जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, झुन्झुनू (राज0)
परिवाद संख्या - 143/17
अध्यक्ष - महेन्द्र शर्मा
सदस्य - शिवकुमार शर्मा
सुनिता देवी पत्नी स्व0 रंजीत सिंह निवासी परसरामपुरा तहसील नवलगढ जिला झुन्झुनू। - प्रार्थीया/परिवादिया।
बनाम
1. एच डी एफ सी लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लि0 जरिये शाखा प्रबंधक, शाखा कार्यालय आबूसरिया टावर, रोडवेज बस स्टेण्ड के सामने, झुंझुनू तहसील व जिला झुन्झुनू (राज0)
2. एच डी एफ सी बैंक लि0 जरिये शाखा प्रबंधक, शाखा कार्यालय कालेज रोड़ नवलगढ तहसील नवलगढ जिला झुन्झुनू (राज0) - अप्रार्थी/विपक्षीगण।
परिवाद संख्या - 145/17
सुनिता देवी पत्नी स्व0 रंजीत सिंह निवासी परसरामपुरा तहसील नवलगढ जिला झुन्झुनू। - प्रार्थीया/परिवादिया।
बनाम
1. एच डी एफ सी लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लि0 जरिये शाखा प्रबंधक, शाखा कार्यालय आबुसरिया टावर, रोडवेज बस स्टेण्ड के सामने, झुंझुनू तहसील व जिला झुन्झुनू (राज0)
2. एच डी एफ सी बैंक लि0 जरिये शाखा प्रबंधक, शाखा कार्यालय कालेज रोड़ नवलगढ तहसील नवलगढ जिला झुन्झुनू (राज0) - अप्रार्थी/विपक्षीगण।
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री मुकर्रम अंसारी, एडवोकेट - प्रार्थी/परिवादिया की ओर से।
2. श्री अमर सिंह, एडवोकेट - अप्रार्थी संख्या 1 की ओर से।
3. श्री इन्दुभूषण शर्मा, एडवोकेट - अप्रार्थी संख्या 2 की ओर से।
- निर्णय - दिनांक 20.05.2019
चूंकि उपरोक्त दोनों परिवादों में तथ्य एवं विधि के प्रश्न एक जैसे हैं, अतः इनका निस्तारण एक साथ किया जा रहा है।
परिवाद संख्या 143/17 व 145/17 दिनांक 25.04.2017 को प्रार्थीया ने इस आशय के पेश किये हैं कि उसके पति रंजीत सिंह की मृत्यु दिनांक 15.10.2016 को हुई है, ने क्रमशः परिवादों के चरण संख्या 2 में वर्णित बीमा पालिसी 15 वर्ष की अवधि के लिये ली थी, जिनके प्रीमियम क्रमशः 20,000/- व 30,000/-रूपये वार्षिक तथा बीमाधन क्रमशः दो लाख व तीन लाख रूपये था। बीमा पालिसी लेने के 15 दिन पश्चात अचानक परिवादिया के पति के सीने में दर्द होने से उसकी मृत्यु हो गई तथा परिवादिया ने अपने पति की मृत्यु बाबत एच डी एफ सी बैंक शाखा, नवलगढ में प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया, जिसकी सूचना विपक्षी बीमा कम्पनी को देने पर बदनियति से मृत्यु क्लेम से बचने हेतु परिवादिया के पति द्वारा जमा बीमा राशि विपक्षी संख्या 2 के खाते में वापिस जमा करते हुये बीमा निरस्त करदी गई, जबकि परिवादिया के पति ने कभी भी बीमा पालिसी निरस्त करने के लिये आवेदन नहीं किया था। विपक्षीगण ने जान बूझकर क्लेम से बचने के लिये उपरोक्त कृत्य किया है। इस बाबत लिखित नोटिस भिजवाया जाने के बावजूद विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है। इन तथ्यों के परिपेक्ष में परिवादिया ने अपने पति द्वारा ली गई बीमा पालिसियों के बीमाधन, उक्त राशि पर ब्याज व समस्त परिलाभ तथा मानसिक क्षति बाबत समीचीन प्रतिकर राशि दिलाये जाने की प्रार्थना की है।
