Uttar Pradesh

Bareilly-I

CC/48/2015

IMTYAZ ALI - Complainant(s)

Versus

HINDUJA LEYLAND FINANCE CO. LTD. - Opp.Party(s)

R.G. GANDHI

30 Nov 2016

ORDER

DISTRICT CONSUMER FORUM-1
BAREILLY (UTTAR PRADESH)
 
Complaint Case No. CC/48/2015
 
1. IMTYAZ ALI
S/O IRFAN ALI MAHESH PUR ATRIYA KILA , C.B. GNAJ BAREILLY
BAREILLY
UTTAR PRADESH
...........Complainant(s)
Versus
1. HINDUJA LEYLAND FINANCE CO. LTD.
BRANCH OFFICE KILA RAOD BAREILLY
BAREILLY
UTTAR PRADESH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Brijesh Chandra Saxena PRESIDENT
 HON'BLE MR. Mohd Qamar Ahmad MEMBER
 
For the Complainant:R.G. GANDHI, Advocate
For the Opp. Party:
Dated : 30 Nov 2016
Final Order / Judgement

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-प्रथम, बरेली ।
परिवाद संॅ0 48/2015
 
              उपस्थित:- 1- बृजेश चन्द्र सक्सेना       अध्यक्ष
     2- मोहम्मद कमर अहमद     सदस्य

इमित्याज अली पुत्र श्री इरफान अली, निवासी महेशपुर अटरिया, किला सी0बी0गंज, तहसील व जिला बरेली । 
                        .............. परिवादी
1.    हिन्दूजा लीलैण्ड कं0लि0, शाखा कार्यालय मौ0 स्वालेनगर, किला रोड, तहसील व जिला बरेली द्वारा प्रबन्धक (प्रभारी/शाखा) ।
2.    हिन्दूजा लीलैण्ड फा0कं0लि0, रजिस्टर्ड आॅफिस नं0 167, 169 तृतीय तल, अन्नासलाई सैदापत, चेन्नई द्वारा प्रभारी/सी0ई0ओ0 ।
                         ............... विपक्षीगण

