(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1124/2007
गोदरेज जी.आई.एम. लाइन्स लि0 बनाम हरीश चन्द्र सक्सेना तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक: 25.10.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-33/2001, हरीश चन्द्र सक्सेना बनाम मैनेजिंग डायरेक्टर, गोदरेज जीआईएम लाईन्स लि0 में विद्वान जिला आयोग, इटावा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 26.4.2007 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री विकास अग्रवाल तथा प्रत्यर्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री वी.एस. बिसारिया को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवादी द्वारा क्रय किए गए रेफरीजरेटर के खराब होने के कारण रेफरीजरेटर बदलने तथा अंकन 3,000/-रू0 हर्जा एवं अंकन 500/-रू0 परिवाद व्यय भी अदा करने के लिए आदेशित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा एक गोदरेज रेफरीजरेटर 165 लीटर अंकन 10,200/-रू0 में दिनांक 12.1.2000 को विपक्षी सं0-2 से क्रय किया गया, यह रेफरीजरेटर विपक्षी सं0-2 के गोदाम तक ले जाया गया तथा अपने घर वापस लाया गया। फ्रिज में तकनीकी त्रुटि है, जो इंजीनियर द्वारा मरम्मत करने पर भी दुरूस्त नहीं हुई।
4. विपक्षीगण का कथन है कि प्रथम बार अप्रैल 2001 में फ्रिज की शिकायत की गई, उसे उचित सेवा प्रदान की गई। फ्रिज उचित रूप से काम कर रहा है।
5. विद्वान जिला आयोग ने साक्ष्य की व्याख्या करते हुए निष्कर्ष दिया है कि फ्रिज बार-बार खराब हो रहा है, इसलिए फ्रिज बदलने का आदेश विधिसम्मत है।
6. इस निर्णय/आदेश के प्रस्तुत की गई अपील के ज्ञापन तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि सर्विस इंजीनियर द्वारा फ्रिज को ठीक करने के बाद परिवादी फ्रिज का उपयोग कर रहा है और निर्माण संबंधी त्रुटि नहीं है। सर्विस इंजीनियर द्वारा विद्वान जिला आयोग के समक्ष शपथ पत्र भी प्रस्तुत किया गया था, जिस पर विचार नहीं किया गया।
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7. प्रत्यर्थी द्वारा विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि में अपने तर्क प्रस्तुत किए गए।
8. इस अपील के विनिश्चय के लिए एक मात्र विनिश्चायक बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि क्या रेफरीजरेटर में निर्माण संबंधी कमी है, इसका प्रयोग संभव नहीं है ?
9. इस प्रश्न का उत्तर स्वंय अपील के ज्ञापन तथा लिखित कथन के विवरण से मिलता है। अपील के ज्ञापन तथा लिखित कथन में स्वीकार किया गया है कि सर्विस इंजीनियर द्वारा फ्रिज की मरम्मत की गई। फ्रिज की सामान्य मरम्मत होना तथा सर्विस इंजीनियर द्वारा फ्रिज की मरम्मत करना दो भिन्न-भिन्न परिस्थितियां हैं। सर्विय इंजीनियर किसी फ्रिज की मरम्मत उस स्थिति में ही करते हैं, जब फ्रिज का संचालन सामान्य रूप से संभव नहीं हो पाता, इसलिए फ्रिज को बदलने का आदेश विधिसम्मत है, परन्तु ब्याज देय नहीं होगा। इस प्रकार वैकल्पिक रूप से फ्रिज के बदले तत्समय प्राप्त की गई फ्रिज की कीमत अपीलार्थी वापस करते हैं तब ब्याज 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज की दर से देय होगा।
10. तदनुसार प्रस्तुत अपील उपरोक्तानुसार अंतिम रूप से निस्तारित की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2