जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 453/2018 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-15.11.2018
परिवाद के निर्णय की तारीख:-10.08.2022
हेमलता पाण्डेय पत्नी श्री अशोक कुमार पाण्डेय निवासी म0नं0 1, सरोजनी नगर, शान्ति नगर, (हज हाउस के सामने) लखनऊ-226008 ।
............परिवादिनी।
बनाम
हैप्पी कुकरेजा, निदेशक, इंस्टीट्यूट ऑफ करियर इन स्टॉक मार्केट (ICSM) कार्यालय पता जी-52, माधव कॉम्प्लेक्स, राम नगर, आलमबाग, लखनऊ-226005 (उ0प्र0) ।
............विपक्षी।
आदेश द्वारा-श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
निर्णय
1. परिवादिनी ने प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत विपक्षी से चॅूंकि उपरोक्त कोर्स/संस्था कहीं से भी पंजीकृत अथवा मान्य नहीं है अत: प्रमाण पत्र भी अमान्य है। अत: समस्त शुल्क 48,500.00 रूपये तथा क्षतिपूर्ति के रूप में शुल्क देय तिथि से 18 प्रतिशत ब्याज सहित, विपक्षी से समाधान हेतु किये प्रयासों में हुआ व्यय 10,000.00 रूपये बतौर क्षतिपूर्ति, मानसिक, व शारीरिक कष्ट के लिये 20,000.00 रूपये, पुत्र प्रथम पाण्डेय के तीन माह का समय बर्बाद करने की मद में प्रति माह 20,000.00 रूपये अर्थात 60,000.00 रूपये, एवं वाद व्यय 15,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया गया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पुत्र प्रथम पाण्डेय को इंस्टीट्यूट ऑफ करियर इन स्टॉक मार्केट (ICSM) कार्यालय के हैप्पी कुकरेजा द्वारा कोर्स की अवधि छ: माह बतायी गयी तथा संस्था को श्रम मंत्रालय नई दिल्ली से पंजीकृत बताया गया था। परिवादिनी के पुत्र ने डिप्लोमा इन स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग एण्ड एनालिसिस के कोर्स में दिनॉंक 06.03.2018 को दाखिला लिया था, जिसका छ: माह के कोर्स का शुल्क 48,500.00 रूपये बताया गया था तथा कोर्स की समाप्ति के पूर्व ही नौकरी की प्रत्याभूत दी गयी।
3. परिवादिनी के पुत्र ने दिनॉंक 06.03.2018 को संस्था में दाखिला लिया था तथा शुल्क प्राप्ति 20,500.00 रूपये रसीद संख्या 113 है, तथा दूसरी शुल्क प्राप्ति 7,000.00 रूपये रसीद संख्या 116, तथा तीसरी व अन्तिम शुल्क प्राप्ति 21,000.00 रूपये रसीद संख्या 121 दिनॉंक 05.05.2018 कुल 48,500.00 रूपये विपक्षी द्वारा लिया गया। परिवादिनी के पुत्र को छ: माह का कोर्स बताकर प्रमाण पत्र 03 माह में ही दे दिया गया। फर्जी प्रमाण पत्र के संबंध में विपक्षी को प्रमाण पत्र की देय तिथि से ही लगातार व्यक्तिगत रूप से मिलकर तथा लिखित रूप से भी बताया गया किन्तु विपक्षी द्वारा परिवादिनी की बातों को नजरंदाज किया जाता रहा, जिससे परिवादिनी के पुत्र को अवसाद होता चला गया।
4. परिवादिनी संस्था के फर्जी होने से अत्यन्त दुखी है तथा विपक्षी से परिवादिनी दिये गये शुल्क 48,500.00 रूपये प्राप्त करने की अधिकारी है।
