राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील संख्या-45/2019
(जिला उपभोक्ता आयोग, गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या 394/2013 में पारित आदेश दिनांक 14.11.2018 के विरूद्ध)
1. एच0डी0एफ0सी0 ई0आर0जी0ओ0 जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 सी-302 तृतीय तल, अंसल प्लाजा, हुडको प्लेस, एण्ड्राज गंज, नई दिल्ली।
2. एच0डी0एफ0सी0 ई0आर0जी0ओ0 जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 रजिस्टर्ड आफिस रमन हाउस, एच0सी0 पाटेश्व मार्ग, 169 बैकवे रिबलेशन, मुम्बई।
3. एच0डी0एफ0सी0 ई0आर0जी0ओ0 जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 डी-1, एच0जी0 टाउन, प्रथम तल, आर0डी0सी0 राजनगर, गाजियाबाद
........................अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
राम कुमार पुत्र श्री जगदीश शर्मा निवासी-88 शंकर विहार, धूकना, पी0एस0 सिहानी गेट, जिला गाजियाबाद
..................प्रत्यर्थी/परिवादी
एवं
अपील संख्या-113/2019
(जिला उपभोक्ता आयोग, गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या 394/2013 में पारित आदेश दिनांक 14.11.2018 के विरूद्ध)
राम कुमार पुत्र श्री जगदीश शर्मा, निवासी-88 शंकर विहार, धूकना, पी0एस0 सिहानी गेट, जिला गाजियाबाद
........................अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1. दि ब्रांच मैनेजर, मै0 एच0डी0एफ0सी0 ई0आर0जी0ओ0 जनरल इंश्योरेंस कं0लि0, सी-302, तृतीय तल, अंसल प्लाजा, हुडको प्लेस, एण्ड्राज गंज, नई दिल्ली।
2. एच0डी0एफ0सी0 ई0आर0जी0ओ0 जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 रजिस्टर्ड आफिस- रमन हाउस, एच0सी0 पाटेश्व मार्ग-169, बैकवे रिबलेशन, मुम्बई।
3. एच0डी0एफ0सी0 ई0आर0जी0ओ0 जनरल इंश्योरेंस कं0लि0
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डी-1, एच0जी0 टाउन, प्रथम तल, आर0डी0सी0 राजनगर, गाजियाबाद।
..................प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
3. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री अशोक मेहरोत्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : श्री टी0जे0एस0 मक्कड़,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 21.06.2023
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
उपरोक्त दोनों अपीलों के तथ्य एक समान हैं, इसलिए उपरोक्त दोनों अपीलों का निस्तारण एक साथ किया जा रहा है।
परिवाद संख्या-394/2013 राम कुमार बनाम मैसर्स एच0डी0एफ0सी0 ई0जी0आर0ओ0 जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 व दो अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, गाजियाबाद द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 14.11.2018 के विरूद्ध उपरोक्त अपील संख्या-45/2019 परिवाद के विपक्षीगण (बीमा कम्पनी) की ओर से एवं उपरोक्त अपील संख्या-113/2019 परिवाद के परिवादी की ओर से इस न्यायालय के सम्मुख योजित की गयी है।
प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश के द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
''परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह शेष बीमा धनराशि अंकन 14,80,000/-रूपये मय 06 प्रतिशत ब्याज सहित 60 दिन के अन्दर अदा करे। ब्याज की गणना क्लेम खारिज करने की दिनांक से अदायगी की दिनांक तक की जाएगी। विपक्षी परिवादी को
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मानसिक उत्पीड़न की मद में 10,000/-रूपये तथा वाद व्यय की मद में 2000/-रूपये भी 60 दिन के अन्दर अदा करे।''
जिला उपभोक्ता आयोग के उपरोक्त आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षीगण (बीमा कम्पनी) द्वारा उपरोक्त अपील संख्या-45/2019 प्रस्तुत कर जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्त किये जाने का अनुरोध किया है तथा परिवाद के परिवादी द्वारा उपरोक्त अपील संख्या-113/2019 प्रस्तुत कर जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा दिये गये ब्याज दर में बढ़ोत्तरी हेतु अनुरोध किया है।
हमारे द्वारा परिवादी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री अशोक मेहरोत्रा एवं विपक्षीगण (बीमा कम्पनी) की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री टी0जे0एस0 मक्कड़ को उपरोक्त दोनों अपीलों में सुना गया और प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी की प्रश्नगत बस विपक्षी बीमा कम्पनी से दिनांक 30.08.2009 से दिनांक 29.08.2010 तक की अवधि हेतु बीमाकृत थी, जो दिनांक 28.06.2010 को गजरौला में दुर्घटनाग्रस्त हो गयी, जिसकी एफ0आई0आर0 सम्बन्धित थाने में दर्ज करायी गयी तथा बीमा कम्पनी को सूचना दी गयी। दुर्घटना के बाद प्रश्नगत वाहन का स्थल निरीक्षण बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा किया गया तथा वाहन गाजियाबाद लाया गया, जहॉं पुन: सर्वे हुआ तथा वाहन को रिपेयरिंग हेतु अशोक लीलैण्ड कम्पनी के वर्कशाप में ले जाने के लिए कहा गया। तत्पश्चात् परिवादी द्वारा विपक्षीगण के समक्ष दुर्घटना क्लेम प्रस्तुत किया गया।
