Madhya Pradesh

Gwalior

CC/126/2015

KAMTA SINGH - Complainant(s)

Versus

HDFC AGRO GENERAL INSURANCE - Opp.Party(s)

HEMANT SHARMA

25 Mar 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER FORUM GWALIOR
FINAL ORDER
 
Complaint Case No. CC/126/2015
 
1. KAMTA SINGH
DAMODAR BAGH COLONY
GWALIOR
MADHYA PRADESH
...........Complainant(s)
Versus
1. HDFC AGRO GENERAL INSURANCE
ROMAN HOUSE, HT PARIKH MARG
MUMBAI
MAHARASTRA
2. VINDU AGRAWAL AGENT HDFC AGRO GENERAL INSURANCE
SANGAM APARTMENT, VIJAY NAGAR
GWALIOR
MADHYA PRADESH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Smt.Abha Mishra PRESIDING MEMBER
  Dr.Mridula Singh MEMBER
 
For the Complainant:HEMANT SHARMA, Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

     परिवादी की ओर से अधिवक्ता श्री हेमन्त शर्मा उपस्थित।
                परिवाद की ग्राह्यता के संबंध में परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता के तर्क सुने गये।
                 प्रकरण का अवलोकन कर विचार किया गया।
                 परिवादी का पक्ष संक्षेप में इस प्रकार है कि उसने अनावेदक क्रमांक 1 बीमा कंपनी के ग्वालियर स्थित एजेण्ट अनावेदक क्रमांक 2 के माध्यम से अनावेदक क्रमांक 1 बीमा कंपनी से अपने वाहन क्रमांक एम0पी0-07-एच0बी0-3701 के लिए दिनांक 17.4.2013 से 16.4.2014 तक की अवधि के लिए 15,00,000रू बीमा मूल्य के लिए बीमा पाॅलिसी प्राप्त की थी। बीमा अवधि में उक्त वाहन दिनंाक 1.3.2014 को पुलिस थाना एत्माउद्ौला आगरा की सीमा से रात्रि में चोरी हो गया जिसकी पुलिस रिपोर्ट दिनांक 2.3.2014 को लिखाई गयी तथा अनावेदक के टोल फ्री नंबर पर दिनांक 5.3.2014 को सूचित किया गया किन्तु पुलिस द्वारा प्रथम सूचना दर्ज न किए जाने पर न्यायालय के माध्यम से अपराध क्रमांक 205 दिनांक 4.4.2014 को दर्ज कराया गया। अनावेदक द्वारा वाहन चोरी से संबंधित अन्वेषण कराया गया तथा आवश्यक दस्तावेज आदि प्राप्त किए गए तथा प्राार्थी के खाते का एक केंसिल चैक आदि भी प्राप्त किया गया परिवादी ने आर0टी0ओ ग्वालियर को भी सूचना दी। अनावेदक ने एक अन्य अन्वेषक सत्येन्द्र आगरा को नियुक्त किया जिन्होंने भी दस्तावेज आदि प्राप्त किए किन्तु अनावेदक ने समस्त आवश्यकताओं की पूर्तियों के बाद भी क्लेम का निराकरण नहीं किया तथा कहा कि न्यायालय से एफ0आर स्वीकृति के पश्चात ही क्लेम निराकरण किया जावेगा । अनावेदक का उपरोक्त समस्त कृत्य सेवा में कमी व अनुचित व्यापार व्यवहार है। इसलिए परिवादी ने अनावेदक से वाहन की आई.डी0व्ही राशि मय ब्याज व क्षतिपूर्ति की मांग करते हुए यह परिवाद पेश किया है।   
                    परिवादी स्वयं के अभिवचनो से ही स्पष्ट है कि उसके द्वारा अनावेदक क्रमांक 1 से प्रदर्श सी-2 की बीमा पाॅलिसी प्राप्त की है जो अनावेदक क्रमांक 1 के कोलकाता स्थित कार्यालय से जारी हुई है तथा उक्त बीमित वाहन आगरा उत्तर प्रदेश की सीमा में चोरी हुआ है। यद्यपि परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अनावेदक क्रमांक 1 के ग्वालियर स्थित एजेण्ट के माध्यम से वाहन का बीमा कराया गया है इसलिए इस फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार प्राप्त है किन्तु मात्र एजेण्ट के माध्यम से किसी स्थान विशेष पर बीमा संबंधी कार्यवाही किए जाने मात्र के आधार पर परिवादी परिवाद प्रस्तुती के लिए वाद कारण उत्पन्न नहीं हो जाता है। 
               माननीय राष्ट्र्ीय आयोग द्वारा मारिया मरगरिदा डे नोरोन्हा टवोरा एवं अन्य विरूद्ध त्रावाको होलिडेज प्रा0लि एवं अन्य । (1015) सी0पी0जे-639 में यह स्पष्ट सिद्धांत प्रति पादित किया है क मात्र इस आधार पर कि अनावेदक द्वारा आवेदन पत्र आदि भरने में सहायता किए जाने मात्र से सेवाएं प्रदान कर दिया जाना नहीं माना जा सकता। यही स्थिति इस प्रकरण की भी दर्शित होती है। अनावेदक क्रमांक 2 अनावेदक क्रमांक 1 का एजेण्ट मात्र है बीमा पाॅलिसी अनावेदक क्रमांक 1 के कोलकाता स्थित कार्यालय से जारी हुई है स्पष्ट ही अनावेदक क्रमांक 2 एजेण्ट द्वारा परिवादी को पाॅलिसी प्राप्ति में सहायता मात्र प्रदान की गयी है। अतः अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा परिवादी को सेवाएं देना उक्त न्याय दृष्टांत के प्रकाश में माने जाने योग्य नहीं है। 
                 इसके अतिरिक्त परिवादी का वाहन कोलकाता से बीमित है तथा आगरा उत्तर प्रदेश की सीमा में चोरी हुआ ऐसी स्थिति में भी  परिवादी को इस फोरम की क्षेत्रीय क्षेत्राधिकारिता मे मात्र एजेण्ट की सेवाएं प्राप्त कर लिए जाने से परिवाद प्रस्तुती हेतु क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं हो जाता है इस संबंध में  न्याय दृष्टांत सोनिक सर्जिकल विरूद्ध नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड पअ.2009 सी0पी0जे 40 माननीय सर्वोच्च न्यायालय से भी स्पष्ट है कि मुख्यतः वाद कारण जिस स्थान पर उत्पन्न हुआ वहीं वाद संस्थित किया जाना चाहिए। 
                 ऐसी स्थिति में परिवादी द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद इस फोरम द्वारा श्रवण योग्य नहंी पाया जाता है। 
                   अतः परिवादी द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद परिवादी को इस आदेश के साथ वापस किया जाता है कि वह सक्षम क्षेत्रीय क्षेत्राधिकारिता प्राप्त जिला उपभेाक्ता फोरम के समक्ष इस आदेश की दिनंाक से 30 दिन के भीतर   पेश करे। परिवादी द्वारा प्रस्तुत न्याय शुल्क उसे वापस किया जावे। 


                 प्रकरण सांख्यिकीय प्रयोजन हेतु पंजीबद्ध हो। आदेश की प्रतिलिपि परिवादी को निःशुल्क दी जावे। परिणाम दर्ज कर प्रकरण अभिलेखागार में जमा हो। 
                         आदेश मैने लिखाया  
                       
डाॅ मृदुला ंिसंह   
                          श्रीमती आभा मिश्रा
   सदस्य                        सदस्य            

 
 
[ Smt.Abha Mishra]
PRESIDING MEMBER
 
[ Dr.Mridula Singh]
MEMBER

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