(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-58/2009
दि ब्रांच मैनेजर, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लि0 बनाम हमीद पुत्र श्री यूनुस
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक : 25.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-406/2003, हमीद बनाम शाखा प्रबंधक, यूनाइटेड इंडिया इं0कं0लि0 में विद्वान जिला आयोग, शाहजहांपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.9.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अनिल श्रीवास्तव को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की विद्वान अधिक्ता का चयन विद्वान जिला आयोग, पीलीभीत में सदस्य के पद पर होने के कारण प्रत्यर्थी को नवीन अधिवक्ता नियुक्त करने अथवा स्वंय उपस्थित होकर पैरवी करने के लिए नोटिस प्रेषित की गई थी, जिसकी प्रति पत्रावली पर मौजूद है, परन्तु प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
2. विद्वान जिला आयोग ने बीमित राशि अंकन 75,000/-रू0 9 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार दिनांक 11.8.2002 को बीमित दुकान में चोरी होना कहा जाता है, जबकि प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 26.8.2002 को दर्ज कराई गई है। सर्वेयर द्वारा निष्कर्ष दिया गया है कि यथार्थ में घटनास्थल पर कोई चोरी नहीं हुई है। परिवादी द्वारा जो क्लेम मांगा गया है, वह फर्जी एवं बनावटी है, इसलिए कोई बीमा क्लेम देय नहीं है।
4. विद्वान जिला आयोग ने वैध रूप से साक्ष्य की व्याख्या किए बिना क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया है। विद्वान जिला आयोग ने क्षतिपूर्ति का आदेश पारित करते समय यह निष्कर्ष दिया है कि चोरी की घटना के पश्चात प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई है, जिसमें अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जो मजिस्ट्रेट के न्यायालय द्वारा स्वीकार कर ली गई, इसलिए क्षतिपूर्ति देय है, परन्तु इसमें चोरी की घटना घटित होना, इस घटना में कारित क्षति का आंकलन करने में विद्वान जिला आयोग असमर्थ रहा है। विद्वान जिला आयोग ने स्पष्ट रूप से उपरोक्त बिन्दुओं पर कोई निष्कर्ष नहीं दिया।
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5. परिवादी का कथन है कि दिनांक 11.8.2002 को वादी की दुकान में चोरी हुई, परन्तु प्रथम सूचना रिपोर्ट किस तिथि को दर्ज कराई गई, इसका उल्लेख परिवाद पत्र में नहीं है। परिवाद पत्र में केवल यह उल्लेख है कि धारा 380, 457 के अंतर्गत अपराध पंजीकृत हुआ। अंतिम रिपोर्ट की प्रति पत्रावली पर मौजूद है, जिसके अवलोकन से ज्ञात होता है कि मजिस्ट्रेट के न्यायालय द्वारा अंतिम रिपोर्ट को प्रकीर्ण वाद के रूप में स्वीकार किया गया है। इस दस्तावेज की भी रिपोर्ट दर्ज होने की तिथि की जानकारी नहीं दी गई। अपील के ज्ञापन में उल्लेख है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 26.8.2002 को दर्ज कराई गई। इस प्रकार दिनांक 11.8.2002 को हुई चोरी की सूचना दिनांक 26.8.2002 को दर्ज कराना स्वंय बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन है। सर्वेयर द्वारा यह पाया गया कि यथार्थ में मौके पर कोई चोरी नहीं हुई। अत: परिस्थितिजन्य साक्ष्य यह है कि बीमित परिसर में चोरी होने का कोई सबूत मौजूद नहीं है, इसलिए कोई क्लेम देय नहीं था। तदनुसार विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त होने और प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.09.2008 अपास्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2