Uttar Pradesh

StateCommission

A/2171/2015

Uppcl - Complainant(s)

Versus

Hari Narian - Opp.Party(s)

Deepak Mehrotra

21 Jul 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2171/2015
(Arisen out of Order Dated 27/08/2015 in Case No. c/67/2010 of District Mahoba)
 
1. Uppcl
Mahoba
...........Appellant(s)
Versus
1. Hari Narian
Mahoba
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 21 Jul 2017
Final Order / Judgement

        राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या- 2171/2015

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, महोबा द्वारा परिवाद संख्‍या 67/2010 में पारित आदेश दिनांक 27.08.2015 के विरूद्ध)

Adhikshan Abhiyanta, Vidyut Vitran Khand, Mahoba.

                                            ..............अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

Har Narayan, S/o Late Sri Bhagwan Das, R/o Mohalla- Naarupura(Ram Katha Marg), Mahoba.

                                                                                           ...............प्रत्‍यर्थी/परवादी          

           

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  :  श्री दीपक मेहरोत्रा।

                             विद्वान अधिवक्‍ता ।                                  

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित :    कोई नहीं।                                  

दिनांक:

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या- 67/2010 हर नारायण बनाम दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 में जिला फोरम महोबा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 27.08.2015 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्‍त परिवाद के विपक्षी दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 की ओर से धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

 

-2-

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

"परिवादी का परिवाद खिलाफ विपक्षी आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को इस निर्णय के अंदर एक माह उसकी भैंस की क्षतिपूर्ति धनराशि मु0 40,000/-रू0 तथा मानसिक कष्‍ट के एवज में 2,000/-रू0 एवं वाद व्‍यय के एवज में 2,500/-रू0 प्रदान करें। विपक्षी उक्‍त धनराशि परिवादी को अंदर एक माह अदा करें अन्‍यथा परिवादी विपक्षी से इस धनराशि पर 9 प्रतिशत सालाना की दर से ब्‍याज भी पाने का अधिकारी होगा।"

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री दीपक मेहरोत्रा उपस्थित हुए है। प्रत्‍यर्थी को रजिस्‍टर्ड डाक से नोटिस दिनांक 08.01.2016 को प्रेषित की गयी है जो अदम तामील वापिस नहीं आई है। अत: प्रत्‍यर्थी पर नोटिस का तामीला आदेश दिनांक 26.07.2016 के द्वारा पर्याप्‍त माना गया है। फिर भी प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को सुनकर अपील का निस्‍तारण किया जा रहा है।

हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने उपरोक्‍त परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि वह मुहाल-नारूपुरा कस्‍बा,तहसील व जिला महोबा का निवासी है। वह अपने भाई चिरंजी लाल के साथ पैतृक आवास में रहता

 

-3-

है। उसके भाई ने उपरोक्‍त मकान में विद्युत कनेक्‍शन सं0- 000158 दिनांक 17.06.2008 को 1800/-रू0 विद्युत कनेक्‍शन  फीस जमाकर प्राप्‍त किया है और परिवादी तथा उसका भाई उक्‍त विद्युत कनेक्‍शन से विद्युत उपयोग कर बिलों का भुगतान करते रहे हैं। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी विद्युत विभाग का उपभोक्‍ता है।

परिवादपत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि दिनांक 05.07.2010 को प्रात: 8:30 बजे उसकी एक भैंस विपक्षी के फीडर नम्‍बर-2 मण्‍डी के सामने चरखारी बाईपास रोड, महोबा के पास स्थित 100 के0वी0ए0 क्षमता वाले पोल माउंटेड ट्रासफार्मर हेतु प्रयुक्‍त स्‍टेवायर में हाई वोल्‍टेज विद्युत प्रवाह की चपेट में आ गयी। जिसके कारण भैंस की मृत्‍यु दुर्घटना स्‍थल पर हो गयी। जिसकी तत्‍काल सूचना परिवादी द्वारा थाना महोबा में दी गयी और पुलिस ने भैस का पोस्‍टमार्टम कराया। परिवादपत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि विपक्षी की लापरवाही से स्‍टेवायर में हाई वोल्‍टेज विद्युत प्रवाह हुआ है। अत: भैंस की मृत्‍यु हेतु प्रतिकर की अदायगी हेतु विपक्षी उत्‍तरदायी है। परिवादपत्र के अनुसार भैंस की आयु 5 वर्ष थी और भैंस का मूल्‍य 45,000/-रू0 था।

