Uttar Pradesh

StateCommission

A/2011/295

Rajeev Mishra - Complainant(s)

Versus

Hari Singh & another - Opp.Party(s)

Alok Sinha

04 Jun 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2011/295
( Date of Filing : 21 Feb 2011 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Rajeev Mishra
-
...........Appellant(s)
Versus
1. Hari Singh & another
Farukhabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 04 Jun 2024
Final Order / Judgement

                                                          (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-295/2011

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, फर्रूखाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या-644/2000 में पारित निणय/आदेश दिनांक 19.1.2011 के विरूद्ध)

 

1.    राजीव मिश्रा, मैनेजिंग डायरेक्‍टर आफ टारगेट सिक्‍योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड।

2.    अर्चना मिश्रा पत्‍नी राजीव मिश्रा, डायरेक्‍टर आफ टारगेट सेक्‍यूरिटीज प्राइवेट लिमिटेड।

     निवासीगण फ्लैट नं0-सी-113/58-बी-स्‍वरूप नगर, कानपुर।

अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम

हरी सिंह पुत्र दिनेश कुमार सिंह, निवासी नवगवा कैण्‍ट, फतेहगढ़, जिला फर्रूखाबाद।

                                     प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित      : श्री आलोक सिन्‍हा।

प्रत्‍यर्थी     की ओर से उपस्थित         : श्री जय शंकर सक्‍सेना।

दिनांक:  04.06.2024  

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-644/2000, हरी सिंह बनाम राजीव मिश्रा एवं संजीव मिश्रा, प्रोपराइटर राजीव मिश्रा एण्‍ड कंपनी तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, फर्रूखाबाद द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 19.1.2011 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील पर उभय पक्ष के विद्वान अधिवतागण को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

2.         विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया है कि वह परिवादी द्वारा जमा राशि जमा की तिथि से 6 प्रतिशत ब्‍याज के साथ 30 दिन के अन्‍दर वापस लौटाए तथा मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 1000/-रू0 एवं परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 500/-रू0 भी अदा करे।

3.         परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार विपक्षीगण द्वारा टारगेट सिक्‍योरिटी प्राइवेट लिमिटेड के नाम से एक संस्‍था खोली गई, जिसमें विभि‍न्‍न तिथियों पर धन संचय का प्रस्‍ताव दिया गया। परिवादी द्वारा भी विभिन्‍न तिथियों को धनराशि जमा की गई, जिनका कुल योग अंकन 3,53,000/-रू0 है और जमा की तिथि का उल्‍लेख परिवाद पत्र में विस्‍तृत रूप से किया गया है। इस राशि को ब्‍याज सहित लौटाने की गारण्‍टी विपक्षीगण द्वारा दी गई थी, परन्‍तु यह राशि वापस नहीं लौटाई गई।

4.         विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत करते हुए यह उल्‍लेख किया गया कि विपक्षी सं0-1 तथा दो का कोई संबंध नहीं है। विपक्षीगण द्वारा परिवादी से कोई धनराशि प्राप्‍त नहीं की गई, इसलिए उसके स्‍तर से परिवादी के प्रति सेवा में कोई कमी नहीं की गई।

5.         पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के उपरांत विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि फर्रूखाबाद में टारगेट सिक्‍योरिटी प्राइवेट लिमिटेड के नाम से एक संस्‍था खोली गई, जिसमें विभिन्‍न तिथियों को परिवादी ने धनराशि जमा कराई, जिसका पूर्ण संबंध विपक्षी सं0-1 एवं 2 से है, इसलिए एकल एवं संयुक्‍त दायित्‍व के तहत परिवादी द्वारा जमा राशि उपरोक्‍तानुसार वापस लौटाने का आदेश पारित किया गया।

6.         इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गई है कि विद्वान जिला आयोग ने तथ्‍यों एवं साक्ष्‍य के विपरीत अपना निर्णय/आदेश पारित किया है। इस प्रकृति का वाद उपभोक्‍ता आयोग द्वारा संधारणीय नहीं है। SEBI द्वारा निस्‍तारित किया जा सकता है। यह भी कथन किया गया कि टारगेट सिक्‍योरिटी प्राइवेट लिमिटेड को पक्षकार नहीं बनाया गया है। परिवादी द्वारा कभी कोई धन जमा नहीं किया गया है और न ही 24 प्रतिशत ब्‍याज की कोई गारण्‍टी दी गई है।

7.         पत्रावली पर उपलब्‍ध अनेक्‍जर सं0-2 के अवलोकन से साबित होता है कि टारगेट सिक्‍योरिटी प्राइवेट लिमिटेड की स्‍थापना की गई है। यह पत्र SEBI द्वारा जारी किया गया है। यद्यपि बाद में लाइसेंस रद्द किया जा चुका है, परन्‍तु कंपनी खोले जाने का तथ्‍य स्‍थापित है। पत्रावली पर मौजूद अनेक्‍जर सं0-4 के अवलोकन से भी जाहिर होता है कि टारगेट सिक्‍योरिटी प्राइवेट लिमिटेड के विरूद्ध विजय प्रताप गुप्‍ता नामक व्‍यक्ति द्वारा भी उत्‍तर प्रदेश स्‍टोर एक्‍सचेंज एसोसिएशन के समक्ष क्‍लेम प्रस्‍तुत किया गया। अपीलार्थीगण का मुख्‍य तर्क यह है कि उनका कोई संबंध टारगेट सिक्‍योरिटी प्राइवेट लिमिटेड से नहीं है तथा टारगेट सिक्‍योरिटी प्राइवेट लिमिटेड को पक्षकार नहीं बनाया गया है। अपीलार्थीगण ने अपील प्रस्‍तुत करते समय स्‍वंय को टारगेट सिक्‍योरिटी प्राइवेट लिमिटेड का प्रबंध निदेशक तथा निदेशक बताया है, इसलिए स्‍वंय इस स्थिति को अंकित करने के पश्‍चात अपील के ज्ञापन में यह कहने का अवसर नहीं है कि उनका टारगेट सिक्‍योरिटी प्राइवेट लिमिटेड से कोई संबंध नहीं है और चूंकि परिवादी की जमा राशि अपीलार्थीगण द्वारा प्राप्‍त की गई है, इसलिए विद्वान जिला आयोग को उपभोक्‍ता परिवाद के रूप में सुनवाई करते हुए परिवाद को निस्‍तारित करने का अधिकार प्राप्‍त है। परिवादी द्वारा जमा राशि की रसीदे भी प्रस्‍तुत की गई हैं। अपीलार्थीगण की ओर से नजीर, Suraj chand Agarwal Vs Parmod Agarwal & Ors. I (2022) CPJ 79 (Har.) प्रस्‍तुत की गई है, जिसमें व्‍यवस्‍था दी गई है कि जब कोई व्‍यक्ति अनियमित रूप से शेयर ट्रेडिंग करता है तब वह व्‍यापारिक उद्देश्‍य के लिए करता है और उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय नहीं है, परन्‍तु प्रस्‍तुत केस में परिवादी द्वारा धनराशि जमा की गई है और व्‍यापार के उद्देश्‍य से ट्रेडिंग किए जाने का कोई सबूत नहीं है, इसलिए इस नजीर में दी गई व्‍यवस्‍था का कोई लाभ अपीलार्थीगण को प्राप्‍त नहीं है। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्‍तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

 

8.         प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

          प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला  आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(राजेन्‍द्र सिंह)                           (सुशील कुमार)

सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

निर्णय/आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

(राजेन्‍द्र सिंह)                           (सुशील कुमार)

सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

दिनांक 04.06.2024

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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