Uttar Pradesh

Ghazipur

CC/189/2014

Deepak Kumar Singh - Complainant(s)

Versus

Hanumanteshwar Singh (Urf Deepak) - Opp.Party(s)

Shri Rudra Kumar Rai

05 Aug 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM GHAZIPUR
COLLECTORATE COMPOUND, DISTRICT- GHAZIPUR
 
Complaint Case No. CC/189/2014
 
1. Deepak Kumar Singh
S/O Kamal Kishore Singh, Village- Medanipur, Pargana- Zamania, District- Ghazipur
...........Complainant(s)
Versus
1. Hanumanteshwar Singh (Urf Deepak)
S/O Ashwani Singh, Village- Akhatiyarpur, Post- Lawa, Police Station- Nonhara, District- Ghazipur
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MRS. Paramsheela PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Manoj Kumar MEMBER
 
For the Complainant:Shri Rudra Kumar Rai, Advocate
For the Opp. Party: Shri Sita Ram Rai, Advocate
ORDER

परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी के विरुद्ध प्रस्‍तुत करते हुए कहा है कि वह विपक्षी का उपभोक्‍ता है और विपक्षी से सवा चार लाख रूपये उसको पाना है। विपक्षी ने दि0 20-06-2013 को चेक नं0 433687 एस0बी0आई0 शाखा सुसुण्‍डी द्वारा रू0 4,25,000/- परिवादी को दिया। परिवादी द्वारा उक्‍त चेक को क्‍लीयरेंस हेतु, अपने खाता नं0 30240836322 एस0बी0आई0 मिश्र बाजार में दि0 20-06-2013 को जमा पर्ची के माध्‍यम से जमा किया गया जो विपक्षी के खाते में पर्याप्‍त धनराशि न होने के कारण अनादृत कर दिया गया। विपक्षी को पता था कि उसके खाते में पूर्ण धनराशि नहीं है, इसके बावजूद विपक्षी द्वारा सेवा में कमी करके उक्‍त चेक दिया गया जो विपक्षी की घोर लापरवाही एवं सेवा में कमी है। परिवादी बार-बार विपक्षी से उक्‍त रकम के भुगतान के लिए कहता रहा लेकिन विपक्षी ने उक्‍त धनराशि का भुगतान नहीं किया। परिवाद का कारण दि0 20-06-2013 को व चेक जमा करने की तिथि 25-06-2013 व चेक अनाद्रित करने की तिथि दि0 27-06-2013 व भुगतान से आखिरी रूप से इनकार करने की तिथि दि0 12-07-2014 को उत्‍पन्‍न हुआ। उपरोक्‍त कथनों के साथ परिवादी ने अपने परिवाद के माध्‍यम से उक्‍त चेक की धनराशि सवा चार लाख रूपये दि0 20-06-2013 से भुगतान की तिथि तक 15% ब्‍याज के साथ दिलाये जाने के साथ ही साथ रू0 5,000/- क्षतिपूर्ति एवं रू0 2000/- वाद व्‍यय दिलाये जाने की याचना किया है।

     विपक्षी को सूचना भेजी गयी। उसने उपस्थित होकर अपना जवाब परिवाद प्रस्‍तुत करते हुए कहा है कि विपक्षी ने परिवादी से रूपये सवा चार लाख कभी भी उधार नहीं लिया। परिवादी ने गलत तथ्‍यों के आधार पर परिवाद प्रस्‍तुत किया है। प्रश्‍नगत धनराशि के बावत अन्‍तर्गत धारा-138 एन.आई.ए. ऐक्‍ट 1881 के तहत विपक्षी के विरुद्ध दि0 06-08-2013 को सी.जे.एम. गाजीपुर के न्‍यायालय में वाद दाखिल किया गया है जिसमें विपक्षी ने हाजिर होकर जमानत करा लिया है तथा वाद सं0 3388/2013 है । उपरोक्‍त वाद में साक्ष्‍य अन्‍तर्गत धारा - 244 जा0फौ0 नियत है। चॅूकि मामला सी.जे.एम. न्‍यायालय में लम्बित है, ऐसी स्थिति में जिला उपभोक्‍ता फोरम को प्रश्‍नगत प्रकरण को सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है। परिवाद पोषणीय नहीं है। अत: पोषणीयता के बिन्‍दु पर सुनवाई आवश्‍यक है।  उपरोक्‍त कथनों के साथ विपक्षी ने परिवादी के परिवाद को निरस्‍त करने की मॉंग किया है।

