Rajasthan

Ajmer

EA/17/2015

MANGI LAAL - Complainant(s)

Versus

HDFC BANK - Opp.Party(s)

05 Jul 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Execution Application No. EA/17/2015
In
 
1. MANGI LAAL
AJMER
...........Appellant(s)
Versus
1. HDFC BANK
AJMER
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 05 Jul 2016
Final Order / Judgement

 


जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

मांगी लाल पुत्र श्री लाडू जी, जाति- खटीक, निवासी- ग्राम व पोस्ट जोताया वाया टांटोटी, तहसील-सरवाड, जिला-अजमेर । 
                                                -         प्रार्थी

                            बनाम

1.  श्री इकबाल, षाखा प्रबन्धक,एचडीएफसी बैंक,  तेलियों का मंदिर, जयपुर रोड, केकडी, जिला-अजमेर । 

2. श्री ललित पंवार, प्रबन्धक, कारपोरेटेड आफिस,  ए.यू. फाईनेन्सरीज इण्डिया प्रा.लि., 19 ए धलेष्वर गार्डरी, अजमेर रोड, जयपुर । 

                                             -       अप्रार्थीगण 
             अवमानना परिवाद संख्या 17/2015  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री गुमान सिंह यादव, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री अवतार सिंह उप्पल, अधिवक्ता अप्रार्थी सं.2 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 15.07.2016
 
