Uttar Pradesh

StateCommission

A/23/2020

Country Club Hospitality and Holidays Ltd - Complainant(s)

Versus

Harish Singh - Opp.Party(s)

Tarun Kumar Mishar

14 Oct 2020

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/23/2020
( Date of Filing : 07 Jan 2020 )
(Arisen out of Order Dated 26/08/2019 in Case No. C/142/2018 of District Gautam Buddha Nagar)
 
1. Country Club Hospitality and Holidays Ltd
Cente Stage Mall MS-44/45 Second Floor Sector 18 Noida U.P. 201301 Through its Legal Manager (AuthorizedRepresentative)
...........Appellant(s)
Versus
1. Harish Singh
1605 T-11 Pachsheel Primorse Opp. Govindpuram Anaz mandi hapur Road Ghaziabad U.P. 2010001
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/124/2020
( Date of Filing : 11 Feb 2020 )
(Arisen out of Order Dated 26/08/2019 in Case No. C/142/2018 of District Gautam Buddha Nagar)
 
1. Harish Singh
S/O Mr.Nathu Singh R/O 1605 T-11 Panchsheel Primorse Opp. Govindpuram Annaz Mandi Hapur Road Ghaziabad U.P.
...........Appellant(s)
Versus
1. Country Club India Ltd
(Sales Office) Centre Satge MZ-44/45 2nd Floor Sector 18 Noida U.P. 201301 Thorugh its Director
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Rajendra Singh JUDICIAL MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 14 Oct 2020
Final Order / Judgement

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील संख्‍या-23/2020

Country Club Hospitality & Holidays Ltd. (Formerly Known as Country Club India Ltd.) (sales Office), Centre Stage Mall, M S- 44/45, Second Floor, Sector-18, Noida, Uttar Pradesh-201301 through its Legal Manager (authorized representative).

                             अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्  

Harish Singh, 1605, T-11, Pachsheel Primorse, Opp. Govindpuram Anaz Mandi, Hapur Road, Gaziabad, Uttar Pradesh-2010001.

                               प्रत्‍यर्थी/परिवादी

एवं

अपील संख्‍या-124/2020

Harish Singh S/o Mr. Nathu Singh, R/o-1605, T-11, Panchsheel Primorse, Opp. Govindpuram Annaz Mandi, Hapur Road, Gaziabad, Uttar Pradesh.

                             अपीलार्थी/परिवादी

बनाम्     

Country Club India Limited, Country Club India Limited (sales Office), Centre Stage, MZ-44/45, 2nd Floor, Sector-18, Noida, Uttar Pradesh 201301 through its Director.

                           प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष:-                           

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष

2. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

3. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से उपस्थित     : श्री तरूण कुमार मिश्रा,

                                                                विद्वान अधिवक्‍ता।  

प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित   : श्री बृजेन्‍द्र चौधरी,

                                                                विद्वान अधिवक्‍ता।                       

दिनांक:  09.11.2020  

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-142/2018, हरीश सिंह बनाम कंट्री क्‍लब इण्डिया लि0 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 26.08.2019 के विरूद्ध उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम-1986 की धारा-15 के अन्‍तर्गत परिवादी, हरीश सिंह एवं विपक्षी, कंट्री क्‍लब इण्डिया लि0 की ओर से क्रमश: अपील संख्‍या-124/2020 एवं अपील संख्‍या-23/2020 प्रस्‍तुत की गई हैं। अत: दोनों अपीलों में एकीकृत निर्णय पारित किया जा रहा है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग ने निम्‍नलिखित आदेश पारित किया है :-

           '' परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय के 30 दिन के अन्‍तर्गत प्राम्भिक संविदा के अन्‍तर्गत की शर्तों के अनुसार, विपक्षी के अनादर के कारण परिवादी को हुई मानसिक वेदना व उत्‍पीड़न हेतु अंकन धनराशि 7,50,000/- रूपयेक (सात लाख पचास हजार रूपये मात्र), अंकन 2,00,000/- रूपये (दो लाख रूपये मात्र) की धनराशि विपक्षी द्वारा सुझावित और निश्चित करने पर Venue में पहुँचने पर विपक्षी के दुर्व्‍यवहार के कारण परिवादी व उसके परिवार की ख्‍याति में हुए ह्रास व हानि के लिए परिवादी को प्रदान करे। इसके अतिरिक्‍त परिवादी वाद व्‍यय के रूप में अंकन 20,000/- रूपये (बीस हजार रूपये मात्र) की धनराशि भी विपक्षी से पाने का अधिकारी होगा। तद्नुसार इस निर्णय की प्रति पक्षकारों को नियमानुसार निर्गत की जाये तथा पत्रावली अभिलेखागार में संग्रहीत की जाये। '' 