 

     पक्षों द्वारा अपने-अपने समर्थन में, प्रपत्र 5ग, 6ग, 7ग, 8ग, व 15ग/1 लगायत 15ग/3 नकल वाद सं0 3880/13, तथा लिखित बहस परिवादी प्रपत्र 17ग एवं लिखित बहस विपक्षी 23ग/1 ता 23ग/2 प्रस्‍तुत किये गये हैं ।

       परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में 2010(3) सी.पी.आर. 266, 2010 (4) सी.एल.टी. 423, नेशनल कमीशन प्रस्‍तुत किये हैं वहीं पर विपक्षी द्वारा अपने जवाब परिवाद के मर्थन में, 2015 (1) सी.पी.आर. 350 (एन.सी.) सिविल अपील सं0 2903/2009, निर्णीत दि0 29 अप्रैल, 2009 प्रस्‍तुत किया गया है।

 

         फोरम द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍त गण की बहस सुनी गयी। पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त साक्ष्‍यों का अवलोकन किया गया।

         पत्रावली पर  कागज सं0 7ग प्रस्‍तुत है जिसमें दीपक कुमार के नाम से  दि0 20-06-13 को  रू0 4,25,000/- का चेक काटा गया, उक्‍त चेक को परिवादी ने  अपने खाते में जमा किया लेकिन वह चेक डिसऑनर हो गया जो आज तक परिवादी को अप्राप्‍त है। अत: प्रश्‍नगत प्रकरण में केस नं0 3388/13  पक्षों के बीच 138 एन आई ए ऐक्‍ट के तहत सी जे एम अदालत में परिवाद पंजीकृत है जिसमें विपक्षी  ने अपनी जमानत करा लिया है और विपक्षी का यह कहना है कि परिवादी एक ही मामले के सम्‍बन्‍ध में दो अदालतों से लाभ लेना चाहता है जबकि परिवादी का परिवाद पत्र और पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्र 15ग से स्‍पष्‍ट जा‍हिर है कि परिवादी ने जिस अनुतोष की याचना किया है, दोनों में आपास में भिन्‍नता है। इसलिए विपक्षी का तर्क बलहीन है। यह सत्‍य है कि परिवादी का पैसा विपक्षी ने आज तक  परिवादी को प्राप्‍त नहीं कराया है जो उसकी सेवा में लापरवाही और त्रुटि का द्योतक है।  विपक्षी को चाहिए कि यदि उसके खाते में पर्याप्‍त धन नहीं है तो वह चेक न काटे। चेक निर्गत करना, अपर्याप्‍त धन होना, क्‍लीयरेंस न होना सेवा में त्रुटि एवं विसंगति है। विपक्षी की लापरवाही के कारण अभी तक परिवादी का पैसा परिवादी को प्राप्‍त नहीं हुआ है तो प्राप्‍त होना आवश्‍यक एवं न्‍याय सगत है। अस्‍तु उपरोक्‍तानुसार परिवादी का परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।

                              आदेश       

           परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि वह चेक की धनराशि रू0 4,25,000/- दि0 20-06-13 से 06 प्रतिशत  ब्‍याज एवं रू0 1,000/- शारीरिक, मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में, परिवादी को अन्‍दर दो माह प्राप्‍त करायेंगे। अवधि बीत जाने पर उपरोक्‍त धनराशि पर 09% प्रतिशत ब्‍याज देय होगा।

           इस निर्णय की एक-एक प्रति पक्षकारों को नि:शुल्‍क दी जाय।

 निर्णय आज खुले न्‍यायालय में, हस्‍ताक्षरित, दिनांकित कर, उद्घोषित किया गया।

 
 
[HON'BLE MRS. Paramsheela]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Manoj Kumar]
MEMBER

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