जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-प्रथम, लखनऊ।
वाद संख्या 852/2013
श्री रविन्द्र भूषण मधुकर,
पुत्र स्व0 श्री सूबेदार मधुकर,
निवासी- म.नं.429/1130, किशोरगंज,
कैम्पवेल रोड, बालागंज, लखनऊ-226003। ......... परिवादी
बनाम
1. हैरी एण्ड कंपनी,
9 लालबाग, नियर यामाहा शोरूम,
लखनऊ।
द्वारा प्रबंधक।
2. रेडिंगटन इंडिया लि0,
18 मदन मोहन मालवीय मार्ग,
लखनऊ।
द्वारा सर्विस मैनेजर।
3. तोशिबा इंडिया प्रा0 लि0,
तृृतीय तल, बिल्डिंग नं.10,
टावर-बी, फेज द्वितीय,
डी0एल0एफ0 साइबर सिटी,
गुड़गांव- 122002, हरियाणा,
द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर। ..........विपक्षीगण
उपस्थितिः-
श्री विजय वर्मा, अध्यक्ष।
श्रीमती अंजु अवस्थी, सदस्या।
श्री राजर्षि शुक्ला, सदस्य।
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निर्णय
परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षी सं.1 व 3 से लैपटाप की कीमत रू.34,000.00 मय 18 प्रतिशत, क्षतिपूर्ति के रूप में रू.50,000.00 व वाद व्यय के रूप में रू.10,000.00 दिलाने हेतु प्र्र्र्र्र्र्र्र्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवादी का कथन है कि उसने दिनांक 16.08.2013 को एक लैपटाप विपक्षीगण से रू.34,000.00 में खरीदा था। उपरोक्त लैपटाप का निर्माता विपक्षी सं0 3 है और विपक्षी सं0 2 उसका सर्विस सेंटर है तथा विपक्षी सं0 1 उसका विक्रेता है। लैपटाप खरीदने के दूसरे दिन से ही लैपटाप के सिस्टम में समस्या उत्पन्न होने लगी जैसे विंडो क्रैश होना, स्क्रीन पर स्क्रेच होना, हैंग हो जाना और सिस्टम का धीरे चलना। उपरोक्त समस्या उत्पन्न होने पर परिवादी विपक्षी सं0 1 के पास गया और उसने अपनी समस्या बतायी तो उससे कहा गया कि अभी देखते है। थोड़ी देर पश्चात्् परिवादी फिर दुकान पर गया तो विपक्षी सं0 1 द्वारा बताया गया कि उसका लैपटाप ठीक कर दिया है, अगली बार अगर कोई खराबी आये तो वह विपक्षी सं0 2 के सर्विस सेंटर पर संपर्क करें। उपरोक्त लैपटाप दुकान से लाने के पश्चात्् फिर से इस्तेमाल करने पर उसमें उपरोक्त समस्याएं फिर से उत्पन्न होने लगी जिसे दिखाने के लिए परिवादी विपक्षी सं0 2 के पास गया तो विपक्षी सं0 2 द्वारा जांच के लिये लैपटाप ले लिया और अपनी रिपोर्ट बनाते हुये जो परिवादी की शिकायत थी उसको अपनी रिपोर्ट में लिखा गया तथा परिवादी को यह आश्वासन दिया कि यह रिपोर्ट वे कंपनी को भेज देंगे और उसका लैपटाप बदलकर नया आ जायेगा या पैसा वापस आ जायेगा, परंतु लगभग 1 माह का समय व्यतीत हो गया, परंतु आज तक विपक्षीगण द्वारा लैपटाप की खराबी के संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की गयी,
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जबकि परिवादी द्वारा विपक्षीगण को अनेक ई-मेल व फोन किये गये, परंतु आज तक कार्यवाही नहीं की गयी जिससे परिवादी का लैपटाप आज भी खराब पड़ा हुआ है। विपक्षीगण द्वारा अनुचित व्यापार प्रक्रिया एवं सेवा में कमी अपनायी गयी। अतः परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षी सं.1 व 3 से लैपटाप की कीमत रू.34,000.00 मय 18 प्रतिशत, क्षतिपूर्ति के रूप में रू.50,000.00 व वाद व्यय के रूप में रू.10,000.00 दिलाने हेतु प्र्र्र्र्र्र्र्र्रस्तुत किया है।
विपक्षीगण को नोटिस भेजे जाने के बाद भी उनकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ, अतः उनके विरूद्ध आदेश दिनांक 05.02.2015 के अनुसार एकपक्षीय कार्यवाही की गयी।
परिवादी द्वारा अपना शपथ पत्र मय कागजात सं.4 से 9 दाखिल किया गया।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी गयी एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
