Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/1010

UPPCL - Complainant(s)

Versus

Harbhajan Singh - Opp.Party(s)

Deepak Mehrotra

24 Mar 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/1010
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. UPPCL
Lakhimpur Khiri
...........Appellant(s)
Versus
1. Harbhajan Singh
Lakhimpur Khiri
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 24 Mar 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0, लखन

अपील संख्‍या-1010/2007

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, लखीमपुर खीरी द्वारा परिवाद संख्‍या 246/2003 में पारित आदेश दिनांक 04-04-2007 के विरूद्ध)

         

यू0पी0 पावर कारपोरेशन लि0 द्वारा इक्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर इलेक्‍ट्रीसिटी डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स डिवीजन गोला, जिला-लखीमपुर खीरी।

                                            ....................अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

हरभजन सिंह पुत्र बहादुर सिंह निवासी-ग्राम-हरदमा परगना-औरंगाबाद तहसील-मोहम्‍मदी जिला-लखीमपुर खीरी।  

  .................प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्‍थी पीठासीन सदस्‍य।

2. माननीय श्री गोवर्धन यादव सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   : श्री वी0एस0 विसारिया विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 20.04.2017

माननीय श्री उदय शंकर अवस्‍‍थी पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

      अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत अपील जिला उपभोक्‍ता फोरम, लखीमपुर खीरी द्वारा परिवाद संख्‍या 246/2003 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04-04-2007 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है।

      '' संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी के कथनानुसार उसके पास पांच हार्स पावर का नलकूप विधुत कनेक्‍शन था, और परिवादी द्वारा विदुत बिल का नियमित भुगतान किया जा रहा था। परिवादी को विदुत खण्‍ड-2 के बरबर फीडर से विदुत सप्‍लाई मिलती थी। बरबर फीडर से लेकर परिवादी के ट्रांसफार्मर तक चार किलोमीटर लम्‍बी 11 हजार वोल्‍ट की लाइन है। दिनॉंक 12-04-2003 को दोपहर लगभग डेढ बजे जिस समय बिजली की सप्‍लाई जारी थी एक तार लटकता हुआ खम्‍बे से टकराकर गन्‍ने के खेतमें गिरा जिससे गन्‍ने के खेत में आग लग गयी, तथा कृषकों की कई एकड फसल जलकर नष्‍ट हो गयी। कृषकों द्वारा फीडर पर जाकर सूचना दी गयी तब जाकर सप्‍लाई लाइन काटी गयी। प्रत्‍यर्थी परिवादी का कहना है कि परिवादी की 08 एकड गेहूँ  की फसल एवं 03 एकड गन्‍ने की फसल जल गयी तथा 1.5 लाख रूपये का नुकसान हुआ।  प्रत्‍यर्थी परिवादी को हुई क्षति को अपीलकर्ता द्वारा सेवा में कमी अभिकथित करते हुए परिवादी द्वारा जिला मंच के समक्ष क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु परिवाद योजित किया गया।

 

      अपीलकर्ता द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रतिवादपत्र प्रस्‍तुत किया गया तथा प्रश्‍नगत प्रकरण में सेवा में त्रुटि नहीं बतायी गयी। विद्वान जिला मंच ने अपीलकर्ता के इस कथन को स्‍वीकार न करते हुए कि परिवादी द्वारा लाइन में खराबी की सूचना न दिये जाने के कारण प्रश्‍नगत दुर्घटना घटित हुई, बल्कि यह मत व्‍यक्‍त करते हुए कि विद्युत विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों का यह दायित्‍व है कि वह विदुत लाइन का सर्वेक्षण करे। यदि कोई कमी है तो उसका निराकरण यथासंभव किया जाना सुनिश्चित करे। अपीलकर्ता द्वारा सेवा में कमी कारित किया जाना मानते हुए विद्वान जिला मंच ने प्रत्‍यर्थी का परिवाद स्‍वीकार किया तथा अपीलकर्ता को निर्देशित किया कि वह निर्णय की तिथि से एक माह के अन्‍दर परिवादी को 50,000/- रूपये क्षतिपूर्ति दिनॉंक-23-08-2003 से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज के साथ भुगतान करे, साथ ही वाद व्‍यय के रूप में 1000/- रूपये का भुगतान किया जाना सुनिश्चित करे। आदेश का अनुपालन निर्धारित समय में न किये जाने पर 12 प्रतिशत चक्रवृद्धि ब्‍याज के सा‍थ निष्‍पादन की विधि सम्‍मत कार्यवाही सम्‍पन्‍न की जायेगी।

      इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी है।

      अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता श्री दीपक मेहरोत्रा तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री वी0एस0 विसारिय के तर्क सुने तथा फाइल का अवलोकन किया।

      अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता श्री दीपक मेहरोत्रा द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत विवाद उपभोक्‍ता विवाद की श्रेणी में नहीं माना जा सकता। प्रत्‍यर्थी परिवादी को प्रदत्‍त विदुत कनेक्‍शन के संबंध में सेवा में कोई त्रुटि किया जाना प्रत्‍यर्थी परिवादी द्वारा अभिकि‍थत नहीं किया गया है। विद्युत हादसे में क्षतिपूर्ति की अदायगी किये जाने का प्रावधान है, किन्‍तु ऐसी घटनाओं में अपीलार्थी की भूमिका सेवा प्रदाता की नहीं होती। यह भुगतान किसी भी ऐसे व्‍यक्ति को जिसे दुर्घटना में क्षति होती है को किया जाता है। यह आवश्‍यक नहीं है कि वह अपीलार्थी का उपभोक्‍ता ही हो। ऐसी क्षतिपूर्ति की अदायगी के संदर्भ में अपीलकर्ता द्वारा पीडित व्‍यक्ति से कोई प्रतिफल प्राप्‍त नहीं किया जाता, बल्कि क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु पब्लिक लायबेल्‍टी बीमा अधिनियम के अन्‍तर्गत प्रावधान वार्णित है। ऐसी दुर्घटनाओं में इस तथ्‍य के निर्धारण हेतु कि अपीलकर्ता द्वारा लापरवाही के कारण दुर्घटना घटित हुई एक अलग से विभाग इलेक्‍ट्रानिक्‍स सिक्‍यारिटी डायरेक्‍ट्रेट निर्मित किया गया है। पीडित व्‍यक्ति से अपेक्षा होती है कि वह विद्युत दुर्घटना के संबंध में रिपोर्ट इलेक्ट्रिकल इन्‍स्पेक्‍टर को करे, जो जॉंच के उपरान्‍त सक्षम अधिकारी के समक्ष अपनी आख्‍या प्रस्‍तुत करता है। इस संदर्भ में उन्‍होंने इलेक्‍ट्रीसिटी एक्‍ट की धारा-161 की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित किया। अपीलकर्ता का यह भी कथन है कि कथित दुर्घटना के समय दिनॉंक-12-04-2003 से पूर्व कोई सूचना अपीलकर्ता को प्राप्‍त नहीं करायी गयी। अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि प्रत्‍यर्थी परिवादी द्वारा कथित क्षतिपूर्ति के आकलन के संदर्भ में कोई साक्ष्‍य जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं की गयी। मात्र अनुमान के आधार पर जिला मंच द्वारा क्षतिपूर्ति का आकलन किया गया।

      अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क में बल प्रतीत होता है। प्रश्‍नगत विवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत परिभाषित उपभोक्‍ता विवाद की श्रेणी में नहीं माना जा सकता। प्रत्‍यर्थी परिवादी के स्‍वीकृत विद्युत कनेक्‍शन में अपीलकर्ता द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं बतायी गयी है। विद्युत दुर्घटना के संदर्भ में प्रत्‍यर्थी परिवादी को उपभोक्‍ता नहीं माना जा सकता। प्रत्‍यर्थी परिवादी विद्युत अधिनियम के अन्‍तर्गत कार्यवाही करने के लिए स्‍वतंत्र है। विद्वान जिला मंच ने विधिक स्थिति का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया है।

                             आदेश

    अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच द्वारा प्रश्‍नगत निर्णय दिनॉंकित-04-04-2007 निरस्‍त किया जाता है। परिवाद निरस्‍त किया जाता है।  निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार प्राप्‍त करायी जाए।                                                  

                                   

  (उदय शंकर अवस्‍थी)                             (गोवर्धन यादव)    

पीठा0सदस्‍य                                   सदस्‍य                    

 

प्रदीप कुमार, आशु0 कोर्ट नं0-3

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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