Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/50/2020

ANUBHAWATI DEVI - Complainant(s)

Versus

HDFC STANDARD LIFE INSURANCE - Opp.Party(s)

JITENDRA NATH PANDEY

24 Dec 2022

ORDER

-1-

परिवाद संo                               मामले का शीर्षक-                                     उद्घोषणा की तिथि

50 सन् 2020                       “परिवादिनी के बीमा क्लेम का भुगतान                        24.12.2022

                                        विपक्षीगण द्वारा न करने के कारण क्षतिपूर्ति

                                        व बीमित धनराशि दिलाए जाने सम्बन्धी वाद”

 

 जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संस्थित करने की तिथि 03.12.2020

अंतिम सुनवाई की तिथि 17.12.2022

उद्घोषणा की तिथि 24.12.2022

परिवाद संख्या 50 सन् 2020

     अनुभावती देवी पत्नी स्वo विजय शंकर प्रसाद ग्राम व पोस्ट- रसूलपुर नन्दलाल सरदहां, तहसील- सगड़ी, जिला- आजमगढ़।  

(जरिएः परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता

श्री जितेन्द्र कुमार पाण्डेय एवं श्री पारसनाथ तिवारी)

  •  

बनाम

  1. निदेशक एच.डी.एफ.सी. ई.आर.जी.ओ जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड 6 फ्लोर, लीला बिजनेस पार्क अन्धेरी कुरला रोड मुम्बई- 400059

(जरिएः विपक्षी संख्या 01 के विद्वान अधिवक्ता

श्री जय प्रकाश यादव)

  1. प्रबन्धक एच.डी.एफ.सी. बैंक लिमिटेड, शाखा शहाबुद्दीनपुर, बिलरियागंज, आजमगढ़।
  2.  

कोरमः-

     भगवती प्रसाद सक्सेना “अध्यक्ष”, गगन कुमार गुप्ता “सदस्य” तथा सुश्री प्रतिष्ठा वर्मा “सदस्या”

सुनवाई की अंतिम तिथि पर उपस्थितः- परिवादिनी स्वयं तथा परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता तथा विपक्षी संख्या 01 के विद्वान अधिवक्ता।

 

 

    -2-

माo अध्यक्ष, श्री भगवती प्रसाद सक्सेना द्वारा उद्घोषित

     निर्णय

  1. परिवादिनी की ओर से यह परिवाद अपने पति स्वo विजय शंकर प्रसाद, सहायक अध्यापक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय महरूमपुर, महराजगंज, तहसील- सगड़ी, जनपद- आजमगढ़ में कार्यरत शिक्षक की एक मात्र उत्तराधिकारिणी की हैसियत से योजित किया गया है।
  2. संक्षेप में परिवाद के अभिवचन निम्नवत हैः-

श्री विजय शंकर प्रसाद, शिक्षक ने अपने कार्यकाल के दौरान एच.डी.एफ.सी. बैंक शाखा शहाबुद्दीनपुर बिलरियागंज, आजमगढ़ से पर्सनल लोन के अन्तर्गत 5,00,000/- (पांच लाख रुपए मात्र) दिनांक 29.10.2016 को लिया। जो खाता संख्या 50100158250347 में बैंक द्वारा भेजा गया। उक्त खाते का एच.डी.एफ.सी. ई.आर.जी.ओ. सर्व सुरक्षा प्लान के अन्तर्गत बीमा कराया गया। जिसका सर्टिफिकेट नं. 2950201543843700000 दिनांकित 31.10.2016 को लिया गया। इस बीमा के अन्तर्गत हेल्थ व पर्सनल लोन (जो कि एच.डी.एफ.सी. बैंक द्वारा लिया गया पर्सनल लोन) भी कवर्ड था। परिवादिनी के पति ने इस बीमा की किश्त एक मुश्त एक बार में ही जमा कर दी जो कि दिनांक 31.10.2019 तक वैध थी। बीमा लेने के समय परिवादिनी के पति बिल्कुल स्वस्थ थे। उन्हें कोई गम्भीर बीमारी नहीं थी। इसी बीच उनकी तबियत खराब होने के कारण स्वरूप रानी हॉस्पिटल प्रयागराज में इलाज हेतु दिनांक 28.06.2019 को भर्ती कराया गया और उपचार के पश्चात् दिनांक 01.07.2019 को उन्हें स्वस्थ डिस्चार्ज किया गया। दौरान इलाज दिनांक 11.10.2019 को परिवादिनी के पति की मृत्यु हो गयी। परिवादिनी के पति की मृत्यु के पश्चात् विपक्षी बैंक शाखा शहाबुद्दीनपुर बिलरियागंज आजमगढ़ द्वारा अपने पर्सनल लोन की वसूली हेतु दबाव डाला जा रहा है और कहा जा रहा है कि आप लोन का धन वापस करें।

