Rajasthan

Jaipur-IV

cc/1735/2012

Rajeev Khanna - Complainant(s)

Versus

Hi-Tech College of Medical Sciences. - Opp.Party(s)

25 Mar 2015

ORDER

          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर

                       पीठासीन अधिकारी
                       डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
                       डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
                      श्री अनिल रूंगटा, सदस्य

परिवाद संख्या:-1735/2012 (पुराना परिवाद संख्या 463/2010)

श्री राजीव खन्ना पुत्र श्री एस.के.खन्ना, उम्र 35 वर्ष, निवासी- डी-9, रामनगर, शास्त्री  नगर, जयपुर (राजस्थान) । 
परिवादी
बनाम

01. हाईटेक मेडीकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पिटल, पान्द्रा रसूलगढ़, भुवनेश्वर (उड़ीसा) जरिये प्रिसिंपल/प्रबन्धक ।
02. उत्कल यूनिवर्सिटी, वाणी विहार, भुवनेश्वर (उड़ीसा) जरिये कुलपति । 

विपक्षीगण
उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री जितेन्द्र मित्रुका/श्री कमल चामरिया, एडवोकेट
विपक्षीगण की ओर से श्री प्रमोद कुमार/श्री सिद्धार्थ शंकर

निर्णय
दिनांकः- 25.03.2015

यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 15.04.2010 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने राजस्थान विश्वविद्यालय से वर्ष 2001 में बी.एच.एम.एस. डिग्री प्राप्त की थी और वह एम.एस.सी. मेडीकल ’फिजियोलाॅजी’ में प्रवेश पाने के लिए उक्त डिग्री के आधार पर पूर्ण पात्रता रखता था । इसलिए परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 द्वारा संचालित एम.एस.सी. मेडीकल ’फिजियोलाॅजी’ पाठ्यक्रम में तीन वर्ष की अवधि के लिए प्रवेश पाने हेतु दिनांक 30.10.2007 को मय डी.डी. राशि 65,000/-रूपये आवेदन किया । विपक्षी संख्या 1 ने परिवादी को आश्वस्त किया था कि यह पाठ्यक्रम उड़ीसा राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित हैं और विपक्षी संख्या 3 द्वारा मान्यता प्राप्त हैं । 65,000/-रूपये उक्त पाठ्यक्रम की सम्पूर्ण फीस थी । इस फीस की रसीद विपक्षी संख्या 1 ने दिनंाक 06.11.2007 को परिवादी के निवास स्थान पर जरिये डाक उपलब्ध कराई  थी । इस फीस के शिड्यल और सर्टिफिकेट्स आदि को विपक्षी संख्या 1 ने तत्समय ही उपलब्ध करवा दिया था ।
इसके बाद परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 संस्थान में उक्त पाठ्यक्रम में उपस्थिति दर्ज कराते हुए अध्ययन किया और निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार उक्त कोर्स की परीक्षा जुलाई,2008 में आयोजित की जानी थी लेकिन आयोजित नहीं की गई । और विपक्षीगण ने बिना निर्धारित परीक्षा आयोजित किये ही वर्ष दर वर्ष का पाठ्यक्रम जारी रखा । इस संबंध में विद्यार्थियों ने जब भी जानकारी चाही तो उसके द्वारा कथन किया गया कि तकनीकी कारणों परीक्षा आयोजित करने में देरी हो रही है, जिसे शीघ्र करवा दिया जायेगा । इस परिस्थिति से परेशान होकर परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 से दिनंाक 08.01.2010 को मूल दस्तावेज व एम.एस.सी. मेडीकल ’फिजियोलाॅजी’ हेतु जमा कराई गई फीस राशि 65,000/-रूपये वापस लौटाने का निवेदन किया और परिवादी के बहुमूल्य दो वर्ष, जो पाठ्यक्रम अध्ययन में परिवादी ने निवेश किया था, उनका सदुपयोग नहीं हो सका । इसलिए विपक्षीगण ने परिवादी को त्रुटिपूर्ण सेवाऐें उपलब्ध करवाई हैं ।
