राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-2155/1999
(जिला उपभोक्ता फोरम, बलिया द्वारा परिवाद संख्या-168/1998 में पारित निर्णय दिनांक 15.07.1999 के विरूद्ध)
मनीषा कोल्ड स्टोरेज प्रा0लि0 द्वारा प्रापेराइटर अशोक कुमार प्रसाद पुत्र
श्री बालेश्वर प्रसाद निवासी ग्राम कनैला परगना कोपाचिट पोस्ट बिसुसिया
(फेफना) जिला बलिया, यू0पी0। .........अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
हरिन्द्र उपाध्याय पुत्र श्री गेंदा उपाध्याय निवासी ग्राम बाराबांध परगना
कोपाचिट शर्की तहसील एण्ड जिला बलिया। ........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :कोई नहीं।
दिनांक 02.07.2015
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला फोरम बलिया द्वारा परिवाद संख्या 168/1998 में पारित निर्णय/आदेश दि. 15.07.1999 के विरूद्ध योजित की गई है। जिला मंच का आदेश निम्न प्रकार है:-
'' फोरम की संपूर्ण पीठ यह आरोपित करती है कि विपक्षी इस आदेश के पारित होने के दो माह के भीतर परिवादी को 88 बोरे आलू की कीमत समेकित रूप में 100 प्रति बोरी की दर से 8800/- रू. अदा करें। साथ ही 8800/- की देय राशि पर दिनांक 15.11.97 से भुगतान की तिथि तक 12 प्रतिशत साधारण ब्याज की अदा करें। परिवादी को हुए शारीरिक एवं मानसिक संताप के परिशमन हेतु मु0 दो हजार रूपये क्षतिपूर्ति तथा वाद व्यय के रूप में 500/- रू. भी अदा करे। विपक्षी उक्त देय सभी धनराशि का भुगतान निदेशित समय सीमा दो माह के भीतर करे, अन्यथा परिवादी के द्वारा पुन: वाद संयोजित किए जाने पर वाद संयोजित किए जाने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 12 प्रतिशत चक्रवृद्धि ब्याज भी देय होगा।''
-2-
अपीलकर्ता की ओर से कोई उपस्थित नहीं है न ही प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित है। आदेश पत्र के अवलोकन से स्पष्ट है कि उभय पक्ष को सूचना 2013 में जारी किया गया था, लेकिन कोई पक्ष उपस्थित नहीं हो रहा है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-30 के उपधारा (2) के अंतर्गत निर्मित उ0प्र0 उपभोक्ता संरक्षण नियमावली 1987 के नियम 8 के उपनियम (6) के दृष्टिगत प्रस्तुत अपील का निस्तारण गुणदोष के आधार पर कर दिया जाए।
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी द्वारा विपक्षी के शीतगृह में 88 बोरा आलू भंडारित किया, जिसको विपक्षी के शीतगृह में ट्रैक्टर के द्वारा ले जाया गया। परिवादी दि. 18.07.97 को विपक्षी के शीतगृह पर गया और भन्डारण रसीद को दिखाया गया तो विपक्षी ने यह बताया कि शीतगृह में रखा आलू सड़ गया है। विपक्षी की घोर लापरवाही के कारण परिवादी आलू सड़ गया। परिवादी ने विपक्षी से 200 प्रति बोरे के दर से आलू की कीमत मांगी जिसे विपक्षी ने देने से इंकार करते हुए कहा कि विपक्षी अपने शीतगृह का बीमा कराया है। बीमा कंपनी से क्षतिपूर्ति प्राप्त होने पर परिवादी को क्षतिपूर्ति कर दी जाएगी। क्षतिपूर्ति नहीं अदा करने पर वाद फोरम में संयोजित किया गया है।
केस के तथ्य एवं परिस्थिति के आधार पर हम यह पाते हैं कि जिला मंच द्वारा साक्ष्यों की पूर्ण विवेचना करते हुए अपना निर्णय दिया है जो विधिसम्मत है, उसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है। तदनुसार अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है।
(राम चरन चौधरी) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-5