राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-121/2019
(मौखिक)
श्रीमती पल्लवी यादव पत्नी स्व0 नीरज यादव, निवासी-116, जियामऊ, हजरतगंज, लखनऊ
........................परिवादिनी
बनाम
1. एच0डी0एफ0सी0 इरगो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 द्वारा ब्रांच मैनेजर रतन स्क्वायर, 20ए, विधान सभा मार्ग, लखनऊ-226001
2. डायरेक्टर एम0जी0 आटो सेल्स प्रा0लि0, ए-16, इन्दिरा नगर, फैजाबाद रोड, लखनऊ
...................विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
परिवादिनी की ओर से उपस्थित : श्री विशाल तहलानी,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं01 की ओर से उपस्थित : श्री टी0जे0एस0 मक्कड़,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं02 की ओर से उपस्थित : श्री मनीष मेहरोत्रा एवं
श्री विजय कुमार यादव,
विद्वान अधिवक्तागण।
दिनांक: 17.08.2023
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद इस न्यायालय के सम्मुख धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत परिवादिनी श्रीमती पल्लवी यादव द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध योजित किया गया।
परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पति स्व0 नीरज यादव ने दिनांक 02.05.2017 को विपक्षी संख्या-2 से एक होण्डा सिटी कार 12,98,490/-रू0 में क्रय की थी तथा विपक्षी संख्या-2 को 1,58,919/-रू0 वाहन के रजिस्ट्रेशन के संबंध में एवं 15,000/-रू0 वी0आई0पी0 नम्बर 1000 लेने हेतु
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दिनांक 19.05.2017 को अदा किया था। उक्त वाहन का बीमा विपक्षी संख्या-1 द्वारा दिनांक 02.05.2017 से दिनांक 01.05.2018 तक तथा पर्सनल एक्सीडेन्ट कवर (मालिक एवं ड्राईवर) दो लाख रूपये का किया गया था। विपक्षी संख्या-1 द्वारा प्रश्नगत वाहन का बीमा चेसिस व इंजन नम्बर के आधार पर किया गया था। परिवादिनी के पति द्वारा वी0आई0पी0 नम्बर हेतु आवेदन किया गया था, परन्तु बीमारी के कारण परिवादिनी के पति आर0टी0ओ0 कार्यालय एक माह तक नहीं जा सके, इस कारण वी0आई0पी0 नम्बर यू0पी0 32 एच0एक्स0 1000 दिनांक 09.10.2017 को निरस्त कर दिया गया, जबकि परिवादिनी के पति द्वारा रजिस्ट्रेशन हेतु आवश्यक धनराशि विपक्षी संख्या-2 को वाहन क्रय करने की तिथि पर ही अदा कर दी गयी थी।
परिवादिनी का कथन है कि दिनांक 29.09.2017 को परिवादिनी के पति नीरज यादव उक्त वाहन से दिल्ली जा रहे थे तभी रास्ते में एक दूसरे वाहन से टकराकर दुर्घटना घटित हुई, जिसमें परिवादिनी के पति नीरज यादव की दुर्घटना स्थल पर ही मृत्यु हो गयी तथा वाहन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। परिवादिनी के पति नीरज यादव के पास वैध ड्राईविंग लाइसेंस था। परिवादिनी द्वारा उक्त दुर्घटना के संबंध में विपक्षी संख्या-1 को सूचित किया गया, परन्तु विपक्षी संख्या-1 के सर्वेयर द्वारा सर्वे नहीं किया गया। काफी समय बाद दिनांक 20.02.2018 को सर्वे किया गया तथा परिवादिनी द्वारा 15,39,492.03/-रू0 का इस्टीमेट दिया गया। सर्वे के दौरान पाया गया कि वाहन पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गया था। बीमा नियमों के अनुसार यदि मरम्मत राशि आई0डी0वी0 के 75 प्रतिशत से अधिक है तो वाहन की कुल क्षति मानी जायेगी अर्थात् परिवादिनी 12,98,490/-रू0 पाने की अधिकारिणी है तथा इसके अतिरिक्त पर्सनल एक्सीडेन्ट कवर 2,00,000/-रू0 भी परिवादिनी प्राप्त करने की अधिकारिणी है। काफी प्रयास करने के
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बाद भी विपक्षीगण द्वारा उक्त धनराशि अदा नहीं की गयी। अत: क्षुब्ध होकर परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध इस न्यायालय के सम्मुख परिवाद योजित करते हुए निम्न अनुतोष की मांग की गयी है:-
A. To award the sum insured Rs 12,98,490/- with 18% interest per annum with effect from 29.09.2017 in favour of the complainant and against the opposite party and
B. To award the sum insured Rs. 2,00,000/- for Personal Accident Cover with 18% interest with effect from 5.10.2017 in favour of the complainant and against the opposite party and
