( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :196/2019
सब डिवीजनल आफीसर, इलेक्ट्रीसिटी डिस्ट्रीब्यूशन डिवीजन, अमरोहा।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
हंसराज सिंह पुत्र श्री ओम प्रकाश सिंह निवासी मोहल्ला प्रीत बिहार, अमरोहा।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2-मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री इसार हुसैन।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- कोई नहीं।
दिनांक : 13-02-2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-38/2017 हंसराज सिंह बनाम उपखण्ड अधिकारी, विद्युत वितरण खण्ड अमरोहा में जिला उपभोक्ता आयोग, अमरोहा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 04-01-2019 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
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‘’आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है :-
- है कि विपक्षी परिवादी का मीटर सही कर परिवादी को मीटर रीडिंग के अनुसार आज से 30 दिन के अंदर बिल उपलब्ध कराये तथा परिवादी उसकी राशि को एक सप्ताह के अंदर जमा करें। तब तक विपक्षी परिवादी से अन्यथा कोई रकम न वसूले। कुल 5,000/-रू0 की राशि 30 दिन के अंदर अदा न करने पर यह रकम आज निर्णय के दिनांक से अदायगी तक 06 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित देय होगी।‘’
जिला आयोग के आक्षेपित निर्णय व आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी की ओर से यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी विद्युत कनेक्शन संख्या-84281/8621 से विपक्षी का उपभोक्ता है। विपक्षी कार्यालय द्वारा काल्पनिक राशि का बिल भेजा गया जिसे परिवादी ने सही कराने का प्रयास किया लेकिन सही नहीं किया गया तब मजबूर होकर परिवादी ने एक प्रार्थना पत्र दिनांक 07-03-2017 को रजिस्टर्ड डाक से प्रेषित किया जिसकी प्रतियॉं जिलाधिकारी अमरोहा एवं उर्जा मंत्री भारत सरकार को भी की गयी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई तब परिवादी ने यह परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है।
विपक्षी ने अपना प्रतिवाद पत्र कागज संख्या-26/1-4 प्रस्तुत किया है जिसमें कथन किया कि परिवादी पर अक्टूबर 2016 तक 204080/-रू0
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बकाया है और परिवादी द्वारा बकाया भुगतान न करने के कारण विपक्षी ने परिवादी की लाईन काट दी। परिवादी फिर भी लगातार विद्युत का प्रयोग कर रहा है। परिवादी ने कोई प्रार्थना पत्र विभाग में नहीं दिया है। परिवादी का मीटर ठीक चल रहा है यदि परिवादी को रीडिंग से संबंधित कोई शिकायत थी तो चैक मीटर लगवा सकते थे लेकिन परिवादी ने ऐसा नहीं किया। परिवाद वसूली से संबंधित है और फोरम को परिवाद सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है और बिल भुगतान न करने की नीयत से यह झूठा परिवाद प्रस्तुत किया गया है जो विशेष हर्जें सहित खारिज किये जाने योग्य है।
विद्धान जिला आयोग द्वारा उभयपक्ष को विस्तार से सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का परिशीलन करने के उपरान्त अपने निष्कर्ष में यह मत अंकित किया है कि परिवादी ने अपने परिवाद के साथ सीलिंग प्रमाण पत्र कागज संख्या-14 एवं विपक्षी का विच्छेदन नोटिस कागज संख्या-15 दाखिल किया है। सीलिंग प्रमाण पत्र में स्वीकृत भार 100 वाट है और विच्छेदन नोटिस 204080/-रू0 का है। परिवादी ने कोई बिल विद्युत संयोजन के संबंध में दाखिल नहीं किया है और मीटर सही कराने व बिल सही करने की प्रार्थना की है।
विपक्षी ने अपने प्रतिवाद पत्र में अक्टूबर-2016 तक 204080/-रू0 परिवादी पर बकाया होने पर अक्टूबर-2016 में विद्युत कनेक्शन काटना अभिकथित किया है लेकिन नोटिस के संबंध में कोई भी विवरण दाखिल नहीं किया है। किस अवधि से किस अवधि तक का परिवादी पर 204080/-रू0 बकाया है। न ही कोई असेसमेंट नोटिस दाखिल किया है इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि परिवाद असेसमेंट या विद्युत चोरी से संबंधित है। परिवादी ने दिनांक 07-03-2017 को उपखण्ड अधिकारी, विद्युत वितरण खण्ड अमरोहा
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को रजिस्टर्ड नोटिस भी दिया जो कागज संख्या-7ग एवं उसकी रसीद कागज नम्बर-8ग है, लेकिन फिर भी विपक्षी ने परिवादी का मीटर व बिल सही न कर सेवा में कमी की है। जिला आयोग ने विपक्षी के स्तर पर सेवा में कमी पाते हुए परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन उपस्थित। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है अत: अपील स्वीकार करते हुए विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को निरस्त किया जावे।
मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का भली-भॉंति परिशीलन किया गया।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का भली-भॉंति परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है किन्तु विद्धान जिला आयोग द्वारा विपक्षी विद्युत विभाग पर जो परिवाद व्यय रू0 3,000/- एवं क्षतिपूर्ति 2,000/- अदा करने का आदेश पारित किया है और उक्त धनराशि का भुगतान निर्धारित समयावधि में न करने पर जो 06 प्रतिशत ब्याज सहित धनराशि
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अदा करने का आदेश पारित किया है उसे वाद के तथ्यों और परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते उचित नहीं कहा जा सकता है और वाद व्यय एवं क्षतिपूर्ति के मद में पारित आदेश निरस्त किये जाने योग्य है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को संशोधित करते हुए वाद व्यय एवं क्षतिपूर्ति के मद में पारित आदेश निरस्त किया जाता है। निर्णय के शेष भाग की पुष्टि जाती है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
प्रदीप मिश्रा , आशु0 कोर्ट नं0-1