2.         परिवाद पत्र के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी ए‍क प्राइवेट कम्‍पनी में कार्यरत है। विपक्षी एक प्राइवेट कम्‍पनी है, जो निश्चित धनराशि पर अवकाश में निवास, भोजन, यात्रा आदि की व्‍यवस्‍था करती है। परिवादी को भी विपक्षी ने अपनी सेवा उपभोग करने का प्रलोभन दिया। विपक्षी कम्‍पनी के सेल्‍स एग्‍जीक्‍यूटिव समर खान ने परिवादी को एक 10 साल का एक पैकेज दिया, जिसमें एक वर्ष में 06 रात्री एवं 07 दिवस CCIL की सम्‍पत्ति में White Season Plan के अन्‍तर्गत ठहरना शामिल था, जिसका कोई प्रीमियम परिवादी को अदा नहीं करना था। यह आवास Studio Unit Type दो व्‍यस्‍क और दो बच्‍चों के लिए था। इस पैकेज के साथ Country Club Thumbs Up Membership जीवन पर्यन्‍त Complimentary के रूप में दी गई थी। परिवादी ने दिनांक 17.08.2016 को अंकन 70,000/- रूपये नगद धनराशि शर्तों के अनुसार जमा कर दी थी। विपक्षी कम्‍पनी द्वारा आश्‍वासन दिया गया था कि इन सुविधाओं के संबंध में कोई भी अतिरिक्‍त प्रभार नहीं लिया जाएगा और यदि किसी परिस्थिति में ले लिया गया है तब CCIL द्वारा तत्‍काल वापस कर दिया जाएगा। सदस्‍यता प्रदान करते समय दो अतिरिक्‍त सुविधाओं का उल्‍लेख किया गया था, पहली सुविधा के अन्‍तर्गत सदस्‍यता प्राप्‍त करने के दो दिन के अन्‍दर एक स्‍वागत काल किया जाएगा। दूसरी शर्त के अनुसार प्रथम शुक्रवार को नये सदस्‍यों का स्‍वागत/मिलन समारोह किया जाएगा। उस समय रात्री भोज भी दिया जाएगा।

3.         विपक्षी कम्‍पनी द्वारा सदस्‍यता प्रदान करने के पश्‍चात् प्रथम शुक्रवार को नये सदस्‍य के रूप में रात्री भोज में आने के लिए बता दिया गया। अत: परिवादी अपने परिवार के साथ प्रथम शुक्रवार को अर्थात् दिनांक 26.08.2016 को नये सदस्‍यों के उपलक्ष्‍य में दिए जाने वाले रात्री भोज व स्‍वागत समारोह में अपने परिवार के साथ उत्‍सुक्‍ता के साथ निमंत्रण का इंतजार करता रहा, परन्‍तु विपक्षी कम्‍पनी द्वारा कोई काल नहीं की गई। पूछताछ पर अभियंता श्री समर खान द्वारा आश्‍वासन दिया गया कि घर पर ही रहें और कभी भी विपक्षी कम्‍पनी के कार्यालय से काल आ सकती है, परन्‍तु शाम तक कोई काल नहीं आई तब परिवादी स्‍वंय अपने परिवार के साथ क्‍लब कंट्री निर्धारित स्‍थल पर गया वहां पर परिवादी को किसी ने नहीं पहचाना और न ही परिवादी का स्‍वागत किया गया और न ही सम्‍मेलन समारोह में सम्मिलित किया गया। परिणामत: परिवादी अपने परिवार के साथ पार्टी स्‍थल से वापस लौट आया। विपक्षी कम्‍पनी के इस कार्य से परिवादी को अत्‍यधिक आत्‍मग्‍लानि एवं मानसिक वेदना हुई और उसका परिवार भी आहत हुआ। परिवादी तथा उसके परिवार के सदस्‍यों के स्‍वाभिमान को गंभीर आघात पहुँचा, जिसकी क्षतिपूर्ति धन की राशि में करना आदि असंभव नहीं तो मुश्किल अवश्‍य है।