इस प्रकरण में परिवादी ने दिनांक 16.08.2013 को एक लैपटाप विपक्षीगण से रू.34,000.00 में खरीदा था। उपरोक्त लैपटाप का निर्माता विपक्षी सं0 3 है और विपक्षी सं0 2 उसका सर्विस सेंटर है तथा विपक्षी सं0 1 उसका विक्रेता है। लैपटाप खरीदने के बाद से ही उसमें लगातार खराबी आती रही और कई बार लैपटाप रिपेयर के लिए भी विपक्षी सं0 1 के सर्विस सेंटर विपक्षी सं0 2 को दिया गया, किंतु सर्विस सेंटर उस सेट की खराबी को दूर करने में अक्षम सिद्ध हुआ और आज तक ठीक करके नहीं दिया गया। लैपटाप को बदलकर एक नया लैपटाप देने के लिए कहा गया, किंतु विपक्षीगण द्वारा ऐसा करने से इंकार किया गया। परिवादी ने लैपटाप खरीदने की रसीद दिनांक 16.08.2013 की फोटोप्रति परिवाद पत्र के कागज सं.4 के रूप में दाखिल की है जिससे स्पष्ट होता है कि
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परिवादी द्वारा एक लैपटाप रू.34,000.00 में खरीदा गया था। परिवादी की तरफ से लैपटाप की सर्विस जाॅब शीट की फोटोप्रति कागज सं0 5 के रूप में दाखिल की गयी है जिससे स्पष्ट है कि दिनांक 24.08.2013 को सर्विस सेंटर में लैपटाप दिया गया था। परिवादी की ओर से कागज सं.6, 7, 8 व 9 के रूप में विपक्षीगण को भेजे गये ई-मेल की फोटोप्रति दाखिल की गयी है जिससे स्पष्ट है कि परिवादी ने लैपटाप की खराबी के संबंध में और उसे बदलने के संबंध में विपक्षीगण को ई-मेल भेजे थे। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में अपना शपथ पत्र दाखिल किया है जिसमें उसने परिवाद के सभी तथ्यों का समर्थन किया है। विपक्षीगण को नोटिस भेजा गया था, किंतु उनकी ओर से कोई भी जवाब देने के लिए उपस्थित नहीं हुआ, अतः दिनांक 05.02.2015 के आदेश द्वारा उनके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गयी। विपक्षीगण की तरफ से न तो कोई उत्तर दाखिल किया गया और न ही कोई शपथ पत्र दाखिल किया गया। ऐसी स्थिति में परिवादी द्वारा शपथ पत्र पर किये गये कथनों और उसके द्वारा दाखिल की गयी फोटोप्रतियों पर विश्वास न करने का कोई कारण दृृष्टिगत नहीं होता है। परिवादी द्वारा जो साक्ष्य दिये गये हैं उनसे स्पष्ट होता है कि एक खराब लैपटाप परिवादी को विक्रय किया गया। इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा परिवादी को खराब लैपटाप विक्रय करके न केवल अनुचित व्यापार प्रथा अपनायी गयी, बल्कि सेवा में कमी भी की गयी है। परिणामस्वरूप परिवादी खराब लैपटाप के बदले नया लैपटाप प्राप्त करने का अधिकारी है। साथ ही वह इस संबंध में हुए मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय भी प्राप्त करने का अधिकारी है।
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आदेश
परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को पृृथक व संयुक्त रूप से आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को उसी मूल्य का नया लैपटाप प्रदान करें। यदि वे उसी मूल्य का लैपटाप परिवादी को देने में असमर्थ है तो रू.34,000.00.00 (रूपये चैंतिस हजार मात्र) का भुगतान 9 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज सहित परिवाद दाखिल करने की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक परिवादी को अदा करें।
साथ ही विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को मानसिक कष्ट के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में रू.3,000.00 (रूपये तीन हजार मात्र) एवं वाद व्यय के रूप में रू.3,000.00 (रूपये तीन हजार मात्र) अदा करें।
विपक्षीगण उपरोक्त आदेश का अनुपालन एक माह में करें।
(राजर्षि शुक्ला) (अंजु अवस्थी) (विजय वर्मा)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
दिनांकः 19 जून, 2015