5. विपक्षी ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए परिवाद पत्र के अधिकांश कथनों से इनकार करते हुए अतिरिक्त कथन किया कि परिवादिनी द्वारा विपक्षी को नोटिस दिनॉंक 30.08.2018 को एवं पुन: दूसरा नोटिस 07.09.2018 को भेजा गया था जो विपक्षी के पड़ोसी व ऑन्टी को प्राप्त हुई थी जिसके सन्दर्भ में छात्र प्रथम पाण्डेय द्वारा यह मॉंग की गयी थी कि उसे उक्त को कोर्स पूरा जिसकी अवधि कुल छ: माह है, पूरा करवायें अथवा उसके द्वारा दी गयी कुल फीस उसे वापस करें जिसके सन्दर्भ में यह तथ्य माननीय न्यायालय के संज्ञान में लाना उचित होगा कि विपक्षी ने मोबाइल फोन के जरिए छात्र को यह सूचित किया था कि विपक्षी छात्र को पूरा कोर्स छ: माह की अवधि में पूरा कराने को तैयार है, फीस वापस करना संभव नहीं है क्यों कि इन्स्टीट्यूट में कई स्टाफ हैं जिनको संस्था द्वारा प्रति माह वेतन दिया जाता है, किन्तु छात्र न तो विपक्षी के इन्स्टीट्यूट आया और न ही विपक्षी से संपर्क किया।
6. विपक्षी की संस्था लेबर डिपार्टमेंट उ0प्र0 लखनऊ से पंजीकृत है, तथा संबंधित सी0ए0 द्वारा दिये गये सर्टिफिकेट से प्रमाणित है। संबंधित छात्र को यह पूर्ण जानकारी है कि प्रश्नगत कोर्स की अवधि छ: माह है, यदि कोई छात्र सप्ताह में दो क्लास अटेण्ड करता है किन्तु यदि कोई छात्र निवेदन करता है और सप्ताह में चार दिन क्लास अटेण्ड करता है या एक्स्ट्रा क्लास अटेण्ड करता है तो संस्था ऐसे छात्र के निवेदन पर उपरोक्त कोर्स तीन माह में पूरा करा देती है जैसा कि परिवादिनी के पुत्र प्रथम पाण्डेय के अनुरोध पर संस्था द्वारा किया गया है जो कि परिवादिनी की पूर्ण जानकारी में है।
7. संस्था की वेबसाइट WWW.icsmindia.com पर 100% Placement Assistance दर्शाया गया है जिसका अर्थ है कि संस्था द्वारा हर छात्र को हर संभव पाठ्य सामग्री उपलब्ध करायी जायेगी तथा जॉब लगाने में मदद की जायेगी क्योंकि संस्था का उद्देश्य हर छात्र का सर्वांगीण विकास करना है न कि उसको सेवायोजित कराना जो कि परिवादिनी व छात्र की पूर्ण जानकारी में है। परिवादिनी द्वारा जो आरोप लगाये गये हैं वह बिल्कुल निराधार है।
8. माननीय न्यालय के संज्ञान में यह तथ्य लाना उचित होगा कि परिवादिनी द्वारा विपक्षी पर यह आरोप लगाया गया है कि परिवादिनी के पुत्र को संस्था द्वारा अध्ययन सामग्री उपलब्ध नहीं करायी गयी निराधार है। सत्यता यह है कि संस्था द्वारा अध्ययन का basic material हर छात्र की मेंल आई0डी0 पर उपलब्ध करायी जाती है तथा कोर्स के एडवान्स पार्ट के नोट्स हाथ से प्रत्येक छात्र को लिखवाकर तथा बोल-बोल कर बताये जाते हैं जो कि परिवादिनी के पुत्र की मेल आई0डी0 पर भी उपलब्ध करायी गयी थी। माननीय न्यायालय के समक्ष संस्थित परिवाद तथ्यों एवं परिस्थितियों के अनुसार विधिक रूप से पोषणीय नहीं है। अत: खारिज होने योग्य है।
9. परिवादिनी ने अपने साक्ष्य में शपथ पत्र तथा उसके साथ दस संलग्नक लगाये हैं, जो परिवाद के सम्बनध में आधार के रूप में हैं, जिसके आधार पर परिवादिनी द्वारा अपनी प्रार्थना को बल प्रदान करने के संबंध में हैं।
10. विपक्षी द्वारा भी साक्ष्य शपथ पत्र मय छ: संलग्नकों के साथ प्रस्तुत किया है तथा परिवाद को मय हर्जे खर्चे के खारिज होने योग्य बताकर निरस्त करने की मॉंग की है।
11. परिवादिनी ने साक्ष्य में विपक्षी द्वारा दी गयी फीस की रसीदें दिनॉंकित 06.03.2018, 07.04.2018, 05.05.2018 तथा विपक्षी द्वारा दिया गया प्रमाण पत्र, विपक्षी को परिवादिनी द्वारा भेजा गया पत्र आदि की छायाप्रति दाखिल की गयी हैं।
12. विपक्षी ने भी साक्ष्य में शपथ पत्र तथा आधार कार्ड, प्रथम पाण्डेय को भेजा गया जवाब, लेबर डिपार्टमेंट उ0प्र0 द्वारा जारी संबंधित प्रमाण पत्र, सी0ए0 द्वारा जारी प्रमाण पत्र, एवं अन्य प्रपत्र दाखिल किये गये हैं।