4.         विपक्षी कम्‍पनी द्वारा दूसरा अनैतिक कृत्‍य यह किया गया कि सदस्‍यता ग्रहण करते समय प्रदत्‍त सुविधाओं के लिए अतिरिक्‍त प्रभार का आश्‍वासन देने के बावजूद अतिरिक्‍त प्रभार के रूप में अंकन 15,778/- रूपये वसूल किए गए। शिकायत पर विपक्षी कम्‍पनी ने इस धनराशि को वापस किए जाने का आश्‍वासन दिया, परन्‍तु ल‍म्‍बी अवधि तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई। अं‍त में परिवादी ने ग्राहक सेवा प्राधिकारी मिस ईशा पाण्‍डेय से सम्‍पर्क किया और उन्‍हें सदस्‍यता प्रदान करने और इसके पश्‍चात् का वार्तालाप का रिकार्ड सुनाया तब विपक्षी कम्‍पनी को अपनी गलती का एहसास हुआ और अंतोगत्‍वा इस धनराशि को AMC खाते में जमा किया गया।

5.         विपक्षी कम्‍पनी द्वारा सबसे गंभीर कृत्‍य यह किया गया कि कम्‍पनी द्वारा परिवादी एवं कम्‍पनी के मध्‍य निष्‍पादित मूल शर्तों की जगह कूटरचित संविदा में केवल Blue Season 03 रात्रि एवं 04 दिवस लिखा गया और इस दस्‍तावेज में Country Club Thumbs Up Membership की Complimentary सुविधाओं को भी समाप्‍त कर दिया गया। इस प्रकार विपक्षी कम्‍पनी प्रलोभन देकर ग्राहक को ठगती है, उनसे दुर्व्‍यवहार करती है तथा उनकी ख्‍याति को हानि पहुँचाती है। परिवादी को भी विपक्षी कम्‍पनी के निरंकुश व्‍यवहार के कारण मानसिक प्रताड़ना कारित हुई। अत: विपक्षी कम्‍पनी के विरूद्ध मानसिक प्रताड़ना की क्षतिपूर्ति एवं अन्‍य अनुतोषों के लिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

6.         विपक्षी कम्‍पनी की ओर से लिखित कथन में परिवाद के तथ्‍यों से इंकार किया गया और यह उल्‍लेख किया गया कि किसी प्रतिनिधि की गलती के लिए विपक्षी कम्‍पनी उत्‍तरदाई नहीं है। विपक्षी कम्‍पनी की नीति के विरूद्ध अंकन 1,75,000/- रूपये के उत्‍पाद को परिवादी को केवल 70,000/- रूपये में सेल्‍समैन द्वारा दे दिया गया और उल्‍लेख किया गया कि परिवादी को कम्‍पनी के विरूद्ध परिवाद दायर करने का कोई वाद कारण उत्‍पन्‍न नहीं हुआ।

7.         दोनों पक्षकारों द्वारा अपने तर्कों के समर्थन में शपथपत्र तथा अन्‍य दस्‍तावेज प्रस्‍तुत किए गए, जिनका उल्‍लेख विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग ने अपने निर्णय के पृष्‍ठ संख्‍या-5 पर किया गया है। सुसंगत अवसर पर इन सुसंगत दस्‍तावेजों का उल्‍लेख इस निर्णय में आगे चलकर किया जाएगा। दोनों पक्षकारों को सुनने के पश्‍चात् विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग ने पैरा नं0-1 में वर्णित आदेश पारित किया है।

8.         इस निर्णय एवं आदेश को ह‍रीश सिंह, परिवादी द्वारा इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अभिवचनों के अनुसार नहीं है। परिवादी ने अंकन 70,000/- रूपये अदा करके 10 वर्ष के लिए White Season Plan क्रय की थी, जिसके अन्‍तर्गत 06 रात्री एवं 07 दिवस के लिए विपक्षी कम्‍पनी के ब्रोशर में दो व्‍यस्‍क और दो बच्‍चों के साथ नि:शुल्‍क ठहरने के लिए अधिकृत था। इस पैकेज में जीवन पर्यन्‍त Country Club Thumbs Up Membership शामिल थी, वेलकम काल एवं डिनर पार्टी जो प्रत्‍येक माह के प्रथम शुक्रवार को होनी थी। नये सदस्‍यों से कोई शुल्‍क नहीं लिया जाना था, इसलिए परिवादी द्वारा अंकन 15 लाख रूपये विपक्षी कम्‍पनी के अनुचित व्‍यापार अभ्‍यास के कारण मांगे गए थे तथा दो लाख रूपये मानसिक प्रताड़ना के लिए मांगे गऐ थे एवं 50 हजार रूपये अन्‍य खर्चों के लिए मांगे गए थे, परन्‍तु विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा अत्‍यधिक कम राशि बतौर प्रतिकर प्रदान की गई।

