View 32914 Cases Against Life Insurance
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Nur Bano filed a consumer case on 22 Jan 2016 against Head Manager, Future Journal Life Insurance Company Ltd. in the Kota Consumer Court. The case no is CC/170/2011 and the judgment uploaded on 27 Jan 2016.
श्रीमति नूरबानो
बनाम
महाप्रबंधक फ्यूचर जनरल लाईफ इं. क. लि. मुम्बई आदि।
परिवाद संख्या 170/11
22.01.2016 दोनों पक्षों को सुना जा चुका है। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
परिवादिया ने विपक्षी बीमा कम्पनी का संक्षेप में यह सेवा-देाष बताया है कि उसके पति ने अपने जीवन काल में दिनांक 27.05.10 को विपक्षी से बीमा पालिसी संख्या-00516196 बीमा धन 1,01,552/-रूपये के लिये निर्धारित प्रीमीयम अदा करके ली थी जिसकी प्रथम प्रीमियम राशि 07.06.10 को जमा कराई थी। दि. 25.08.10 को उसके पति की मृत्यु हो गई जिसका क्लेम विपक्षी- बीमा कम्पनी को प्रस्तुत किया गया जिसे अनुचित एवं मनमाने रूप से खारिज कर दिया। विपक्षी-कम्पनी को पत्र व लीगल नोटिस भेजा इसके बावजूद बीमा राशि की अदायगी नहीं की इससे परिवादिया को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप हुआ है।
विपक्षी-बीमा कम्पनी के जवाब का सार है कि परिवाद झंूठा है। क्लेम की जाॅंच में पाया गया की परिवादिया के पति गत 10 वर्षों से शराब पीते थे व शराब पर निर्भर थे उसे शराब के नशे से छुटकारा हेतु मानसिक रोग विभाग को भी रेफर किया गया था। परिवादिया के पति ने पालिसी हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत करते समय अपने स्वास्थ्य, बीमारी व शराब पीने की आदत व नशे से संबंधित तथ्यों के बारे में सही सूचना नहीं दी अपितु सही एवं वास्तविक सारवान तथ्यों को छिपाया और इस प्रकार धोखे एवं कपट से बीमा हेतु संविदा की जिसके अन्तर्गत नियमानुसार कोई क्लेम देय नहीं होने से क्लेम सही खारिज किया गया।सेवा में कोई कमी नहीं की गई।
परिवादिया ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा प्रपोजल फार्म, मृत्यु प्रमाण-पत्र, एम.बी.एस. अस्पताल का प्रमाण-पत्र, पालिसी शिड्यल, विपक्षी-बीमा कम्पनी को प्रेषित लीगल नोटिस आदि की प्रतियां प्रस्तुत की हैं। विपक्षी-बीमा कम्पनी ने साक्ष्य में मदनगोपाल जालान के शपथ-पत्र के अलावा एम.बी.एस. अस्पताल का डिस्चार्ज टिकट, परिवादिया के पति द्वारा पालिसी हेतु प्रस्तुत प्रपोजल-पत्र, एम.बी.एस. अस्पताल की ओर से जारी मृत्युु प्रमाण-पत्र, इंन्वेस्टीगेशन में शाहरूख खान द्वारा दिया गया स्टेट्मेन्ट, जवाब नोटिस क्लेम-खारिजी पत्र आदि दस्तावेजात की प्रतियां प्रस्तुत की गई हैं।
हमने विचार किया।
विपक्षी-बीमा कम्पनी ने परिवादिया के पति अब्दुल वहीद की जीवन बीमा पालिसी के अन्तर्गत मृत्यु-दावा इस आधार पर खारिज किया हैं कि वह शराब का सेवन करता था व उस पर निर्भर था तथा पूर्व के वर्षों में इस हेतु चिकित्सकीय जांचे भी कराई थी जबकि उसने पालिसी हेतु प्रपोजल में अपने स्वास्थ्य के संबध्ंा में उक्त तथ्यों को छिपाया व असत्य तथ्य प्रकट किये।
विचारणीय प्रश्न है कि क्या विपक्षी-बीमा कम्पनी ने उक्त कारणों से क्लेम खारिज करके सेवा में कमी की है?
