मौखिक
उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-424/2012
महिन्द्रा एंड महिन्द्रा फाइनेन्स
बनाम
हनुमान प्रसाद सिंह
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री ए0 के0 श्रीवास्तव, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री रवि कुमार वर्मा, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :06.02.2024
माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी महिन्द्रा एंड महिन्द्रा फाइनेन्स की ओर से विद्वान जिला आयोग, प्रतापगढ़ द्वारा परिवाद संख्या- 472/2003, हनुमान प्रसाद सिंह बनाम महिन्द्रा एंड महिन्द्रा में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07.12.2011 के विरूद्ध योजित की गयी है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर विद्धान अधिवक्ता श्री ए0 के0 श्रीवास्तव तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री रवि कुमार वर्मा उपस्थित है। उभय पक्षों के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेख एंव प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया गया।
परिवादी का कथन है कि वह वाहन संख्या- यू0 पी0 44 बी 4468 का पंजीकृत स्वामी है जिसे नीरज मोटर्स जाफरगंज सुलतानपुर सर्विस स्टेशन से दिनांक 31.10.1998 को खरीदा था। प्रश्नगत वाहन महिन्द्रा एंड महिन्द्रा फाइनेंशियल सर्विस लिमिटेड से वित्त पोषित था। था। वाहन की कीमत अंकन 3,18,350.00रू0 थी। परिवादी ने डीलर को अंकन 1,68,350.00 का नगद भुगतान किया था। परिवादी को अंकन 1,50,000.00 रू0 की वित्तीय सहायता 12.8 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित प्रदान की गई थी। परिवादी ने विपक्षी संख्या-03 को 15 किश्तों का भुगतान किया तथा 06 किश्तों का भुगतान बैंक ड्राफ्ट से इलाहाबाद शाखा में किया। परिवादी 22 किश्तों का भुगतान कर चुका है। दिनांक 30.05.2003 को परिवादी के वाहन चालक को मार पीटकर विपक्षी ने वाहन को अपने कब्जे में ले लिया। परिवादी दिनांक 19.06.2003 को शेष बची दो किश्तों का भुगतान नगद भुगतान कर दिया। दिया। सभी किश्तों का भुगतान के बावजूद विपक्षी द्धारा परिवादी को वाहन नहीं सौंपा गया। अत: परिवादी ने यह परिवाद संस्थित किया है।
विपक्षी ने प्रतिवाद पत्र में कथन किया है कि परिवादी ने बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से 06 किश्तों अंकन 47,160.00 रू0 का भुगतान किया है। दिनांक 19.06.2003 को परिवादी द्धारा विपक्षी को अंकन 15,720.00 रू0 का भुगतान किया गया। परिवादी द्धारा अंकन 1,88,640.00 रू0 का भुगतान किया जाना था जिसमे परिवादी द्धारा विपक्षी को अकन 1,68,000.00 का भुगतान किया गया है।
जिला आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने के उपरान्त विपक्षी संख्या- 01, 02 व 04 परिवादी को 30 दिन में जीप संख्या यू0 पी0 44 बी 4468 को उसी रूप में वापस करे, जिस रूप में वह कब्जा लेते समय थी तथा क्षतिपूर्ति अंकन 25,000.00 भी अदा करें। यदि उक्त वाहन परिवादी को वापस नहीं किया जाता है तो अंकन 3,18,350.00 रू0 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ दिनांक 30.05.2003 से भुगतान की तिथि तक तथा अंकन 2,000.00 वाद व्यय अदा किया जायेगा।
पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य एंव अभिलेख का भलीभांति परिशीलन किया गया। पीठ का मत है कि जिला आयोग ने सभी अभिलेखों व साक्ष्यो का अवलोकन करते हुए तथा साक्ष्यों की पूर्ण विवेचना करते हुए प्रश्नगत परिवाद निर्णय पारित किया है। जो कि तथ्यों एवं साक्ष्यों से समर्थित एवं विधि-सम्मत है उसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है। तद्नुसार प्रस्तुत अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्धारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि राज्य आयोग के समक्ष जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित नियमानुसार वापस की जावेगी।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
रंजीत, पी0 ए0,
कोर्ट-03