Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/154

Gen Manager Northern Railway - Complainant(s)

Versus

Hanuman Prasad Yadav - Opp.Party(s)

Prem Prakas Srivastava

09 Aug 2012

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/154
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Gen Manager Northern Railway
Delhi
...........Appellant(s)
Versus
1. Hanuman Prasad Yadav
-
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, 0 प्र0 लखनऊ

                   अपील संख्‍या  154 सन  2012   सुरक्षित

 (जिला उपभोक्‍ता फोरम, द्वतीय मुरादाबाद के  परिवाद  संख्‍या-169/2010 में  पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17-11-2011 के विरूद्ध)

1-जी0एम0 उत्‍तर रेलवे  बड़ौदा हाऊस नई दिल्‍ली।

2-डी0आर0एम0 उत्‍तर रेलवे  सिविल लाइन, मुरादाबाद।

     ..अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

                             बनाम

हनुमान प्रसाद यादव पुत्र श्री देशराज निवासी- डी.आई.2, ई.डब्‍लू. एस. हिमगिरी कालोनी, मुरादाबाद।                             ...प्रत्‍यर्थी/परिवादी                                                                                                                                          

समक्ष:-

   1-मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन न्‍यायिक सदस्‍य।

   2-मा0  श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य।                            

अधिवक्‍ता  अपीलार्थी   : श्री पी0पी0 श्रीवास्‍तव, विद्वान अधिवक्‍ता।

अधिवक्‍ता प्रत्‍यर्थी     : श्री एस0के0 शर्मा के सहयोगी श्री एस0पी0 पाण्‍डेय।

दिनांक01-01-2015

मा0 श्री  अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन न्‍यायिक सदस्‍य, द्वारा उदघोषित।

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील अपीलार्थी ने विद्वान जिला मंच, द्वतीय मुरादाबाद द्वारा परिवाद  संख्‍या-169/2010 हनुमान प्रसाद यादव बनाम  जी0एम0 उत्‍तर रेलवे व अन्‍य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17-11-2011 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई है, जिसमें परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वह आदेश की तिथि से दो माह के अन्‍दर परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में 5,000-00 रूपये की धनराशि अदा करें। शेष अनुतोष के लिए परिवाद निरस्‍त किया जाता है। निर्धारित अ‍वधि में भुगतान न किये जाने की दशा में परिवादी विपक्षीगण से आदेश की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक उक्‍त धनराशि पर 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज भी पाने का अधिकारी होगा।

संक्षेप में केस के तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी ने दिनांक-01-09-2009 को मुरादाबाद से फतेहपुर जाने के लिए ट्रेन सं0-4114 डाऊन लिंक एक्‍सप्रेस में दो टिकट बुक कराये। परिवादी ने उसी दिन ही वापसी दिनांक-06-09-2009 का रिजर्वेशन संगम एक्‍सप्रेस गाड़ी  4163 फतेहपुर से मुरादाबाद के दो व्‍यक्तियों के

(2)

