(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1504/2015
पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड
बनाम
हरबंश लाल पुत्र इन्द्रसेन
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा, विद्वान अधिवक्ता
के कनिष्ठ सहायक श्री मनोज कुमार
प्रत्यर्थी की ओर से उपिस्थत : कोई नहीं।
दिनांक : 22.08.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0-48/2013, हरबंस लाल बनाम पश्चिमांचल विद्युत वितरण खण्ड में विद्वान जिला आयोग, रामपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 8.5.2015 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा के कनिष्ठ सहायक श्री मनोज कुमार को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से पर्याप्त सूचना के बावजूद कोई उपस्थित नहीं है।
2. विद्वान जिला आयोग ने दिनांक 22.11.2011 के बिल के पश्चात परिवादी द्वारा देय बिल राशि में से 27070 यूनिट विद्युत मूल्य घटाकर एवं परिवादी द्वारा जमा राशि अंकन 01 लाख रूपये को समायोजित कर पुन: नियमानुसार विद्युत बिल जारी करने का आदेश दिया है।
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3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी के घर पर एक विद्युत कनेक्शन स्थापित है। दिनांक 22.11.2011 को विपक्षी के कर्मचारी मीटर रीडिंग लेने के लिए परिवादी के घर पर आए और मीटर रीडिंग लेने के बाद अंकन 5448/-रू0 का बिल बनाकर दिया, इस बिल पर मीटर रीडिंग 5242 यूनिट दर्शित की गई थी, जिसका भुगतान दिनांक 22.11.2011 को ही कर दिया गया। इसके बाद दिनांक 8.12.2011 को पुन: मीटर रीडिंग लेने विपक्षी के कर्मचारी आए और बताया कि मीटर की रीडिंग 32312 है, जिस पर परिवादी द्वारा आपत्ति की गई कि 15 दिन बाद इतनी भारी रीडिंग नहीं आ सकती और तदनुसार अंकन 1,05,569/-रू0 का बिल जारी कर दिया। परिवादी द्वारा विद्युत विभाग के कर्मचारी के कहने के अनुसार इस मध्य कुल मिलाकर एक लाख रूपये जमा किए गए।
4. विद्युत विभाग का यह कथन है कि परिवादी द्वारा बिल के अनुसार भुगतान नहीं करता है और मीटर रीडर्स से सांठगांठ कर कम मीटर रीडिंग दर्शाता है।
5. विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवादी के स्तर से कोई त्रुटि न मानते हुए उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।
6. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि मीटर चेक योजना के तहत मीटर चेकिंग की गई तो 32312 यूनिट पायी गयी। परिवादी द्वारा पूर्व में मीटर रीडर्स के साथ सांठगांठ करके कम मीटर रीडिंग दर्शायी गयी थी। स्वंय अपील के ज्ञापन तथा तर्कों के अवलोकन से जाहिर होता है कि 15 दिन पूर्व जो मीटर रीडिंग दर्शायी गयी थी, वह केवल 5242 यूनिट थी, जिसका भुगतान परिवादी द्वारा कर दिया गया, इसके बाद 15 दिन के अंदर उच्च दर से मीटर रीडिंग दर्शायी गयी। यदि पूर्व में कम मीटर रीडिंग दर्शायी गयी है तब इसमें विद्युत विभाग के कर्मचारी का दोष है। कोई उपभोक्ता अपने स्तर से कम मीटर रीडिंग
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अंकित नहीं करा सकता, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा पुन: कनेक्शन जारी करने के संबंध में तथा परिवादी द्वारा जमा राशि को समायोजित करने के संबंध में दिया गया आदेश विधिसम्मत है, इसमें कोई त्रुटि नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष व्यय भार स्वंय अपना-अपना वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय/आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
दि. 22.8.2023
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2