Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/23/2014

RAJ KAMAL JAISAWAL - Complainant(s)

Versus

HDFC LIFE INSURANCE - Opp.Party(s)

KAMLESH JAISAWAL

25 Mar 2022

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 23 सन् 2014

प्रस्तुति दिनांक 21.01.2014

                                                                                               निर्णय दिनांक 25.03.2022

राजकमल जायसवाल अवस्था लगभग 28 वर्ष पुत्र श्री गुलाबचन्द जायसवाल निवासी कप्तानगंज बाजार, पोस्ट- तेरही, थाना- कप्तानगंज, जिला- आजमगढ़।      

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. एचoडीoएफoसीo, स्टैण्डर्ड लाइफ इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड रजिस्टर्ड ऑफिस रमन हाउस एच.टी. पारेख मार्ग, 169 वैकवाय रिक्मेंशन चर्च गेट मुम्बई 400020 इण्डिया द्वारा शाखा प्रबन्धक एच.डी.एफ.सी. एस.एल.आई.सी. प्लाट नं. 384/386, सिविल लाईन आजमगढ़ (यू.पी.)
  2. शाखा प्रबन्धक एच.डी.एफ.सी. एस.एल.आई.सी. प्लाट नं. 384/386 सिविल लाईन आजमगढ़ (यू.पी.)
  3. अमित सैनी एजेण्ट कोड संख्या 00343528 एच.डी.एफ.सी. स्टैण्डर्ड लाइफ इन्श्योरेन्स कम्पनी प्लाट संख्या 384/386 फागू चौहान की बिल्डिंग सिविल लाइन्स शहर व जनपद- आजमगढ़।      
  4. विपक्षीगण।

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसकी नानी श्रीमती दुलारी देवी पत्नी पन्ना लाल का विपक्षी संख्या 01 के बीमा कम्पनी से जीवन बीमा हुआ था, जिसमें वह नामिनी है। बीमाधारक श्रीमती दुलारी देवी एक निरक्षर महिला थी। उन्होंने विपक्षीगण के एजेन्ट से प्रभावित होकर 5,00,000/- रुपए का बीमा विपक्षी से करवाया। बीमा एजेन्ट ने परिवादी की नानी श्रीमती दुलारी देवी से प्रस्ताव पत्र पर जगह-जगह उनके अंगूठे के निशान लिए और उन्होंने जिन कागजातों की मांग किया था वे सब उन्हें उपलब्ध करा दिया गया था। बीमा एजेन्ट ने ही प्रस्ताव पत्र स्वयं भरकर उसे सभी प्रपत्रों के साथ बीमा कम्पनी को भेजा था। बीमा की वार्षिक किस्त 50,000/- रुपए थी। जिसकी दो किस्तें समय समय पर बीमा धारक ने जमा किया था। दुर्भाग्यवश दिनांक 18.09.2012 की शाम को बीमा धारक के सीने में तेज दर्द हुआ तो उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उनकी मृत्यु हो गयी। परिवादी बिना कोई विलम्ब किए उनकी मृत्यु के बारे में बीमा एजेन्ट को अवगत कराया और उनके निर्देशों पर सभी आवश्यक प्रपत्रों को एकत्र किया तथा बीमित राशि के भुगतान के लिए अपना प्रार्थना पत्र, बीमा पॉलिसी एवं सभी प्रपत्रों के साथ उपरोक्त बीमा एजेन्ट के माध्यम से अक्टूबर 2012 के अन्तिम सप्ताह में विपक्षी बीमा कम्पनी के यहाँ भेजा। जिसके पश्चात् विपक्षी से टेलीफोन पर भी वार्ता किया। कुछ दिनों के बाद परिवादी ने अपना बैंक खाता चेक किया तो पता लगा कि उसमें 89,722.50 रुपए क्रेडिट मिले, जिसके सम्बन्ध में पता किया तो बीमा एजेन्ट ने बताय कि विपक्षी बीमा कम्पनी ने बीमा द्वारा जमा की गयी किस्तों से फण्ड वैल्यू काटकर शेष धनराशि परिवादी के खाते में जमा कर दिया है। विपक्षीगण द्वारा उक्त धनराशि को परिवादी के खाते में भेजने की उसे कोई सूचना नहीं दी गयी और चुपके से मनमाने तरीके से उसके खाते में डाल दिया गया। इसलिए जानकारी होने पर परिवादी ने दिनांक 23.12.2013 को अपना प्रोटेस्ट विपक्षी बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत किया। बीमा एजेन्ट ने विपक्षीगण का एक पत्र दिनांकित 04.12.2013 परिवादी को दिया, जिससे ज्ञात हुआ कि परिवादी के मृत्यु दावे को बीमा कम्पनी ने इस आधार पर अस्वीकृत कर दिया कि जाँच में बीमाधारक की उम्र में अन्तर पाया गया। बीमा धारक ने उम्र सम्बन्धी तथ्यों को छिपाया था। जिसे सुनकर परिवादी को ताज्जुब हुआ और मानसिक कष्ट हुआ। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वे मुo 5,00,000/- रुपया बीमा राशि मय 12% वार्षिक ब्याज परिवादी को वापस कर दे तथा शारीरिक, मानसिक व आर्थिक कष्ट हेतु मुo 1,00,000/- रुपए दे।      

