Final Order / Judgement | (सुरक्षित) राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ। अपील सं0 :-1104/2015 (जिला उपभोक्ता आयोग, औरैया द्वारा परिवाद सं0- 245/2014 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 01/05/2015 के विरूद्ध) Indian Oil Corporation Limited, (A Govt. of India Undertaking), Having its registered office at G-9, Ali Yaver Jung Marg, Bandra East, Mumbai; through its Manager - Appellant
Versus - Hariom Sharma S/O Shri Sumit Narayan, r/o Baroya, Thana Fafund, District Auraiya.
- Shri Darshan Indane Gas Service, Dibiyapur Road, Auraiya
…………Respondents अपील सं0 –1469/2015 Sri Darshan Indane Gas Serivice, Dibiyapur Road, Auraiya, District Auraiya, Through Ajit Kumar Mishra; - Appellant
Versus - Hariom Sharma, Son of Sumit Narayan, Resident of Barauwa, Thana Phaphund, Pargana and District Auraiya.
- Indian Oil Corporation Limited; Registered Office-G-9, Aliyarpur Jung, Bandra (East), Mumbai 400051
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समक्ष - मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
उपस्थिति: अपीलार्थी/इंडियन ऑयल की ओर से विद्वान अधिवक्ता:-श्री राजेश चड्ढा प्रत्यर्थी सं0 1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री ओ0पी0 दुवेल प्रत्यर्थी सं0 2/श्री दर्शन की ओर से विद्धान अधिवक्ता:-श्री एस0 मेहरोत्रा दिनांक:-02.12.2022 माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय - यह अपील जिला उपभोक्ता आयोग, औरेया द्वारा परिवाद सं0 245 सन 2014 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 01.05.2015 के विरूद्ध योजित की गयी है, जिसके निर्णय के माध्यम से प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी का परिवाद रूपये 3,05,000/- की वसूली हेतु मय 07 प्रतिशत वार्षिक ब्याज आज्ञप्त किया गया। अपील सं0 1469 इण्डेन गैस डीलर श्री दर्शन द्वारा तथा अपील सं0 1104 सन 2015 इंडियन ऑयल कार्पोरेशन द्वारा प्रस्तुत की गयी है।
- प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी द्वारा परिवाद इन अभिकथनों के साथ योजित किया गया कि उसने एक एलपीजी गैस कनेक्शन 381268 दिनांक 19.11.2009 को घरेलू कार्य के लिए विपक्षी दर्शन गैस एजेंसी से क्रय किया था। दिनांक 20.10.2014 को सायंकाल 06 बजे विपक्षी दर्शन गैस एजेंसी द्वारा दिया गया, गैस सिलिंडर बदलने के लिए सील धागा खींचा तो प्लास्टिक का ढक्कन अलग गिरा, उसमें बाल नहीं था, इसलिए कुछ दूरी पर जल रही मोमबत्ती से आग लग गयी और पूरे घर में फैल गयी। प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी का हाथ जल गया और साथ ही किचन व घर में रखा सामान एवं 15,000/- रू0 नकद जल गया तथा प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी भी 40 प्रतिशत जल गया।
- विपक्षी दर्शन गैस द्वारा उत्तर पत्र दाखिल किया गया, जिसमें उन्होंने कहा कि प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी ने अनावश्यक मुकदमें वाजी किया है, पुराने सिलिंडर के स्थान पर नया लगाया, उसके लिए उत्तरदाता के निर्देशानुसार यदि किसी प्रकार का कोई कमी अथवा तकनीकी त्रुटि पायी जाती है तो हॉकर उस पार्ट को एजेन्सी से बदलकर दूसरा लगाता है एवं प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी ने घटना की कोई सूचना नहीं दी थी। दर्शन गैस एजेंसी का बीमा न्यू इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी से है, इसलिए उसका कोई दायित्व नहीं है।
- परिवाद के विपक्षी सं0 2 एवं अपील सं0 1104 सन 2015 के अपीलार्थी इंडियन ऑयल कार्पोरेशन द्वारा भी उत्तर पत्र दाखिल किया गया, जिसमें उन्होंने उन्हीं तथ्यों को दोहराया है जो दर्शन गैस एजेंसी की ओर से कहे गये थे। विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम ने माननीय राष्ट्रीय आयोग के निर्णयों पर आधारित करते हुए कि एलपीजी की गुणवत्ता के संबंध में क्षतिपूर्ति का दायित्व बीमा कम्पनी और डीलर का ही होगा। यह मानते हुए उपरोक्त क्षतिपूर्ति का आदेश दिया, जिससे व्यथित होकर उपरोक्त अपीलें प्रस्तुत की गयी हैं।
- अपील सं0 1469 सन 2015 में अपीलार्थी दर्शन गैस सर्विस की ओर से यह कथन किया गया कि विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम ने केवल परिवाद में बताये गये तथ्यों के आधार पर परिवाद का निस्तारण किया है जबकि दर्शन गैस एजेंसी की ओर से कोई सेवा में कमी नहीं की गयी है। परिवाद के पक्ष में वाद का कोई कारण उत्पन्न नहीं हुआ है। प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी की ओर से कथित दुर्घटना 20.10.2014 के संबंध में कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है एवं जिला उपभोक्ता फोरम ने भी इस संबंध में किसी साक्ष्य की कोई विवेचना नहीं की है न ही साक्ष्य का कोई उद्धरण अपने निर्णय में किया है, केवल जले हुए सामान की फोटो प्रस्तुत की गयी है। इस संबंध में स्पष्ट नहीं किया गया है कि वास्तव में यह दुर्घटना सिलिण्डर एवं गैस से हुई थी। निर्णय मनमाने तौर पर और कपोल कल्पित आधार पर दिया गया है जो निरस्त होने योग्य है।
- अपील सं0 1104 सन 2015 में अपीलार्थी इंडियन ऑयल कार्पोरेशन द्वारा यह आधार लिये गये हैं कि विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष किसी विशेषज्ञ का साक्ष्य नहीं आया है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी को सप्लाई किया गया गैस सिलिण्डर त्रुटिपूर्ण था, जिसके कारण कोई लीकेज हुई। प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी ने मात्र यह कथन किया है कि उसने जलती हुई मोमबत्ती सिलिण्डर के नजदीक रखी थी, जिससे आग लगी, किन्तु सिलिण्डर की त्रुटि से आग लगने का कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। सिलिण्डर से गैस लीकेज होने की कहानी कपोल कल्पित और बनावटी है क्योंकि इस संबंध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं है। प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी द्वारा गैस की लीकेज की कोई सूचना विपक्षीगण को नहीं दी गयी, न ही दुर्घटना की कोई सूचना दी गयी थी। पुलिस को भी इस संबंध कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं करायी गयी जबकि उसपर प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी ने कथन किया है कि वह 40 प्रतिशत जल गया था और उसके घर के सामान एवं घर को भी नुकसान हुआ था। विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित किये गये निर्णय मात्र परिकल्पना पर आधारित है। अत: निर्णय अपास्त होने योग्य एवं परिवादी का परिवाद भी निरस्त किये जाने योग्य है।
- दोनों पक्षकारों को सुना। पत्रावली का अवलोकन किया।
- प्रस्तुत मामले में प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी द्वारा यह कथन किया गया है कि उसको दिया गया सिलिण्डर दोषपूर्ण था और गैस में लीकेज होने के कारण आग लग गयी थी, जिससे स्वयं प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी जला और उसके घर का सामान भी जल गया था, किन्तु प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी की ओर से साक्ष्य से इस तथ्य को पुष्ट नहीं किया गया है कि प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी के घर में जो आग लगी, वह सिलिण्डर में त्रुटि के कारण ही लगी थी। प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी द्वारा जो भी साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है वह उसके घर के सामान के जले होने के चित्र हैं जहां पहले सिलिण्डर का रखना दर्शाया गया है।
