Uttar Pradesh

StateCommission

CC/115/2015

Jai narayan - Complainant(s)

Versus

HDFC Life Insurance - Opp.Party(s)

R K Gupta

14 Feb 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/115/2015
 
1. Jai narayan
MahrajGang
MahrajGang
UP
...........Complainant(s)
Versus
1. HDFC Life Insurance
Gorakhpur
Gorakhpur
UP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 14 Feb 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

परिवाद संख्‍या-115/2015

जय नरायन पुत्र श्री राम बुझारत, निवासी-पिपरदियूरा, गांधीनगर, वार्ड नं0-6 (पुराना वार्ड नं0-14) नगर पालिका परिषद, नगर व जिला महाराजगंज-273303, उत्‍तर प्रदेश।

                                    परिवादी

बनाम्

  1. एच0डी0एफ0सी0 स्‍टैण्‍डर्ड लाइफ इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0, शाखा कार्यालय-प्रथम तल, प्रह्लाद राम ट्रेड सेंटर, बैंक रोड क्रासिंग, नगर व जिला गोरखपुर-293001 द्वारा शाखा प्रबंधक।
  2. एच0डी0एफ0सी0 स्‍टैण्‍डर्ड लाइफ इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, कारपोरेट व रजिस्‍टर्ड आफिस, लोधा एक्‍सीलस, तेरहवा तल, अपोलो मिल्‍स कम्‍पाउन्‍ड, एन0एम0 जोशी मार्ग, महालक्ष्‍मी मुम्‍बई-400011, महाराष्‍ट्र।

                                   विपक्षीगण

 

समक्ष :-

1-   मा0  न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

 

1-  परिवादी की ओर से उपस्थित -       श्री आर0 के0 गुप्‍ता।

   2-  विपक्षी की ओर से उपस्थित   -      कोई नहीं।

 

दिनांक :

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय :

 

परिवादी जय नरायन ने यह परिवाद विपक्षीगण एच0डी0एफ0सी0 स्‍टैण्‍डर्ड लाइफ इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0, शाखा कार्यालय-प्रथम तल, प्रह्लाद राम ट्रेड सेंटर, बैंक रोड क्रासिंग, नगर व जिला गोरखपुर-293001 द्वारा शाखा प्रबंधक एवं एच0डी0एफ0सी0 स्‍टैण्‍डर्ड लाइफ इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, कारपोरेट व रजिस्‍टर्ड आफिस, लोधा एक्‍सीलस, तेरहवा तल, अपोलो मिल्‍स कम्‍पाउन्‍ड, एन0एम0 जोशी मार्ग, महालक्ष्‍मी मुम्‍बई-400011, महाराष्‍ट्र के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत

 

2

प्रस्‍तुत किया है और कथन किया है कि बीमित व्‍यक्ति ओम नरायन ने विपक्षीगण की  सम्‍पूर्ण समृद्धि डेथ बेनीफिट योजना के अन्‍तर्गत एक बीमा पालिसी संख्‍या-15461908, बीमित धनराशि रू0 25,17,802/- प्रस्‍ताव पत्र दिनांक 20-09-2012 के द्वारा ली थी। जिसकी अवधि दिनांक 24-09-2012 से दिनांक 24-06-2045 तक थी। प्रस्‍ताव पत्र में बीमित ओम नरायन ने जन्‍म तिथि 01-01-1985 लिखाई गयी थी और समर्थन में ड्राइविंग लाईसेंस की प्रमाणित प्रति दी थी तथा पालिसी का त्रैमासिक प्रीमियम 20,000/-रू0 दिया था। उसके बाद पालिसी दिनांक 22-12-2012 को जारी की गयी। पालिसी में बीमित धनराशि के अतिरिक्‍त दुर्घटना हित लाभ रूपया 25,17,802/- अलग से था। उक्‍त पालिसी विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा विपक्षी संख्‍या-1 के माध्‍यम से जारी की गयी थी और पालिसी में नामिनी परिवादी को बनाया गया था।

     परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि बीमित व्‍यक्ति ओम नरायन द्वारा एच0डी0एफ0सी0 बैंक का डिमाण्‍ड ड्राफ्ट दिनांक 21-09-2012 को प्रस्‍ताव पत्र के साथ जमा किया गया था। तत्पश्‍चात प्रथम प्रीमियम 20 हजार रूपया दिनांक 22-12-2012 को, द्वितीय प्रीमियत 40 हजार रूपया दिनांक 28-05-2013 को, तृतीय प्रीमियम 20 हजार रूपया  दिनांक 28-08-2013 को, चतुर्थ प्रीमियम रू0 20,200 दिनांक 13-11-2013 को और पंचम प्रीमियम 20 हजार रूपया जमा किये गये थे तथा अगला प्रीमियम दिनांक 24-03-2014 को डयू था। इस बीच दिनांक 21-03-2014 को जब बीमित व्‍यक्ति ओम नरायन ट्रैक्‍टर संख्‍या-यू0पी0-53/जी-4868 जिसे चालक संतराज यादव द्वारा चलाया जा रहा था पर बैठकर

 

3

नौतनवा से बालू लेकर वापस आ रहा था तभी लगभग 10.30 बजे वह ट्रैक्‍टर से गिर गया और उसके ऊपर ट्रैक्‍टर का पहिया चढ़ गया जिससे घटनास्‍थल पर ही उसकी मृत्‍यु हो गयी। उसके बाद प्रथम सूचना रिपोर्ट परिवादी द्वारा दिनांक 22-03-2014 को थाना नौतनवा जनपद महराजगंज में दर्ज करायी गयी जिस पर अ0सं0-265/2014 अन्‍तर्गत धारा 279/304 ए, भा0दं0सं0 ड्राइवर संतराज के विरूद्ध दर्ज किया गया और उपरोक्‍त बीमित व्‍यक्ति ओम नरायन का पंचनामा तैयार कर पोस्‍ट मार्टम कराया गया। तदोपरान्‍त पुलिस ने वाद विवेचना उक्‍त ड्राइवर के विरूद्ध आरोप पत्र न्‍यायालय प्रेषित किया।

     परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसने विपक्षीगण के समक्ष उपरोक्‍त बीमित ओम नरायन की बीमा धनराशि 25,17,802/-रू0 और दुर्घटना हित लाभ 25,17,802/रू0 के भुगतान हेतु क्‍लेम प्रस्‍तुत किया और सभी कागजात उपलब्‍ध कराये, परन्‍तु विपक्षी संख्‍या-1 ने पत्र दिनांकित 31-05-2015 के द्वारा उसका दावा बीमा इस आधार पर खण्डित कर दिया कि बीमित व्‍यक्ति ओम नरायन  द्वारा आयु के समर्थन में दाखिल ड्राइविंग लाईसंस जॉंच में Fake पाया गया है।

 परिवादी ने परिवाद पत्र में कहा है कि विपक्षी संख्‍या-1 ने उसका बीमा दावा गलत आधार पर खण्डित किया है क्‍योंकि मृतक ओम नरायन की जन्‍म तिथि 01-01-1985 सही थी उसने प्रमाण स्‍वरूप परिवार रजिस्‍टर की नकल और आयकर विभाग द्वारा जारी पैनकार्ड की फोटोप्रति परिवाद पत्र के साथ प्रस्‍तुत किया है।

 

4

     परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षीगण ने परिवादी का बीमा दावा गलत आधार पर अस्‍वीकार कर सेवा में त्रुटि की है। अत: परिवादी ने परिवाद प्रस्‍तुत कर बीमित धनराशि और  दुर्घटना हित लाभ की धनराशि को 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ दिलाये जाने का अनुरोध किया है। इसके साथ ही मानसिक व शारीरिक  कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति के मद में 50,000/-रू0 की मांग की है।

     विपक्षीगण की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री सतीश कुमार त्रिपाठी उपस्थित हुए है परन्‍तु लिखित कथन निर्धारित समय के अंदर विपक्षीगण की ओर से प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। अत: आदेश दिनांक 02-09-2015 के द्वारा विपक्षीगण के लिखित कथन का अवसर समाप्‍त कर साक्ष्‍य परिवादी हेतु तिथि निश्चित की गयी है और परिवादी ने अपना शपथ पत्र साक्ष्‍य में प्रस्‍तुत किया है।

     परिवाद की अंतिम सुनवाई के समय परिवादी के विद्धान अधिवक्‍ता श्री आर0 के0 गुप्‍ता उपस्थित आये। विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया। विपक्षीगण की ओर से प्रस्‍तुत लिखित तर्क पत्रावली में संलग्‍न है। परिवादी की ओर से भी लिखित तर्क प्रस्‍तुत किया गया है।

