राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-127/2022
कोटक महिन्द्रा लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, कोटक इन्फीनिटी, 7वॉ तल, जोन-1, बिल्डिंग नं0 21, इन्फीनिटी पार्क आफ वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे, जौर्जगॉव मुलुंड लिंक रोड, जनरल एके वैद्य मार्ग, मलाड मलाड (ई) मुम्बई-400097
........... अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2
बनाम
1- हर सुमरन लाल पुत्र श्री नरायन लाल, निवासी धनौर जागीर क्योलडिया तहसील नवाबगंज जिला बरेली।
…….. प्रत्यर्थी/परिवादी
2- कोटक महन्द्रिा बैंक लिमिटेड, जिला बरेली द्वारा ब्रांच मैनेजर।
…….. प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री अविनाश शर्मा
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री अरूण टण्डन
दिनांक :- 14.12.2022
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/ कोटक महिन्द्रा लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-41 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम बरेली द्वारा परिवाद सं0-93/2019 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07.10.2021 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के पिता श्री नरायन लाल द्वारा एक ट्रैक्टर जिसका पंजीयन सं0-यू0पी0 25 सी0सी0 9790 कृषि कार्य हेतु बदायॅू रोड बरेली से क्रय किया गया था एवं उक्त ट्रैक्टर का फाइनेंस प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 से रू0 4,57,000.00 में कराया गया था। प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 द्वारा अपनी सहवर्ती संस्था कोटक महेन्द्रा जनरल इं0कं0लि0 के कार्यालय से बीमा पालिसी सं0-1019616000 द्वारा जारी किया गया, जो कि दिनांक 11.11.2017 से दिनांक 10.11.2018 तक वैध थी। दिनांक 24.11.2018 को प्रत्यर्थी/परिवादी के पिता
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की मृत्यु हो गई, जिसकी सूचना प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 के कार्यालय में दी गई तथा प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 के अधिकारियों द्वारा मॉगे गये सभी प्रपत्र उपलब्ध कराय गये एवं प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 द्वारा सम्बन्धित बीमा कम्पनी में कार्यवाही करने का आश्वासन दिया गया एवं इसी अवधि में लोन की पॉचवी किस्त अदा करने की तिथि भी आ गयी और प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी से लोन की पॉचवी किस्त रू0 38,500.00 दिनांक 07.01.2019 को यह कहकर जमा करा ली गई कि सुरक्षा बीमा करने वाली कम्पनी ने अभी बकाया ऋण की धनराशि का भुगतान नहीं किया है और कम्पनी द्वारा बकाया ऋण का भुगतान करते ही वह प्रत्यर्थी/परिवादी को वाहन स्वामी/बीमाधारक की मृत्यु पश्चात जमा की गयी लोन की पॉचवी किस्त की धनराशि का चेक व ''नो डयूज प्रमाण पत्र'' वाहन पर बकाया ऋण न होने सम्बन्धी अनापत्ति प्रमाण पत्र उपलब्ध करा देगा।
प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 द्वारा उपलब्ध करायी गयी रसीदों में पार्टी आई0डी0 246274355 अंकित है तथा बीमा प्रमाण पत्र क्रमांक सी0सी0 0000 टी0एफ0एफ0 5606598239357464 तथा बीमित कवर धनराशि रू0 48000.00 की है। प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार पालिसी प्रस्ताव फार्म को विपक्षी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी के पिता नरायन लाल के नाम से भरा गया था, क्योंकि प्रश्नगत वाहन की फाइनेंस की ऋण धनराशि का भुगतान तथा ऋण करार नरायन लाल के नाम से ही किया गया था, लेकिन विपक्षी की त्रुटिवश उक्त बीमा प्रमाण पत्र में पालिसीधारक/बीमित/सदस्य के स्थान पर प्रत्यर्थी/परिवादी तथा नामिनी के स्थान पर प्रत्यर्थी/परिवादी के पिता नरायन लाल का नाम अंकित हो गया तथा बकाया ऋण धनराशि सम्बन्धित बीमा कम्पनी से समायोजित कर वाहन स्वामी मृतक के विधिक उत्तराधिकारियों के पक्ष में प्रश्नगत ट्रैक्टर पर बकाया ऋण न होने सम्बन्धी अनापत्ति प्रमाण पत्र निर्गत करने और प्रत्यर्थी/परिवादी के पिता वाहन स्वामी मृतक क मृत्यु पश्चात दिनांक 07.01.2019 को प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा जमा करायी गयी पॉचवी किस्त की धनराशि रू0 38,500.00 वापस करने हेतु कहा लेकिन कोई उत्तर