जब परिवादिनी ने कम्पनी से इस सम्बन्ध में यह अनुरोध किया कि आप अपनी सेवा शर्तों के अनुसार इसका भुगतान करें। तब उन्होंने भुगतान करने से मना कर दिया।

     -3-

परिवादिनी के पति ने इसी ऋण सुरक्षा हेतु एच.डी.एफ.सी. ई.आर.जी.ओ. जनरल इन्श्योरेन्स से बीमा पॉलिसी ली थी। उक्त बीमा पॉलिसी के अन्तर्गत हेल्थ व पर्सनल लोन भी कवर्ड था। परिवादिनी के अनुरोध करने के बाद भी जब बीमा कम्पनी द्वारा इसका भुगतान नहीं किया गया तो परिवादिनी ने मजबूर होकर उपभोक्ता आयोग में यह वाद योजित किया।

परिवादिनी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी से बीमित धनराशि 5,50,000/- (पांच लाख पचास हजार रुपए मात्र) एवं परिवादिनी के पति के दवा इलाज में किया गया खर्च 50,000/- (पचास हजार रुपए मात्र) तथा वाद व्यय एवं ब्याज सहित प्रतिकर धनराशि की मांग की गयी है।

  1. विपक्षी संख्या 01 एच.डी.एफ.सी. ई.आर.जी.ओ जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिo के द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह अभिवचन किया गया है कि परिवाद पत्र में मृतक विजय शंकर प्रसाद द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी से बीमा पॉलिसी में अंकित शर्तों के अनुसार हेल्थ बीमा भी कराया गया था। उक्त बीमा पॉलिसी नम्बर 2550201543843700000 जो दिनांक 31.10.2016 से 31.10.2021 तक के लिए वैध था। परिवादिनी के द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी के यहाँ क्लेम किए जाने पर परिवादिनी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को मृतक विजय शंकर प्रसाद के दवा इलाज व मृत्यु से सम्बन्धित कागजात दिया गया था। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी द्वारा दिए गए कागजातों का अवलोकन करने के पश्चात् यह पाया गया कि विपक्षी बीमा कम्पनी की बीमा पॉलिसी में उल्लिखित शर्त नम्बर 05 क्रिटिकल इलनेस के अन्तर्गत मृतक विजय शंकर प्रसाद की मृत्यु नहीं हुई, बल्कि उक्त अभिलेखों में मृतक विजय शंकर प्रसाद की मृत्यु ‘एक्यूट कोरोनरी सिन्ड्रोम, नॉन एसटी. इलिवेशन मायोकॉर्डियल इन्फ्रैक्शन, डायबिटीज, ट्रिपल वेशल कोरोनरी ऑर्टेरी डिजीज’ के कारण हुई है। जो विपक्षी बीमा कम्पनी की शर्तों के अन्तर्गत कवर नहीं होती है। इस कारण परिवादिनी का क्लेम विपक्षी कम्पनी द्वारा उसके दावे को निरस्त (नो क्लेम) कर दिया गया। क्रिटिकल इलनेस के

 

    -4-

अन्तर्गत बीमा कम्पनी की पॉलिसी के शर्तों के अन्तर्गत 10 (दस) बीमारियां हैं। जो निम्नवत हैं-

  1. First heart attack of specified severity (The following are excluded: Non-ST-segment elevation myocardial infarction (NSTEMI) with only elevation of Troponin I or T, Other acute Coronary Syndromes, any type of angina pectoris)
  2. Open chest CABG
  3. Stroke resulting in Permanent symptoms.
  4. Cancer of specified Severity.
  5. Kidney Failure Requiring Regular Dialysis.
  6. Major Organ/Bone Marrow Transplant.
  7. Multiple Sclerosis with persistent symptoms.
  8. Surgery of aorta.
  9. Primary pulmonary Arterial Hypertension.
  10. Permanent Paralysis of limbs.