परिवादी का कथन है कि दिनांक 31.07.2010 को परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी के सर्वेयर को सूचना दी गयी थी कि वह प्रश्नगत बस को ठीक कराने हेतु हापुड़ ले जा रहा है तथा यह कि हापुड़ जाते समय रास्ते में नेशनल हाईवे-24, ग्राम कस्तला, हापुड़
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के पास प्रश्नगत बस में आग लग गयी, जिसकी तुरन्त सूचना फायर ब्रिगेड विभाग व बीमा कम्पनी को दी गयी तथा यह कि आवश्यक कार्यवाही के बाद एक क्लेम पुन: बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत किया गया। परिवादी का कुल क्लेम 16,80,000/-रू0 का बनता था, परन्तु बीमा कम्पनी द्वारा मात्र 2,00,000/-रू0 का क्लेम स्वीकृत किया गया। अत: क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षीगण द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करते हुए मुख्य रूप से कथन किया गया कि परिवादी के पहले क्लेम की धनराशि 2,00,000/-रू0 का भुगतान बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को किया गया, परन्तु परिवादी का दूसरा क्लेम बीमा कम्पनी द्वारा अस्वीकार किया गया क्योंकि प्रश्नगत बस को हापुड़ ले जाते समय पर्याप्त सावधानी नहीं की गयी, जिस कारण आग लगी। परिवादी द्वारा बीमा पालिसी के नियम व शर्तों का उल्लंघन किया गया, इसलिए परिवादी कोई क्लेम पाने का अधिकारी नहीं है। विपक्षीगण द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। परिवादी द्वारा परिवाद गलत व मनगढ़न्त तथ्यों पर विपक्षीगण को परेशान करने एवं अनुचित प्रतिकर प्राप्त करने के इरादे से प्रस्तुत किया गया। परिवाद निरस्त होने योग्य है।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधिसम्मत है, परन्तु जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा जो ब्याज दिलाया गया है, वह बहुत कम है। तदनुसार परिवादी द्वारा प्रस्तुत अपील स्वीकार करते हुए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश संशोधित किये जाने योग्य है।
विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रश्नगत बस की आई0डी0वी0 9,49,000/-रू0 (नौ लाख उनचास हजार रूपये) है, जबकि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा 14,80,000/-रू0 (चौदह
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लाख अस्सी हजार रूपये) मय ब्याज एवं क्षतिपूर्ति तथा वाद व्यय के भुगतान हेतु आदेशित किया गया है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधिसम्मत नहीं है, जो अपास्त होने योग्य है।
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुनने तथा समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त हम इस मत के हैं कि चूँकि प्रश्नगत बस की आई0डी0वी0 9,49,000/-रू0 (नौ लाख उनचास हजार रूपये) है तथा यह कि बीमा कम्पनी द्वारा 2,00,000/-रू0 (दो लाख रूपये) का भुगतान परिवादी को किया जा चुका है, इसलिए परिवादी को विपक्षीगण से शेष बीमा धनराशि 7,49,000/-रू0 (सात लाख उनचास हजार रूपये) दिलाया जाना न्यायोचित है। तदनुसार अपील संख्या-45/2019 आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है तथा अपील संख्या-113/2019 निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील संख्या-45/2019 आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्ता आयोग, गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या-394/2013 राम कुमार बनाम मैसर्स एच0डी0एफ0सी0 ई0जी0आर0ओ0 जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 व दो अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 14.11.2018 को संशोधित करते हुए शेष बीमा धनराशि 7,49,000/-रू0 (सात लाख उनचास हजार रूपये) की देयता निर्धारित की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग का शेष आदेश यथावत् रहेगा।
अपील संख्या-113/2019 निरस्त की जाती है।
अपील संख्या-45/2019 में अपीलार्थीगण द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
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इस निर्णय की मूल प्रति अपील संख्या-45/2019 में तथा छायाप्रति अपील संख्या-113/2019 में रखी जाये।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1