9.         विपक्षी/अपीलार्थी, कम्‍पनी की ओर से प्रस्‍तुत की गई अपील के ज्ञापन में उल्‍लेख किया गया है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अनुचित, त्रुटिपूर्ण, व्‍याख्‍या रहित है। तदनुसार अपास्‍त होने योग्‍य है। यह निर्णय मनमाने रूप से पारित किया गया है। पत्रावली में शामिल दस्‍तावेजों का कोई अवलोकन नहीं किया गया है। अपीलार्थी/विपक्षी कम्‍पनी की ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गई है। परिवादी द्वारा परिवाद दायर करने के वाद कारण का भी उल्‍लेख नहीं किया गया है। परिवादी ने 70,000/- रूपये केवल क्‍लब सदस्‍यता प्राप्‍त करने के लिए जमा किए थे, जो वापस प्राप्‍त नहीं किए जा सकते। क्‍लब की सदस्‍तया के साथ कुछ लाभ लेने का विकल्‍प परिवादी द्वारा लिया गया था, परन्‍तु इस बिन्‍दु पर कोई विचार नहीं किया गया। E-Mail वार्ता में स्‍पष्‍ट रूप से परिवादी द्वारा स्‍वीकार किया गया है कि 03 रात्री एवं 04 दिवस के लिए एक वर्ष के अन्‍तर्गत सदस्‍यता का लाभ प्राप्‍त किया गया है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग ने इस बिन्‍दु पर कोई विचार नहीं किया है कि 70,000/- रूपये प्रदान करने के पश्‍चात् परिवादी द्वारा क्‍लब की सदस्‍यता प्राप्‍त की गई थी, उसके पश्‍चात् क्‍लब की ओर से सेवा में किस प्रकार से त्रुटि कारित की गई है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा इस बिन्‍दु पर भी विचार नहीं किया गया है कि क्‍लब की सदस्‍यता प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से कम्‍पनी द्वारा अवकाश पैकेज प्रदान किया जाता है तथा उस सम्‍पत्ति की सुविधा दी जाती है, जिस पर क्‍लब निर्मित है। परिवदी द्वारा क्‍लब में कोई राशि जमा नहीं की गई है, अपितु शुल्‍क देकर सुविधा प्राप्‍त की गई है और यह शुल्‍क किसी भी दृष्टि से वापस प्राप्‍त नहीं किया जा सकता। अपीलार्थी/विपक्षी कम्‍पनी द्वारा अपने सदस्‍य के प्रति सद्भाव आकर्षित करते हुए EMI शुल्‍क को समायोजित करने का प्रस्‍ताव E-Mail दिनांक 03.10.2016 के द्वारा दिया गया था, परन्‍तु परिवादी द्वारा यह प्रस्‍ताव अस्‍वीकृत कर दिया गया और बाद में मौद्रिक रूप में वापस प्राप्‍त करने के लिए सहमत हो गए। सदस्‍यता ग्रहण करने के पश्‍चात् स्‍वागत रात्री भोज केवल सद्भावना दर्शित करने के उद्देश्‍य से कम्‍पनी की ओर से आयोजित किया जाता है। कम्पनी इसके लिए बाध्‍य नहीं है। यह असत्‍य है कि परिवादी द्वारा रात्री भोज में शामिल होने के लिए बार-बार काल किए गए हों और क्‍लब में परिवादी/प्रत्‍यर्थी का स्‍वागत न किया गया हो, इसलिए परिवादी की मान-मर्यादा को किसी प्रकार की क्षति कारित नहीं हुई है। अपीलार्थी/विपक्षी कम्‍पनी द्वारा सेवा शर्तों का किसी प्रकार का ह्रास नहीं किया गया, इसलिए विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा पारित निर्णय अपास्‍त होने योग्‍य है।

10.        अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री तरूण कुमार मिश्रा तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री बृजेन्‍द्र चौधरी को मौखिक रूप से सुना गया एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