     मैंने परिवादी के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।

     परिवाद पत्र, विपक्षीगण की ओर से प्रस्‍तुत लिखित तर्क एवं repudiation लेटर दिनांकित 31-05-2015 के अवलोकन से स्‍पष्‍ट है कि बीमा पालिसी बीमित धनराशि, और बीमित व्‍यक्ति की दुर्घटना मृत्‍यु के संबंध में विवाद नहीं है। परिवादी का दावा विपक्षीगण ने इस आधार पर निरस्‍त किया है कि बीमित व्‍यक्ति ओम नरायन ने प्रस्‍ताव फार्म में अंकित

 

5

अपनी जन्‍म तिथि के प्रमाण हेतु जो ड्राइविंग लाईसेंस प्रस्‍तुत किया है वह जॉंच पर फर्जी पाया गया है। repudiation लेटर का संगत अंश नीचे उद्धरत है ;

     "The Proposal was accepted based on the information provided in the Proposal Form and the policy was issued on December 22, 2012.

     In this connection we refer to the SECTION B in the said Application, which deals with 'PERSONAL DETAILS OF LIFE TO BE ASSURED' Under this section the life assured had declared his date of birth as January 01, 1985 and had produced Driving license as proof of the same. On the basis of the aforesaid date of birth, the life assured was aged 27 years at the time of proposal.

     However, through investigations we found out the Driving license submitted as proof of age at the time of proposal is fake considering the above mentioned misrepresentation made, we regret our inability to accept your claim under policy no 15461908.

     In case you wish to represent your claim to the Company, you can do so within 30 days of receipt of this letter on the following address.

     Repudiation लेटर से स्‍पष्‍ट है कि बीमित व्‍यक्ति ने अपनी आयु के संबंध में प्रमाण पत्र के रूप में जो ड्राइविंग लाईसेंस दिया था वह जॉंच पर फर्जी पाया गया है। उसके द्वारा घोषित जन्‍म तिथि गलत पाये जाने का उल्‍लेख नहीं है। परिवादी ने आयोग के समक्ष परिवार रजिस्‍टर एवं बीमित

 

 

 

 

6

व्‍यक्ति ओम नरायन के पैनकार्ड  की प्रति प्रस्‍तुत किया] जिसमें उसकी जन्‍मतिथि 01-01-1985 अंकित है। मृतक ओम नरायन जो बीमित व्‍यक्ति था] के शव के पुलिस द्वारा तैयार किये गये पंचनामा दिनांक 22-03-2014 एवं डाक्‍टर द्वारा तैयार की गयी पोस्‍टमार्टम आख्‍या दिनांक 22-03-2014 में उसकी आयु करीब 29 वर्ष अंकित है जिसमें बीमा प्रस्‍ताव में घोषित जन्‍म तिथि दिनांक 01-01-1985 का समर्थन होता है। न तो विपक्षीगण द्वारा यह कहा गया है और न साक्ष्‍य के माध्‍यम से दर्शित किया गया है कि बीमित व्‍यक्ति द्वारा घोषित जन्‍मतिथि गलत है।

     परिवादी ने बीमा प्रस्‍ताव फार्म दिनांक 20-09-2012 को प्रस्‍तुत किया है। पालिसी दिनांक 22-12-2012 को करीब 03 महीना बाद जारी की गयी है। इस प्रकार यह स्‍पष्‍ट है कि विपक्षीगण के पास प्रपोजल फार्म में परिवादी द्वारा दी गयी सूचना एवं प्रस्‍तुत अभिलेखों के सत्‍यापन हेतु पर्याप्‍त अवसर था परन्‍तु प्रपोजल स्‍वीकार करने के पूर्व उसने कोई जॉंच या सत्‍यापन नहीं किया और पालिसी जारी कर दी। यदि उसी समय विपक्षीगण ने बीमित द्वारा प्रस्‍तुत ड्राइविंग लाईसेंस का सत्‍यापन किया होता तो ड्रा‍इविंग लाइसेंस Fake पाये जाने पर बीमित व्‍यक्ति और दूसरा प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत कर सकता था और Fake ड्राइविंग लाईसेंस के संबंध में स्‍पष्‍टीकरण दे सकता था। परन्‍तु उस समय विपक्षीगण ने कोई जॉंच नहीं किया और पालिसी जारी कर प्रीमियम लेना प्रारम्‍भ कर दिया। ड्राइविंग लाईसेंस Fake होने का कथन बीमित व्‍यक्ति की मृत्‍यु के बाद विपक्षीगण द्वारा किया जा रहा है। अत: बीमित व्‍यक्ति को इस संदर्भ में अपनी बात कहने का अवसर नहीं मिला है। अत: अब इस स्‍तर पर नहीं कहा जा सकता है कि बीमित