निर्णय

    परिवादी इमित्याज अली की ओर से यह परिवाद विपक्षीगण हिन्दूजा लीलैण्ड कं0लि0 द्वारा प्रबन्धक व अन्य के विरूद्व इस आशय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षीगण से प्रश्नगत वाहन वापस कराया जाये अथवा वापस न करने की दशा में अंकन 15,00,000/-रूपये का भुगतान मय ब्याज के कराया जाये । इसके अतिरिक्त मानसिक एवं शारीरिक क्षति व वाद व्यय के रूप में अंकन 1,50,000/-रूपये का भुगतान कराया जाये । 
    संॅक्षेप में परिवादी का कथन है कि परिवादी द्वारा दिनांक 29.01.11 को अपने परिवार की जीविकोपार्जन हेतु एक ट्रक संॅ0 आर.जे. 05 जी.ए./7123 को क्रय किया गया, जिसके संदर्भ में विपक्षीगण से अंकन 18,10,000/-रूपये की वित्तीय सहायता प्राप्त की गयी । इसकी मासिक किश्त अंकन 66,000/-रूपये प्रतिमाह की दर से 36 किस्तों में अदा करनी थी । परिवादी द्वारा हर माह सुचारू रूप से किश्तों का भुगतान किया जाता रहा और दिनांक 29.01.11 से 31.08.12 तक अंकन 19,85,625/-रूपये का भुगतान किया गया । परिवादी द्वारा विपक्षीगण से हिसाब-किताब माॅगा गया तो उनके द्वारा कोई हिसाब-किताब नहीं दिया गया । परिवादी द्वारा स्वयॅं समस्त बकाया धनराशि का विवरण पर विचारण करने के उपरांत यह पाया गया कि विपक्षीगण द्वारा अधिक धनराशि की वसूली कर ली गयी है । विपक्षीगण की ओर से परिवादी से अंकन 5,55,481/-रूपये की धनराशि का भुगतान करने हेतु कहा गया और यह भी कहा गया कि यदि भुगतान नहीं करेगें, तो वाहन को खींच लिया जायेगा । परिवादी द्वारा असमर्थता दिखाने पर विपक्षीगण व उसके कर्मचारियों द्वारा दिनांक 23.11.13 को अवैध असलाहों से लैस होकर वाहन को खींच लिया गया । परिवादी विपक्षीगण से बराबर वाहन को लौटाने की प्रार्थना करता रहा, परन्तु विपक्षीगण द्वारा अवैधानिक रूप से धन अर्जित करने हेतु उक्त वाहन को दिनांक 28.10.14 को बेच दिया गया । परिवादी द्वारा मजबूर होकर दिनांक 24.02.15 को विपक्षीगण को एक विधिक नोटिस भेजी गयी, परन्तु विपक्षीगण द्वारा न तो वाहन को लौटाया गया और न ही किसी धनराशि का भुगतान किया गया, तद्नुसार परिवाद योजित किया गया । 
    विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र दाखिल करते हुए यह कथन प्रस्तुत किया गया कि परिवादी को विपक्षीगण द्वारा अंकन 18,10,000/- रूपये का ऋण दिया गया था, जिसके संदर्भ में ऋण अनुबंध पत्र निष्पादित हुआ था । परिवादी से फाईनेंस चार्जेज के रूप में अंकन 4,70,600/-रूपये का भुगतान करना था । इस प्रकार एग्रीमेंट वैल्यू अंकन 22,80,600/-रूपये था । परिवादी द्वारा दिनांक 31.08.12 तक कुल अंकन 19,85,625/-रूपये अदा किये गये और शेष ऋण की रकम अदा नहीं की गयी । परिवादी द्वारा अवशेष ऋण धनराशि को जमा न करने के आशय से असत्य कथनों के आधार पर यह परिवाद योजित किया गया है । परिवादी द्वारा व्यवसायिक उद्देश्य से वाहन का प्रयोग करने हेतु ऋण प्राप्त किया गया, जिसके कारण परिवाद फोरम के समक्ष पोषणीय नहीं है । परिवादी की ओर से योजित परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है । 
    परिवादी की ओर से अपने कथनों के समर्थन में साक्ष्य शपथपत्र 10/1 लगायत 10/3 तथा प्रति उत्तर शपथपत्र 25/1 लगायत 25/3 प्रस्तुत किया गया है । इसके अतिरिक्त विपक्षीगण के पक्ष में जमा की गयी धनराशि से सम्बन्धित् रसीदों की छाया प्रतियां 7/1 लगायत 7/5, खाते के विवरण की छाया प्रति 7/6 लगायत 7/8, इनवेन्ट्री की छाया प्रति 7/9, विपक्षीगण को भेजे गये नोटिस की छाया प्रति 7/10 तथा वाहन के पंजीकरण प्रमाण पत्र की छाया प्रति 13/13 प्रस्तुत की गयी है । 
    विपक्षीगण की ओर से अपने कथनों के समर्थन में साक्ष्य शपथपत्र 21/2, खाते के विवरण की छाया प्रति 22/1 लगायत 22/2 तथा ऋण अनुबंध पत्र की छाया प्रति 30/1 लगायत 30/28 प्रस्तुत की गयी है । 
    पक्षगण अधिवक्ता के तर्क सुने गये एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया । 