11.        विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग ने अपने निर्णय में यह उल्‍लेख किया है कि परिवादी ने अपने तर्क के समर्थन में मूल संविदा की प्रति को संलग्‍न 5 के रूप में प्रस्‍तुत किया है, जिसमें यह उल्‍लेख रहा है कि 06 रात्रि एवं 07 दिवस का स्‍टे क्‍लब की सम्‍पत्ति में परिवादी कर सकेगा और इसी करार के क्रमांक संख्‍या 5 में अंकन 70,000/- रूपये दिए जाने का उल्‍लेख है। अनेग्‍जर 5 में ऐसा कोई करार मौजूद नहीं पाया गया, जिसमें दोनों पक्षों के द्वारा निष्‍पादित करार की कोई प्रति मौजूद हो और जिसमें यह उल्‍लेख हो की 06 रात्रि एवं 07 दिवस के साथ-साथ क्‍लब के सदस्‍य को अन्‍य सुविधाएं नि:शुल्‍क प्रदान की गई हों। परिवादी, हरीश सिंह की ओर से प्रस्‍तुत की गई अपील में भी ऐसा कोई दस्‍तावेज मौजूद नहीं है, जिसे मूल रूप से निष्‍पादित करार कहा जाए और जिसके बारे में यह आरोप लगाया गया है कि कम्‍पनी द्वारा मूल करार को धोखे से परिवर्तित कर दिया गया है। दस्‍तावेज संख्‍या-89 दोनों पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित करार है, जिस पर प्रथम पक्ष एवं द्वितीय पक्ष यानि कम्‍पनी के प्राधिकृत अधिकारी एवं परिवादी के हस्‍ताक्षर हैं। अत: यह दस्‍तावेज ही पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित वास्‍तविक करार कहा जा सकता है, जिसके अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि White Season के बजाए Blue Season में शर्त संख्‍या-1 के अनुसार 03 रात्रि एवं 04 दिवस क्‍लब की सम्‍पत्ति में स्‍टे करने का करार निष्‍पादित हुआ है। लिखित कथन के प्रस्‍तर संख्‍या-2 के अनुसार यह सदस्‍यता जीवन भर के लिए है, जिसके लिए समय-समय पर मेन्‍टेनेन्‍स चार्ज तथा अन्‍य मदों में धनराशि सदस्‍य को अदा करनी होगी। पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित इस करार के अनुसार क्‍लब की सदस्‍यता 03 रात्रि एवं 04 दिवस के लिए क्‍लब की सम्‍पत्ति में स्‍टे के अलावा अन्‍य किसी प्रकार की नि:शुल्‍क सेवाएं परिवादी को प्रदत्‍त किए जाने का कोई उल्‍लेख नहीं है। अनेग्‍जर संख्‍या 2 सदस्‍यता प्रमाण पत्र की प्रति है। इस दस्‍तावेज में भी स्‍पष्‍ट उल्‍लेख है कि 03 रात्रि एवं 04 दिवस के लिए क्‍लब की सम्‍पत्ति में स्‍टे के साथ सदस्‍यता प्रदान की गई है, जिसमें दिनांक 27.08.2016 को कम्‍पनी तथा परिवादी के मध्‍य निष्‍पादित करार का उल्‍लेख किया गया है, जिसकी चर्चा आयोग द्वारा ऊपर की गई है। इस तिथि के पूर्व के किसी अनुबंध के आधार पर सदस्‍यता प्रदान किए जाने का इस दस्‍तावेज में कोई उल्‍लेख नहीं है। दस्‍तावेज संख्‍या-97 में परिवादी एवं कम्‍पनी के कर्मचारी द्वारा की गई ई-मेल वार्ता का विवरण मौजूद है, इसके क्रमांक संख्‍या 38 पर कम्‍पनी के कर्मचारी द्वारा स्‍पष्‍ट रूप से अंकित किया गया है कि श्रीमान जी आपके द्वारा क्‍लब की जो सदस्‍यता चुनी गई है, वह केवल क्‍लब सदस्‍यता है और अवकाश सदस्‍यता नहीं है, केवल क्‍लब सदस्‍यता है। परिवादी द्वारा इसका उत्‍तर OK, OK, OK में दिया गया है। अत: परिवादी को यह स्थिति स्‍वीकार है कि क्‍लब की सदस्‍यता तथा इस सदस्‍यता के साथ-साथ 03 रात्रि एवं 04 दिवस के लिए क्‍लब की सम्‍पत्ति में स्‍टे के अलावा अन्‍य किसी प्रकार की कोई सुविधा प्रदत्‍त नहीं की गई है। यद्यपि कम्‍पनी जब भी कोई समारोह आयोजित करेगी तब परिवादी को सूचित करने का उल्‍लेख कम्‍पनी के कर्मचारी द्वारा किया गया है। E-Mail वार्ता में यह भी उल्‍लेख है कि जो सदस्‍यता शुल्‍क अदा किया गया है, वह वापस प्राप्‍त नहीं किया जा सकता, इसका उत्‍तर भी परिवादी द्वारा OK, OK, OK में दिया गया है। अत: उन्‍हें यह तथ्‍य स्‍वीकार है कि सदस्‍यता शुल्‍क वापस होने योग्‍य नहीं है।