C. To award Rs. 12 Lakhs as damages for mental agony, physical Harassment against OP and in favour of complainant and
D. Cost of the case Rs. 55,000/- may be awarded against the Opposite party in favour of complainant and
E. Any other relief which the Hon’ble Commission deems fit and proper to be passed in favour of complainant.
विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है, जिसमें परिवाद पत्र के कथनों से इंकार किया गया है। विपक्षी संख्या-1 का कथन है कि प्रश्नगत वाहन को पंजीकरण संख्या-यू0पी0 32 एच0एक्स0 1000 आवंटित नहीं किया गया। सर्वे के दौरान परिवादिनी का क्लेम सत्य नहीं पाया गया। चूँकि प्रश्नगत वाहन का रजिस्ट्रेशन नम्बर यू0पी0 32 जे0डी0 8127 था, जिसके संबंध में निर्धारित धनराशि दुर्घटना की तिथि के बाद दिनांक 30.09.2017 को जमा की गयी। अत: परिवादिनी का क्लेम बीमा शर्तों के अन्तर्गत वैध न होने के कारण निरस्त कर दिया गया। परिवाद निरस्त होने योग्य है।
विपक्षी संख्या-2 की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत करते हुए परिवाद के समस्त तथ्यों से इंकार किया गया तथा यह भी कथन किया गया कि उक्त प्रकरण में विपक्षी संख्या-2 की कोर्इ जिम्मेदारी नहीं है। जो भी जिम्मेदारी है वह विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी की है।
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परिवादिनी की ओर से साक्ष्य में परिवादिनी श्रीमती पल्लवी यादव का शपथ पत्र मय संलग्नक प्रस्तुत किया गया।
विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी की ओर से साक्ष्य में श्री सौरभ सरकार, असिस्टेन्ट मैनेजर क्लेम्स लीगल का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया।
विपक्षी संख्या-2 की ओर से साक्ष्य में श्री अभिषेक अग्रवाल, डायरेक्टर, एम0जी0 आटो सेल्स प्रा0लि0 का शपथ पत्र मय संलग्नक प्रस्तुत किया गया।
हमारे द्वारा परिवादिनी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री विशाल तहलानी, विपक्षी संख्या-1 की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री टी0जे0एस0 मक्कड़ तथा विपक्षी संख्या-2 की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्तागण श्री मनीष मेहरोत्रा एवं श्री विजय कुमार यादव को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन व परीक्षण किया गया।
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुनने तथा सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए हमारे विचार से चूँकि विपक्षी संख्या-2 द्वारा समय से वाहन का पंजीकरण नहीं कराया गया, जबकि पंजीकरण हेतु उनके द्वारा धनराशि प्राप्त की गयी थी तथा पंजीकरण न होने के कारण वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के उपरान्त परिवादिनी को बीमा कम्पनी से बीमा क्लेम की धनराशि प्राप्त नहीं हुई, जो विपक्षी संख्या-2 की सेवा में कमी है। अत: हम इस मत के हैं कि परिवादिनी को विपक्षी संख्या-2 से वाहन की क्षतिपूर्ति हेतु 10,00,000/-रू0 (दस लाख रूपये) व पर्सनल एक्सीडेन्ट क्लेम 2,00,000/-रू0 (दो लाख रूपये) दिलाया जाना उचित है। इसके साथ ही परिवादिनी को विपक्षी संख्या-2 से मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु 20,000/-रू0 (बीस हजार रूपये) एवं परिवाद व्यय हेतु 10,000/-रू0 (दस हजार रूपये) दिलाया जाना भी उचित है। विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी के विरूद्ध परिवाद निरस्त होने योग्य है।
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आदेश
प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या-2 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को वाहन की क्षतिपूर्ति हेतु 10,00,000/-रू0 (दस लाख रूपये) व पर्सनल एक्सीडेन्ट क्लेम 2,00,000/-रू0 (दो लाख रूपये) परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 09 (नौ) प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज सहित अदा करे। इसके साथ ही विपक्षी संख्या-2 द्वारा परिवादिनी को मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु 20,000/-रू0 (बीस हजार रूपये) एवं परिवाद व्यय हेतु 10,000/-रू0 (दस हजार रूपये) भी अदा किया जावे।
विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी के विरूद्ध परिवाद निरस्त किया जाता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1