Uttar Pradesh

StateCommission

A/2004/2019

M/s Pepsico Co - Complainant(s)

Versus

Hariom Srivastav - Opp.Party(s)

Vikas Singh

15 May 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2004/2019
( Date of Filing : 20 Oct 2004 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. M/s Pepsico Co
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Hariom Srivastav
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 15 May 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-2019/2004

प्‍लाण्‍ट प्रबन्‍धक, मै0 पेप्सिको कम्‍पनी इण्डिया होल्डिंग लिमिटेड, यूपीएसआईडीसी इंडस्ट्रियल एरिया, जैनपुर, कानपुर देहात।

........... अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम              

1-    श्री हरिओम श्रीवास्‍तव, निवासी 111/1, तिवारीपुर, लाल बांग्‍ला, कानपुर नगर।

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी

2-    डायरेक्‍टर, भारतीय माणक ब्‍यूरो, सर्वोदय नगर, कानपुर नगर।

3-    नगर स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी, नगर निगम, कानपुर नगर।

…….. प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष              

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री विकास सिंह

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : कोई नहीं।

दिनांक :- 15.5.2023

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/ मुरादाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, कानपुर नगर द्वारा परिवाद सं0-455/2002 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.9.2004 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 द्वारा निर्मित पेप्‍सी 300 मिली लीटर की 24 बोतलें (एक कैरेट) दिनांक 04.5.2002 को रू0 160.00, सात रूपये प्रति बोतल की दर से मैसर्स जागृति चेतना बिल्डिंग सिविल लाइंस कानपुर से क्रय की, जिसमें एक पेप्‍सी की बोतल विवादित मिली एवं देखने पर बोतल के अंदर मॉस का टुकड़ा प्रतीत हुआ, जिसको देखने के बाद बोतल

-2-

की सील नहीं तोडी, जिससे बीमारी का खतरा प्रतीत हो रहा था। उपरोक्‍त कैरेट की बोतले अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 द्वारा निर्मित की गई थी एवं अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 अंतर्राष्‍ट्रीय कम्‍पनी है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 के उत्‍पादों की जॉच करता है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-3 को राज्‍य सरकार द्वारा ऐसे शीतल पेय/खाद्य पदार्थों की जॉच हेतु नियुक्‍त किया गया है कि वह अपने दायित्‍वों को निर्वहन कर जनता/उपभोक्‍ताओं के बीच में ऐसे जानलेवा पदार्थों को विक्रय न किया जाए। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-3 द्वारा अपने कर्तव्‍यों का निर्वहन न करने के परिणामस्‍वरूप उक्‍त विवादित बोतल उपभोक्‍ता के बीच आपूर्ति की गई। अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 अपने हितलाभ के लिए एक स्‍टैण्‍डर्ड मानक गुणवत्‍ता, शुद्धता आदि का प्रमाण पत्र लेने के बाद इस तरह के अपमिश्रित व दूषित पदार्थों को विक्रय करता है, अत्एव क्षुब्‍ध होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर परिवाद पत्र के कथनों का विरोध किया गया तथा यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा गलत तथ्‍यों के आधार पर परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी किसी अनुतोष को प्राप्‍त करने का अधिकारी नहीं है। 

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

     ''परिवादी का उपभोक्‍ता वाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0-1 को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को सभी प्रकार की क्षति के

 

-3-

मद में रू0 50,000.00 क्षतिपूर्ति एवं 1,000.00 रू0 वाद व्‍यय निर्णय के दो माह के अन्‍दर भुगतान करें।''

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 द्वारा प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख विगत लगभग 19 वर्षों से लम्बित है। पिछले कई वर्षों से किसी न किसी कारण अथवा स्‍थगन प्रार्थना पत्र पर स्‍थगित की जाती रही है। अपीलार्थी की ओर से अधिवक्‍ता श्री विकास सिंह उपस्थित है। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है अत्एव अपीलार्थी के अधिवक्‍ता के तर्कों को विस्‍तार पूर्वक सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का सम्‍यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।

प्रस्‍तुत प्रकरण में निर्विवादित रूप से क्रय की गई पेप्‍सी की बोतल अपमिश्रित एवं प्रदूषित पाई गई, जिसमें कोई फॉरेन पदार्थ पड़ा हुआ था, जिसे देखकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा क्रय की गई समस्‍त बोतलों को प्रदूषित होने एवं बीमारी फैलने के कारण प्रयोग नहीं किया गया अत्एव इस सम्‍बन्‍ध में अपीलार्थी की स्‍पष्‍ट सेवा में कमी परिलक्षित होती है। उपरोक्‍त सम्‍बन्‍ध में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत निर्णय में विस्‍तार से चर्चा करते हुए जो निष्‍कर्ष अंकित किया गया है, वह मेरे विचार से तथ्‍य और विधि के अनुकूल है।

परन्‍तु जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत आदेश में जो अपीलार्थी पर क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 50,000.00 की देयता निर्धारित की गई है उसे केस के तथ्‍य एवं परिस्थितियों तथा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथन को दृष्टिगत रखते हुए रू0 25,000.00 में परिवर्तित किया जाना उचित पाया जाता है, तद्नुसार जिला उपभोक्‍ता

-4-

आयोग के प्रश्‍नगत आदेश में वर्णित क्षतिपूर्ति की धनराशि रू0 50,000.00 के स्‍थान पर रू0 25,000.00 में परिवर्तित की जाती है, साथ ही यह भी आदेशित किया जाता है कि अपीलार्थी द्वारा उपरोक्‍त धनराशि रू0 25,000.00 पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी को परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से वास्‍तविक अदायगी की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी देय होगा। वाद व्‍यय रू0 1,000.00 के सम्‍बन्‍ध में पारित आदेश अपास्‍त किया जाता है। तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                             (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)    

                                     अध्‍यक्ष                            

 

हरीश सिंह,

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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