निष्कर्ष

    उपरोक्त आधार पर यह स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा विपक्षीगण से अपने परिवार के जीविकोपार्जन हेतु ट्रक क्रय किये जाने हेतु अंकन 18,10,000/-रूपये का ऋण प्राप्त किया गया था और परिवादी द्वारा दिनांक 29.01.11 से 31.08.12 तक अंकन 19,85,625/-रूपये का भुगतान कर दिया गया । परिवादी के कथनानुसार विपक्षीगण द्वारा अवैध रूप से अंकन 5,55,481/-रूपये की माॅग की गयी और इस धनराशि का भुगतान न करने पर विपक्षीगण के कर्मचारियों द्वारा दिनांक 23.11.13 को अवैध असलाहों से लैस होकर वाहन को खींच लिया गया । इस संदर्भ में विपक्षीगण की ओर से यह स्वीकार किया गया है कि परिवादी द्वारा दिनांक 31.08.12 तक अंकन 19,85,625/-रूपये का भुगतान किया गया, जबकि एग्रीमेंट वैल्यू अंकन 22,80,600/-रूपये थी । इस प्रकार परिवादी द्वारा अवशेष धनराशि के भुगतान से बचने हेतु असत्य कथनों के आधार पर यह परिवाद योजित किया गया है । इसके विपरीत परिवादी की ओर से सशपथ यह कथन प्रस्तुत किया गया है कि उनके द्वारा समस्त ऋण धनराशि का भुगतान किया जा चुका है और विपक्षीगण द्वारा अवैधानिक रूप से असलाहों के माध्यम से अपने कर्मचारियों द्वारा वाहन को खिंचवाकर अपने कब्जे में कर लिया गया है । 
    उपरोक्त आधार पर यह स्पष्ट हो जाता है कि पक्षकारों के मध्य ऋण खाते के विवरण का विवाद है । परिवादी का कथन है कि उसके द्वारा समस्त ऋण धनराशि का भुगतान किया जा चुका है, जबकि विपक्षीगण का कथन है कि परिवादी के ऊपर ऋण धनराशि अभीतक अवशेष है । एैसी परिस्थिति में विपक्षीगण को यह आदेशित किया जाना आवश्यक है कि निर्धारित अवधि में परिवादी को ऋण धनराशि से सम्बन्धित् समस्त खाते का विवरण उपलब्ध कराया, जिससे कि परिवादी को देय धनराशि के संदर्भ में जानकारी हो सके । इसके अतिरिक्त विपक्षीगण को यह आदेशित किया जाना भी आवश्यक है कि उसने प्रश्नगत वाहन को परिवादी के पक्ष में वापस कर दे और वापस न करने की दशा में विपक्षीगण द्वारा अंकन 15 लाख रूपये का भुगतान देय होगा । परिवादी की ओर से क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय के रूप में अंकन 1,50,000/-रूपये का भुगतान चाहा गया है, परन्तु हमारे विचार से यह काफी अधिक है । परिवादी क्षतिपूर्ति व वाद व्यय के रूप में अंकन 20,000/-रूपये प्राप्त करने का अधिकारी है, तदनुसार परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है । 

आदेश

    परिवादी की ओर से योजित परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है । विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि परिवादी को एक माह के अंदर प्रश्नगत ऋण से सम्बन्धित् समस्त खाते का विवरण उपलब्ध कराते हुए देय धनराशि से अवगत करा दे और परिवादी से अपने कब्जे में लिये गये वाहन को परिवादी के पक्ष में अवमुक्त कर दे और यदि वाहन को अवमुक्त करना संभव न हो, तो परिवादी को अंकन 15,00,000/-रूपये (पन्द्रह लाख रूपये मात्र) का भुगतान करे, अन्यथा परिवादी को यह अधिकार होगा कि वह उपरोक्त धनराशि को मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से परिवाद योजित किये जाने की तिथि से भुगतान किये जाने की तिथि तक समस्त धनराशि की वसूलयाबी फोरम के माध्यम से करेगा और आदेश का अनुपालन न किये जाने पर विपक्षीगण के विरूद्व दण्डात्मक कार्यवाही करेगा । 


( मोहम्मद कमर अहमद )                  (  बृजेश चन्द्र सक्सेना )
        सदस्य                                    अध्यक्ष    
यह निर्णय आज दिनांक 30.11.2016 को हमारे द्वारा हस्ताक्षरित करके खुले फोरम में उद्घोषित किया गया ।


   ( मोहम्मद कमर अहमद )                  (  बृजेश चन्द्र सक्सेना )
          सदस्य                                अध्यक्ष    

 

 
 
[HON'BLE MR. Brijesh Chandra Saxena]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Mohd Qamar Ahmad]
MEMBER

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