विपक्षी संख्या 1 की ओर से प्रस्तुत जवाब में यह अभिवाक किया गया है कि बीमा पालिसी जारी न होने से अस्तित्व में नहीं आई थी और बीमा प्रस्ताव फार्म केवल प्रस्ताव पत्र अथवा प्रार्थना पत्र रह गया था। परिवादिया ने सुसंगत तरीके से तथ्य अपने परिवाद में अंकित नहीं किये और वह स्वच्छ हाथों से मंच के समक्ष उपस्थित नहीं हुई है। परिवादिया के पति द्वारा बीमा प्रस्ताव फार्म भरने के अतिरिक्त अन्य आवश्यक औपचारिकतायें पूरी नहीं की थी और जो प्रलेख उपलब्ध कराये थे, उनके द्वारा दी गई प्रीमियम क्रमशः दिनांक 22.12.2016 व 20.12.2016 को वापिस लौटा दिये गये थे। परिवादिया की ओर से प्राप्त नोटिस का जवाब उतरदाता विपक्षी द्वारा समय पर भेज दिया गया था। परिवादिया के पति द्वारा बीमा प्रस्ताव फार्म की औपचारिकतायें पूरी न करने से वह केवल प्रस्ताव रह गया था, कभी संविदा का रूप नहीं ले सका। इस कारण बीमा पालिसी जारी नहीं की गई। संबंधित बीमा प्रस्ताव फार्म एनेक्च्र 1, बीमा कम्पनी द्वारा बीमा प्रस्तावक को भेजा गया पत्र एनेक्चर 2 व इ मेल एनेक्चर 3 के रूप में जवाब के साथ पेश किये हुये हैं। चूंकि बीमा पालिसी जारी नहीं हेाते हुये भी परिवादिया द्वारा कलेम प्रस्तुत किया गया था, जो निरस्त किया गया था। परिवादिया का परिवाद खारिज करने की प्रार्थना की गई है।
विपक्षी संख्या 2 की ओर से प्रस्तुत जवाब में इस आशय की प्रारंभिक आपति अंकित की गई है कि विपक्षी संख्या 2 व विपक्षी संख्या 1 अलग-अलग हैं जिनके मेमोरेण्डम आफ एसोसिएशन एण्ड आर्टिकल आफ एसोसियएशन अलग-अलग हैं। विपक्षी संख्या 2 द्वारा परिवादिया के पति से कोई बीमा संव्यवहार नहीं किया गया था। परिवादिया स्वच्छ हाथों से मंच के समक्ष उपस्थित नहीं हुई है। परिवादिया के पति के निर्देश पर बीमा कम्पनी को प्रीमियम का भुगतान किया गया था। बैंक द्वारा नियमानुसार राशि अदा व जमा की जाती है। बीमा पालिसी निरस्त करने से विपक्षी संख्या 2 का कोई संबंध नहीं है। स्वयं के विरूद्ध परिवादिया का परिवाद खारिज करने की प्रार्थना की गई है।
बहस के दौरान पक्षकारान की ओर से क्रमशः आवेदन व विपक्षीगण के जवाब में वर्णित तथ्यों को दोहराया गया है।
विपक्षी संख्या 1 की ओर से अपने जवाब के समर्थन में जो अनेक्चर 2 पेश किया गया है। उसके परिशीलन से यह प्रकट है कि बीमा प्रस्ताव के पश्चात परिवादिया के पति का मेडिकल होना था। इसके अतिरिक्त परिवादिया के पति से आई डी प्रूफ फोटो, सी सी डी, नेफ्ट चाहे गये थे, जो परिवादिया के पति ने उपलब्ध नहीं कराये हैं। परिवादिया ने अपने परिवाद में अपने पति की मृत्यु की सूचना दिये जाने का कोई तथ्य अंकित नहीं किया है जबकि विपक्षी संख्या 1 के जवाब के साथ संलग्न एनेक्चर 2/8 में अंकित दिनांक 13.12.2016 को परिवादिया के पति का बीमा संबंधी आवेदन खारिज कर दिया गया था। परिवादिया ने अपने परिवाद के साथ 6 प्रलेख पेश किये हैं, उनमें अपने पति की मृत्यु होने की तथाकथित सूचना दिये जाने संबंिधत कोई प्रलेख पेश नहीं किया है। ऐसी स्थिति में यह स्पष्ट है कि परिवादिया स्वच्छ हाथों से मंच के समक्ष उपस्थित नहीं हुई है और विपक्षी संख्या 1 द्वारा बीमा पालिसी के संबंध में परिवादिया के पति का आवेदन/प्रस्ताव अपेक्षित औपचारिकतायें पूरी न होने के आधार पर खािरज किये जाने में किसी प्रकार की तथ्यात्मक एवं विधिक त्रुटि किया जाना नहीं माना जा सकता तथा परिवादिया के यह दोनो परिवाद खारिज किये जाने योग्य हैं।
आदेश
उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप प्रार्थीया/परिवादिया की ओर से प्रस्तुत परिवाद संख्या 143/17 एव परिवाद संख्या 145/2017 विरूद्ध अप्रार्थी/ विपक्षीगण खारिज किये जाते हंै।
निर्णय आज दिनांक 20 मई, 2019 को लिखाया जाकर सुनाया गया।
शिवकुमार शर्मा महेन्द्र शर्मा