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 6/1ता6/3 पॉलिसी डिटेल की छायाप्रति, कागज संख्या 6/4 फण्ड वैल्यू समरी की छायाप्रति, कागज संख्या 6/5 शाखा प्रबन्धक एच.डी.एफ.सी. को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/6 शवदाह प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/7 मृत्यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति तथा कागज संख्या 6/8 मुख्य प्रबन्धक एच.डी.एफ. सी. लाइफ इन्श्योरेन्स कम्पनी हेड ऑफिस मुम्बई को लिखे गए पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।    

कागज संख्या 8क² जवाबदावा द्वारा विपक्षीगण प्रस्तुत कर यह कहा गया है कि पॉलिसी दिनांक 01.04.2011 को डिस्पैच कर दी गयी। परिवादी ने दिनांक 06.04.2011 से कुछ समय तक कम्पलेन्ट नहीं किया। परिवादी अपने क्लेम इन्टीमेशन लेटर दिनांक 02.11.2012 को प्रस्तुत किया जिसमें दुलारी देवी के मृत्यु के बाबत सूचना दी गयी थी। कम्पनी ने नियमानुसार पॉलिसी संख्या 14322827 का विवेचन करवाया और इस आधार पर क्लेम को निरस्त कर दिया गया कि बीमाधारक की उम्र के सम्बन्ध में संतोषजनक प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किए गए, क्योंकि प्रपोजल फॉर्म में दुलारी देवी की उम्र 52 साल प्रदर्शित की गयी थी और उनकी जन्मतिथि 10.10.1960 विवेचन के दौरान पायी गयी। बीमाधारक की उम्र के सन्दर्भ में काफी भिन्नताएं थीं। इस कारण से उनका क्लेम निरस्त कर दिया गया। यदि हम ‘इन्श्योरेन्स ऐक्ट-1938’ की धारा-45 का अवलोकन करें तो उसमें यह अभिधारित किया गया है कि यदि बीमा कराने के दो साल के अन्दर ही बीमाधारक की मृत्यु हो जाती है तो उसकी विवेचना की जाएगी और विवेचना के पश्चात् ही बीमित धनराशि का भुगतान किया जाएगा। बीमाधारक ने अपनी उम्र के बाबत गलत सूचना विपक्षी कम्पनी को दिया। अतः उसका क्लेम निरस्त कर दिया गया। परिवादी का परिवाद निराधार है, जिसे निरस्त किया जाए। 