इस बारे में विवाद की स्थिति नहीं है कि परिवादिया के पति ने पालिसी हेतु विपक्षी-बीमा कम्पनी को प्रपोजल 27.05.2010 को प्रस्तुत किया था जिसके खण्ड 9 में पूछे गये निम्न प्रश्नों का उसने नहीं में उत्तर दियाः-
1. क्या आपने कभी नार्कोटिक्स या नशीली दवाओं का सेवन किया है
या शराब या दवाओं को छुड़ाने के लिये ईलाज लिया है? ‘‘नही’’ं
2. क्या गत तीन वर्षों में आपने चिकित्सकीय जांचे कराई हैं या कराने
की आपको सलाह दी गई या अगले 30 दिवसों में ऐसी जांचे करानी
हैं? -‘‘नहीं’’
विपक्षी-बीमा कम्पनी का केस है कि उक्त उत्तर उसने जानबूझकर गलत दिये क्योंकि इन्वेस्टिगेशन में पाया गया कि वह गत 10 वर्षों से शराब का सेवन करता था। उसने एम.बी.एस. अस्पताल कोटा में शराब से छुटकारा के लिये ईलाज लिया था। तथा इस हेतु उसे मानसिक रोग विभाग को भी रेफर किया गया था।
विपक्षी-बीमा कम्पनी ने हमारे समक्ष इन्वेस्टीगेटर की कोई रिपोर्ट या शपथ-पत्र प्रस्तुत नहीं किया है। एम.बी.एस. अस्पताल, कोटा का डिस्चार्ज टिकट व मृत्यु प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया है, जिनसे यह प्रकट होता है कि अब्दुल वहीद पुत्र एहसानउल्लाह उक्त अस्पताल में दिमागी बुखार व शराब से छुटकारे के ईलाज के लिये 30.07.10 से 06.08.10 तक भर्ती रहा था। तथा अस्पताल में ईलाज के दौरान 25.08.10 को उसकी मृत्यु हुयी थी। इन दस्तावेजों से यह प्रकट नहीं है कि पूर्व में गत 10 वर्षांे से वह शराब का सेवन कर रहा है तथा पूर्व में उसने कहीं कोई ईलाज लिया या जांचे कराई। उसने बीमा पालिसी हेतु प्रस्ताव 27.05.10 को प्रस्तुत किया था, उससे पूर्व उसने शराब से छुटकारे का कोई ईलाज लिया, जांच कराई या उस समय आगे 30 दिवस में जांच कराने की कोई सलाह दी गई थी इस बाबत् विपक्षी-बीमा कम्पनी ने कोई दस्तावेजी प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया है इसलिये यह नहीं माना जा सकता कि प्रस्ताव दिनांक 27.05.10 को प्रस्तुत करने के समय या उससे पूर्व उसने शराब की लत छुड़ाने के लिये कोई ईलाज लिया था या जांच कराई थी या 30 दिवस में जांच कराने की सलाह दी गई थी। पालिसी हेतु प्रस्ताव के समय उससे ऐसा कोई प्रश्न ही नहीं पूंछा गया था कि क्या वह शराब का सेवन करता है? इसलिये यदि यह माना भी जावे कि वह पूर्व से शराब का सेवन करता था तो भी यह सिद्ध नहीं है कि उसने प्रस्ताव मेें कोई सारभूत तथ्य छिपाये।
उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप हम पाते हेै कि विपक्षी-बीमा कम्पनी ने परिवादिया के पति की जीवन बीमा पालिसी संख्या-00516196 के अन्तर्गत मृत्यु दावा खारिज करके सेवा में कमी की है, परिवादिया जो कि उसकी पत्नि व नोमीनी है उक्त पालिसी के अन्तर्गत मृत्यु दावा राशि 1,01,522/-रूपये विपक्षी-बीमा कम्पनी से प्राप्त करने की अधिकारी है। इस राशि पर ब्याज व मानसिक संताप की भरपाई, परिवाद खर्चा आदि भी पाने की अधिकारी है।
अतः विपक्षी-बीमा कम्पनी को निर्देश दिये जाते हैं कि परिवादिया को उसके पति की उक्त पालिसी के अन्तर्गत मृत्यु दावा राशि 1,01,522/-रूपये व इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि 25.04.11 से भुगतान करने तक 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित कुल राशि 2 माह मंे अदा की जावे। इसके अलावा मानसिक संताप की भरपाई हेतु 5000/-रूपये एवं परिवाद व्यय के पेटे 2500/-रूपये भी अदा किये जावें।
आदेश खुले मंच में सुनाया गया। पत्रावली फैसल शुमार होकर रिकार्ड में जमा हो।
(हेमलता भार्गव) (महावीर तॅंवर) (भगवान दास)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
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