13. पत्रावली में उपलब्ध तथ्यों, साक्ष्यों तथा अभिलेखों का परिशीलन किया गया जिसके अवलोकन से प्रतीत होता है कि परिवादिनी के पुत्र प्रथम पाण्डेय ने इस्टीट्यूट ऑफ करियर इन स्टाक मार्केट में (ICSM) हैप्पी कुकरेजा द्वारा चलाये जा रहे छ: माह के कोर्स के लिये दिनॉंक 06.03.2018 को पंजीकृत कराया था जिसके लिये शुल्क कुल 48,500.00 रूपये का भुगतान किया गया। परिवादिनी का आरोप है कि उन्हें बताया गया था कि उपरोक्त कोर्स छ: माह का होगा परन्तु प्रमाण पत्र 03 माह में ही दे दिया गया और उनके बार बार विपक्षी से संपर्क करने पर कोर्स पूरा नहीं कराया गया जिसके कारण उनका पुत्र अवसादग्रस्त होता चला गया। इस कारण परिवादिनी समस्त शुल्क क्षतिपूर्ति आदि के साथ वापस चाहती है।
14. विपक्षी द्वारा आरोपों से इनकार करते हुए उल्लेख किया गया है कि छात्र को सूचित किया गया कि वह छ: माह का कोर्स फिर से कराने को तैयार है, क्योंकि वह पैसा आंतरिक कारणों से वापस नहीं कर सकता। विपक्षी ने कहा है कि संस्था एक पंजीकृत संस्था है तथा सर्टिफिकेट प्रमाणित है और उनके द्वारा छात्रों को छ: माह का कोर्स सप्ताह में दो क्लास के स्थान पर चार दिन क्लास अटेण्ड कराता है और एक्स्ट्रा क्लास के कारण कोर्स 03 माह में पूरा करा देते हैं। इसकी जानकारी परिवादिनी को दी गयी थी। प्लेसमेंट के लिये विपक्षी द्वारा हर संभव पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराकर मदद की जाती है, जिससे छात्रों का सर्वांगीण विकास होता है, पर सेवायोजन कराना उनका दायित्व नहीं है।
15. विपक्षी का कथन है कि उनके द्वारा परिवादिनी के पुत्र को अध्ययन सामग्री उपलब्ध करायी गयी और कोर्स के एडवान्स पार्ट के नोट्स परिवादिनी के पुत्र की आई0डी0 पर उपलब्ध करायी गयी। विपक्षी ने परिवादिनी के परिवाद को निरस्त होने योग्य बताया है।
16. बहस के दौरान परिवादिनी ने संस्था के वैद्य न होने का आरोप भी लगाया गया है जो विपक्षी द्वारा प्रस्तुत विभिन्न प्रमाण पत्र से सत्य प्रतीत नहीं होता है। स्टाक मार्केट एक अनिश्चितता भरा मार्केट है जिसकी भविष्यवाणी करना संभव नहीं है। स्टाक मार्केट के विषय में कागजी या किताबी जानकारी ही पर्याप्त नहीं होती। इसमें कार्य करने, अध्ययन करने, व्यवहारिक जानकारी मार्केट के वोकर्स के टर्मिनल में बैठकर व्यवहारिक जानकारी लेना तथा ट्रेनिंग प्राप्त करना भी आवश्यक होता है। मार्केट के उतार चढ़ाव तथा उसके मूवमेंट को देखने तथा व्यवहारिक ज्ञान लेना आवश्यक होता है। स्टाक मार्केट की जानकारी के लिये स्टाक एवं कम्पनियों के कार्य एवं उनकी बैलेंस सीट का गहन अध्ययन भी आवश्यक होता है। इसके लिये सब बोकर्स के आउटलेट पर बैठक कर ट्रेनिंग लेना आवश्यक होता है जिससे मार्केट के मूवमेंट, उसके उतार-चढ़ाव की जानकारी हो सके। स्टाक मार्केट के अध्ययन के मुख्य आधार दो होते हैं प्रथम Fundamental अध्ययन और द्वितीय Technical अध्ययन। इन दोनों प्रकार के अध्ययन अति आवश्यक होते हैं।