विपक्षीगण द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षीगण द्वारा कागज संख्या 21/1ता21/10 प्रपोजल फॉर्म की छायाप्रति, कागज संख्या 21/11 याची को भुगतान के सम्बन्ध में प्रस्तुत प्रलेख, कागज संख्या 21/12 इनवेस्टीगेशन एजेन्ट की रिपोर्ट की छायाप्रति है जिसमें यह लिखा हुआ है कि उसके बीमाधारक की उम्र 46 वर्ष थी और उसका जन्म 1966 में हुआ था और बीमा कराते वक्त उसकी उम्र 64 साल थी। कागज संख्या 21/13 डिस्क्रिप्सन ऑफ चार्जेज के सम्बन्ध में प्रलेख, कागज संख्या 21/14व15 जूनियर हाई स्कूल अंक पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 21/18ता21/23 इनवेस्टीगेशन एजेन्सी की रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 21/24ता21/27 स्टेटमेन्ट ऑफ डेथ क्लेम की छायाप्रति, कागज संख्या 21/28 मृत्यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 21/29 बीमाधारक का मृत्यु प्रमाण पत्र, कागज संख्या 21/30 शवदाह प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 21/31 निर्वाचन आयोग द्वारा जारी निर्वाचन पहचान पत्र की छायाप्रति जिसमें बीमाधारक की उम्र 48 वर्ष लिखी गयी है। कागज संख्या 21/32व33 नकल परिवार रजिस्टर की छायप्रति है जिसमें भी वही उम्र लिखी हुई है, कागज संख्या 21/34 निर्वाचक नामावली 2012 एस.24 उत्तर प्रदेश में बीमाधारक की उम्र 64 साल प्रदर्शित की गयी है। कागज संख्या 21/48 शाखा प्रबन्धक को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 21/49 याची का इन्टरव्यू का प्रमाण पत्र की छायाप्रति तथा कागज संख्या 21/51 में उसकी उम्र 58 साल लिखी है, प्रस्तुत किया गया है।

बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए तथा उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं ने अपना-अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवार रजिस्टर कागज संख्या 21/33 के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि उसमें बीमाधारक की उम्र 64 साल अंकित है। कागज संख्या 21/48 शाखा प्रबन्धक को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 21/49 याची का इन्टरव्यू का प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 21/51 में उसकी उम्र 58 साल लिखी गयी है। इस प्रकार नियमानुसार बीमा कम्पनी ने बीमाधारक के मृत्यु के दो साल के अन्दर धारा-45 इन्श्योरेन्स ऐक्ट के तहत जो विवेचना करवाया उसके आधार पर भिन्न भिन्न प्रपत्रों में दुलारी देवी की उम्र भिन्न-भिन्न लिखी गयी है। इस सन्दर्भ में यदि हम याची की उम्र जो 2014 में लिखी गयी है वह 28 वर्ष थी, इस प्रकार यदि हम उसकी मां की अनुमानित उम्र निकालें तो वह लगभग 50 साल रही होगा और उसकी मां की मां अर्थात् बीमाधारक की अनुमानित उम्र लगभग 70 साल रही होगी। इस प्रकार उम्र के सम्बन्ध में गलत सूचना देकर बीमाधारक ने बीमा करवाया था। जहाँ तक याची को बीमा कम्पनी ने जो भुगतान 89,722.50 रुपए का किया उसका उल्लेख याची ने अपने याचना पत्र के पैरा 08 में लिखा है और यही बात विपक्षीगण ने भी अपने जवाबदावा में भी उल्लिखित किया है। ऐसी स्थिति में उपरोक्त विवेचन से हमारे विचार से परिवाद अस्वीकार होने योग्य है। 

 

आदेश

                                                            परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

     

 

 

 

 

                                                                         गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह 

                                                      (सदस्य)                              (अध्यक्ष)

 

   दिनांक 25.03.2022

                      यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

                                              गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह

                                                                (सदस्य)                             (अध्यक्ष)

 

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