12.        अपील संख्‍या-23/2020 के अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह बहस की गई है कि परिवादी द्वारा आज तक क्‍लब से किसी प्रकार की सेवा की मांग नहीं की गई है और क्‍लब द्वारा किसी सेवा से इंकार नहीं किया गया है, इसलिए क्‍लब की ओर से सेवा में कमी का कोई प्रश्‍न ही नहीं उठता। परिवाद पत्र के अवलोकन से ज्ञात होता है कि सदस्‍यता ग्रहण करने के पश्‍चात् आयोजित होने वाले रात्रि भोज में परिवादी तथा उसके परिवार को आमंत्रित करने एवं वहां पर परिवादी का स्‍वागत न करने के अलावा अन्‍य किसी प्रकार की किसी सेवा की मांग एवं उससे इंकार का उल्‍लेख परिवाद पत्र में नहीं किया गया है।

13.        पत्रावली के अवलोकन से स्‍पष्‍ट हो जाता है कि परिवादी ऐसे किसी दस्‍तावेजों की प्रमाणिकता को साबित करने में विफल रहा है, जो पक्षकारों के मध्‍य दिनांक 27.08.2016 के पूर्व निष्‍पादित हुआ हो और दिनांक 27.08.2016 के अनुबंध में क्‍लब की सदस्‍यता के अलावा परिवादी को जो सुविधा प्रदान की गई है, वह केवल 03 रात्रि एवं 04 दिवस के लिए क्‍लब की सम्‍पत्ति में स्‍टे कर सकता है। सदस्‍यता प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से कम्‍पनी के प्राधिकृत अधिकारी तथा परिवादी के मध्‍य हुई मौखिक वार्ता का कोई वैधानिक महत्‍व नहीं है। भारतीय साक्ष्‍य अधिनियम की धारा 91 एवं 92 में स्‍पष्‍ट व्‍यवस्‍था है कि जब किसी संविदा की शर्तें लिखित में सुनिश्‍चित की जाती है तब उन शर्तों के संबंध में इन्‍हीं दोनों धाराओं में वर्णित अपवादित परिस्थितियों के अलावा कोई मौखिक साक्ष्‍य नहीं दी जा सकती। परिवादी का यह दावा नहीं है कि अनुबंध की शर्तों के विपरीत जाकर वह धारा 91 एवं 92 भारतीय साक्ष्‍य अधिनियम में दिए गए अपवादों के तहत मौखिक साक्ष्‍य प्रस्‍तुत करने के लिए अधिकृत है। अत: परिवादी, हरीश सिंह के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा की गई इस बहस में कोई विधिक सार नहीं है कि परिवादी को क्‍लब कंट्री द्वारा कई प्रकार की सेवांए प्रदत्‍त किए जाने का आश्‍वासन दिया गया था।

14.        परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में रात्रि भोज में शामिल होने और वहां पर क्‍लब के कर्मचारियों द्वारा स्‍वागत न करने और परिवादी का वहां से वापस लौट आने के कारण मानसिक उत्‍पीड़न एवं गरिमा के ह्रास का उल्‍लेख किया है। अत: प्रश्‍न उठता है कि क्‍लब की सदस्‍यता प्राप्‍त करने के पश्‍चात् क्‍लब की ओर से आयोजित होने वाले रात्रि भोज में यदि परिवादी को सेवाएं प्रदत्‍त नहीं की गई हैं तब ऐसा न किया जाना पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित सदस्‍यता करार दिनांक 27.08.2016 की शर्तों का उल्‍लंघन है ? इस प्रश्‍न का उत्‍तर नकारात्‍मक है। पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित करार पृष्‍ठ संख्‍या-90 एवं 91 के अवलोकन से जाहिर होता है कि सदस्‍यता प्रदान किए जाने के पश्‍चात् नि:शुल्‍क रात्रि भोज में परिवादी को आमंत्रित करने और वहां पर परिवादी का स्‍वागत एवं सम्‍मान करने के संबंध में अनुबंध में किसी प्रकार का कोई उल्‍लेख नहीं है। पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित अनुबंध के अनुसार परिवादी ने अंकन 70,000/- रूपये शुल्‍क अदा करते हुए Thumbs Up Club सदस्‍यता का विकल्‍प चुना है, जिसका शुल्‍क एक लाख रूपये और एकमुश्‍त भुगतान पर 72,000/- रूपये है, जबकि परिवादी जिस प्रकार की सुविधाओं की मांग अपने परिवाद पत्र में कर रहा है, उन सुविधाओं का उल्‍लेख अनुबंध में नहीं है।   E-Mail के माध्‍यम से की गई वार्ता के अनुसार जिनका उल्‍लेख ऊपर किया गया है, परिवादी ने इन सब स्थितियों को खुद स्‍वीकार किया है और भारतीय साक्ष्‍य अधिनियम की धारा 21 के अनुसार किसी भी विवाद के पक्षकार द्वारा की गई किसी तथ्‍य की स्‍वीकृति उसके विरूद्ध साक्ष्‍य में प्रयोग की जा सकती है।