उपरोक्त वर्णित कारणों के आधार पर विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत किए गए प्रतिवाद पत्र में याचिनी के बीमा क्लेम का निरस्त करने हेतु प्रतिवाद किया गया है।

  1. परिवादिनी की ओर से लिस्ट 6ग से अभिलेखीय साक्ष्य 7ग/1 लगायत 7ग/20 प्रस्तुत किया गया है एवं विपक्षी संख्या 01 की ओर से लिखित बहस 15/1 तथा अभिलेख 15/2 लगायत 15/22 प्रस्तुत किया गया है। परिवादिनी की ओर से शपथ पत्र 4ग/1 लगायत 4ग/2 प्रस्तुत किया गया है।
  2. सुना एवं पत्रावली का अवलोकन किया।

उपरोक्त वर्णित प्रकरण में मुख्य विवाद का बिन्दु निम्नवत हैः-

  1. क्या परिवादिनी के पति की मृत्यु बीमा पॉलिसी के अन्तर्गत 10 (दस) बीमारियों में से किसी एक बीमारी अथवा कई बीमारियों से कवर्ड है?

विपक्षी की ओर से मुख्य प्रतिवाद लिखित बहस में किया गया है कि क्रिटिकल इलनेस में 10 (दस) बीमारियां 1. First heart attack of specified severity (The following are

   -5-

excluded: Non-ST-segment elevation myocardial infarction (NSTEMI) with only elevation of Troponin I or T, Other acute Coronary Syndromes, and type of angina pectoris) 2. Open chest CABG 3. Stroke resulting in Permanent symptoms. 4. Cancer of specified Severity. 5. Kidney Failure Requiring Regular Dialysis. 6. Major Organ/Bone Marrow Transplant. 7. Multiple Sclerosis with persistent symptoms. 8. Surgery of aorta. 9. Primary pulmonary Arterial Hypertension. 10. Permanent Paralysis of limbs. शामिल हैं।

  1. परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत किए गए अभिलेखीय साक्ष्य में स्वरूप रानी नेहरू हॉस्पिटल, प्रयागराज सम्बद्ध मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में वाह्य रोगी अभिलेख EHR ID: 2019000812022011, UHID: 20190354248 में चिकित्सक के द्वारा यह चिकित्सीय सलाह दी गयी है कि मृतक विजय शंकर प्रसाद की मृत्यु का कारण CABG बीमारी है। जिसका उल्लेख बीमा पॉलिसी के क्रम संख्या 02 में स्पष्ट रूप से लिखा गया है। परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत चिकित्सीय अभिलेख 7/15 व 7/16 ‘विवेकानन्द पॉलीक्लीनिक एण्ड इन्स्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम विवेकानन्दपुरी लखनऊ’ के ‘कॉर्डियोलॉजी विभाग’ की “कॉर्डियक कैथराईजेशन रिपोर्ट” के अनुसार डॉक्टर के द्वारा यह सलाह दी गयी है कि मृतक विजय शंकर प्रसाद MULTIVESSEL PCI VS CABG के अनुसार कारित हुई है। उपरोक्त चिकित्सीय सलाह से यह साबित होता है कि विपक्षी के द्वारा किए गए बीमा पॉलिसी में प्रदर्शित बीमारी संख्या 02 के अनुसार परिवादिनी के पति श्री विजय शंकर प्रसाद की मृत्यु Heart Disease CABGहुई है। तद्नुसार विपक्षी बीमा कम्पनी बीमा पॉलिसी के अन्तर्गत परिवादिनी को मृतक का बीमा क्लेम देने के लिए उत्तरदायी है। इस प्रकार यह प्रकरण स्वीकार किए जाने योग्य है।  

 

 

 

     -6-

  •  
  1. परिवाद स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादिनी को बीमित धनराशि 5,50,000/- (पांच लाख पचास हजार रुपए मात्र) एवं 50,000/- (पचास हजार रुपए मात्र) दवा में किया गया खर्च कुल धनराशि 6,00,000/- (छः लाख रुपए मात्र) 09% वार्षिक ब्याज के हिसाब से वाद योजित करने की तारीख से एवं 10,000/- (दस हजार रुपए मात्र) वाद व्यय एक माह में अदा करें। अन्यथा, परिवादिनी जिला उपभोक्ता आयोग, आजमगढ़ के माध्यम से वसूलने की अधिकारिणी होंगी।

उभय पक्ष अपना-अपना हर्जा व खर्चा मुकदमा स्वयं वहन करेंगे।

आशुलिपिक/डी.एम.ए. से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की कन्फोनेट प्रक्रिया के अन्तर्गत बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

भगवती प्रसाद सक्सेना, “अध्यक्ष”

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग आजमगढ़।

गगन कुमार गुप्ता, “सदस्य”

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग आजमगढ़।

सुश्री प्रतिष्ठा वर्मा, “सदस्या”

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग आजमगढ़।

उद्घोषणा की तिथिः- 24.12.2022                                       

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