टिकट बुक काराये, जिनका पी.एन.आर. नं0-23613691717 था। परिवादी और उसकी पत्‍नी को कोच नं0-7 में बर्थ सं0-10 व 13 एलाट/कन्‍फर्म की गई थी। टिकट में परिवादी एवं उसकी पत्‍नी की उम्र लिखी हुई थी। परिवादी एवं उसकी पत्‍नी का नाम  श्रीमती शान्ति देवी रिजर्वेशन स्लिप पर अंकित है तथा टी.टी.ई. द्वारा जो पेनाल्‍टी की रसीद दी गई है, उसमें भी श्रीमती एस0 देवी दर्शाया गया है। परिवादी व उसकी पत्‍नी दिनांक-06-09-2009 को संगम एक्‍सप्रेस में अपने कन्‍फर्म सीट पर सफर कर रहे थे, जब  गाड़ी कानपुर रेलवे स्‍टेशन पर पहुंची तो वहॉ काफी भीड़ थी। टी.टी.ई. परिवादी की सीट पर आये और टिकट मांगा, टिकट देखकर उसे परिवादी को वापस कर दिया, उन्‍होंने  एक व्‍यक्ति को परिवादी की सीट पर एडजेस्‍ट करने के लिए कहा, जिससे परिवादी ने इंकार कर दिया, इससे टी.टी.ई. महोदय, परिवादी से नाराज हो गये और परिवादी से दोबारा टिकट दिखाने को कहा, दोबारा टिकट देने पर टी.टी.ई. महोदय ने कहा कि तुम्‍हारी दूसरी सवारी जो साथ में बैठी है, उसकी उम्र ज्‍यादा है, यह वह पैसेंजर नहीं है, जिसका रिजर्बेशन है। परिवादी ने टी.टी.ई. महोदय को काफी समझाने का प्रयास किया कि दूसरी सवारी उसकी पत्‍नी है और उसकी उम्र 40 वर्ष है, जितनी टिकट  में लिखी है, परन्‍तु टी.टी.ई. महोदय ने नहीं सुना और रंजीशन परिवादी की पत्‍नी को अन्‍य पैसेंजर मानते हुए 235-00 रूपये किराया और 250-00 रूपये अतिरिक्‍त चार्ज लगाते हुए 485-00 रूपये की रसीद बना दिया और जबरदस्‍ती यह धनराशि परिवादी से वसूल कर ली। दूसरी बर्थ उसकी पत्‍नी के नाम एलाट थी। टी.टी.ई.  महोदयने अन्‍य पैसेंजर के सामने परिवादी से अभद्र व्‍यवहार किया उसे और उसकी पत्‍नी को डांटा-फटकारा और परिवादी से अवैध वसूल किये गये पैसे वापस नहीं किये। परि‍वादी को काफी आर्थिक, मानसिक व सामाजिक हानि हुई। परिवादी ने टी.टी.ई. महोदय के इस कृत्‍य की मौखिक और लिखित रूप से शिकायतें भी की। अत: परिवादी द्वारा विपक्षी उत्‍तर रेलवे के विरूद्ध यह परिवाद इस आशय से  योजित किया गया है कि अवैध रूप से वसूल किये गये अंकन 485-00 रूपये परिवादी को वापस दिलाये जाये। इसके अतिरिक्‍त क्षतिपूर्ति एवं अन्‍य अनुतोष भी दिलाया जाय।

(3)

विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से जवाबदावा 8/1 लगायत 8/5 दाखिल किया गया। जवाबदावे के पैरा-1 में टिकट का रिजर्वेशन परिवादी व उसकी पत्‍नी के नाम कराया जाना स्‍वीकार किया गया, शेष अभिकथनों से इंकार किया गया। विशेष कथन में कहा गया है कि परिवादी द्वारा खरीदे गये टिकट 2 व्‍यक्तियों पुरूष उम्र 42 व महिला उम्र 40 साल के लिए अधिकृत था जिस पर नियमानुसार परिवादी या उसकी पत्‍नी ही सफर कर सकती है, नियमित चेकिंग के दौरान कार्यरत  टी.टी.ई. द्वारा टिकट चेक करने पर  पाया गया कि परिवादी की पत्‍नी के स्‍थान पर एक उम्रदराज  महिला यात्रा कर रही थी, जिसकी बावत पूंछने पर परिवादी ने माता जी का होना बताया। टिकट में दर्शाये गये यात्री के स्‍थान पर  अन्‍य यात्री का यात्रा करना रेलवे अधिनियम की धारा-142 का उल्‍लंघन था, जिसे धारा-142 (2) के अर्न्‍तगत दिये गये प्रावधानों के अनुसार रेलवे अधिनियम की धारा 138 के अर्न्‍तगत चार्ज करके फतेहपुर से मुरादाबाद तक का किराया 235-00 रूपये व अतिरिक्‍त जुर्माना 250-00 रूपये लगाकर परिवादी की पत्‍नी के न आने से खाली हुई सीट पर ही समायोजित कर दिया गया था तथा टी.टी.ई. महोदय द्वारा जारी ई.एफ.टी. टी.ओ.टी. (ट्रांसफर आंफ टिकट) अंकित कर दिया गया। पूंछने पर परिवादी के सहयात्री ने अपना नाम एस0 देवी बताया था, उक्‍त का नाम ई.एस.टी. पर अंकित कर दिया गया। कहा गया कि परिवादी ने नियम विरूद्ध यात्रा करनी चाही और उसने टी.टी.ई. को धमकी भी दिया था कि वह कचेहरी में कार्य करता है और परिवादी की बात न मानने पर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी थी। यह भी कहा गया कि डयूटी के दौरान टी.टी.ई. गार्ड तथा स्‍टेशन मास्‍टर व टिकट कलेक्‍टर कार्यालय में शिकायत पुस्तिका उपलब्‍ध रहती है जो मांगने पर प्रदान की जाती है, लेकिन परिवादी द्वारा कोई शिकायत पुस्तिका  में दर्ज नहीं की गई। नफा नाजायज हासिल करने के लिए गलत तथ्‍यों के आधार पर परिवाद योजित किया है, जो खण्डित किये जाने योग्‍य है। कहा गया कि विपक्षी के टी.टी.ई. द्वारा नियमानुसार पेनाल्‍टी लगायी गई है, उनकी ओर से कोई सेवा में कमी नहीं की गई है। इस दृष्टिकोण से भी परिवाद निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

