपीलार्थीगण

                              बनाम 

1- हीरा सिंह उर्फ हीरा राय पुत्र स्‍व0 राजाराम सिंह

2- श्रीमती सुराती देवी उम्र लगभग 65 वर्ष पत्‍नी श्री हीरा सिंह उर्फ हीरा राय

3- श्रीमती सुमित्रा देवी उम्र लगभग 42 वर्ष पुत्री श्री हीरा सिंह उर्फ हीरा राय

समस्‍त निवासीगण- बलिया दक्षिण, पोस्‍ट बलिया, दक्षिण, तहसील सलेमपुर,  जिला देवरिया।                                                    

                                                           प्रत्‍यर्थीगण

 

मक्ष:- 

 माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :  विद्वान अधिवक्‍ता श्री जफर अजीज

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित  :  कोई उपस्थित नहीं।

 

दिनांक-07-01-2022

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

                                                                                                   निर्णय

      प्रस्‍तुत अपील, सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया द्वारा शाखा प्रबन्‍धक, सेन्‍ट्रल बैंक की ओर से इस आयोग के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, देवरिया द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 08-11-2012 (परिवाद संख्‍या- 15/2007 हीरा सिंह उर्फ हीरा राय व दो अन्‍य बनाम सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया द्वारा शाखा प्रबन्‍धक) के विरूद्ध धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत प्रस्‍तुत की गयी है।

    

2

       संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि विद्वान जिला आयोग द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षीगण को निर्देशित किया गया है कि वह परिवादीगण को 70,000/-रू० आर्थिक क्षति के लिए तथा 5000/-रू० मानसिक कष्‍ट एवं भागदौड़ के लिए तथा 2000/-रू० वाद व्‍यय के मद में, कुल 77,000/-रू० एक  माह में अदा करें अन्‍यथा इस सम्‍पूर्ण धनराशि पर 10 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज भी देय होगा।

    प्रस्‍तुत अपील जिला आयोग द्वारा पारित उपरोक्‍त निर्णय के विरूद्ध सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया द्वारा योजित की गयी है जिसमें निम्‍न अनुतोष प्रदान किये जाने की प्रार्थना की गयी है:-

     ‘’आदेश दिनांक 08-11-2012 पारित जिला मंच द्वारा परिवाद संख्‍या- 15/2007 निरस्‍त करते हुए अपील स्‍वीकार करने की कृपा करें, तथा जब तक अपील का निस्‍तारण नहीं होता है, तब तक जिला मंच के आदेश को स्‍थगित करने का आदेश भी पारित करने की कृपा करें।‘’

     अपील प्रस्‍तुत करने के उपरान्‍त दिनांक 11-12-2012 को इस न्‍यायालय द्वारा जिला आयोग, देवरिया द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का क्रियान्‍वयन स्‍थगित किया गया था।

     अपीलार्थी बैंक के विद्वान अधिवक्‍ता श्री जफर अजीज को सुना और पत्रावली का सम्‍यक रूप से परिशीलन किया।

     जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश के परिशीलन से यह स्‍पष्‍ट हो रहा है कि परिवादी ने अपनी मार्शल जीप अवमुक्‍त कराने के लिए माननीय उच्‍च न्‍यायालय के सम्‍मुख जो प्रार्थना-पत्र प्रस्‍तुत किया था उस पर पारित आदेश के अनुपालन में परिवादी द्वारा जो धनराशि अदा की गयी उसे

3

 

अवमुक्‍त कराने हेतु प्रस्‍तुत परिवाद विद्वान जिला आयोग के सम्‍मुख योजित किया गया तथा यह कथन किया गया कि विपक्षी बैंक द्वारा सेवा में कमी तथा अनुचित व्‍यापार पद्धति अपनायी गयी है जिससे प्रत्‍यर्थी/परिवादी व्‍यथित है।

    विद्वान जिला आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का परिशीलन किया गया तथा यह पाया गया कि परिवादी को अपीलार्थी/विपक्षी बैंक द्वारा बिना किसी नोटिस के उसके विरूद्ध 2,21,793/-रू० का वसूली प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया जिसके फलस्‍वरूप परिवादी की मार्शल जीप तहसीलदार सलेमपुर के कर्मचारियों द्वारा वसूली कार्यवाही के अन्‍तर्गत जब्‍त कर ली गयी और नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी, जिस हेतु परिवादी को न सिर्फ शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा वरन् भारी आर्थिक क्षति भी उठानी पड़ी। परिवादी माननीय उच्‍च न्‍यायालय के आदेश के अनुपालन में धनराशि जमा करने के पश्‍चात नीलामी प्रकिया से बाहर हो सका।

    यद्यदि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने आर्थिक क्षति के लिए विद्वान जिला आयोग के सम्‍मुख 1,23,000/-रू० दिलाए जाने की प्रार्थना की जिसके विरूद्ध विद्वान जिला आयोग द्वारा 77,000/-रू० प्रदान किये जाने का आदेश पारित किया गया है।

      मेरे द्वारा समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा अपीलार्थी बैंक की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री जफर अजीज को सुनने के उपरान्‍त तथा यह कि प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण की ओर से न तो कोई अधिवक्‍ता और न ही कोई अधिकृत प्रतिनिधि उप‍स्थित नहीं हुए हैं। अत: समस्‍त तथ्‍यों के

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परिशीलन के पश्‍चात यह उचित प्रतीत होता है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवादी को जो 70,000/- रू० की धनराशि दिलाये जाने हेतु आदेशित किया गया है वह अत्‍यधिक है, जिसे कम करते हुए 40,000/-रू० किया जाता है  तथा मानसिक कष्‍ट हेतु रू० 5000/- एवं वाद व्‍यय के रूप में रू० 2000/- की धनराशि अर्थात कुल रू० 47,000/- की देयता हेतु अपीलार्थी बैंक को आदेशित किया जाता है जो अपीलार्थी/विपक्षी बैंक इस निर्णय के दो माह की अवधि में प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण को प्रदान करेगा। अन्‍यथा की स्थिति में उपरोक्‍त धनराशि के अलावा अपीलार्थी/विपक्षी बैंक द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण को वाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 06 प्रतिशत ब्‍याज की देयता भी निर्धारित की जाती है।

    आशुलि‍पिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

    

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

 

 

कृष्‍णा–आशु०

कोर्ट नं०1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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