विपक्षी की ओर से जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्‍तुत कर कहा गया है कि परिवादी विपक्षी का उपभोक्‍ता नहीं है। वह अपने भाई चिरंजी लाल से अलग रहता है। इसके साथ ही विपक्षी की ओर से यह भी कहा गया है कि परिवादी ने जिस स्‍थल पर दुर्घटना का होना बताया है वह सार्वजनिक स्‍थल है। परिवादी के भाई चिरंजी लाल के निवास स्‍थान पर विपक्षी द्वारा कोई लापरवाही नहीं की गयी है। इस कारण परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत ग्राहय नहीं है। लिखित कथन में विपक्षी की

-4-

ओर से यह भी कहा गया है कि भैंस प्रत्‍यर्थी/परिवादी की लापरवाही से ट्रांसफार्मर के पास आयी थी और अपनी गर्दन से स्‍टेवायर को रगड़ा तथा हिलाया जिस कारण दुर्घटना घटित हुई है।

जिला फोरम ने उभयपक्ष के अभिकथन और उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत यह माना है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी, अपीलार्थी/विपक्षी का उपभोक्‍ता है और परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत संधारणीय है। अत: जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार कर उपरोक्‍त प्रकार से आदेश पारित किया है।

अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के विरूद्ध है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपने भाई से अलग रहता है और वह अपीलार्थी/विपक्षी का उपभोक्‍ता नहीं है। इसके साथ ही अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि यदि यह मान भी लिया जाए कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपने भाई के साथ रहता है जिसके नाम विद्युत कनेक्‍शन है तो भी परिवादपत्र में कथित दुर्घटना परिवादी के भाई के विद्युत कनेक्‍शन में विद्युत आपूर्ति में त्रुटि के कारण नहीं हुई है। प्रश्‍नगत दुर्घटना एक दूसरे सार्वजनिक स्‍थल पर घटित हुई है जिससे प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्युत कनेक्‍शन का कोई सम्‍बन्‍ध नहीं है। अत: यह नहीं कहा जा सकता है कि प्रश्‍नगत दुर्घटना प्रत्‍यर्थी/परिवादी के भाई के कनेक्‍शन में विद्युत आपूर्ति में त्रुटि या सेवा में कमी के कारण घटित हुई है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत ग्राहय नहीं है। ऐसी स्थिति में जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अधिकार रहित और विधि विरूद्ध है।

-5-

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने अपने तर्क के समर्थन में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा आन्‍ध्र प्रदेश ईस्‍टर्न पावर डिस्‍ट्रीब्‍यूशन कं0लि0 बनाम जननी सुरम्‍मा व अन्‍य के वाद में दिया गया निर्णय जो I(2016)CPJ 558 (NC) में प्रकाशित है, संदर्भित किया है। इस निर्णय से सम्‍बन्धित वाद के तथ्‍य इस प्रकार है परिवाद का मृतक गांव के बाहर आम के बाग में लकड़ी काटने हेतु गया जिससे होकर हाईटेंशन इलेक्‍ट्रिक वायर नीचे से जा रहा था जिसके स्‍पर्श से दुर्घटना घटित हुई और  मृतक की मृत्‍यु हो गयी। ऐसी स्थिति में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग की पूर्ण पीठ द्वारा III(1994)CPJ50(NC)शंकर सीताराम जाधव बनाम महाराष्‍ट्र स्‍टेट इलेक्‍ट्रसिटी बोर्ड के वाद में अपने पूर्व पारित निर्णय में प्रतिपादित सिद्धांत के आधार पर यह माना है कि मृतक की मृत्‍यु की क्षतिपूर्ति हेतु प्रस्‍तुत परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्‍ता विवाद नहीं है और परिवाद संधारणीय नहीं है। माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा आन्‍ध्र प्रदेश ईस्‍टर्न पावर डिस्‍ट्रब्‍यूशन कं0 लि0 बनाम जननी सुरम्‍मा के वाद में दिए गए निर्णय का संगत अंश नीचे उद्धत किया जा रहा है:-