(4)

अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री पी0पी0 श्रीवास्‍तव एवं प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0के0 शर्मा के सहयोगी श्री एस0पी0 पाण्‍डेय के तर्को को सुना गया।

अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का कथन है कि परिवादी का परिवाद रेलवे क्‍लेम्‍स के अधिनियम की धारा-13 व 15 से बाधित है। प्रत्‍यर्थी ने रेलवे अधिनियम की धारा-142 का उल्‍लंघन किया था, जिसे धारा-142 (2) के अन्‍तर्गत दिये गये प्राविधानों के अनुसार रेलवे अधिनियम की धारा 138 के अर्न्‍तगत चार्ज करके फतेहपुर से मुरादाबाद तक का किराया 235-00 रूपये व अतिरिक्‍त जुर्माना 250-00 रूपये लगाया था। इस प्रकार कोई सेवाओं में त्रुटि नहीं की गई है। विद्वान जिला मंच द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्वान जिला मंच ने उभय पक्षों द्वारा प्रस्‍तुत किये गये सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं साक्ष्‍य की विवेचना करते हुए विधि अनुसार निर्णय पारित किया है, जिसमें कि हस्‍तक्षेप किये जाने की आवश्‍यकता नहीं है।

प्रश्‍नगत निर्णय का अवलोकन किया गया एवं पत्रावली में उपलब्‍ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।

परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने अपने परिवाद में उससे वसूल किये गये अंकन 485-00 रूपये को वापस किये जाने की मांग की है, जो कि रेलवे विभाग द्वारा उससे अवैध रूप से वसूला गया है। रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल एक्‍ट 1987 की धारा-13 (1) (बी) के अर्न्‍तगत किराये को रिफन्‍ड किये जाने का प्राविधान दिया गया है। इस धारा के अर्न्‍तगत परिवादी को रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल के समक्ष अपना परिवाद प्रस्‍तुत करना चाहिए था, क्‍योंकि उपरोक्‍त अधिनियम की धारा-15 के अर्न्‍तगत किसी अन्‍य न्‍यायालय को श्रवण का क्षेत्राधिकार नहीं है। अत: ऐसी परिस्थिति में अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है और प्रश्‍नगत निर्णय निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

 

(5)

आदेश

अपीलार्थीगण की अपील की स्‍वीकार की जाती है तथा विद्वान जिला मंच, द्वतीय मुरादाबाद के  परिवाद  संख्‍या-169/2010 में  पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17-11-2011 निरस्‍त किया जाता है।

उभय पक्ष अपना-अपना अपील व्‍यय स्‍वयं वहन करेगें।

उभयपक्ष को इस निर्णय की प्रति नियमानुसार नि:शुल्‍क उपलब्‍ध करायी जाय।

 

     ( अशोक कुमार चौधरी                    ( बाल कुमारी )                       

       पीठासीन सदस्‍य                             सदस्‍य

आर0सी0वर्मा, आशु. ग्रेड-2 कोर्ट नं0 3

 

 

 

 

 

 
 
[HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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