17. स्टाक मार्केट में सफल होने, उसमें नौकरी पाने के लिये केवल कागजी और किताबी अध्ययन ही पर्याप्त नहीं होता है जो विपक्षी द्वारा दावा किया जा रहा है। विपक्षी द्वारा केवल अध्ययन सामग्री प्राप्त कराना, बेसिक मैटेरियल को छात्र की आई0डी0 पर उपलब्ध कराना, कोर्स के एडवान्स पार्ट को नोट्स प्रत्येक छात्र को लिखवाकर तथा बोल बोल कर बताना और आई0डी0 पर उपलब्ध कराना ही पर्याप्त नहीं होता क्योंकि स्टाक मार्केट का अध्ययन बिना प्रेक्टिकल पढ़ाई के अधूरा होगा और अपूर्ण रहेगा।
18. परिवादिनी के परिवाद पत्र के कथन से एवं विपक्षी के दावे में से यह परिलक्षित नहीं होता है कि छात्रों को स्टाक मार्केट की प्रेक्टिकल पढ़ाई भी करायी गयी। चॅूकि स्टाक मार्केट के व्यवहारिक/प्रेक्टिकल पढ़ाई नहीं करायी गयी तो निश्चित रूप से छात्रों की पढ़ाई और ट्रेनिंग में कमी रहना लाजमी है। अत: विपक्षी का दावा इस स्तर पर सहीं नहीं है। कोई भी कोर्स स्टाक मार्केट के संबंध में प्रेक्टिकल पढ़ाई के बिना अधूरा रहता है और ऐसी पढ़ाई से छात्र को कोई लाभ नहीं हो सकता।
19. उपरोक्त आधार के दृष्टिगत यदि विपक्षी द्वारा अपने उत्तर पत्र एवं साक्ष्य शपथ पत्र में यह पेशकश की गयी है कि छात्र को पूरा कोर्स छ: माह की अवधि का पूरा कराने को तैयार हैं, क्यों कि फीस वापस करना विभिन्न कारणों की वजह से संभव नहीं है, तो यह उचित प्रतीत होता है कि परिवादिनी अपने पुत्र को विपक्षी की पेशकश को स्वीकार करते हुए छ: माह का कोर्स प्राप्त करा ले और विपक्षी मात्र कागजी एवं किताबी ज्ञान ही ने देकर बल्कि प्रेक्टिकल ज्ञान स्टाक मार्केट का भी इस छ: माह की अवधि में छात्र को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। स्टाक मार्केट का वास्तविक ज्ञान प्रेक्टिकल पढ़ाई से ही हो सकता है। इसलिये उपर्युक्त विवेचना के आधार पर स्टाक मार्केट की वास्तविक एवं प्रेक्टिकल पढ़ाई भी दिया जाना अपेक्षित है।
20. यदि विपक्षी द्वारा स्वयं ही यह पेशकश की गयी है कि वे छात्र को छ: माह का कोर्स कराने को तैयार हैं तो परिवादिनी इस पेशकश के आधार पर अपने पुत्र को पूर्ण कोर्स का अध्ययन करा ले। यहॉं यह आवश्यक है कि विपक्षी द्वारा स्टाक मार्केट की ट्रेनिंग उपर्युक्त विवेचना एवं सुझाव के आधार पर स्टाक मार्केट का व्यवहारिक एवं प्रेक्टिकल पढ़ाई किसी स्टाक मार्केट के टर्मिनल पर बैच में ले जाकर ट्रेनिंग दिलाये और उन्हें परिपक्व करें, ताकि उनकी स्टाक मार्केट की पढ़ाई पूर्ण हो सके। यह सत्य है कि कोई भी संस्था किसी छात्र को प्लेसमेंट की गारंटी नहीं दे सकता। अत: परिवादिनी को पुत्र के छ: माह के कोर्स उपरोक्त दिये गये निर्देश के साथ पूर्ण कराने के अतिरिक्त अन्य मॉंगों में बल प्रतीत नहीं होता है।
आदेश
उपरोक्त विवेचना के आधार पर विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि दिये गये निर्देश के क्रम में उनके द्वारा पेशकश पूर्ण कोर्स दिये जाने के आधार पर परिवादिनी के पुत्र को छ: माह का कोर्स प्रदान करें। परिवादिनी को निर्देशित किया जाता है कि वह विपक्षी की पेशकश के आधार पर न्यायालय द्वारा दिये गये प्रेक्टिकल पढ़ाई के साथ पूर्ण छ: माह का कोर्स अपने पुत्र को प्राप्त कराये। परिवादिनी के परिवाद में अन्य मॉंग में बल न होने के कारण निरस्त किया जाता है।
(सोनिया सिंह) (अशोक कुमार सिंह ) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(सोनिया सिंह) (अशोक कुमार सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक:-10.02.2022