इसके बाद परिवादी ने सूचना के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत विपक्षी संख्या 2 से दिनांक 18.02.2010 को एम.एस.सी. मेडीकल ’फिजियोलाॅजी’ के पाठ्यक्रम बाबत् जानकारी चाही तो इसके बाद विपक्षी संख्या 2 ने दिनांक 08.03.2010 को जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि उक्त एम.एस.सी. मेडीकल ’फिजियोलाॅजी’ उड़ीसा राज्य सरकार द्वारा न तो अनुमोदित हैं और न ही विपक्षी संख्या 2 द्वारा विपक्षी संख्या 1 का उक्त पाठ्यक्रम मान्यता प्राप्त हैं । इस प्रकार विपक्षी संख्या 1 ने परिवादी को उक्त पाठ्यक्रम के संबंध में असत्य जानकारी देकर और उसे भ्रमित करके परिवादी से उक्त फीस आदि वसूल करके सेवादोष कारित किया है । और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 7 व 11 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षी संख्या 1 की ओर से अंग्रेजी भाषा में जवाब दिया गया है जिसका सार संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने उक्त पाठ्यक्रम में प्रवेश तो लिया था लेकिन  पाठ्यक्रम की कक्षाओं में उपस्थिति दर्ज नहीं कराई थी । उसके द्वारा दिये गये तथ्य अंशतः सत्य हैं । और चूंकि परिवादी ने वांछित संख्या में पाठ्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई थी इसलिए उसने परीक्षा फाॅर्म भी नहीं भरा था । इसके लिए विपक्षी संख्या 1 उत्तरदायी नहीं हैं । इस प्रकार विपक्षी संख्या 1 का कोई सेवादोष प्रमाणित नहीं होता हैं ।
विपक्षी संख्या 2 की ओर से भी अंग्रेजी भाषा में जवाब दिया गया है जिसका सार संक्षेप में इस प्रकार हैं कि विपक्षी संख्या 2 इस प्रकरण में पक्षकार बनाये जाने योग्य नहीं हैं और उसे परिवाद के साथ कुसंयोजित किया गया हैं । परिवादी विपक्षी संख्या 2 का उपभोक्ता नहीं हैं । विपक्षी संख्या 1 को विपक्षी संख्या 2 ने एम.एस.सी. मेडीकल ’फिजियोलाॅजी’ कोर्स के संबंध में कभी भी कोई ।ििपसपंजपवद प्रदान नहीं किया गया हैं । इसलिए विपक्षी संख्या 1 एवं विपक्षी संख्या 2 के मध्य भी कोई संबंध नहीं  हैं । विपक्षी संख्या 1 द्वारा विपक्षी संख्या 2 से मान्यता प्राप्त करने के लिए जो निर्धारित आवश्यकताऐं थी, वे कभी पूर्ण नहीं की गई और उनके द्वारा वांछित फीस भी विपक्षी संख्या 2 के कार्यालय में जमा नहीं कराई गई । यद्यपि माननीय उड़ीसा उच्च न्यायालय ने उन्हें पाठ्यक्रम की मान्यता देने के लिए कार्यवाही आरम्भ करने के निर्देश भी दिये हैं । इसलिए विपक्षी संख्या 2 का कोई सेवादोष नहीं हैं । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
 परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री राजीव खन्ना ने स्वयं के शपथ पत्र के साथ कुल 30 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षी संख्या 1 की ओर से श्री सुरेश चन्द्र महापात्र का शपथ पत्र एवं प्रदर्श ए-1 से प्रदर्श सी-1 दस्तावेज प्रस्तुत किये गये । विपक्षी संख्या 2 की ओर से जवाब के तथ्यों की पुष्टि में श्री एम.डी.अब्दुल वदूद का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया । 
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 हाईटेक मेडीकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पिटल में प्रवेश लेने के लिए उपाबन्ध-5 रसीद दिनांकित 06.11.2007 के माध्यम से 65,000/-रूपये व उपाबन्ध-6 रसीद दिनांकित 14.12.2007 के माध्यम से 450/-रूपये जमा करवाये थे । इस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेते समय परिवादी को विपक्षी संख्या 1 ने जो ब्रोशर एडमिशन 08-09 उपलब्ध कराया हैं, उसकी प्रति परिवादी की ओर से अभिलेख के साथ संलग्न की गई हैं । इसमें एम.एस.सी. मेडीकल ’फिजियोलाॅजी’ पाठ्यक्रम तीन वर्ष का बताया गया है तथ यह कोर्स उत्कल यूनिवर्सिटी से ।ििपसपंजमक होना बताया गया है । जबकि वास्तविक स्थिति ठीक इसके विपरीत हैं क्योंकि उत्कल यूनिवर्सिटी के क्मचनजल ब्वदजतवससमत व िम्गंउपदंजपवद से जब परिवादी ने उक्त पाठ्यक्रम के उत्कल यूनिवर्सिटी से ।ििपसपंजमक होने के संबंध में जानकारी मांगी तो उन्होंने अपने पत्र दिनंाकित 04.03.2010 के माध्यम से परिवादी को अवगत कराया कि हाईटेक मेडीकल एण्ड हाॅस्पिटल, पण्डारा, भुवनेश्वर द्वारा संचालित डण्ैब पद डमकपबंस ;।दंजवउलए च्ीलेपवसवहल - ठपव.ब्ीमउपेजतलद्ध कोर्स अभी तक उत्कल यूनिवर्सिटी से ।ििपसपंजमक नहीं हैं । इसलिए निर्विवाद रूप से विपक्षी संख्या 1 ने परिवादी को उक्त एम.एस.