राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-700/2011
(जिला उपभोक्ता आयोग, बिजनौर द्वारा परिवाद सं0-19/2008 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 25-03-2011 के विरूद्ध)
सचिव गन्ना सहकारी विकास समिति लि0 व तीन अन्य
बनाम
हरप्रसाद
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित: श्री एन0एन0 पाण्डेय विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं।
दिनांक :- 08-05-2024.
मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-15 के अन्तर्गत, जिला उपभोक्ता आयोग, बिजनौर द्वारा परिवाद सं0-19/2008 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 25-03-2011 के विरूद्ध योजित की गयी अपील पर हमारे द्वारा केवल अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा पत्रावली का सम्यक् रूप से परिशीलन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
विद्वान जिला आयोग ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए 4,470/- रू0 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अदा करने का आदेश दिया है। साथ ही मानसिक क्लेश हेतु 5,000/- रू0 एवं वाद व्यय हेु 2,000/- रू0 अदा करने का भी आदेश दिया है।
परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा विपक्षीगण के माध्यम से 2,385/- रू0 एवं 2,385/- रू0 का गन्ना सम्बन्धित मिल को विक्रय किया गया, जिसके भुगतान का भार विपक्षीगण पर था, परन्तु उपरोक्त गन्ने की धनराशि 4,470/- रू0 परिवादी के खाते में हस्तान्तरित नहीं की गई।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी द्वारा अपनी कृषि भूमि पर लोन लिया गया था, उसमें उक्त धनराशि समायोजित की गई। परन्तु
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अपीलार्थी का यह तर्क स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि लोन की धनराशि का मामला अलग होता है और गन्ने के मूल्य की अदायगी का मामला अलग होता है। विद्वान जिला आयोग का यह आदेश साक्ष्यों पर आधारित है। स्पष्टत: विद्वान जिला आयोग ने प्रत्येक तथ्य का उचित एवं विधिक रूप से विश्लेषण करते हुए प्रश्नगत आदेश पारित किया है, जिसमें किसी हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है।
तदनुसार अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील निरस्त की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
अपीलार्थी द्वारा यदि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्तर्गत कोई धनराशि जमा की गई हो तो वह सम्पूर्ण धनराशि मय अर्जित ब्याज के सम्बन्धित जिला आयोग को विधि अनुसार शीघ्रातिशीघ्र प्रेषित कर दी जाए ताकि विद्वान जिला आयोग द्वारा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश के सन्दर्भ में उक्त धनराशि का विधि अनुसार निस्तारण किया जा सके।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
दिनांक :- 08-05-2024.
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-2.