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नहीं दिया गया, अत्एव प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।
प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एक पक्षीय रूप से अग्रसारित की गई। अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 की ओर से जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख अपना लिखित कथन प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों का विरोध किया तथा यह कथन किया कि परिवाद पोषणीय नहीं है। यह भी कथन किया गया कि सुमरन लाल ऋण लेने वाले थे और नरायन लाल नामिनी थे। यह भी कथन किया कि नरायन लाल का बीमा नहीं था, इसलिए क्लेम नहीं दिया जा सकता है। अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है, अत: परिवाद खारिज होने योग्य है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवादी के परिवाद को स्वीकार किया है, जिससे क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/कोटक महिन्द्रा लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड द्वारा प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अविनाश शर्मा तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अरूण टण्डन को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्य और विधि के विरूद्ध है। यह भी कथन किया गया कि प्रत्यर्थी के पिता श्री नरायन लाल द्वारा ट्रैक्टर की खरीद हेतु बैंक से ऋण प्राप्त किया गया था और उसी ऋण की सुरक्षा हेतु बैंक के माध्यम से उसका बीमा, अपीलार्थी बीमा कम्पनी से कराया गया था एवं अपीलार्थी बीमा कम्पनी द्वारा बीमा कराने कोई त्रुटि नहीं की गई है।
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यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा इस तथ्य पर विचार नहीं किया गया कि पालिसी कवर नोट श्री हर सुमरन लाल के नाम से जारी किया गया, जिसमें उसने अपने पिता श्री नरायन लाल को नामिनी नियुक्त किया था, इसलिए नामिनी व्यक्ति की मृत्यु पर परिवादी/शिकायतकर्ता को दावे की राशि प्रदान नहीं की जा सकती है। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी द्वारा सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई है। अपीलार्थी की ओर से जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश को अपास्त कर अपील को स्वीकार किये जो की प्रार्थना की गई है।
प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि अनुकूल है और उसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
मेरे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता द्व्य को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
मेरे द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि प्रत्यर्थी सं0-2 कोटक महिन्द्रा बैंक लिमिटेड एवं अपीलार्थी कोटक मन्द्रिा लाइफ इश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड दोनों एक ही संस्थान की दो शाखायें है एवं एक दूसरे के पूरक भी हैं एवं विपक्षीगण की गलती के कारण ही ऋण के संबंध में प्रत्यर्थी/परिवादी हर सुमरन लाल का नाम दर्ज हो गया है, जो कि अपीलार्थी विपक्षी बीमा कम्पनी की सेवा में स्पष्ट कमी को दर्शाता है। उक्त समस्त तथ्यों पर विस्तार से चर्चा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपने प्रश्नगत निर्णय/आदेश में की है तथा समस्त तथ्यों पर विचारोंपरांत परिवाद स्वीकार किया गया है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि अनुकूल है, उसमें किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपील स्तर पर इंगित नहीं की जा सकी है, विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में किसी प्रकार के
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हस्तक्षेप की आवश्यकता अपील स्तर पर प्रतीत नहीं हो रही है, तद्नुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को नियमानुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश आशु.,
कोर्ट नं0-1