 

7

व्‍यक्ति को यह ज्ञात था कि उसका ड्राइविंग लाईसेंस Fake है और यह जानते हुए उसने इसे प्रस्‍तुत किया था। माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने Life Insurance Corporation of India & Ors. Vs. Smt. Asha Goel & Anr. (2001) S.C.C. 160 के वाद में पारित निर्णय में निम्‍न मत व्‍यक्‍त किया है :-

'' The contracts of insurance including the contract of life assurance are contracts uberrima fides and every fact of material must be disclosed, otherwise, there is good ground for rescission of the contract. The duty to disclose material facts continues right up to the conclusion of the contract and also implies any material alteration in the character of the risk which may take place between the proposal and its acceptance. If there are any misstatements or suppression of material facts, the policy can be called in question. For determination of the question whether there has been suppression of any material fact it may be necessary to also examine whether the suppression relates to a fact which is in the exclusive knowledge of the person intending to take the policy and it could not be ascertained by reasonable enquiry by a prudent person."   

  मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा Life Insurance Corporation of India & Ors. Vs. Smt. Asha Goel & Anr. के उपरोक्‍त वाद में स्‍पष्‍ट रूप से

 

8

यह भी कहा है कि मात्र तकनीकी और रूटीन तरीके से बीमा दावा निरस्‍त नहीं किया जाना चाहिए। मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय के इस निर्णय का संगत अंश निम्‍न है :-

     Therefore, the approach of the Corporation in the matter of repudiation of a policy admittedly issued by it should be one of extreme care and caution. It should not be dealt with in a mechanical and routine manner.

बीमा पालिसी हेतु बीमित व्‍यक्ति की जन्‍मतिथि महत्‍वपूर्ण तथ्‍य है। ड्राइविंग लाईसेंस का पालिसी हेतु कोई विशेष महत्‍व नहीं है। ड्राइविंग लाईसेंस Fake पाये जाने पर आयु का अन्‍य दूसरा प्रमाण पत्र मांगा जा सकता है। बीमा पालिसी तभी रिप्‍यूडियेट की जा सकती है जब‍ बीमित व्‍यक्ति द्वारा घोषित जन्‍मतिथि गलत पायी जाये।

     उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर मैं इस मत का हूँ कि मात्र Fake ड्राइविंग लाईसेंस के आधार पर बीमित व्‍यक्ति की मृत्‍यु के बाद दावा बीमा अस्‍वीकार किया जाना उचित एवं विधि सम्‍मत नहीं है। अत: विपक्षीगण ने इस आधार पर परिवादी का दावा अस्‍वीकार कर गलती की है और सेवा में त्रुटि की है। ड्राइविंग लाईसेंस Fake पाये जाने पर विपक्षीगण को परिवादी को बीमित व्‍यक्ति की आयु के संबंध में अन्‍य प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत करने का अवसर देकर दावा बीमा निस्‍तारित करना चाहिए था।

     उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर परिवाद सव्‍यय स्‍वीकार किया जाता है और repudiation पत्र दिनांकित 31-05-2015 निरस्‍त किया जाता है तथा विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि परिवादी को मृतक बीमित

 

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व्‍यक्ति की आयु के प्रमाण के संबंध में अन्‍य अभिलेख प्रस्‍तुत करने का अवसर दे और विधि के अनुसार प्रस्‍तुत अभिलेखों का सत्‍यापन कर इस निर्णय में की गयी विवेचना के प्रकाश में परिवादी का दावा बीमा इस निर्णय की तिथि दो माह के अंदर निस्‍तारित करें।

     विपक्षीगण परिवादी को दस हजार रूपया परिवाद व्‍यय अदा करेंगे।

 

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

अध्‍यक्ष

 

प्रदीप मिश्रा कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
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