(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-408/2008
New India Assurance Co. Ltd.
Versus
Harihar Pathak S/O Sri Ram Chandra Pathak
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री बी0पी0 दुबे, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित:- कोई नहीं
दिनांक :25.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- परिवाद संख्या-115/2005, हरिहर पाठक बनाम दी न्यू इण्डिया इंश्योरेंस कं0लि0 में विद्वान जिला आयोग, बलिया द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 15.12.2007 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
- पत्रावली के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी द्वारा क्रय की गयी भैंस टैग सं0 97410 जो अपीलार्थी बीमा कम्पनी द्वारा बीमा पॉलिसी जारी करने के साथ लगायी गयी थी। भैंस की मृत्यु दिनांक 26.04.2003 को हो गयी, जिसकी पोस्टमार्टम पशु चिकित्साधिकारी जिला बलिया द्वारा किया गया और भैंस की मृत्यु की सूचना पोस्टमार्टम एवं टैग सहित बीमा कम्पनी को दी गयी, परंतु क्लेम का निस्तारण नहीं किया गया। जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमित भैंस की मृत्यु के तथ्य को स्थापित मानते हुए बीमित राशि अदा करने का आदेश पारित किया है।
- अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि उनके समक्ष कभी भी बीमा क्लेम प्रस्तुत नहीं हुआ। यह भी बहस की गयी है कि शाखा प्रबंधक अशोक कुमार द्वारा शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया, जो जिला उपभोक्ता आयोग ने विचार करने योग्य माना, परंतु यथार्थ में इस पर कोई विचार नहीं किया। दस्तावेज सं0 26 पर मौजूद शपथ पत्र में यह उल्लेख है कि उनके कार्यालय में कोई क्लेम लाज नहीं किया न ही कान सहित टैग जमा किया गया यथार्थ में यह शपथ पत्र सीपीसी के आदेश 19 के प्रावधान के अनुसार शपथ पत्र की श्रेणी में ही नहीं आता। इस शपथ पत्र में यह उल्लेख ही नहीं है कि कौन सा तथ्य व्यक्तिगत जानकारी पर आधारित है और कौन सा तथ्य कार्यालय की रिपोर्ट पर आधारित है और कौन सा तथ्य किसी अधिवक्ता की सलाह पर आधारित है। शपथ में प्रवेश करने से पूर्व शपथकर्ता द्वारा अपने नाम के साथ विशिष्ट उन्मान तक का उल्लेख नहीं किया गया है। अत: यह शपथ पत्र किसी भी दृष्टि से विचार मे लेने योग्य नहीं है। तदनुसार जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है, सिवाय इसके कि ब्याज दर 13 प्रतिशत के स्थान पर 07 प्रतिशत किया जाए।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश में ब्याज की देयता 13 प्रतिशत के स्थान पर 07 प्रतिशत की दर से अदा की जाए। शेष निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2