"complainant's son who was electrocuted and died during providing help to someone else who had touched live electrical wire on the public road does not fall within the purview of 'consumer' as line which got snapped was not the supply line to complainant's residence but was general transmission  line. In the case in hand, admittedly, complainant went outside the village for cutting firewood and accidentally touched hi-tension live electrical wire and died

-6-

on the spot and there is nothing on record to prove that this line was near deceased's residence or supply to deceased's residence was provided by this line and in such circumstances, deceased does not fall within the purview of 'consumer'.  Learned State Commission has placed reliance on judgment of this Commission in IV (2008) CPJ 139 (NC)- C.G.M., P&O, NPDCL & Ors.  Vs. Koppu Duddarajam & Anr.;  in which order allowing compensation was upheld as live hi-tension wire fell on a farmer who was sitting in front of verandah of Gram Panchayat office alongwith two other persons who died due to electrocution.  Aforesaid judgment is not applicable to the facts and circumstances of the present case because in the aforesaid case, deceased had every right to sit in front of Gram Panchayat office and Panchayat office was using electricity for its office and street lights as villagers  paid tax to Village Panchayat and paid consumption charges to the electricity Company.  On the other hand, in the present case, deceased went outside the village for cutting firewood and touched hi-tension live wire and was electrocuted.  In C.G.M., P&O, NPDCL (supra) case, earlier judgment of three Member bench in Shankar Sitaram Jadhav (supra)  was not considered which has similarity to the facts of this case."

वर्तमान अपील से सम्‍बन्धित वाद में परिवादपत्र के कथन से ही यह स्‍पष्‍ट है कि परिवादी की भैंस की दुर्घटना उसके पैतृक निवास, जिसमें उसके भाई के नाम कनेक्‍शन है, में अथवा उसके पास नहीं हुई है बल्कि उसके आवास से भिन्‍न स्‍थान पर मण्‍डी के सामने चरखारी बाईपास रोड महोबा के पास स्थित 100 के0वी0ए0 क्षमता के पोल माउण्‍टेड ट्रांसफार्मर से

-7-

हुई है। अत: ऐसी स्थिति में वर्तमान वाद के तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए माननीय राष्‍ट्रीय आयोग के उपरोक्‍त निर्णयों में प्रतिपादित सिद्धांत के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी जिस विद्युत कनेक्‍शन का उपभोक्‍ता है उसकी विद्युत आपूर्ति में की गई लापरवाही अथवा त्रुटि अथवा सेवा में कमी के कारण यह दुर्घटना घटित हुई है और प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद जिला फोरम के समक्ष उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत ग्राहय है।

माननीय राष्‍ट्रीय आयोग के उपरोक्‍त निर्णयों के प्रकाश में हम इस मत के हैं कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अधिकार रहित और विधि विरूद्ध है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्‍त करते हुए प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अपना दावा सक्षम अधिकारी अथवा न्‍यायालय के समक्ष प्रस्‍तुत करने की छूट के साथ निरस्‍त किया जाना उचित है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्षों के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्‍त करते हुए परिवाद प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अपना दावा सक्षम न्‍यायालय अथवा अधिकारी के समक्ष प्रस्‍तुत करने की छूट के साथ निरस्‍त किया जाता है।

उभयपक्ष अपील में अपना-अपना वादव्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

                    

      (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)           (बाल कुमारी)

       अध्‍यक्ष                           सदस्‍य             

                                 

 

 

   सुधांशु श्रीवास्‍तव, आशु0

         कोर्ट नं0-1

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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