मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता आयोग, आगरा प्रथम द्वारा परिवाद संख्या 84 सन 2016 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 20.05.2019 के विरूद्ध)
अपील संख्या 788 सन 2019
आत्माराम आटो इण्टरप्राइजेज डीलर महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लि0 अरटोनी मथुरा रोड आगरा द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर ।
.......अपीलार्थी
-बनाम-
श्री हरी सिंह पुत्र स्व0 करन सिंह निवासी मोहल्ला सट्टा तहसील इत्मादपुर जिला आगरा।
. .........प्रत्यर्थी
एवं
अपील संख्या 798 सन 2019
श्री हरी सिंह पुत्र स्व0 करन सिंह निवासी मोहल्ला सट्टा तहसील इत्मादपुर जिला आगरा।
.......अपीलार्थी
-बनाम-
आत्माराम आटो इण्टरप्राइजेज 37/1 एन0एच02 निकट भगवान टाकीज थाना न्यू आगरा मथुरा रोड आरटोनी तहसील किरौली आगरा एवं अन्य
. .........प्रत्यर्थी
समक्ष:-
मा 0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार अध्यक्ष ।
मा0 श्री सुशील कुमार , सदस्य।
हरी सिंह की ओर से अधिवक्ता - श्री एस0के श्रीवास्तव ।
आत्माराम इण्टरप्राइजेज की ओर से अधिवक्ता - श्री आलोक सिन्हा ।
दिनांक:- 07/05/2024
श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद संख्या 84/2016 हरी सिंह बनाम आत्माराम आटो इण्टरप्राइजेज में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 20.05.2019 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गयी है। जिला फोरम ने परिवाद स्वीकृत करते हुए विपक्षी संख्या 01 के विरूद्ध यह आदेश पारित किया गया है कि परिवादी को पुराना वाहन देने के कारण अंकन 01 लाख रू0 क्षतिपूर्ति के रूप में दे ।
इसी प्रकार अपील संख्या 798 सन 2019 हरी सिंह बनाम आत्माराम आटो इण्टरप्राइजेज में परिवाद संख्या 84/2016 के अन्तर्गत हरी सिंह द्वारा क्षतिपूर्ति की राशि में बढ़ोत्तरी के लिए अपील प्रस्तुत की गयी है ।
परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा वाहन संख्या यू0पी0 80 सी0वाई 2496 विपक्षी संख्या 01 से 0749000.00 रू0 में क्रय किया गया था। यह वाहन दिनांक 13.06.2014 को परिवादी को उपलब्ध कराया गया एवं वाहन को नया एवं दोष रहित बताया गया । परन्तु क्रय करने के पश्चात ही वाहन ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर रहा था तथा उसमें अनेकों समस्याऍं थी। उसका पिकअप ठीक नहीं था, और धुआं निकल रहा था। लाइट भी कार्यरत नहीं थी । इन सभी कमियों के बारे में विपक्षी को बताया गया और वाहन को वर्कशाप पर भेजा गया। सभी प्रकार की सर्विस कराने के बावजूद भी वाहन सही नहीं हुआ । 20 बार मरम्मत कराने के बावजूद वाहन की स्टार्टिंग की समस्या, धुऐं की समस्या, तेल खपत तथा पिकअप की समस्या तथा लाइट की समस्या ज्यो की त्यो बनी रही। परिवादी द्वारा वाहन को बदलने का अनुरोध किया गया क्योंकि वाहन में निर्माण संबंधी दोष था तथा दोषपूर्ण पार्टस बदलने के लिए भी कहा गया लेकिन विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी । परिवादी को ज्ञात हुआ कि विपक्षी द्वारा पुराना वाहन उसे बिक्रय किया गया है । पहले यह वाहन श्री विवेक दीक्षित, निवासी 527 अवधपुरी, अल्वाटिया रोड आगरा को दिनांक 15.02.2013 को बिक्रय किया गया था जो उनके द्वारा वापस लौटा दिया गया था। इस तथ्य को छिपाते हुए यह वाहन परिवादी को बिक्रय किया गया और नये वाहन का मूल्य परिवादी से प्राप्त किया गया ।
विपक्षी संख्या 02 का कथन है कि वाहन का मूल्य 08,10,859.00 रू0 था परन्तु परिवादी को 60,000.00 की छूट देकर 7,49,000.00 रू0 में बिक्रय किया गया था क्योंकि वाहन का माडल 01 वर्ष पुराना था।, यह तथ्य स्वीकार किया गया है कि वाहन को श्री विवेक दीक्षित द्वारा पूर्व में बुक कराया गया था परन्तु क्रय नहीं किया गया इसी कारण वाहन का माडल पुराना हो चुका था । जिला फोरम ने साक्ष्य पर विचार करते हुए यह निष्कर्ष दिया कि पुराना वाहन दिया गया इसलिए 01 लाख रू0 क्षतिपूर्ति देने का आदेश पारित किया ।
परिवादी द्वारा क्षतिपूर्ति के रूप में दी गयी राशि में बढ़ोत्तरी के लिए अपील प्रस्तुत की गयी है जबकि बिक्रेता द्वारा क्षतिपूर्ति की राशि का आदेश अपास्त करने के लिए अपील प्रस्तुत की गयी है।
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्को को सुना ।
चूंकि स्वयं वाहन बिके्ता द्वारा इस तथ्य को स्वीकार किया गया कि पूर्व में वाहन को श्री विवेक दीक्षित द्वारा बुक कराया गया था । यह भी स्वीकार किया गया कि इस वाहन का माडल पुराना है । वाहन में अनेको कमियां जाहिर हुयी जिन्हें बार-बार दुरूस्त कराने का कथन भी स्वीकार किया गया । अत: यह तथ्य स्थापित है कि परिवादी को पुराना वाहन बिक्रय किया गया इसलिए जिला फोरम द्वारा जो निर्णय दिया गया है उसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है अत: वाहन बिक्रेता की अपील खारिज होने योग्य है।
अब इस बिन्दु पर विचार किया जाता है कि क्षतिपूर्ति की राशि में बढ़ोत्तरी की जानी चाहिए या नहीं । परिवादी द्वारा वाहन में निर्माण संबंधी त्रुटि के तथ्य को विशेषज्ञ रिपोर्ट प्राप्त करते हुए साबित नहीं किया गया है । इसलिए निर्माण संबंधी त्रुटि पर काई निष्कर्ष दिया जाना सम्भव नहीं है। चूंकि वाहन में निर्माण संबंधी त्रुटि पर निष्कर्ष देने का कोई साक्ष्य नहीं है, इसलिए क्षतिपूर्ति की राशि में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की जा सकती है। अत: क्षतिपूर्ति की राशि में बढ़ोत्तरी के लिए प्रस्तुत की गयी अपील भी खारिज होने योग्य है।
आदेश
उभय अपीले निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेगें।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार पक्षकारों को उपलब्ध करायी जाए।
मूल आदेश अपील संख्या 788 सन 2019 की पत्रावली में पारित किया गया जिसकी प्रति अपील संख्या 798 सन 2019 की पत्रावली पर रखी गयी ।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
सुबोल श्रीवास्तव
(पी0ए0(कोर्ट नं0-1)