सी. मेडीकल ’फिजियोलाॅजी’ पाठ्यक्रम  में  प्रवेश लेते समय जो तथ्य बताये थे वे तथ्य उत्कल यूनिवर्सिटी के पत्र दिनंाकित 04.03.2010 के प्रकाश में सर्वथा असत्य सिद्ध हो जाते हैं । इसलिए मात्र इस आधार पर ही परिवादी विपक्षी संख्या 1 से उसके द्वारा जमा करवाई गई उक्त कोर्स की फीस राशि 65,450/-रूपये वापस प्राप्त करने का अधिकारी हैं क्योंकि परिवादी को उक्त पाठ्यक्रम उत्कल यूनिवर्सिटी से ।ििपसपंजमक होने की सूचना देकर विपक्षी संख्या 1 ने परिवादी को दिग्भ्रमित करके उससे फीस राशि के रूप में जो कुल 65,450/-रूपये की राशि वसूल की थी, जो परिवादी विपक्षी संख्या 1 से वापस प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षी संख्या 1 द्वारा प्रस्तुत ।जजमदकंदबम त्महपेजमत में परिवादी ने उक्त पाठ्यक्रम में कभी-भी अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करवाई । इस बाबत् ।जजमदकंदबम त्महपेजमत प्रस्तुत किया गया है । इस तथ्य का कोई लाभ विपक्षी संख्या 1 प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है । बल्कि यह तथ्य विपक्षी संख्या 1 के विरूद्ध इस कारण जाता है क्योंकि परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 के पाठ्यक्रम की किसी भी कक्षा में कभी भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर विपक्षी संख्या 1 द्वारा दी जा रही शिक्षा और ज्ञान का भी कभी कोई लाभ प्राप्त नहीं किया हैं ।
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवादी को विपक्षी संख्या 1 ने एम.एस.सी. मेडीकल ’फिजियोलाॅजी’ तीन वर्षीय पाठ्यक्रम में गलत तथ्य बताकर प्रवेश के लिए दिग्भ्रमित करके सेवादोष कारित किया हैं । और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी विपक्षी संख्या 1 संस्थान में उक्त पाठ्यक्रम पेटे जमा करवाई गई फीस राशि 65,450/-रूपये वापस प्राप्त करने का अधिकारी हैं । परिवादी 65,450/-रूपये की राशि पर विपक्षी संख्या 1 से परिवाद पेश करने के दिन से वसूली के दिन तक 9 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगा । परिवादी को विपक्षी संख्या 1 के इस सेवादोष से हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 15,000/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये पृथक से दिलवाये जाने के आदेश दिये जाते हैं ।  विपक्षी संख्या 2 का कोई सेवादोष प्रमाणित नहीं होने से परिवादी उसके विरूद्ध कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं हैं । 
आदेश
 अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है कि परिवादी विपक्षी संख्या 1 से एम.एस.सी. मेडीकल ’फिजियोलाॅजी’ पाठ्यक्रम पेटे जमा करवाई गई फीस राशि 65,450/-रूपये वापस प्राप्त करने का अधिकारी हैं । परिवादी 65,450/-रूपये की राशि पर विपक्षी संख्या 1 से परिवाद पेश करने के दिन से वसूली के दिन तक 9 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगा । परिवादी को विपक्षी संख्या 1 के उपरोक्त सेवादोष से हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 15,000/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये पृथक से दिलवाये जाने के आदेश दिये जाते हैं ।  विपक्षी संख्या 2 का कोई सेवादोष प्रमाणित नहीं होने से परिवादी उसके विरूद्ध कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं हैं । 
विपक्षी संख्या 1 को आदेश दिया जाता है कि वह उक्त समस्त राशि परिवादी के रिहायशी पते पर जरिये डी.डी./रेखांकित चैक इस आदेश के एक माह की अवधि में उपलब्ध करवायेगा । 

अनिल रूंगटा       डाॅं0 अलका शर्मा            डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य                       सदस्या                                 अध्यक्ष


निर्णय आज दिनांक 25.03.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।


अनिल रूंगटा       डाॅं0 अलका शर्मा            डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य                        सदस्या                                    अध्यक्ष

 

 

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