जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।
़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़ ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़उपस्थितिः-(1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-301/13
सरफराज अहमद खाॅं पुत्र स्वर्गीय हाजी जुबेर खान निवासी मोहल्ला बरिया टोला, ग्राम व पोस्ट रौनाही, तहसील सोहावल, जिला फैजाबाद .................. परिवादी
बनाम
शाखा प्रबन्धक एच0डी0एफ0सी0 बैंक लि0 शाखा 4099 दर्शन एनक्लेव सिविल लाइन फैजाबाद .................... विपक्षी
निर्णय दि0 29.02.2016
निर्णय
उद्घोषित द्वारा-श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी के विरूद्ध उसके खाते से काटी गयी मु0 1,00,000=00 मय ब्याज एवं क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु योजित किया है।
संक्षेप मे परिवादी का परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी का खाता संख्या-08621950005902 है। विपक्षी ने परिवादी के बिना सहमति और बिना किसी प्रपत्र पर हस्ताक्षर कराये परिवादी के खाते से मु0 50,000=00 की रकम 15133041
( 2 )
(एच0एस0एल0आई0सी0) के नाम से काट लिया है। परिवादी ने इसकी शिकायत विपक्षी से किया तो विपक्षी ने आश्वासन दिया आपकी रकम आपके खाते में जमा कर दी जायेगी परन्तु रूपया परिवादी के खाते में जमा नहीं किया। विपक्षी द्वारा पुनः दि0 03.03.2013 को मु0 50,000=00 (एच0एस0आई0सी0आई0एन0एस0टी0) के नाम पर परिवादी के बिना सहमति के काट लिया गया। विपक्षी परिवादी के बिना सहमति के दो बार में मु0 50,000=00, मु0 50,000=00 कुल मु0 1,00,000=00 काट लेने पर अधिवक्ता के माध्यम से वैधानिक नोटिस दि0 18.05.2013 को भेजा, परन्तु आज तक परिवादी को रकम मु0 1,00,000=00 विपक्षी ने नहीं लौटाया।
मैं परिवादी के लिखित बहस का अवलोकन किया। पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया। विपक्षी के अधिवक्ता ने अपना वकालतनामा इस केस में प्रेषित किया लेकिन हाजिर होकर के अपना जवाबदावा प्रेषित नहीं किया। परिवादी का खाता सं0-08621930005902 विपक्षी के यहाॅं है। विपक्षी ने बिना प्रपोजल फार्म भरवाये और परिवादी की बिना सहमति लिये एक पालिसी सं0-00602300004060-15133041 जारी करके दि0 31.03.2012 को मु0 50,000=00 निकाल कर पालिसी में जमा कर दिया। इस प्रकार दि0 03.05.2013 को मु0 50,000=00 निकाल करके पालिसी की किश्त में जमा कर दिया। जब किसी व्यक्ति की पालिसी करायी जाती है तो उसमें प्रपोजल फार्म भराया जाता है और कितने धनराशि की पालिसी कराना है उसमें परिवादी की सहमति होना आवश्यक है। विपक्षी ने बिना सहमति के परिवादी के खाते से मु0 50,000=00, मु0 50,000=00 निकाल करके कुल मु0 1,00,000=00 की पालिसी किया और किश्तांे में जमा किया जो गलत है। बिना सहमति के किसी भी व्यक्ति की पालिसी नहीं की जा सकती। इस प्रकार परिवादी विपक्षी से मु0 1,00,000=00 प्राप्त करने का अधिकारी है।
आदेश
परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। परिवादी विपक्षी से मु0 1,00,000=00 प्राप्त करने का अधिकारी है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि उपरोक्त धनराशि निर्णय एवं आदेश के एक माह के
( 3 )
अन्दर परिवादी के खाते में जमा करें। यदि विपक्षी उक्त दिये गये समय के अन्दर उक्त धनराशि परिवादी के खाते में जमा नहीं करता है, तो परिवादी विपक्षी से परिवाद योजित करने की तिथि से तारोज जमा करने की तिथि तक 12 प्रतिशत सालाना साधारण ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी होगा। इसके अतिरिक्त परिवादी विपक्षी से मु0 3,000=00 वाद व्यय एवं मु0 5,000=00 मानसिक क्षतिपूर्ति भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 29.02.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष