जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्रीमति विमला हींगड़ पत्नि श्री पारसमल हींगड़, निवासी- विमला भवन, गली नं.7, सुन्दर विलास, अजमेर जरिए पति श्री पारसमल हींगड़ ।
- प्रार्थिया
बनाम
प्रबन्धक,एचडीएफसी बैंक, सूचना केन्द्र के पास, अजमेर
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 145/2016
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री उम्मेदमल जैन, अधिवक्ता, प्रार्थिया
2. अप्रार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः-03.01.2017
1. संक्षिप्त तथ्यानुसार अप्रार्थी बैंक के प्रतिनिधि द्वारा यह बताए जाने पर कि उनके बैंक की स्कीम ॅवउमदष्े ैंअपदहे ।बबवनदज के अनुसार यदि बचत खाते में रू. 75,000/- से अधिक राषि का बैलेन्स होता है, तो वह अधिक राषि आॅटोमेटिक एफडी में ट्रान्सफर हो जाएगी और यह राषि जितने दिन अप्रार्थी बैंक में जमा रहेगी उस पर एफडी का ब्याज प्राप्त होगा, से प्रभावित होकर प्रार्थिया द्वारा दिनांक 8.12.2012 को अप्रार्थी बैंक में बचत खाता संख्या 02051870000253 खोला । अप्रार्थी द्वारा उपलब्ध कराए गए उक्त बचत खाते के स्टेटमेंट से उसे पता चला कि अप्रार्थी बैंक ने दिनांक 8.11.2012 से 29.8.2014 तक बचत खाते के ही ब्याज रू. 7264/- जमा की गई । जबकि स्कीम के अनुसार उसे रू. 5449/- ब्याज और प्राप्त होना था । इस प्रकार अप्रार्थी बैंक ने अनुचित व्यापार व्यवहार अपनाया है तथा सेवा में कमी की है । इस संबंध में उसने दिनांक 30.11.2014 को नोटिस भी दिया । किन्तु कोई कार्यवाही नहीं किए जाने पर यह परिवाद प्रस्तुत करना पड़ रहा है । परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना करते हुए परिवाद के समर्थन में स्वयं का ष्षपथपत्र पेष किया है ।
2. यहां यह उल्लेखनीय है कि इस प्रकरण में दिनांक 12.5.2016 को अप्रार्थी बैंक की ओर से किन्हीं श्री नितिन नाग, सीनियर मैनेजर ने अपनी उपस्थिति दी थी तथा जवाब हेतु समय चाहा था । किन्तु दिनांक 23.6.2016 को सुनवाई की तिथि के दौरान उनकी ओर से कोई जवाब प्रस्तुत नहीं हुआ व समय चाहा गया । आगामी तिथि दिनंाक 20.7.2016 को न तो उनकी ओर से जवाब प्रस्तुत हुआ और ना ही कोई उपस्थिति दी गई । अतः इन हालात में अप्रार्थी का जवाब बन्द किया गया । दिनांक 22.9.2016 व 25.11.2016 को भी अप्रार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ । इस पर न्याय हित में प्रार्थी पक्ष की बहस सुनी जाकर अप्रार्थी के लिए यह विकल्प खुला रखा गया कि यदि उनकी ओर से आगामी निर्णय की तिथि से पूर्व उपस्थित होकर बहस की जाती है तो उन्हें सुन लिया जाएगा । किन्तु खेद का विषय है कि न तो उनकी ओर से कोई उपस्थिति दी गई और ना ही बहस की गई । न्याय हित में प्रार्थिया पक्ष की बहस व उपलब्ध रिकार्ड के आधार पर मंच को यह निर्णय पारित करने हेतु विवष होना पड़ रहा है ।
3. प्रार्थिया ने अपने पक्ष कथन को बहस में तर्क के रूप में दोहराया है । हमने सुना व रिकार्ड देखा ।
4. विवाद का बिन्दु मात्र यह है कि क्या प्रार्थिया को अप्रार्थी की स्कीम के अन्तर्गत वांछित ब्याज की प्राप्ति नहीं हुई है, बल्कि उसे मानसिक वेदना हुई है एवं अप्रार्थी ने अनुचित व्यापार व्यवहार का परिचय दिया है ।
5. अप्रार्थी बैंक की उक्त तथाकथित योजना के संदर्भ में प्रार्थिया द्वारा प्रस्तुत लीफलेट के अनुसार डवदमल डंगपउप्रमत थ्ंबपसपजल के अन्तर्गत यदि महिला खाताधारक द्वारा खोले गए खाते में रू. 1 लाख की राषि जमा के रूप मंे पहुंचती है तो रू. 75,000/- से अधिक की राषि स्वतः ही फिक्स डिपाजिट में परिवर्तित होकर तदनुसार ब्याज देय होगा । प्रार्थिया ने परिवाद में वादकरण दिनंाक
8.12.2012 को उत्पन्न होना बताया है , जिसके अनुसार अप्रार्थी बैंक के अधिकृत स्टाफ मेम्बर ने महिलाओं को बचत खाता बैंक में खोलकर स्कीम समझा कर प्रार्थिया से उक्त स्कीम के अन्तर्गत खाता खोलने हेतु प्रेरित किया है । प्रार्थिया ने अनुतोष के रूप में दिनांक 8.11.2012 से 29.8.2014 के मध्य जमा ब्याज की राषि को कम बताया है जबकि अप्रार्थी बैंक के अधिकृत स्टाफ से दिनांक 8.12.2012 को संवाद होना कथन किया है । बहरहाल, इस अनियमितता की अनदेखी करते हुए यदि हम प्रार्थिया के बैंक खाते की नकल की ओर ध्यान दंे तो यह स्वीकृत स्थिति सामने आई है कि प्रार्थिया का अप्रार्थी बैंक में बचत खाता रहा है तथा दिनांक 8.11.2012 से उसके खाते में रू. 1लाख की राषि जमा रही है । तथा समय समय पर इसमें बढ़ोतरी भी हुई है । स्वीकृत रूप से वह रू. 75,000/- की राषि के अलावा आगे की राषि पर उक्त स्कीम के तहत देय ब्याज प्राप्त करने की अधिकारिणी है । उसने इस हेतु रू. 7264/- ब्याज के रूप में जमा होना बताया है तथा रू. 5449/- का आर्थिक नुकसान होना अभिकथित किया है जो अखण्डनीय साक्ष्य के अभाव में स्वीकार किए जाने योग्य है । प्रचारित स्कीम के अन्तर्गत देय ब्याज नहीं जोड़ कर अप्रार्थी बैंक ने अनुचित व्यापार व्यवहार का परिचय दिया है , ऐसा सिद्व है । मंच की राय में प्रार्थिया का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
6. (1) प्रार्थिया अप्रार्थी बैंक से रू. 5449/- प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी ।
(2) प्रार्थिया अप्रार्थी बैंक से मानसिक संताप पेटे रू. 5000/- व परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000 /-भी प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बैंक प्रार्थिया को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थिया के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावंे ।
आदेष दिनांक 03.01.2017 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य अध्यक्ष