- इस संबंध में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय सविता रानी प्रति जनता गैस सर्विस व अन्य प्रकाशित II (2021) CPJ page 96 (NC) इस संबंध में दिशा-निर्देशन देता है, जिससे प्रस्तुत मामले के तथ्यों के वाद मिलते-जुलते हैं। माननीय राष्ट्रीय आयोग के समक्ष के मामले में परिवादी ने इंडियन गैस सर्विस से गैस सिलिण्डर बुक किया। प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी के अनुसार परिवादी व उसके परिवार जन पास में गये हुए थे। तभी घर से दूर आवाज सुनी एवं घर को आग की लपेटों में पाया। प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी का कथन यह था कि उसके घर मे आग गैस सिलिण्डर की त्रुटि के कारण लगी। माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह निर्णीत किया गया कि परिवादी ने ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दिया है, जिससे यह सिद्ध हो सके कि गैस से सिलिण्डर में लीकेज के कारण ही आग लगी है। कोई भी सर्वेयर रिपोर्ट, पुलिस रिपोर्ट अथवा फायर ब्रिगेड की रिपोर्ट नहीं प्रस्तुत की गयी है, जिससे यह सिद्ध हो सके कि प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी को सप्लाई किया गया गैस सिलिण्डर दोषपूर्ण था। इस साक्ष्य के अभाव में यह मान लेना उचित नहीं है कि गैस के सिलिण्डर के दोष के कारण ही आग लगी थी। इस कारण प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी का परिवाद माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा निरस्त किया गया।
- इस संबंध में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित एक अन्य निर्णय समीर प्रति अन्य विपुल गैस एजेंसी व अन्य प्रकाशित (I) 2016 CPJ page 645 (NC) उल्लेखनीय है। इस निर्णय के तथ्य भी प्रस्तुत मामले के तथ्य से मिलते जुलते हैं। प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी की ओर से यह आक्षेप लगाया गया कि विपक्षी द्वारा सप्लाई किये गये सिलिण्डर में लीकेज होने के कारण उसके घर में आग लग गयी थी। माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह निर्णीत किया गया कि गैस के सिलिण्डर से लीकेज होने के तथ्य एवं प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी को होने वाला नुकसान साक्ष्य से सिद्ध नहीं हो सका है अथवा केवल अभिकथनों के आधार केवल यह तथ्य सिद्ध नहीं माना जा सकता है एवं ऐसी दशा में क्षतिपूर्ति का आदेश दिया जाना उचित नहीं है।
- माननीय राष्ट्रीय आयोग के उपरोक्त निर्णयों को दृष्टिगत करते हुए यह पीठ भी इस मत की है कि प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी की ओर से अपने साक्ष्य से इस तथ्य को सिद्ध नहीं किया गया है। वास्तव में प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी के घर में सिलिण्डर की लीकेज के कारण ही आग लगी थी एवं इस संबंध में कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट, फायर रिपोर्ट आदि कोई भी ऐसा साक्ष्य नहीं प्रस्तुत किया गया है, जिससे यह सिद्ध हो सके कि गैस में लीकेज के कारण आग लगी थी। इसके अतिरिक्त अपीलकर्तागण की ओर से सप्लाई किया गया सिलिण्डर दोषपूर्ण था। यह भी सिद्ध नहीं किया गया है न ही इस संबंध में किसी विशेषज्ञ की आख्या प्रस्तुत की गयी है। ऐसी दशा में यह तथ्य सिद्ध नहीं माना जा सकता है कि प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी के घर में गैस लीकेज के कारण आग लगी थी और वास्तव में सिलिण्डर दोषपूर्ण था, जिसके कारण यह आग लगी। अत: ऐसी दशा में प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी द्वारा मांगे गये क्षतिपूर्ति दिलाया जाना न्यायोचित नहीं है। अत: परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने योग्य एवं संबंधित अपीलें स्वीकार किये जाने योग्य है।
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- सं0-1104/2015 एवं अपील सं0-1469/2015 स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाता है।
इस निर्णय व आदेश की मूल प्रति अपील सं0-1104/2015 में रखी जाये एवं इसकी प्रमाणित प्रतिलिपि सम्बंधित अपील सं0-1469/2015 में रखी जाये। उभय पक्ष अपीलों में वाद-व्यय स्वयं वहन करेंगे। आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें। (विकास सक्सेना)(सुशील कुमार) सदस्य सदस्य संदीप आशु0 कोर्ट 2 | |