1.       प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत  अवमानना परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै  कि उसके द्वारा पूर्व में एक परिवाद संख्या 213/10  मांगी लाल बनाम एचडीएफसी बैंक प्रस्तुत किया।  जिसमें मंच ने दिनांक  19.3.2012 को निर्णय पारित किया । जिसके विरूद्व प्रार्थी ने माननीय राज्य आयोग में अपील संख्या 660/12 प्रस्तुत की ।  प्रार्थी की अपील स्वीकार करते हुए  माननीय राज्य आयोग ने अपने आदेष दिनंाक 29.9.2014 के द्वारा अप्रार्थीगण को रू. 2,00,000/-  9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित  परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक से ताअदायगी  दिलाने के आदेष प्रदान किए । अप्रार्थीगण ने बावजूद नोटिस दिए जाने के भी  माननीय राज्य आयोग के आदेष की पालना नहीं कर अवेलहना की है । प्रार्थी ने अवमानना परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । 
2.    अप्रार्थीगण ने जवाब प्रस्तुत करते हुए  कथन किया है कि माननीय राज्य आयेाग के उपरोक्त निर्णय के विरूद्व माननीय राष्ट्रीय आयोग के समक्ष याचिका प्रस्तुत की गई है  जिसमें सफल हो जाने तक रू. 2,00,000/- का डीडी अण्डर प्रोटेस्ट प्रार्थी को जरिए  पत्र दिनंाक 21.10.2014 के प्रेषित किया गया ।  किन्तु उक्त पत्र ’’ प्राप्तकर्ता बाहर रहता है, घरवालों ने पता बताने से मना किया ’’ के रिमार्क के साथ  अप्रार्थी को पुनः प्राप्त हो गया ।  उक्त डीडी की समयावधि 3 माह की होने के कारण  पुनः नया डीडी   दिनांक  20.4.2014 का बना कर  मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया।  जिसे प्रार्थी प्राप्त करने के लिए स्वतन्त्र है ।  इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अन्त में अवमानना परिवाद निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । 
3.    प्रार्थी का प्रमुख रूप से तर्क रहा है कि  माननीय राज्य आयोग द्वारा दिनंाक 29.9.2014 को पारित आदेष के अनुसार अप्रार्थी ने रू. 2,00,000/-   का भुगतान तो कर दिया है । किन्तु उक्त आदेष की तिथि से एक माह के अन्दर भुगतान नहीं कर दिनंाक 3.6.2015 को उक्त राषि का भुगतान किया है । अतः प्रार्थी दिनंाक 29.4.2014 से 3.6.2015 के मध्य  9 प्रतिषत ब्याज की राषि प्राप्त करने का हकदार है । क्योंकि उसे  तथाकथित भिजवाई गई राषि प्राप्त नहीं हुई है । इस संबंध में उन्होने अप्रार्थी द्वारा डाक से भेजे गए  डीडी भुगतान के लिफाफे में डाक तार विभाग  की लौटाए जाने वाली अभ्युक्ति पर प्रष्नचिन्ह लगाया और बताया कि यह लिफाफा उनके पते पर कभी आया ही नहीं था । 
4.    अप्रार्थी   के विद्वान अधिवकता ने उक्त तर्क का खण्डन करते हुए बताया कि माननीय राज्य आयेाग के निर्णय दिनंाक 29.9.2014 के एक माह के भीतर उनके द्वारा  आदेष की पालनार्थ रू. 2,00,000/- का भुगतान जरिए डाक भिजवाया गया और यह लिफाफा ’’ प्राप्तकर्ता बाहर रहता है, घरवालों ने पता बताने से मना किया  ’’  का नोट लगाया जाकर वापस प्राप्त हो गया । उनका तर्क था कि उनके द्वारा माननीय राज्य आयोग के निर्णय की पालना में प्रार्थी को  समय पर भुगतान कर दिया गया है । अतः वह किसी ब्याज की अदायगी के लिए उत्तरदायी नहीं है । 
5    हमने परस्पर तर्क सुने एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है । 
6.    विचारणीय प्रष्न मात्र यह है कि क्या अप्रार्थी ने राज्य आयेाग के निर्णय की पालना में दिनंाक 29.9.2014 से एक माह के अन्दर अन्दर प्रार्थी को भुगतान कर दिया अथवा करने का प्रयास किया।  जो कि प्रार्थी की  गलती के कारण उसे प्राप्त नहीं हुआ ?
7.    पत्रावली में उपलब्ध डाक तार विभाग से लौटाए गए लिफाफे  को देखने से प्रकट होता है कि यह दिनंाक 21.10.2014 को पोस्ट आफिस में प्राप्त हुआ था तथा  प्रार्थी के सही पते पर भिजवाया गया था । इस पत्र पर अंकित टिप्पणी को देखने से  यह भी प्रकट होता है कि यह लिफाफा  पोस्टमैन द्वारा इस बात पर विचार कर  अनडिलीवर्ड  लौटाया गया कि ’’ प्राप्तकर्ता बाहर रहता है। घरवालों  ने पता बताने से मना किया ’’ । रिकार्ड  के अनुसार अप्रार्थी ने माननीय राज्य आयोग के  उक्त आदेष कें विरूद्व माननीय राष्ट्रीय आयोग  में अपील की  है । यदि उक्त लिफाफा अप्रार्थी को अनडिलिवर्ड  तत्काल अर्थात दिनंाक 21.10.2014  के 2-3 दिन बाद प्राप्त हो गया था तो उनके लिए अपेक्षित था कि  वे या तो पुनः प्रार्थी के पते पर भिजवाते अथवा इसकी डिलीवरी करने के न्यायोचित प्रयास करते । उनके लिए यह  भी अपेक्षित था कि  वे  इसे मंच में भी प्रस्तुत कर माननीय राज्य आयेाग के आदेष की पालना कर सकते थे । प्रार्थी ने मंच के समक्ष यह अवमानना परिवाद 13.3.2015  को प्रस्तुत की है। यदि उक्त लिफाफा प्रार्थी को  समय पर प्राप्त हो चुका होता तो वह  यह  पीटिषन  इस मंच  में कदापि प्रस्तुत नहीं करता । हस्तगत मामले में अप्रार्थी सं.- 2 द्वारा उनकी  उपस्थिति के बाद दिनंाक 23.4.2015 को एक डीडी प्रार्थी को दिए जाने हेतु पेष की  गई है । मंच की राय में  ऐसा  समय पर प्रार्थी पक्ष को भुगतान नहीं कर अप्रार्थी  संख्या -2 ने सेवा में कमी का परिचय दिया है । समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों  के प्रकाष में प्रार्थी का अवमानना परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि 
                         :ः- आदेष:ः-
8.    (1)      अप्रार्थी संख्या -2 प्रार्थी को  भुगतान की गई राषि रू. 2,00,000/- पर  दिनंाक 28.10.2014 से 23.4.2015 तक  9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित और राषि प्राप्त किए जाने का अधिकारी  है । 
    (2)    क्रम संख्य 1 में वर्णित राषि अप्रार्थी संख्या-2     प्रार्थी को इस आदेष से एक माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
    (3)    तथ्यों एवं परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए पक्षकारान खर्चा अपना अपना स्वयं वहन करेगें ।   
          आदेष दिनांक 15.7.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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