सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, बुलन्दशहर द्वारा परिवाद संख्या 30 सन 2002 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 26.06.2013 के विरूद्ध)
अपील संख्या 1627 सन 13
बृजमोहन प्रोपराइटर मै0 मोहन कोल्ड स्टोरेज एण्ड जनरल मिल्स, स्याना रोड, बुलन्दशहर ।
.......अपीलार्थी/प्रत्यर्थी
-बनाम-
हरपाल सिंह पुत्र श्री खडक सिंह (मृतक) 1/1 श्रीमती यशवीरी देवी पुत्री श्री हरपाल सिंह पत्नी श्री नरेन्द्र चौधरी, एडवोकेट निवासी 7/7 लक्ष्मी बिहार बुलन्दशहर।
.........प्रत्यर्थिनी/परिवादिनी
समक्ष:-
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री आर0के0 मिश्रा।
प्रत्यर्थिनी/परिवादिनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री सुशील कुमार शर्मा।
दिनांक:-
श्री गोवर्धन यादव, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, बुलन्दशहर द्वारा परिवाद संख्या 30 सन 2002 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 26.06.2013 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है ।
संक्षेप में, प्रकरण के आवश्यक तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थिनी/परिवादिनी श्रीमती यशवीरी के पिता स्व0 हरपाल सिंह ने अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में दिनांक 25.04.99 को 61 बोरी गाजर बाजिव किराया जमा करके रखवायी थीं। उक्त गाजर की बोरी अक्टूबर/नवम्बर 1999 में उसे निकालनी थीं। निर्धारित समय पर जब परिवादिनी के पिता उक्त गाजर की बोरी निकालने कोल्ड स्टोरेज गए तो ज्ञात हुआ कि विपक्षी/अपीलार्थी ने बिना उनकी मर्जी के उक्त सभी गाजर की बोरियां बेंच दी थीं, जिसके कारण उसे 57,960.00 रू0 का नुकसान हुआ। अत: क्षतिपूर्ति हेतु जिला मंच के समक्ष परिवाद योजित किया गया।
जिला मंच के समक्ष विपक्षी/अपीलार्थी की ओर से अपना लिखित कथन प्रस्तुत करते हुए उल्लिखित किया कि परिवादी ने दिनांक 25.04.99 को 61 बोरी गाजर अपने कारकून श्री सोरन सिंह पुत्र श्री राम सिंह द्वारा उसके शीतगृह में भंडारित करायी गयीं थी जिसकी रसीद पर सोरन सिंह ने ही हस्ताक्षर किए थे और उक्त सभी बोरियां सोरन सिंह ही अपने हस्ताक्षरों से गेटपास माल प्राप्ति रसीद पर हस्ताक्षर करके उसके कोल्ड स्टोरेज से निकलवाकर ले गया गया है। परिवादिनी का यह कथन गलत है कि उसने बोरी बेंच दी हैं।
जिला मंच ने उभय पक्ष के साक्ष्य एवं अभिवचनों के आधार पर निम्न आदेश पारित किया :-
'' परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से 30 दिन के अन्दर परिवादी संख्या 1/1 को 61 बोरी गाजर की कीमत 950.00 रू0 प्रति बोरी के हिसाब से कुल 57,950.00 रू0 मय 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दावा दायर करने की तिथि से तायोग अदायगी तथा बतौर वाद व्यय 1000.00 रू0 भी अदा करे। ''
उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील कोल्ड स्टोरेज द्वारा प्रस्तुत की गयी है।
अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला मंच का प्रश्नगत निर्णय विधिपूर्ण नहीं है तथा सम्पूर्ण तथ्यों को संज्ञान में लिए बिना प्रश्नगत निर्णय पारित किया गया है जो अपास्त किए जाने योग्य है।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क विस्तारपूर्वक सुने एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक अवलोकन किया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रश्नगत गाजर की बोरी जब उसके कोल्डस्टोरेज में लायी गयीं थी तो परिवादिनी के पिता के साथ उसका कारकून सोरन सिंह पुत्र राम सिंह भी था। बोरियों का भण्डारण परिवादी हरपाल सिंह के नाम से किया गया था लेकिन भण्डारणकर्ता के हस्ताक्षर के स्थान पर सोरन सिंह ने अपना हस्ताक्षर किया था और सोरन सिंह ने ही दिनांक 02.11.1999 को बोरियों की निकासी की थी। चूंकि भण्डारण सोरन सिंह के हस्ताक्षरों से हुयी थी इसलिए निकासी सोरन सिंह के हस्ताक्षरों से होने के कारण उसके द्वारा कोई आपत्ति नहीं की गयी।
पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य एवं अभिलेखों के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि प्रश्नगत गाजर की बोरियॉं सोरन सिंह के हस्ताक्षरों से ही जमा एवं निकाली गयी हैं। गेट पास पर भी सोरन सिंह के हस्ताक्षर हैं। जिससे अपीलार्थी की सेवा में कोई कमी परिलक्षित नहीं होती है।
इसके अतिरिक्त प्रश्नगत विवाद वर्ष 1999 का है जबकि जिला मंच में घटना के तीन वर्ष बाद वर्ष 2002 में परिवाद योजित किया गया है जो स्पष्टत: कालबाधित है। परिवादिनी/प्रत्यर्थिनी की ओर से इस अवधि में क्या कार्यवाही की गयी, यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है। परिवादिनी द्वारा सोरन सिंह के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गयी, यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है और न ही उसे पक्षकार मुकदमा बनाया गया है।
जिला मंच ने बिना इन विधिक बिन्दुओं पर ध्यान दिए प्रश्नगत निर्णय पारित करके हमारे विचार से त्रुटि कारित की है, अत: प्रस्तुत अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार करके हुए जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, बुलन्दशहर द्वारा परिवाद संख्या 30 सन 2002 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 26.06.2013 अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट-
(S.K.Srivastav,PA)