(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2796/2002
Punjab National Bank & other
Versus
Sri Hasiburrahman Khan Son of Late Sri Hanifurrahman Khan
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री एस0एम0 बाजपेयी, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री आर0के0 मिश्रा, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :12.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- परिवाद संख्या-48/1995, हसीबउर्रहमान खां व अन्य बनाम पंजाब नेशनल बैंक व अन्य में विद्वान जिला आयोग, (प्रथम) बरेली द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 01.08.2002 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्ण्य/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद को एकपक्षीय रूप से स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को निर्देशित किया है कि एक माह के अंदर अंकन 48,840/-रू0 की धनराशि तथा इसी राशि पर दिनांक 09.11.1994 से 09 प्रतिशत की दर से ब्याज अदा करने का आदेश पारित किया है।
- परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी सं0 1 के पिता ने 400 यूनिट पंजाब नेशनल बैंक मिच्युअल फंड के दिनांक 15.10.1990 को खरीदे थे। दिनांक 09.11.1994 को विपक्षी सं0 2 ने विपक्षी सं0 1 को 48,840/-रू0 प्रेषित कर दिया। विपक्षी सं0 1 ने दिनांक 06.12.1994 को ड्राफ्ट लेने की सूचना भेजी गयी, परंतु दिनांक 20.11.1994 को परिवादी के पिता का देहांत हो गया, इसलिए परिवादी के पिता के जीवन काल में ड्राफ्ट नहीं मिला पाया। दूसरी त्रुटि यह की गयी है कि ड्राफ्ट केवल परिवादी के पिता के नाम भेजा गया, जबकि परिवादी के पिता के अलावा रऊफ अहमद खां एवं श्रीमती शरीफ बानो के नाम भी भेजना चाहिए था क्योंकि तीनों व्यक्तियों द्वारा यूनिट क्रय की गयी। इस स्थिति में भी ड्राफ्ट कैश हो सकता था।
- जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष अपीलार्थीगण द्वारा कोई आपत्ति प्रस्तुत नहीं की गयी है, इसलिए परिवाद में वर्णित तथ्य को स्थापित मानते हुए इस राशि को लौटाने का आदेश दिया गया। अपील के दौरान भी इस तथ्य से इंकार नहीं किया कि परिवादीगण को 48,840/-रू0 की राशि देय नहीं है। केवल यह कथन किया गया है कि आवश्यक औपचारिकतायें पूर्ण नहीं की गयी। परिवादी सं0 2 एवं 3 को आवश्यक औपचारिकतायें पूर्ण नहीं करनी थी। परिवादी सं0 1 द्वारा शपथ पत्र के माध्यम से स्वयं को हनीफर्रहमान खां का पुत्र साबित किया गया है। चूंकि ड्राफ्ट बन चुका था। अत: ड्राफ्ट बनने के पश्चात एक व्यक्ति को उत्तराधिकारी तथा शेष दो व्यक्तियों को ड्राफ्ट की राशि का भुगतान किया जा सकता था, इसके लिए अनावश्यक रूप से मुकदमेबाजी करने की आवश्कता नहीं थी। बैंक का भी दायित्व है कि लालफीताशाही के घटनाचक्र से स्वयं को बचाये और अपने उपभोक्ताओं का सहज रूप से सेवा प्रदान करने की ओर से अग्रसर हों, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2