15.        अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि केवल सद्भावना दर्शित करने के उद्देश्‍य से नए सदस्‍यों के आगमन पर स्‍वागत भोज की व्‍यवस्‍था की जाती है और इसका उद्देश्‍य यह है कि अनुबंध सदस्‍य एवं कम्‍पनी के कर्मचारियों के मध्‍य सौहार्दपूर्ण समझ स्‍थापित हो सके। ऐसा किया जाना कम्‍पनी की बाध्‍यता नहीं है। इस तर्क की पुष्टि पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित करार दिनांक 27.08.2016 से होती है, जिसका उल्‍लेख ऊपर किया जा चुका है।

16.        सेवा में कमी को साबित करने का दायित्‍व परिवादी पर है। परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में रात्रि भोज के आयोजन के अलावा किसी प्रकार की सेवाएं मांगने और कम्‍पनी द्वारा इंकार करने का कोई उल्‍लेख नहीं किया गया है और यह स्थिति ऊपर वर्णित विवरण के अनुसार साबित हो चुकी है कि नए सदस्‍यों के लिए रात्रि भोज का आयोजन करना कम्‍पनी के लिए बाध्‍यधारी नहीं था, इसलिए इस रात्रि भोज के अवसर पर कारित किसी त्रुटि या कमी को कम्‍पनी की सेवा में कमी नहीं माना जा सकता। नजीर Ranveet Singh Bagga Vs. KLM Royal Dutch Airlines and Anr. III (1999) CPJ 28 (SC) में व्‍यवस्‍था दी गई है कि विपक्षी के दोष को दर्शित किए बिना सेवा में कमी का उल्‍लेख नहीं किया जा सकता। यदि विपक्षी का आश्‍यपूर्वक दोष साबित नहीं होता है तब उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत कोई अनुतोष प्रदान नहीं किया जा सकता। माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा यह व्‍यवस्‍था दी गई है कि सेवा में कमी की अनुपस्थिति में पीडित पक्ष कॉमन लॉ के अन्‍तर्गत क्षतिपूर्ति का दावा प्रस्‍तुत कर सकता है। यदि परिवादी द्वारा सदस्‍यता प्राप्‍त करने के पश्‍चात् एक वर्ष के अन्‍दर 03 रात्रि एवं 04 दिवस के स्‍टे की मांग की गई होती और क्‍लब द्वारा इस मांग से इंकार किया गया होता या स्‍टे स्‍थल पर पहुँचाने के पश्‍चात् परिवादी के मान सम्‍मान या गरिमा को कोई क्षति कारित की गई होती तब निश्चित रूप से परिवादी इस प्रकार के कृत्‍य के लिए उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत परिवाद प्रस्‍तुत करके क्षतिपूर्ति का हकदार होता, परन्‍तु जिस सेवा के लिए कम्‍पनी कानूनन बाध्‍य नहीं है, उस सेवा में कमी दर्शित करते हुए उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत कोई अनुतोष प्रदान किया जाना विधि के अन्‍तर्गत संभव नहीं है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग ने अपने निर्णय में यह उल्‍लेख किया है कि कम्‍पनी द्वारा गंभीर अनैतिक कृत्‍य किए गए हैं, जिनकी ढंग से भरपाई किया जाना कठिन है। किसी भी सामान्‍य व्‍यक्ति को यदि परिवार सहित समारोह और डिनर पार्टी में सम्मिलित होने के लिए आश्‍वस्‍त किया गया हो और उसका परिवार सहित अपमान किया जाए तो प्रत्‍येक व्‍यक्ति के स्‍वाभिमान को गंभीर चोट पहुँचती है और यह कृत्‍य सभ्‍य समाज में अत्‍यंत शर्मनाक निंदनीय एवं अनैतिक है और ऐसे अनैतिक कृत्‍य के लिए उदाहरणात्‍मक क्षतिपूर्ति दिलाने की आवश्‍यकता उत्‍पन्‍न होती है ताकि किसी सभ्‍य नागरिक एवं उसके परिवार के सम्‍मान और स्‍वाभिमान पर चोट न की जाए और कूटरचित संविदा परिवर्तित करके अपने उत्‍तराईत्‍व को न टाल दिया जाए। संभवत: विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग ने इस तथ्‍य को विचार में नहीं लिया कि उनके द्वारा कॉमन लॉ के अन्‍तर्गत नहीं, अपितु उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत सुनवाई की जा रही है और इस अधिनियम के अन्‍तर्गत सुनवाई के लिए सेवा में कमी का साबित होना आवश्‍यक है और सेवा में कमी उस समय साबित की जा सकती है तब किसी सेवा के लिए पक्षकारों के मध्‍य कोई अनुबंध निष्‍पादित हुआ हो। यदि किसी बिन्‍दु पर कोई अनुबंध निष्‍पादित नहीं हुआ है तब उस बिन्‍दु पर सेवा में कमी कदाचित साबित नहीं हो सकती। पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित करार दिनांक 27.08.2016 में सदस्‍यता ग्रहण करने के पश्‍चात् रात्रि भोज का आयोजन करने एवं परिवादी को बुलाकर सम्‍मानित करने का कोई विवरण मौजूद नहीं है, इसलिए इस अवसर पर परिवादी ने अपने साथ घटी जिस घटना का उल्‍लेख किया है, वह उल्‍लेख सेवा में कमी की श्रेणी में नहीं आता है तथा यदि परिवादी का अन्‍य कारणों से अपमान हुआ है या उनके स्‍वाभिमान को ठेस पहुँची है तब TORT के अन्‍तर्गत विपक्षी कम्‍पनी के विरूद्ध समुचित कार्यवाही करने के लिए परिवादी अधिकृत है।

