जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या-597/2019
उपस्थित:-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-24.05.2019
परिवाद के निर्णय की तारीख:-19.11.2020
1-Sri Shiv Dan Yadav 16 Sarswatipuram Raebareli Road-Near PGI Judges Lane-Lucknow-226004.
2-Smt Savita Yadav 16 Sarswatipuram Raebareli Road-Near PGI Judges Lane-Lucknow-226004. ...............Complainant.
Versus
1-HDFC BANK Hindustan Times House Second Floor] 25 Ashok Marg Lucknow-226001.
2-HDFC BANK Ramon House HT Parekh Marg 169, Bacbay Reclamation Churchgate, Mumbai-400020-INDIA.
..............Opposite Parties.
आदेश द्वारा-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
निर्णय
परिवादीगण ने प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण तथा परिवादी के मध्य हुए करार से अत्यधिक लिया गया 99,180.00 रूपया मय 24 प्रतिशत ब्याज सहित, मानसिक कष्ट हेतु 50000.00 रूपया, भागदौड़ तथा वाद व्यय हेतु 21000.00 रूपया दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी स्वयं तथा पत्नी के नाम से विपक्षीगण के यहॉं से अपना घर बनवाने के संबंध में उपरोक्त बैंक द्वारा खाता संख्या 516581468 के तहत दिनॉंक 01.10.2008 को 6,00,000.00 रूपये का गृह ऋण प्राप्त किया था। उपरोक्त होम लोन जिसकी ई एम आई प्रति माह 8265.00 रूपया प्रतिमाह विपक्षी द्वारा अपने बैंक की शर्तों के अनुसारन निश्चित किया गया था जो की दौरान दस वर्षों तक आर बी आई बैंक नियम के अधीन फ्लेक्सिबल ब्याज के तहत 13.4 प्रतिशत अधिकतम ब्याज पर विपक्षी बैंक द्वारा ही परिवादी से प्राप्त करना था जिसमें आर बी आई के नियम एवं शर्तों के अनुसार ब्याज दरों में समय स्वरूप कमी होना जिसकी सूचना विपक्षीगण द्वारा परिवादी को देंगे हेतु विपक्षी बैंक द्वारा परिवादीगण को निहित एवं आश्वस्त किया गया था। उपरोक्त लोकन की कुल अवधि 10 वर्षों तक निश्चित की गयी थी। परिवादीगण का उपरोक्त ऋण दिनॉंक 01.10.2008 से आरम्भ होकर अक्टूबर 2018 तक कुल 120 माह में प्रतिमाह के तहत पूरा किया जाना तय किया गया था, जिसके पश्चात् 10 वर्षों से 15 कार्य दिवस में परिवादी का मूल दस्तावेज जो की लोन के एवज में लिये जाने के संबंध में विपक्षी के पास जमा होता है विपक्षी बैंक द्वारा परिवादी को वापस किया जाना एवं लोन समाप्त होने के संबंध में एन ओ सी भी दिया जाना तय था। विपक्षी बैंक द्वारा बताये गये एवं दी गयी शर्तों तथा निर्देशों के आधार पर तयशुदा एग्रीमेंट के आधार पर परिवादीगण द्वारा विपक्षी बैंक द्वारा दिये गये होम लोन के संबंध में प्रत्येक माह की किश्तें बैंक को समयावधि के अनुसार समय समय पर अदा करता रहा है। परिवादीगण द्वारा माह अगस्त 18 उत्सुकतावश लोन के अगले दो माह अधिकमत में खत्म होने के संबंध में पता करने पर विपक्षी बैंक द्वारा सितम्बर 2019 को बताया गया जिसे सुनकर परिवादीगण अवाक एवं हतप्रभ रह गया। परिवादीगण ने उच्च अधिकारियों से मिलने की जिज्ञासा जाहिर किया तथा सच्चाई बताना एवं जानना चाहा जिस पर विपक्षीगण द्वारा अनदेखा तथा अनसुना करते हुए मिलने नहीं दिया गया। विपक्षीगण द्वारा अचानक अपने तेवर ऋण के संबंध में अपनाना तथा परिवादीगण को ऋण के संबंध में सम्पूर्ण जानकारी न देना तथा उल्टे NPA तथा CIBIL के बारे में चर्चा कर डराने से व्यथित होकर परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से दिनॉंक 22.10.2018 को कानूनी नोटिस भेजा परन्तु विपक्षीगण द्वारा नोटिस का जवाब देना उचित नहीं समझा। परिवादीगण द्वारा विचलित होकर अपने मकान की सुरक्षा के दृष्टिकोण से मानसिक कष्ट से सराबोर होकर विपक्षीगण के बदले नये शर्तों के अनुसार ऋण के संबंध में विपक्षी द्वारा बतायी गयी राशि का भुगतान 87040.00 रूपया का चेक संख्या 622995 दिनॉंक 14.11.2018 को कर दिया।
परिवाद का नोटिस विपक्षीगण को जारी किया गया, परन्तु विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: आदेश दिनॉंक 22.10.2019 द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही अग्रसारित की गयी।
परिवादीगण ने अपने कथनों के समर्थन में शपथ पत्र दाखिल किया है। परिवादीगण की ओर से परिवाद पत्र के साथ विपक्षी बैंक द्वारा निर्गत शेड्यूल, परिवादी द्वारा जमा की गयी राशि का विवरण कितनी कितनी इस्टालमेंट देनी थी और कितनी इस्टालमेंट थी उसकी अनुसूची भी दाखिल किया है, जिसके विवरण से प्रतीत होता है कि परिवादी ने समय से सारी किश्तों का भुगतान जो प्रतिमाह 8265.00 रूपये की दर से 120 किश्तों में अदा करना था किया है। परिवादीगण ने कुल 6,00,000.00 रूपये का लोन लिया था। उस विवरण के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि परिवादीगण ने अपनी 120वीं किश्त 01 सितम्बर, 2018 को अदा कर दी है। परन्तु उसके बाद परिवादीगण के खाते से प्रतिमाह किश्तों की कटौती करली गयी है, उसका कुल योग 99180.00रूपये है। परिवादीगण से किये गये एग्रीमेंट के विपरीत जाकर विपक्षीगण ने परिवादीगण के खाते से 99180.00 रूपये अधिक कटौती की है जो परिवादीगण को वापस मिलना चाहिए। ऐसी परिस्थिति में परिवादीगण का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादीगण का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादीगण को मुबलिग 99180.00 (निन्यानबे हजार एक सौ अस्सी रूपया मात्र) मय 12% वार्षिक ब्याज के साथ जो परिवादीगण के खाते से अतिरिक्त कटौती की गयी है, उसके भुगतान की तिथि से भुगतेय होगा 45 दिनों के अन्दर अदा करेंगें। साथ ही साथ विपक्षीगण परिवादीगण को हुए मानसिक कष्ट के लिये मुबलिग 20,000.00 (बीस हजार रूपया मात्र) तथा वाद व्यय के लिये मुबलिग 15,000.00 (पन्द्रह हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगें। यदि आदेश का पालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण राशि पर 15% वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
(अशोक कुमार सिंह) (अरविन्द कुमार)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।