17.        विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग ने अपने निर्णय में संविदा परिवर्तन का भी उल्‍लेख किया है, परन्‍तु दिनांक 27.08.2016 से पूर्व की कोई संविदा पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित हुई हो, यह तथ्‍य साबित नहीं है। सम्‍पूर्ण निर्णय में इस बिन्‍दु पर कोई निष्‍कर्ष नहीं दिया गया कि दिनांक 27.08.2016 से पूर्व भी पक्षकारों के मध्‍य कोई संविदा निष्‍पादित हुई थी और निष्‍पादन के पश्‍चात् कूटरचित रूप से क्‍लब द्वारा यह संविदा परिवर्तित कर दी गई और इस बिन्‍दु पर निष्‍कर्ष दिए बिना अंकित कर दिया गया कि संविदा का परिवर्तन किया गया है। अत: सम्‍पूर्ण निर्णय तथ्‍यात्‍मक स्थिति के विपरीत है। इस निर्णय में सेवा में की गई कमी का कोई विवरण मौजूद नहीं है। स्‍वंय परिवाद पत्र में भी अनुबंध के अनुसार क्‍लब से मांगी गई किसी सेवा तथा उसे इंकार का कोई विवरण मौजूद नहीं है। अत: विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्‍त होने योग्‍य है तथा अपील संख्‍या-23/2020 स्‍वीकार होने एवं अपील संख्‍या-124/2020 निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

18.        अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रस्‍तुत अपील संख्‍या-23/2020 स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 26.08.2019 अपास्‍त किया जाता है तथा परिवाद निरस्‍त किया जाता है।

19.        परिवादी, हरीश सिंह द्वारा प्रस्‍तुत अपील संख्‍या-124/2020 निरस्‍त की जाती है।

20.        अपीलों में उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

21.        इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील संख्‍या-23/2020 में रखी जाए एवं इसकी एक सत्‍य प्रति अपील संख्‍या-124/2020 में भी रखी जाए।

22.        अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रस्‍तुत अपील संख्‍या-23/2020 में धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी/विपक्षी को वापस की जाए।

23.         उभय पक्ष को इस निर्णय/आदेश की सत्‍यप्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये।

 

 

  (सुशील कुमार)       (राजेन्‍द्र सिंह)      (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

       सदस्‍य             सदस्‍य                   अध्‍यक्ष

 

 

  

 

 लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-1

 

  

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
JUDICIAL MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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